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हैलो दोस्तों, आप सभी को कजरी का नमस्कार। मैं एक 27 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं और मैं पटना, बिहार में रहती हूं। मेरी हाईट 5 फुट 9 इंच है, और मैं एक गदरायी बदन की मालकिन हूं।
मेरी फिगर 38D-32-40 की है और गोरा रंग है। मेरी इस हाईट और फिगर की वजह से बहुत ही सेक्सी लगती हूं। यह मेरी पहली कहानी है पहली चुदाई की, उम्मीद है की आप लोगों को पसंद आएगी।
कहानी आज से लगभग कई साल पहले की है, तब मैं गांव में रहती थी। मेरे परिवार में मेरे मम्मी, पापा, सबसे बड़ी दीदी, भैया और मैं हूं। उस समय मेरी फिगर 34C-28-32 की थी। मेरे आसपास के लड़के मुझ पर लाइन मारते थे। मैं भी जवानी में कदम रख रही थी और यह सब अच्छा लगता था।
मेरी दीदी, अर्चना, जिनकी अभी नई नई शादी हुई थी, वो दिखने में मुझसे भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत है और उनका रंग बिलकुल दूध सा सफेद है। उनकी फिगर 30A-24-28 की थी उस समय और उनकी हाईट 5 फुट 6 इंच है।
मेरे जीजू का नाम श्याम है और दिखने में बहुत हट्टे कट्टे हैं, उनकी हाईट 6 फुट 2 इंच है। शादी के बाद से ही वो मुझसे काफी हंसी मजाक करते थे। कभी कभी वो मुझे इधर उधर हाथ भी लगा देते थे। मैं भी इस सबका खूब मजा लेती थी।
गर्मी के दिनों में हम सब छत पर सोया करते थे। इसी तरह एक रात हम सब सो रहे थे की अचानक से मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि दीदी और जीजू सीढ़ियों से नीचे जा रहे हैं।
मैं समझ गई थी की इनकी चुदाई का प्रोग्राम है। मैं भी चुपके से इनके पीछे उतर गई। मैंने देखा कि दोनों अपने कमरे मे जाकर गेट बंद कर लिया है।
फिर मेरा ध्यान उस रूम के खिड़की पर गया तो मैंने देखा कि वो खुली हुई है। उन दोनो ने शायद जल्दी जल्दी में ध्यान नहीं दिया। मैं छुप कर वहां से अंदर कमरे में देखने लगी। मैंने देखा कि दोनों एक दूसरे से चिपके हुए हैं और एक दूसरे को किस कर रहे हैं।
फिर उन दोनो ने अपने कपड़े उतारे और मेरी दीदी घुटनों पर बैठ गई और जीजू का लन्ड हाथ में लेकर खेलने लगी। तब मेरी नजर जीजू के औजार पर गई तो मेरी आंखें चौंक गई। उनका लन्ड बहुत ही लंबा, लगभग 7 इंच का, मोटा और काला था।
दीदी ने उसे अपने मुंह में ले लिया और किसी पोर्न स्टार की तरह चूसने लगी। जीजू ने उनके बाल पकड़ रखे थे और जोर जोर से अपना लन्ड अन्दर बाहर कर रहे थे।
दीदी बड़ी मुश्किल से उनका पूरा लन्ड अपने मुंह में ले पा रही थी और उनके मुंह से झाग भी निकल रहा था।
बीच बीच में जीजू उन्हें थप्पड़ भी मार रहे थे और गाली दे रहे थे, “चूस, साली रण्डी”। मैं भी यह सब देख कर काफी उत्तेजित हो गई थी और अपनी चुत को सहलाने लगी।
कुछ मिनटों के बाद जीजू ने दीदी को गोद में उठाया और बेड पर पटक दिया। दीदी उनके शरीर के सामने एक नन्ही गुड़िया जैसी ही लग रही थी।
फिर जीजू ने उन्हें कुतिया बनने को कहा। मैं सोचने लगी कि बेचारी दीदी इतने बड़े लन्ड को अपने चुत में कैसे ले पाएगी। तभी मैंने देखा की उन्होंने अपना पूरा लन्ड एक ही बार में दीदी की गान्ड के छेद में डाल दिया। दीदी दर्द से चिल्ला उठी।
जीजू ने इस पर बोला, “साली, इतनी बार तेरी गान्ड मार चुका हूं फिर भी नाटक करती है। चुप हो जा वरना कोई जाग जाएगा।”
दीदी ने अपना मुंह तकिए में दबा लिया। जीजू घपाघप दीदी की गान्ड में अपने लन्ड से प्रहार कर रहे थे। वो कभी दीदी का बाल पकड़ कर खींच रहे थे तो कभी कभी चूतड़ों पर थप्पड़ लगा देते। अब दीदी भी गान्ड उछाल उछाल कर अपनी गांड़ मरवा रही थी।
जीजू उन्हें कई सारी गंदी गालियां देकर चोद रहे थे और दीदी बोलती, “हां मेरे स्वामी, आज अपनी इस रांड की गान्ड फार दो।” मैं यह सब देख कर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। मैं भाग कर किचन में गई और एक बैगन लेकर आ गई।
अब मैंने देखा की जीजू ने दीदी को गोद में उठा लिया है और हवा में ही उनकी गांड़ मार रहे हैं। मैंने भी अपनी पैंटी उतार दी और अपनी चुत में बैगन को अंदर बाहर करने लगी। मैं खुद को दीदी की जगह सोच रही थी की काश ऐसी ही दमदार चुदाई मेरी होती।
मैं यह सब सोच कर बैगन से अपनी चुत की चुदाई कर रही थी और अब मैं झड़ने ही वाली थी कि मैंने सुना, “कजरी, आज मैं तेरी गान्ड फार दूंगा।”
यह सुनते ही मेरा दिमाग ठनका कि जीजू मेरे बारे में सोच कर दीदी की गान्ड मार रहे हैं। इससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गई और बड़े ही जोर से झड़ गई।
अब दीदी और जीजू भी झड़ चुके थे और दीदी की गान्ड में जीजू का माल पूरा भर गया था। मैंने अपनी पैंटी ली और भाग कर छत पर आ गई। मैंने बैगन को छत से घर के पीछे की तरफ फेक दिया और सोने चली गई।
अगले दिन जब मुझे दीदी अकेले मिली तो मैं उनसे कहने लगी की मैंने कल रात सब देख लिया। मेरी दीदी यह सुनकर चौंक गई। मैंने आगे बोला की मैंने देखा की कैसे जीजू मेरा नाम लेके तुम्हे चोद रहे थे, मैं उनकी यह ख्वाईश पूरी करना चाहती हूं।
दीदी ने मुझसे कहा की ठीक है, जीजू तो कबसे उसे मुझसे ये बात करने के लिए बोल रहे हैं लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हुई। मुझे बहुत अजीब लगा की दीदी ने मुझे डांटा क्यों नहीं और इतनी आसानी से वो अपने पति से अपनी बहन को चुदवाने के लिए कैसे राज़ी हो गई। फिर मैंने सोचा की जाने दो, मुझे तो बस लन्ड से मतलब है।
मैं पूरा दिन अब यही सोच कर खुश हो रही थी की रात में जमकर मेरी चुदाई होगी, और मेरी चुत गीली हो रही थी। मैं जब नहाने गई तो अपनी चुत में उंगली करके खुद को ठंडा किया और अपनी चुत के सारे बाल साफ करके एक दम चिकनी कर लिया।
अब मैं रात का इंतजार करने लगी। अब तक शायद दीदी ने भी जीजू को सब बता दिया था क्यूंकि वो मुझे बहुत ही वासना भरी नजरों से देख रहे थे।
फिर रात हुई और सब सोने के लिए छत पर आ गए। कुछ देर के बाद जब सब सो गए तो जीजू मेरे पास आकर मुझे नीचे चलने के लिए बोला, में भी उनके पीछे चल दी।
नीचे कमरे में जाते ही वो मुझसे चिपक गए और मुझे बेइंतहा चूमने लगे। मैंने बोला की गेट और खिड़की बंद कर लेते हैं पहले, फिर मैंने सब बंद कर दिया और अब मैं भी उनसे चिपक कर पागलों की तरह उनके होठों को चूमने लगी।
फिर उन्होंने मेरा नाइटी उतार दिया और मैं पूरी नंगी हो गई क्यूंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था। जीजू मेरी चूचियों को देख कर पागल हो गए और उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसने लगे। मैं मदहोश हो रही थी और हल्की सिसकारियां भरने लगी। मैंने उनके सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबा दिया।
कुछ देर तक मेरे चूचियों को चूसने और दबाने के बाद वो अलग हुए और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैंने उनके लौड़े को अपने हाथ में लिया और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
उन्होंने मुझसे कहा, “वाह, तू तो बिल्कुल खेली खिलाई लगती है।”
मैंने कहा, “नहीं, वो मैंने ब्लू फिल्मों में देखा है और कल दीदी को भी तो करते देखा था।”
इस पर वो हंसने लगे और मेरे बालों को पकड़ कर अपने लन्ड को मेरे मुंह में अंदर बाहर करने लगे। मैं हांफ रही थी। फिर उन्होंने अपना सारा माल मेरे मुंह में निकाल दिया, मुझे बहुत अजीब लगा। लेकिन उन्होंने कहा की पी जा साली, और मैंने उनका सारा माल पी लिया।
फिर उन्होंने मुझे बेड पर लेटने को कहा, मैं लेट गई। उन्होंने फिर अपना लन्ड मेरे गान्ड की छेद पर लगाया तो मैं सहम गई और बोली की गान्ड नहीं, पहले चुत में डालिए।
इस पर वो हंसने लगे और कहा, “मैं चुत नहीं मारता, सिर्फ गान्ड मारता हूं। आज तक तुम्हारी दीदी की चुत भी कुंवारी ही है।” मैं बहुत डर गई की पहली बार इतना बड़ा लौड़ा ले रही हूं और वो भी सीधा गान्ड में।
फिर उन्होंने धक्का लगाया और थोड़ा सा लन्ड मेरी गान्ड में घुस गया, मुझे तो ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी गान्ड फार दी हो।
मैं चीखी, लेकिन फिर अपने हाथों से मुंह को दबा लिया की कोई कहीं उठ न जाए। वो धीरे धीरे करके अपना लन्ड मेरी गान्ड में डाल रहे थे क्योंकि मेरी छेद बहुत टाईट थी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और आंखों से आंसू गिर रहे थे।
लेकिन मैं उन्हे रुकने के लिए नहीं बोल सकती थी क्यूंकि वो मेरी नहीं सुनते। अब उनका पूरा लन्ड अन्दर तक जा चुका था, मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने एक डंडा मेरी गान्ड में डाल कर छोड़ दिया हो।
वो धीरे धीरे झटके लगाने लगे और मेरी चूचियों को चूसने लगे। बीच बीच में वो दांत से काट भी लेते थे। अब धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे मजा आने लगा।
मैं भी अपनी गान्ड उछाल कर उनसे चुदाने लगी। उन्होंने भी अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी और बीच बीच में मेरी चूंचियों पर चपत भी लगा देते थे। मेरी चूंचियां लाल हो गई थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
वो बोल रहे थे, “मेरी रानी, कब से तुझे चोदने का सोच रहा था मैं, आज जाके हाथ आई है। जम के चोदूंगा आज तो। कितनी टाईट है तेरी गान्ड।”
मैंने भी कहा, “हां जीजू, आपकी ये साली आज से आधी घरवाली के जगह पूरी घरवाली बन गई है। फार दो मेरी गान्ड।”
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा, तो मैं घुटनों के बल होके लेट गई और अपनी गान्ड को थोड़ा ऊपर उठा लिया।
जीजू ने फिर मेरी गान्ड में अपना लन्ड डालकर डॉगी स्टाइल में चोदने लगे। मैं भी गान्ड उछाल उछाल कर के उनसे चुदवाने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ भी लगा रहे थे और बोल रहे थे, “साली क्या मस्त है तेरी गान्ड, जी करता है जिंदगी भर इसे चोदता रहूं। कितनी मखमली है, जबसे तुम्हे शादी में देखा था तब से ही तेरी गान्ड मारने की सोच रहा था।”
मैंने भी बोला, “तो अच्छे से चोद ना बहनचोद, दम नही है क्या लौड़े में।”
यह सुनकर वो गुस्सा हो गए,में तो यही चाहती थी। उन्होंने मेरे बालों को पकड़ कर खींच लिया और चूतड़ों पर भी बहुत जोर से थप्पड़ लगाने लगे।
उन्होंने अपने धक्कों की स्पीड भी तेज कर दी और कहा, “छीनाल, बहुत आग है तेरे अंदर, आज शांत करता हूं तेरी आग को। तेरी बहन की तो चूं तक नहीं निकालती मेरे सामने और तू गाली दे रही है।”
कुछ देर तक उन्होंने जम कर धक्के लगाए, और अपनी पिचकारी मेरी गान्ड के अंदर ही छोड़ दी। मैं भी झड़ गई थी। उन्होंने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाला तो मुझे वहां बहुत ही खाली सा महसूस हुआ।
उन्होंने अपने कपड़े पहने और छत पर चले गए। उनका वीर्य मेरी गान्ड के छेद से रिस कर निकल रहा था। मेरी अब ऐसी हालत नहीं लग रही थी की मैं वापस छत पर जा सकूं। मैंने वही पर एक चादर ओढ़ी और सो गई।
अगली सुबह मुझे दीदी उठाने आई, उन्होंने मेरी हालत देखी तो थोड़ी सहम गई। उन्होंने मुझे एक क्रोसिन की गोली दी, मैंने खा ली। उन्होंने वही पड़े नाइटी को देखा तो उसे उठा कर मुझे पहनाया।
फिर उन्होंने मुझे सोने को बोल दिया और गेट लगाकर बाहर चली गई। मां उससे पूछ रही थी की मैं क्यों सो रही हूं अभी तक, तो उसने जवाब दिया कि मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है। शायद छत पर सोने की वजह से ऐसा हुआ है तो अभी मुझे आराम करने दे।
मैं भी फिर सो गई और दोपहर को जाकर मेरी नींद खुली। दवा के वजह से मेरी दर्द काफी कम हो गई थी और मैं चल भी पा रही थी। फिर मुझे पता चला दीदी से कि जीजू अपने घर चले गए हैं।
तो कैसी लगी आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी? अपने सुझाव मुझे जरूर मेल करें। मेरी ईमेल आईडी है [email protected], मैं अपनी आगे की कहानियां भी आपके सामने लाती रहूंगी तब तक के लिए मुझे अपने सुझाव जरूर लिखें।
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