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नदी किनारे मेरी चूत खूब चुदी. मेरी चूत सूज गई थी. लेकिन मेरी चूत की अगली चुदाई मेरे पापा ने की घर में! बाप बेटी की चुदाई स्टोरी का मजा आप भी लें.
मेरी पिछली कहानी मेरे भैया मेरी चूत के सैय्यां-6 में मैंने बताया था कि गंगरेल डैम पर नदी के किनारे बोट ड्राइवर ने अपने दो और साथियों के साथ मिल कर दिव्या और मेरी चूत को चोद दिया.
उन तीनों के साथ ही भाई ने मेरी गांड भी चोद दी. इस दौरान मैं कई बार झड़ गई थी. फिर दिव्या और मैंने नदी के पानी में ही अपनी चूत को साफ किया और फिर हम तीनों ने उन लड़कों को फिर से मिलने का वादा किया और उसके बाद हम लोग अपने घर की ओर आ गये.
रात के 9 बजे तक हम लोग घर आ गये थे. उस दिन मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी. मैं इससे ज्यादा चुदाई करवाने की हालत में नहीं थी क्योंकि मेरी चूत और गांड दोनों ही सूज गई थी.
कई दिनों तक मैंने अपनी चूत और गांड की सिकाई की तब जाकर मुझे आराम मिलने लगा. अब मेरी चूत और गांड दोनों ही पहले वाली पोजीशन में आ रही थी.
मैंने आप लोगों को अपने परिवार के बारे में बताया था कि मेरा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है. मेरे परिवार में मेरे अलावा भाई, मां और पापा ही हैं. मां ज्यादातर मेरी नानी के यहां चली जाती है. घर में मैं, भाई और पापा ही रहते हैं.
उस दिन मैंने भाई को बोल दिया था कि अब और ज्यादा चुदाई नहीं करेंगे तो भाई ने भी मेरी बात मान ली और वो अब केवल पढ़ाई में ध्यान दे रहे थे.
तीज का त्यौहार था और उस दिन मेरी मां नानी के घर पर गई हुई थी. मेरी मां तीज मनाने के लिए वहीं पर जाती थी. घर में भाई और मैं ही थे. हमने रात का खाना भी खा लिया था मगर अभी तक पापा नहीं आये थे.
पापा के आने के बाद मैं उनके लिए गर्म खाना बनाती थी. हम दोनों ने खाना खा लिया और अब मैं रसोई में पापा के लिए खाना बना रही थी. उस दिन मौसम भी काफी खराब था. रात में बिजली कड़कने लगी थी और थोड़ी ही देर के बाद बारिश भी शुरू हो गई थी.
मैंने जल्दी से खाना बना दिया और फिर मैं वहीं अपने रूम में जाकर अपनी चूत और गांड की सिकाई करने लगी. अभी थोड़ी सूजन बाकी थी. मैं सिकाई कर ही रही थी कि अचानक से मेन डोर की बेल बजी और मैं जल्दी से अपनी लोअर को ऊपर करके दरवाजा खोलने के लिए चली.
जाते हुए मैंने देखा कि भाई गहरी नींद में सो चुके थे. मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो पापा सामने खड़े थे. मगर वो बिल्कुल होश में नहीं लग रहे थे. उन्होंने उस दिन कुछ ज्यादा ही दारू पी रखी थी.
दरवाजा खोलते ही वो मेरे ऊपर आकर गिरने लगे तो मैंने उनको संभाला और फिर उनको अंधर करके दरवाजा बंद कर दिया. बाहर जोर से बारिश हो रही थी और मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था.
मैंने देखा कि पापा पूरे के पूरे ऊपर से नीचे तक गीले हो चुके थे. मैं उनको उठा कर चेयर पर बिठाने लगी मगर वो मेरे ऊपर ही गिर गये. उनके हाथ मेरी चूचियों पर आ गये.
पापा ने मेरी चूचियों को पकड़ लिया और गिरते-संभलते हुए मैं उनको कमरे की तरफ लेकर जाने लगी. वो मेरे बदन के साथ सटे हुए थे. मैं उनको उनके कमरे की तरफ लेकर जा रही थी. मुझे यह भी ध्यान नहीं था कि उनके हाथ मेरी चूचियों पर थे.
कमरे में ले जाकर मैंने उनको बेड पर लिटा दिया. उनके कपड़े पूरे गीले थे तो मैंने सोचा कि ऐसे तो पापा की तबियत खराब हो जायेगी. मैंने पापा की शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिये.
पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. वो बहुत नशे में थे. उनको कुछ पता नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं. मैंने उनका हाथ छुड़ाया और फिर से उनकी शर्ट को उतारने लगी.
सामने से मेरा टीशर्ट भी गीला हो गया था क्योंकि पापा के कपड़ों का पानी मेरी टीशर्ट पर भी आ गया था. मैंने पापा की शर्ट को खोला ही था कि उन्होंने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे होंठों के पास अपने होंठों को ले आये. उनके मुंह से दारू की स्मैल आ रही थी. पापा की आंखें एकदम नशे में लाल थीं.
वो मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे. फिर एकदम से उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. मैंने खुद को वापस खींचने की कोशिश की मगर पापा मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. उनको कुछ होश नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं.
मेरे बदन में अब करंट सा दौड़ने लगा था. कोई मर्द मुझे ऐसे किस करता था तो मुझे भी अजीब सा मजा आने लगता था. पापा ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को पीने लगे.
अब मुझे भी अच्छा लगने लगा और फिर पापा ने एकदम से मेरे टीशर्ट के अंदर मेरी चूचियों के अंदर हाथ डालकर उनको दबाना शुरू कर दिया. वो मेरे बूब्स को तेजी के साथ मसलने लगे.
मैं अभी भी उनसे अलग होने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वो नशे में थे और मुझे पता था कि अगर मैंने उनको नहीं रोका तो फिर बात बहुत आगे तक बढ़ जायेगी. मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी मगर पापा ने मेरी चूचियों को पकड़ कर जोर से उनको भींचना शुरू कर दिया.
मुझे मजा आने लगा. मगर मैं इस हालत में नहीं थी कि मैं चुदाई करवा सकूं क्योंकि अभी तक मेरी चूत और गांड की सूजन पूरी तरह से नहीं गई थी.
पापा जोर से मेरी चूचियों को मसल रहे थे और मैं सिसकारियां लेते हुए उनको रोकने की कोशिश कर रही थी. मैंने उनको समझाने की कोशिश की कि ये सब ठीक नहीं है मगर पापा मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे थे.
उन्होंने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से ऐसे दबाने लगे जैसे उनका दूध निकाल देंगे दबा-दबा कर. मुझे मजा आ रहा था. मगर साथ ही डर भी लग रहा था क्योंकि चुदाई की हालत में नहीं थी मैं.
मुझे डर था कि कहीं पापा मेरी चूत को चोदने लगे और मेरी चूत फट ही न जाये. पापा ने अब मुझे अपने सीने से चिपका लिया. उन्होंने मेरे टीशर्ट को निकलवा दिया और मेरी चूचियां नंगी हो गईं. मैंने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी.
मैं पापा के गीले बदन पर लेट गई थी. पापा ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों पर किस करने लगे. मैं भी अब उनका साथ देने लगी. अब पापा ने एक हाथ को नीचे ले जाकर अपनी पैंट के बटन को खोलना शुरू कर दिया.
फिर अगले ही कुछ पलों में उन्होंने मेरी लोअर को भी खींच कर नीचे कर दिया. मैंने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी क्योंकि पापा के आने से पहले मैं अपनी चूत की सिकाई करने में लगी हुई थी.
पापा का जोश अब सच में बढ़ता ही जा रहा था. उन्होंने धीरे से अपने पैरों को हिलाते हुए नीचे से अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों को ही निकाल दिया था. अब वो मुझे किस करने लगे और एक हाथ से अपने लंड को भी हिला रहे थे.
उनके मुंह से दारू की स्मैल आ रही थी. मगर अब मुझे अच्छा लगने लगा था क्योंकि मेरी चूचियों के निप्पल भी अब खड़े हो गये थे. मेरी चूत पापा की गीली जांघों से टच कर रही थी.
पापा ने शर्ट भी निकाल दी थी. उनकी छाती पर जो हल्के बाल थे उन पर मेरी चूचियां टच हो रही थीं. मुझे एक अलग ही मजा सा आने लगा था. अब पापा की हर हरकत मुझे पसंद आ रही थी. अब मैं चुदने के लिए खुद ही तैयार होने लगी थी.
अब पापा ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मुझे जोर से चूमने और काटने लगे. भले ही मेरी चूत में दर्द था मगर पापा जिस तरह से मेरे बदन के साथ खेल रहे थे मुझे बहुत मजा आ रहा था. अब उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत की दरार के आसपास रगड़ना शुरू कर दिया. उनका लंड पूरा तन गया था.
उनको मेरी चूत में लंड डालने की काफी जल्दी लग रही थी. वो नशे में थे और जोश में हड़बड़ा रहे थे, इसलिए मेरी चूत के आसपास लंड फिसल रहा था लेकिन अंदर नहीं जा पा रहा था.
उसके बाद पापा ने मेरी चूत को अपने हाथ से टटोला और उसको अपने हाथ से सहलाने लगे. अब मुझे और मजा आने लगा. फिर पापा ने एकदम से मेरी चूत पर लंड को लगा दिया और मेरी चूत में लंड को घुसेड़ दिया.
मेरी चूत में पहले से ही दर्द था. पापा का लंड एकदम से चूत में गया तो मैं तड़प उठी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ मैंने उनके चंगुल से छूटने की कोशिश की मगर पापा ने मेरी चूचियों को अपने मुंह में भर लिया और मेरे निप्पलों को अपने दांतों से काटने लगे.
चूत में पापा का लंड पूरा घुस चुका था मेरे निप्पल पापा के मुंह में थे. मेरा पूरा बदन पापा के बदन के ऊपर था और हम दोनों के जिस्म गर्म हो चुके थे. मुझे अब धीरे धीरे मजा आने लगा. पापा ने अपनी गांड को ऊपर नीचे करते हुए मेरी चूत में लंड के धक्के देना शुरू कर दिया.
अब मेरी चूत को लंड लेकर मजा आने लगा. पापा ने मेरी चूचियों को छोड़ कर अब फिर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. पापा के हाथ मेरी गांड पर चले गये. वो मेरे होंठों को चूसते हुए नीचे से लंड के धक्के मेरी चूत में लगा रहे थे.
उनके हाथ मेरी गांड को बार-बार दबा रहे थे. मुझे बहुत मजा आने लगा था. अब मैं भी पापा के लंड की तरफ अपनी चूत को धकेलने लगी थी. मगर पापा की रफ्तार अब धीमी हो गई. वो शायद थक से गये थे. फिर वो धीरे-धीरे मेरी चूत की चुदाई करने लगे.
ऐसे ही कुछ देर तक धीमी चुदाई करने के बाद एकदम से उन्होंने दोबारा से अपने लंड की स्पीड को बढ़ा दिया. उनकी ताकत अब वापस आ गयी थी. पापा मेरी चूत की चुदाई अब तेजी के साथ करने लगे.
अब मेरे मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगीं थी. आह्ह पापा … ओह्ह आराम से करो, मेरी चूत में दर्द हो रहा है. मगर पापा अब पूरे जोश के साथ झटके लगा रहे थे. पापा का लंड मेरी चूत में अंदर जाकर मेरी चूत की दीवारों को अंदर तक हिला रहा था. वो मेरी बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे.
पांच मिनट के बाद ही ऐसा लगने कि अब पापा झगड़े के कगार पर पहुंच गये हैं. उन्होंने मेरी चूत में ऊपर की ओर लंड को धकेलते हुए दोनों तरफ से बेड की चादर को पकड़ लिया और एकदम से मेरी चूत में पापा के लंड से वीर्य की पिचकारी मेरी चूत में लगती हुई मुझे महसूस होने लगी.
पापा का गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरने लगा. कई पिचकारी मेरी चूत में लगती हुई मुझे महसूस हुई. पापा पूरे निढाल होकर मेरी चूचियों के ऊपर गिर गये और काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे. पापा की प्यास तो बुझ गई थी लेकिन मैं अभी प्यासी ही थी.
मेरी चूत में अब पानी निकले बिना चैन नहीं आने वाला था. पापा एक तरफ बाजू में लेट गये. मैं बिन पानी मछली की तरह हो गई थी. मैं अभी पापा के लंड से और चुदना चाह रही थी. मेरी प्यास को बुझाने के लिए अब मैंने सारी शर्म छोड़ दी.
मैंने पापा के लंड को अपने हाथ में ले लिया और उनके लंड को हिलाना शुरू कर दिया. मगर पापा का लंड सो चुका था. काफी देर तक पापा के लंड को हिलाने के बाद भी वो उठता हुआ नहीं दिखा तो मैंने पापा के लंड को अपने मुंह में ले लिया और जोर से चूसने लगी.
उनके लंड को चूस चूस कर मैंने एकदम से लाल कर दिया और आखिरकार पापा का लंड टाइट हो गया. मैंने और जोर से लंड को चूसा और उसमें पूरा जोश भर दिया. जब पापा का लंड बिल्कुल कड़क हो गया तो मैंने अपनी टांगों को फैला कर पापा के लंड पर अपनी चूत को रख दिया.
पापा के लंड पर चूत को सटा कर मैं उस पर बैठती चली गई. पापा का लंड मेरी गर्म और प्यासी चूत में उतर गया. उनका लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं उनके लंड पर कूदने लगी. कभी ऊपर नीचे हो रही थी तो कभी आगे पीछे करते हुए पापा के लंड को अपनी चूत में पूरा ले रही थी.
अब उनके मुंह से दोबारा से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो बस आह्ह ओह्ह आह्ह ऊह्ह … हम्म … याह्ह करते हुए मजा ले रहे थे. पापा की आंखें बंद हो गई थीं. मैंने अपनी चूचियों को दबाते हुए लंड पूरा अंदर तक घुसेड़ना शुरू कर दिया.
मेरी प्यासी चूत की खुजली में अब मजा आ रहा था. उछल-उछल कर मैं पापा के लंड को अपनी चूत में भर रही थी. साथ ही अपने हाथों से मैं अपने बूब्स को दबा रही थी. मेरे बूब्स लाल हो गये थे. कुछ देर पहले ही पापा ने मेरे बूब्स को मसला था और अब मेरे हाथ भी मेरी चूचियों को जोर से दबा रहे थे.
हम दोनों चुदाई में लीन हो गये थे. पूरे रूम में हम दोनों की सिसकारियां गूंज रही थीं. पूरे रूम से चुदाई की आवाजें आ रही थीं. अब मेरी चूत का पानी निकलने को हो गया और मैंने पापा के लंड पर चूत को जोर से फेंकना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर के बाद मेरी चूत से पानी की धार फूट पड़ी और मेरी चूत के पानी से पापा का लंड भीगने लगा. अब मैं भी थक गई और ऐसे ही उनके लंड को चूत में रख कर उनके ऊपर ही लेट गई. ऐसे ही लेटे हुए मुझे नींद आ गयी.
रात को हम दोनों चिपक कर सोते रहे. दोनों को कुछ पता नहीं था. सुबह पांच बजे करीब मेरी आंख खुली तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने देखा कि पापा मेरी बगल में ही नंगे पड़े हुए थे. मैं चुपके से उठ कर अपने कपड़े उठा कर पहनने लगी. मुझे बाप बेटी की चुदाई में मजा आया था.
उसके बाद मैं धीरे से अपने रूम में चली गयी. फिर मैं फ्रेश होकर रसोई में गयी और पापा के लिए चाय बनाई. मैं चाय लेकर उनके कमरे में गयी तो पापा अभी तक वैसे ही नंगे होकर सो रहे थे. मैंने पापा के ऊपर चादर डाल दी. चाय को रख कर मैं वापस जाने लगी तो पापा उठ गये.
मुझे देख कर पापा ने आवाज लगायी. मैं उनके पास गई तो वो थोड़ा शर्मिंदा हो रहे थे. वो बोले- जैस्मिन कल रात को मैंने नशे में तुम्हारे साथ पता नहीं क्या- क्या किया. मुझे कुछ याद नहीं है मगर जो भी हुआ उसके लिए मैं तुमसे सॉरी कह रहा हूं.
मैंने कहा- कोई बात नहीं पापा. वो बोले- देख बेटी, तेरी मां मुझे अब उसके साथ सेक्स नहीं करने देती है. बहुत दिनों से मैंने सेक्स नहीं किया था. इसलिए कल रात नशे में मुझसे रहा नहीं गया. मैं बहक गया था. मैंने पापा का हाथ पकड़ कर सहलाते हुए कहा- पापा कल रात में जो भी हुआ, मुझे बहुत मजा आया.
बाप बेटी की चुदाई मुझे अच्छी लगी, यह बात सुन कर पापा के चेहरे पर स्माइल आ गयी. हम दोनों ही मुस्कराने लगे.
कहानी पर कमेंट करके अपनी राय दें और मुझे मैसेज करने के लिए नीचे दिये गयी मेलआईडी पर मेल करें. मुझे नहीं पता कि ये सब यानि ‘बाप बेटी की चुदाई’ ठीक हुआ या नहीं, मगर इस बारे में आप सब लोग मुझे बतायें कि क्या पापा के साथ ये सब करके मैंने कुछ गलत तो नहीं किया? मुझे आप लोगों के मैसेज और कमेंट्स का इंतजार रहेगा.
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