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दोस्तो, मैं राजवीर सिंह दोबारा से अपनी नई गाँव की भाभी सेक्स कहानी के साथ आपके सामने हाजिर हूँ. आपने मेरी कहानी गाँव की भाभी की चूत की चुदाई पढ़ी, मुझे सुझाव दिए, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आप अपना प्यार और सुझाव यूं ही देते रहिए.
कुछ लोगों ने मुझसे भाभी के काम का भी पूछा, तो कुछ ने उनको चोदने की भी इच्छा की. लेकिन मैं बता दूँ कि वो मेरी भाभी है, कोई रंडी नहीं. देवर भाभी में ये सब चलता है. मेरी भाभी बाजारू औरत नहीं है, तो कृपया मुझे इसके लिए माफ करें.
ये सेक्स कहानी मेरी पिछली गाँव की भाभी की कहानी के बाद की है, तो आप सभी अपने लंड को हाथ में ले लें और सभी भाभियां लड़कियां आंटियां अपनी चूत में उंगली डाल कर इस गाँव की भाभी कहानी का आनन्द लें.
जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि सरोज भाभी की बहन सुनीता भी मेरा लंड लेना चाहती थी.
कुछ महीनों बाद जब हमारे खेतों की फसल कटने वाली थी, तो उस समय मैंने भी गांव जाने का तय कर लिया था. तय समय पर मैं गांव में पहुंच गया. दूसरे दिन मैं अकेला ही खेतों की तरफ चल दिया.
लगभग एक बजे दोपहर में मैं जब खेत पहुँचा, तो वहां कोई नहीं था और मुझे गर्मी के कारण प्यास भी लगी थी.
मैंने सोचा कि पड़ोस में सरोज भाभी के खेत में पानी होगा क्योंकि उनके खेत में झोपड़ी भी थी. मैं उसी तरफ चला गया. उस झोपड़ी में कोई नहीं था. मैंने पानी पिया और जैसे ही वापस बाहर आने लगा, मुझे झोपड़ी के पीछे से कुछ आवाज ऐसी आई जैसे कोई फसल में से जा रहा हो. मुझे लगा कि कोई जानवर खेत में घुस गया है.
मैं उसे भगाने के लिए जैसे ही पीछे गया, तो मैंने देखा कि भाभी और उनकी बहन सुनीता, जो उनकी देवरानी भी है, बीच फसल में पेशाब कर रही थीं. उन दोनों के घाघरे (लहंगे) ऊपर तक उठे हुए थे और उनकी गांड मेरी तरफ थी.
सुनीता की फूली गांड देख कर तो मेरी आंखें फटी रह गईं. उसकी गोरी गोरी गांड मस्त दिख रही थी. उसकी दोनों टांगों के बीच से पेशाब की धार गिर रही थी. मेरा तो मन किया कि अभी जाकर उसकी गांड में ही लंड पेल दूँ. पर फिर मैंने खुद पर काबू किया और उनको मूतते हुए देखता रहा. जैसे ही वो मूत कर खड़ी हुई और मेरी तरफ मुड़ी, मुझे देख कर एकदम से चौंक गयी.
वो सकपकाते हुए बोली- त..तुम कब आए? मैंने कहा- अभी आया … प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था. तभी सरोज भाभी बोलीं- चलो मैं पानी पिला देती हूं.
मैं भाभी की बात सुन कर वापस झोपड़ी में आ गया, पर वो दोनों वहीं पर खड़ी होकर खुसुर फुसर करके हँसती रहीं.
मैंने उनको आवाज दी, तो सरोज भाभी भी झोपड़ी में आ गईं. वो झुक कर घड़े से पानी का लोटा भरने लगीं, गाँव की भाभी की मांसल और मोटी गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया. मैंने पेंट से लंड बाहर निकाल कर उनकी गांड से भिड़ा दिया.
वो अचानक पीछे हो कर बोलीं- क्या कर रहे हो … सुनीता देख लेगी. मैंने कहा- वो तो पहले ही देख चुकी है.
ये बोल कर मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड में धक्के मारने लगा और झुक कर उनके चुचे भी दबाने लगा. मैं भाभी को किस करने लगा … लेकिन वो मुझसे छूट कर वापस पीछे भाग गईं.
जहां सुनीता भी थी. मैं भी अपना लंड हिलाते हुए पीछे चला गया.
वहां जाते ही सुनीता बोली- ये क्या हरकत है … शर्म नहीं आती यूं हाथ में लिए घूमते हुए.
मैंने बेशर्मों की तरह उसके करीब जाकर उसकी चुचियों को जोर से दबा दिया. साथ ही अपना खड़ा लंड उसके हाथ में पकड़ाते हुए कहा- तुझे शर्म नहीं आती दूसरों की चुदाई देख कर … अब मेरे सामने नाटक चोद रही है.
ये कह कर मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसके चूतड़ पकड़ कर दबाने लगा.
सुनीता ने मुझसे छूटने का कोई प्रयास नहीं किया. बल्कि वो खुद धीरे धीरे मदहोश होने लगी. मैं उसके बालों में हाथ घुमा रहा था और उसके कानों की लौ को चूमने लगा था.
उसके मुँह से वासना के उन्माद की आवाजें निकलने लगीं. धीरे धीरे मैं हाथ ऊपर लाते हुए उसकी कमर को सहलाने लगा. उसका बदन भी नागिन की तरह लहराने लगा.
सुनीता का फिगर को किसी को भी घायल कर देने वाला था. उसकी 32 इंच की चुचियां एकदम नुकीली थीं. चूचियों के नीचे 28 इंच की लचकदार कमर और 36 के भारी चूतड़ मेरे कब्जे में आ गए थे. सुनीता का गेहुआं रंग था, पर उसके नैन नक्श इतने तीखे थे … जैसे कोई खजुराहो की कामुक देवी हो. एक ऐसी मादक मूरत, जिसके लिए पूरी दुनिया के मर्द मर मिटे थे.
सुनीता की आंखों में गजब की प्यास दिख रही थी … मानो वो लंड के लिए सालों से तड़प रही हो.
फिर धीरे से मैंने उसके घाघरे का नाड़ा खोल कर नीचे गिरा दिया. वो शर्म से सिमट गई और पैंटी में छुपी अपनी चूत को पैरों से छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
मैंने उसकी शर्म खोलने के लिए सरोज भाभी से भी नंगी होने को कहा, तो पहले तो उन्होंने मना किया, फिर मेरे जोर देने पर उन्होंने भी अपना घाघरा खोल कर नीचे बिछा दिया. इससे वहां एक बिस्तर बन गया. उस पर मैंने सुनीता को पटक दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं उसे नंगी करने लगा. उसकी कुर्ती कांचली उतार कर एक तरफ फेंक दी और उसके होंठों को चूमने लगा. सुनीता भी धीरे धीरे सिसकारने लगी.
तभी सरोज भाभी भी केवल ब्रा पैंटी में आकर मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपने मोटे मोटे चूचों से मेरी पीठ रगड़ने लगीं. भाभी मेरे कानों के पास दांतों से काटने लगीं. मैंने भी अपनी गर्दन पीछे करके उन्हें चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथों से सुनीता की ब्रा के ऊपर से चुचे दबाने लगा.
दोस्तो, क्या बताऊं मुझे कितना मजा आ रहा था. दो देसी भाभियां … एक मेरे नीचे, दूसरी मेरे ऊपर … और वो भी पूरी तरह से कामुक हालात में. ये सब देख कर मेरा तो लंड फटने को हो रहा था.
मैंने तभी सरोज भाभी को ऊपर से हटा दिया और सुनीता को नंगी करने लगा. जैसे ही मैंने सुनीता की चड्डी निकाली, तो देखा कि उसकी चूत पर बड़ी बड़ी झांटें थीं, जो उसके पानी से पूरी गीली हो रही थीं.
ये देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसकी झांटों में नाक रगड़ते हुए उसकी चूत चाटने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चूत में जीभ लगाई, वो एकदम से चिल्ला पड़ी. मैंने कारण पूछा, तो उसने बताया कि किसी ने भी उसकी चूत आज तक नहीं चाटी थी.
मैं नहीं रुका और उस गाँव की भाभी की चूत में अन्दर तक जीभ डाल कर चाटता रहा. वो भी जोश में आ कर वासना से चिल्लाती हुई गालियां निकालने लगी- मादरचोद भोसड़ी के आह … जोर से चाट हरामी … आह आआआ ओह्ह उम्ममह खा जा मेरे राजा … मेरे भोसड़े को … औऱ जोर से चाट … आआआह मम्मम्ह!
मैं दोनों हाथों से उसकी चुचियां दबाते हुए उसे अपने मुँह से चोदता रहा. थोड़ी देर में वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगी. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली थी.
तभी मैंने एक उंगली उसकी गांड में डाल दी. गांड में उंगली अन्दर जाने के साथ ही वो झड़ गयी और शांत हो गयी.
फिर मैंने सरोज भाभी को उसे फिर से तैयार करने को कहा. सरोज भाभी घोड़ी की तरह झुक कर सुनीता की चूत चाटने लगीं.
तभी मुझे शरारत सूझी. मैंने सरोज भाभी के पीछे आकर उनके चूतड़ों को पकड़ा और उनकी पैंटी को साइड में करके चूत में पीछे से ही लंड पेल दिया.
मैं पीछे से भाभी का भोसड़ा चोद रहा था. वो अपनी बहन की चूत चाटे जा रही थी. मैंने पीछे से भाभी के बाल पकड़ लिए और उन पर घुड़सवारी करने लगा. अपने बाल खिंचने पर शायद उन्हें दर्द हो रहा था और वो जोर जोर से चिल्ला रही थीं.
थोड़ी देर में ही उनकी बुर ने पानी छोड़ दिया और वो नीचे अपनी बहन पर पसर कर गिर गईं.
मैंने फिर उन्हें अलग करके सुनीता की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया और धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी बच्चेदानी को छू रहा था … और वो जोरों से चीख रही थी. सुनीता मुझे देसी भाषा में गालियां दे रही थी- सास का गंडमरा … आह छोड़ दे … माँ चुद गी मेरी … मने घरा भी जानो हैं … गांव का शक करेगा कि कठे मरवा के आयी है.
लेकिन मैं उसे 20 मिनट तक जमके चोदता रहा. इसी बीच वो 2 बार पानी छोड़ चुकी थी. मैं भी अब आने वाला था, तो मैं कस कस कर धक्के मारने लगा.
इधर सरोज भाभी मेरे आंडों को चूस रही थीं. कोई 8-10 धक्कों के साथ मैंने सुनीता की चूत में पानी छोड़ दिया और उसी पर लेट गया.
खुले आसमान के नीचे जांटी (खेजड़ी के पेड़) के नीचे बालू मिट्टी में उन दोनों भाभियों की चूत मार कर मुझे मजा आ गया था.
तभी 5 मिनट में मेरा लंड अपने आप उसकी चूत से बाहर आ गया, जो कि वीर्य ओर उसके पानी से लथपथ हो चुका था.
थोड़ी देर हम तीनों ऐसे ही नंगे पड़े रहे. फिर सुनीता मेरे लंड को चूस कर साफ करने लगी और सरोज भाभी ने सुनीता की चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया.
चुदाई हो चुकने के बाद हम तीनों ने अपने अपने कपड़े पहने और जाने को तैयार हो गए.
मैं गांव की ओर आने लगा. जैसे ही मैं मुड़ा, सुनीता भाग कर मुझसे लिपट गयी. मैंने उसे किस करके कहा- मेरी रानी … कल फिर से मिलना … तेरी चूत को पूरी तरह से भोसड़ा बना दूंगा.
पर वो नीचे बैठ कर मेरी चैन खोलने लगी और लंड निकाल कर चूसने लगी. कोई 5 मिनट में मेरा लौड़ा फिर से कड़क हो गया.
मैंने उसे जांटी के सहारे झुका दिया. उसका घाघरा उठा कर उसकी चूत में फिर से लंड पेल दिया और शॉट मारने लगा. ऐसे चोदने में उसकी चूत काफी टाइट लग रही थी, तो थोड़ी देर में मैं थकने लगा. मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और नीचे लेट गया. मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा. वो मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदने लगी. लेकिन 2 मिनट में ही उसका फिर से पानी छूट गया.
मैंने खड़े लंड को ठंडा करने के लिए सरोज भाभी को अपने ऊपर ले लिया और नीचे से उनकी चूत बजाने लगा.
मुझे तब तक सिगरेट की तलब होने लगी थी, पर मेरे पास सिगरेट नहीं थी.
सुनीता शायद मेरी तलब पहचान गयी, वो गुटखा (दिलबाग) खाती थी. उसने अपने पास से गुटखा निकाला और मुझे पूछा. मैंने कहा- ऐसे नहीं … पहले तू खा, फिर तेरे मुंह से मैं खाऊंगा.
उसने गुटखा खाया, फिर मुझे फ्रेंच किस करने लगी. मैं गुटखा और उसकी जवानी दोनों को मजे ले कर खाने लगा … साथ साथ में मैं सरोज भाभी की चूत का भुर्ता भी बना रहा था.
जब सरोज भाभी भी झड़ का खत्म हो गईं, तो मैं उनके ऊपर आ गया और पूरे जोश में गाँव की भाभी को चोदने लगा.
लगभग 30 मिनट तक चोदने के बाद मैंने अपना पानी सरोज भाभी की चूत में भर दिया.
अब हम तीनों अब पूरी तरह से संतुष्ट हो चुके थे. मैंने उन्हें एक एक किस किया और अपने घर आ गया.
आप सभी को मेरी खेत में हुई 2 गाँव की भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताना. मैं आपके लिए अपनी आगे की भी बहुत सी कहानियां लाता रहूँगा. आपका राजवीर सिंह [email protected]
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