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आपने अब तक की मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा था कि साकेत भैया मेरी दीदी का पहला बुर चोदन करने की पूरी तैयारी कर चुके थे.
अब आगे:
तभी मैंने देखा कि दीदी की बुर से थोड़ा थोड़ा पानी बाहर आ रहा था. अब साकेत भैया लंड को रगड़ते रगड़ते अन्दर डालने की कोशिश करने लगे.
पहली बार जैसे ही उनका बस थोड़ा लंड का सुपारा दीदी की बुर के अन्दर गया ही था कि दीदी जोर से चिल्ला दी- मम्मी … आह … उह … उह. वो छटपटा कर थोड़ा साइड में खिसक गई. साकेत भैया पीछे को हो गए.
साकेत भैया- क्या हुआ? दर्द हो रहा है क्या? दीदी हाथ जोड़ते हुए बोली- हां बहुत दर्द हो रहा है … मुझसे नहीं होगा. प्लीज अब रहने दीजिए. साकेत भैया- कुछ नहीं होगा … थोड़ा दर्द करेगा … फिर मजा आएगा.
थोड़ी देर हां, ना करने के बाद दीदी करवाने के तैयार हो गई. साकेत भैया ने दीदी को फिर से पेट के बल लिटा दिया और अपना लंड दीदी की चूत में डालने लगे. बस थोड़ा सा गया कि दीदी फिर से चिल्लाई.
दीदी- मम्मी … उह … आह … उह …
लेकिन वो इस बार वैसे ही लेटी रही. भैया ने फिर से अपना लंड उनके चूत में डालने की कोशिश की. दीदी फिर से चिल्लाई, लेकिन उनका लंड चूत के अन्दर नहीं गया. इस बार दीदी छटपटा कर फिर साइड हो गई थी.
तब दीदी कराहती आवाज में बोली- अब नहीं होगा मुझसे … बहुत दर्द हो रहा है. साकेत भैया- एक बार अन्दर डालने दो ना … प्लीज़ एक बार. दीदी- नहीं अन्दर नहीं जा पाएगा … बहुत दर्द होता है, मैं मर जाऊंगी. साकेत भैया- कुछ नहीं होगा … सिर्फ एक बार. दीदी- नहीं होगा मुझसे … बहुत दर्द हो रहा है. साकेत भैया- थोड़ा तो दर्द होगा ही लेकिन इस बार लास्ट है.
थोड़ी देर रिक्वेस्ट करने के बाद दीदी फिर मान गई. साकेत भैया दीदी को फिर से बेड पर लिटाया और दीदी से पूछा- प्रिया … थोड़ा सा तेल मिलेगा! दीदी कराहते हुए- टेबल पर होगा.
साकेत भैया ने टेबल पर रखी हुई तेल की बोतल को उठाया और बहुत सारा तेल अपनी हथेली पर निकाल कर बोतल को वापस वहीं रख दिया. पूरे तेल को अपने विशाल लंड पर लगा लिया. तेल उनके लंड से नीचे टपक रहा था.
फिर वो दीदी के पास गए और लंड को दीदी की चूत में लगा कर धीरे से धक्का दिया. दीदी फिर से चिल्लाई. इस बार साकेत भैया ने दीदी के चिल्लाहट को नजर अंदाज करते हुए जोर से धक्का मारा और लंड पेल दिया.
दीदी जोर से चीखी. पूरा लंड दीदी की चूत के अन्दर चला गया और दीदी की चूत से खून आने लगा.
दीदी खून देख कर जोर रोने लगी और कराहने लगी. उनकी रोने का आवाज सुन कर श्वेता दीदी दीदी के कमरे के दरवाजे के पास आकर आवाज लगाने लगी- क्या हुआ प्रिया? साकेत भैया- कुछ नहीं तुम सो जाओ. श्वेता दीदी- ठीक है … उसे ज्यादा परेशान मत कीजिएगा. साकेत भैया- ठीक. दीदी- मम्मी … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उह …
साकेत भैया अपना लंड दीदी की बुर में पेलने लगे. दीदी उसी तरह चिल्लाती रही. कुछ दस मिनट तक दीदी को चोदने के बाद साकेत भैया अचानक जोर जोर से धक्का मारने लगे.
दीदी भी अब मजे से आवाज निकाल रही थी- उह … आह. … उह … आह.
तभी साकेत भैया एक जोर के झटके के साथ रुक गए और अपना लंड दीदी के चूत में डाले हुए ही दीदी के ऊपर लेट गए. थोड़ी देर बाद साकेत भैया ने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाला. तब मैंने देखा कि साकेत भैया के लंड से व्हाईट व्हाईट कुछ बाहर आ रहा था और दीदी की चूत से भी बाहर आ रहा था. कुछ देर दोनों उसी तरह पड़े रहे.
फिर श्वेता दीदी ने आवाज दी- प्रिया 3:30 बज गए हैं. साकेत भैया- हां हो गया … आ रहा हूं. साकेत भैया- प्रिया उठो.
दीदी इतनी थक गई थी कि वो उठने के काबिल नहीं थी.
फिर साकेत भैया ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और दीदी को भी उठा कर कपड़े पहनने को कहा. साकेत भैया ने दीदी को कपड़े पहनने में मदद की और वो गेट खोल कर बाहर निकल गए.
फिर श्वेता दीदी मेन गेट खोल कर साकेत भैया को बाहर तक छोड़ कर आ गई. इधर दीदी बेड ठीक करने लगी. जो चादर में खून लगा था, उसे जल्दी से लपेट कर पलंग से नीचे रख दिया. उसके बाद श्वेता दीदी दीदी के कमरे में आई और चादर देख कर श्वेता दीदी मजाक के अंदाज में बोली- क्या हुआ भाभी … चादर नीचे क्यों फेंक दी. दीदी- भाभी क्यों बोल रही हो. श्वेता दीदी- अरे … आज से तुम मेरी भाभी बन गई हो ना!
दीदी कुछ नहीं बोली. श्वेता दीदी चादर उठा कर खोल कर देखने लगी. तब श्वेता दीदी ने देखा … उसमें खून लगा था.
श्वेता दी- अरे इसमें तो खून लगा है … मैं इसे धो देती हूँ. दीदी- रहने दो … सुबह धो लेंगे. लेकिन श्वेता दीदी नहीं मानी और बाथरूम में उसे धोने चली गई.
तब तक दीदी सो गई. कुछ देर बाद श्वेता दीदी भी आई और दीदी के पास सो गई. मैं भी सोने चला गया.
फिर सुबह लगभग 8 बजे दीदी मुझे उठाने आई. मैं उठा और बाथरूम में चला गया. जब मैं बाथरूम से बाहर आया, तो देखा श्वेता दीदी भी कॉलेज के लिए तैयार हो कर आ गई थी.
तभी मैंने गौर किया कि दीदी का चलने का तरीका थोड़ा बदल गया था. दीदी थोड़ा मटक कर अपने दोनों पैर फैला कर चल रही थी.
मैंने मासूमियत से पूछा.
मैं- दीदी क्या हुआ … तुम ऐसे क्यों चल रही हो? दीदी- कुछ नहीं. मैं- बोलो ना क्या हुआ? दीदी- कुछ नहीं हुआ.
तभी श्वेता दीदी बोली.
श्वेता दीदी- अरे अर्णव तुम्हारी दीदी को मोटा वाला कीला चुभ गया है
वो इतना बोल कर मुस्कुराने लगी.
मैं- कहां चुभ गया. दिखाओ तो!
तब दीदी थोड़ा नाराज होते हुए बोली.
दीदी- बोला ना … कुछ नहीं हुआ तुम जाकर तैयार हो जाओ. कॉलेज के लिए देर हो रही है.
फिर मैं भी नाराज होते हुए बोला.
मैं- ठीक है मत बताओ … तुम मुझसे बात मत करना.
फिर हम लोग कॉलेज के लिए निकल गए. दीदी और श्वेता दीदी आपस में बातें करते हुए जा रही थीं और मैं उनके पीछे-पीछे चल रहा था. मैंने गौर किया आज दीदी का चेहरा उतरा उतरा हुआ था. तभी श्वेता दीदी बोली.
श्वेता दीदी- क्या हुआ प्रिया आज तुम्हारा चेहरा मुरझाया हुआ क्यों है? दीदी- कुछ नहीं. श्वेता दीदी- अरे बोलो … मुझसे क्यों छुपा रही हो … कोई दिक्कत है तो बताओ.
फिर दीदी कुछ देर सोच कर बोली- बहुत दर्द हो रहा है. श्वेता दीदी- कहां?
दीदी कुछ नहीं बोली.
श्वेता दीदी- अरे कुछ बताओ … कहां दर्द है … तब ना कुछ उपाय बता सकूंगी.
तब दीदी कुछ देर सोचने के बाद बोली.
दीदी अपनी चूत की तरफ़ उंगली से इशारा करते हुए बोली- यहां और कमर में. श्वेता दीदी- अरे इसमें डरने की कोई बात नहीं … पहली बार था ना … इसलिए दर्द हो रहा है. कॉलेज से लौटते समय मेडिकल स्टोर से दवा ले लेंगे. दीदी- पागल है … मेडिकल वाला पूछेगा … तो क्या बोलेंगे? श्वेता दीदी- तुम डर क्यों रही हो … वो सब मुझ पर छोड़ दो.
मैं सिर्फ उनकी बातें सुन रहा था, पर कुछ बोल नहीं रहा था क्योंकि मैं सब समझ गया था कि दीदी को कहां दर्द है. इसी तरह हम लोग बातें करते हुए कॉलेज पहुंच गए. मैं भी अपने कॉलेज पहुंच गया.
उस दिन फिर मैं जल्दी से एग्जाम देकर दीदी के कॉलेज के पास पहुंच गया और गेट के बाहर खड़ा था … क्योंकि कॉलेज के मेन गेट में ताला लगा था.
दीदी की अभी छुट्टी नहीं हुई थी. आज उनका दोनों शिफ्ट में एग्जाम था और मेरा एक ही शिफ्ट में था, इसलिए मेरी क्लास की जल्दी छुट्टी हो गई थी.
कुछ देर बाद दीदी के कॉलेज में घंटी बजी. सारे लड़कियां अपने क्लास रूम से बाहर आने लगीं. मैं दीदी और श्वेता दीदी को देख रहा था, पर कहीं दिख नहीं रही थी. इतने देर में दीदी की एक फ्रेंड मुझे देख कर गेट पर आई और मुझसे बोली- अरे अर्णव यहां क्या कर रहे हो? कॉलेज नहीं गए? मैं- हां गया था … मेरे कॉलेज में छुट्टी हो गई. दीदी की फ्रेंड- क्यों? एग्जाम खत्म हो गया क्या? मैं- हां आज हमारा एक ही शिफ्ट में एग्जाम था. दीदी की फ्रेंड- अच्छा रुको यहीं पर.
मैं वहीं खड़ा था. कुछ देर बाद वो मेनगेट की चाभी लेकर आई और गेट खोल दिया. मैं उनके साथ अन्दर चला गया. वो मुझे प्रिंसिपल, जो कि एक महिला थीं. वे लगभग मेरी मम्मी की उम्र की थीं. मुझे उन्हीं के ऑफिस ले जाया गया. मैं उनसे पहले कभी नहीं मिला था.
मैडम मुझे देखते ही बोलीं- अरे ये कौन है? दीदी की फ्रेंड- प्रिया का भाई है मैम. मैडम- ओह. … बड़ा क्यूट है … बिल्कुल प्रिया की तरह.
दीदी की फ्रेंड मुस्कुराने लगी. फिर मैडम दीदी की फ्रेंड से बोली.
मैडम- जाओ प्रिया को बुलाकर लाओ. दीदी की फ्रेंड चली गई और फिर मैडम मुझसे बातें करने लगी. मैडम मुझसे पूछने लगीं- क्या नाम है बेटा?
मैं- अर्णव.
मैडम- तो आज यहां क्या कर रहे हो … कॉलेज नहीं गए क्या? मैं- हां गया था, पर आज हमारा एक ही शिफ्ट में एग्जाम था, तो जल्दी छुट्टी हो गई. मैडम- ओके..
इतने में दीदी और श्वेता दीदी ऑफिस में आ पहुंची.
मैडम दीदी और श्वेता दीदी से बोलीं- आओ बैठो.
दोनों वहीं पर लगी बेंच पर बैठ गईं.
मैम फिर दीदी की तरफ देखते हुए बोली- क्या बात है प्रिया आज बहुत उदास लग रही हो? श्वेता दीदी- कुछ नहीं मैम, इसकी थोड़ा तबीयत खराब है. मैम- क्या हुआ? श्वेता दीदी- थोड़ा बुखार लग रहा है. मैम- दवा ली कि नहीं? दीदी- नहीं … मैम जाते वक्त ले लेंगे.
फिर मैडम ने दीदी से पूछा- प्रिया ये तुम्हारा भाई है? दीदी- हां मैम. मैडम- अरे दोनों भाई बहन बड़े क्यूट हो.
दीदी मुस्कुराने लगी.
तभी श्वेता दीदी बोली- मैम इनके मम्मी पापा भी क्यूट हैं इसलिए ये दोनों भाई बहन भी क्यूट हैं. मैडम- हां, मैं एक दिन इनकी मम्मी से मार्केट में मिली थी. प्रिया भी तो उस दिन साथ में ही थी. वही थीं ना तुम्हारी मम्मी प्रिया? दीदी- हां मैम. मैडम- हां आपकी मम्मी तो सुंदर है. तुम्हारे पापा से कभी नहीं मिल सकी हूँ. दीदी- आइए कभी घर मैम. मैडम- जरूर आएंगे … कभी मौका मिलेगा तो.
मैडम मुझसे बोलीं- अर्णव तुम्हारी दीदी की छुट्टी तो अभी नहीं होगी. आज दोनों शिफ्ट में एग्जाम है, तो तुम घर चले जाओ. दीदी- मैम घर में कोई नहीं है. मैडम- क्यों? मम्मी कहां गई हैं? दीदी- मम्मी और पापा दोनों दिल्ली गए हैं. मैम- ओह … मम्मी और पापा दोनों दिल्ली में रहते हैं क्या? दीदी- नहीं … पापा दिल्ली में रहते हैं … मम्मी तो यहीं रहती हैं, पर मम्मी की तबीयत खराब थी, इसलिए अभी वो वहीं हैं. मैम- ओह … तो कब आएंगी तुम्हारी मम्मी? दीदी- बात हुई थी, शायद दो तीन दिन में आ जाएंगे. मैम- अच्छा ऐसी बात है.
फिर मैडम ने मुझसे पूछा- बेटा तुमको भूख लग रही होगी?
मैंने अपना सर हिला कर हां में प्रतिक्रिया दी. तब मैडम ने अपना लंच बॉक्स निकाला और पास में लगे डेस्क पर कुर्सी लगा कर मुझे एक कुर्सी पर बैठने के लिए बोला. दूसरी तरफ दूसरी कुर्सी पर मैम बैठ गईं.
मैम ने दीदी को जग की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- प्रिया जरा एक जग पानी लेकर आओ … गिलास भी लेते जाना. थोड़ा धो देना.
दीदी जग और गिलास लेकर श्वेता दीदी के साथ बाहर चली गई. कुछ देर बाद दीदी और श्वेता दीदी पानी लेकर आ गईं.
मैम और मैंने अपने हाथ धोए. मैम ने लंच बॉक्स खोला और आधा लंच एक प्लेट में डाल कर मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैं प्लेट ले ली और खाने लगा.
तभी मैम दीदी और श्वेता दीदी से बोलीं- अरे तुम दोनों भी आ जाओ. दीदी और श्वेता दीदी एक साथ बोलीं- नहीं मैम.
लंच के कुछ देर बाद घंटी बजी और सभी लोग अपने अपने क्लास रूम में चली गईं.
मेरी दीदी से साकेत भैया का चक्कर फिट हो चुका था और दीदी का पहला बुर चोदन हो चुका था, मेरी दीदी की चुत की सील खुल चुकी थी.
दोस्तो, मेरी ये सेक्स कहानी यहीं खत्म कर रहा हूँ, आपको पसंद आई या नहीं … प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.
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