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इस गांड चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि पिता ने अपनी बेटी की कामवासना जगा कर उसे चुदाई करवाने पर मजबूर कर दिया. अगले दिन हवस से भरा बाप फिर से बेटी के कमरे में घुस गया.
अगले दिन जब समीर ऑफिस चला गया और नीलम सोने चली गई तो महेश धीरे से अपनी बेटी ज्योति के बेडरूम में घुस गया।
वहाँ ज्योति अभी-अभी बाथरूम से नहा कर निकली थी और सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही थी. वो भले ही अपनी उम्र के दूसरे पड़ाव को पार करने के करीब थी लेकिन उसका बदन अभी भी कसा हुआ था. एक तो उसके औलाद नहीं थी और पति की मौत भी शादी के दो साल बाद ही हो गई थी. इसलिए उसकी जवानी ज्यों की त्यों बरकरार थी. वो आज भी बहुत सेक्सी दिख रही थी।
महेश ने अपनी बेटी को अपनी बांहों में भर लिया और अपनी बेटी के रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया। फिर महेश अपनी बेटी की पेंटी को सूंघने लगा। “पिताजी, आपको किसकी गंध ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पेंटी की या चूत की?” ज्योति बोली।
“अरे बेटी, दोनों ही बहुत मादक हैं.” कहकर महेश ने अपनी बेटी की पेंटी को नीचे करके निकाल दिया और बेड पर बिठाकर अपनी बेटी ज्योति की गीली चूत को चाटने लगा. “हाय पिताजी, अब तो ये चूत और पेंटी दोनों आपकी हैं, जब मन करे ले लीजिए.”
काफ़ी देर चूत चाटने के बाद महेश उठ गया और अपने लंड का सुपारा अपनी बेटी ज्योति के होंठों पर टिका दिया. ज्योति ने जीभ निकाल कर उसको को चाटा और फिर पूरा मुँह खोल कर उस मोटे मूसल को मुंह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने महेश का लंड मुंह में लिया.
अपने बाप का लंड चूसते हुए ज्योति जैसे खुद को धन्य महसूस कर रही थी. महेश अपनी बेटी के मुँह को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगे. उसके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे.
फिर महेश ने ज्योति के मुँह से लंड निकाला और उसके होंठों को चूमते हुए कहा- ज्योति मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.
ज्योति ने चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी करके मोड़ ली. अब ज्योति की चूत उसके बाप के सामने थी- लीजिए पिताजी, अब मेरी चूत आपके हवाले है.
महेश ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और उसका मोटा सुपारा ज्योति की चूत के मुँह पर टिका दिया. ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धक-धक करने लगा. ज्योति ने पहले भी अपने बाप का लंड अपनी चूत में लिया था लेकिन उसके बाप के लंड से उसको अभी भी भय लगता था क्योंकि उसका लंड था ही इतना मोटा.
आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड फिर से उसकी चूत में जाने वाला था.
महेश ने लंड के सुपारे को ज्योति की चूत के कटाव पर थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से उसकी चूत में दाखिल कर दिया.
“हाँ पिताजी, अब जी भर कर चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.”
अब महेश ने पूरा लंड बाहर निकाल कर ज्योति की चूत में पेलना शुरू कर दिया. सच! ज़िंदगी में किसी मर्द से चुदवाने में ज्योति को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. अब ज्योति को अहसास हुआ कि क्यूँ वह रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती है. उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी उसमें से फ़च-फ़च-फ़च का मादक संगीत निकल रहा था.
कुछ देर तक चोदने के बाद उसके पिताजी ने अपना लंड ज्योति की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया. महेश का पूरा लंड और बॉल्स ज्योति की चूत के रस में सने हुए थे. ज्योति ने अपने बाप का लंड और गोटियां चाट चाट कर साफ कर दीं.
“ज्योति बेटी, अब ज़रा कुतिया बन जाओ. अपनी इस मतवाली गांड के दर्शन भी तो करा दो.” “आपको अपनी बहू के नितम्ब बहुत अच्छे लगते हैं ना?” ज्योति ने पापा के बॉल्स को अपने हाथ से सहलाते हुए पूछा। “हां बेटी, बहुत ही सेक्सी नितम्ब हैं नीलम के.” महेश ने अपनी बहू की गांड की तारीफ करते हुए जवाब दिया. “और मेरे? मेरे नितम्ब नहीं अच्छे लगे आपको?” ज्योति बोली।
“तुम्हारे नितम्ब तो बिल्कुल जानलेवा हैं बेटी. तुम जब नहा कर टाइट पेटिकोट में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे पेटिकोट फाड़ कर बाहर निकल आएँगे. तुम्हारे मटकते हुए चूतड़ देख कर तो मेरा लंड न जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.” “हाय पापा, इतना तंग करते हैं मेरे नितम्ब आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ. अब ये नितम्ब आपके हवाले. आप जो चाहे कर लीजिए.” इतना कह कर ज्योति ने जल्दी से अपने बाप के लंड को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी.
अब ज्योति की बड़ी बड़ी चूचियाँ बिस्तर पर टिकी हुई थीं और चूतड़ हवा में लहरा रहे थे.
ज्योति ने चूतड़ चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे. महेश अपनी बेटी के विशाल चूतड़ों को देख कर दंग रह गया. ऐसे चूतड़ तो नंगी फिल्मों में काम करने वाली रंडियों के भी शायद न हों. उसने ज्योति के दोनों चूतड़ों को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड़ दिया.
अब ज्योति कुतिया बनी हुई थी और सगा बाप पीछे कुत्ते की तरह अपनी बेटी के चूतड़ों के बीच मुँह दिए हुए उसकी चूत चाट रहा था. फिर महेश ने ज्योति के चूतड़ों को पकड़ कर चौड़ा किया और अपनी बेटी की गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगा. ज्योति तो अब सातवें आसमान पर थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था उसे. महेश ने अपनी जीभ ज्योति के गांड के छेद में घुसेड़ दी. ज्योति ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी.
काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में महेश ने अपनी बेटी की चूत और गांड से सारा पानी चाटने के बाद अपने दोनों हाथों से ज्योति के चूतड़ों को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गर्म गर्म सुपार अपनी बेटी की लार टपकाती चूत पर टिका दिया.
ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. तभी महेश ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उसका लंड ज्योति चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया. “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” ज्योति के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी.
“बेटी ऐसे चिल्लाओगी तो नीलम जाग जाएगी.” महेश ने ज्योति को सावधान किया. “आप भी तो मुझे कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पिताजी.” ज्योति ने कराहते हुए कहा क्योंकि महेश के मोटे मूसल ने ज्योति की चूत को बुरी तरह से फैला कर चौड़ा कर दिया था. ज्योति को डर था कि कहीं मेरी चूत सचमुच ही ना फट जाए.
अब महेश ने ज्योति की कमर पकड़ कर धक्के लगाना शुरू कर दिया. अब आसानी से लंड ज्योति की चूत में जा सके इसलिए अब ज्योति ने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थीं. मीठा मीठा दर्द हो रहा था उसे. अब ज्योति अपने ही बाप से कुतिया बन कर चुदवा रही थी.
“ज्योति बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत गर्म है. आह्ह् … आह्ह!” महेश के मुंह से निकलती सिसकारी के बीच ही उसने कहा. ज्योति की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. अब ज्योति इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि अपने चूतड़ पीछे की ओर उचका उचका कर अपने बाप का लंड अपनी चूत में ले रही थी.
ज्योति तो वासना में पागल हुई जा रही थी. शायद अपने ही बाप से चुदवाने के अहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था. महेश ने अपनी बेटी ज्योति के चूतडों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए कहा- ज्योति बेटी. सच में, इन चूतड़ों ने तो मेरा जीना ही हराम कर रखा था और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!” यह कहते हुए उसने एक उंगली ज्योति की गांड में सरका दी.
“आआआह … ईस्स … ये क्या कर रहे हैं पिताजी?” “बेटी कभी किसी ने इस छेद को प्यार किया है?” महेश ने ज्योति की गांड में उंगली अंदर बाहर करते हुए पूछा। “आआ … जी किसी ने कभी नहीं किया.” ज्योति ने उचकते हुए जवाब दिया.
ज्योति अब समझ गयी थी कि अब उसके पिताजी उसकी गांड भी मारना चाहते हैं. ज्योति को नहीं मालूम था कि पापा को गांड मारने का भी शौक है. अपने ही बाप से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर ज्योति बहुत उत्तेजित हो गयी थी और उसकी चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पर बह रहा था.
आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था. “क्या मैं तुम्हारी गांड के इस गुलाबी छेद को प्यार कर सकता हूं बेटी?” महेश ने हवस भरी आवाज में पूछा.
“हां पिता जी. आपको जो मन करे वो कर लीजिये.” ज्योति ने भी अपने पिता के मूसल लंड की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा. “शाबाश मेरी जान, ये हुई न बात. मुझे पता था कि मेरी प्यारी बिटिया मुझे गांड ज़रूर देगी. अब अपने ये लाजवाब चूतड़ थोड़े से और ऊपर करो!” ज्योति ने अपने चूतड़ ऊपर की ओर इस तरह उचका दिए कि उसके बाप का लंड आसानी से उसकी गांड में जा सके.
महेश ने ज्योति की गांड से उंगली निकाली और नीचे झुक कर अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर टिका दी. ज्योति तो वासना से इतनी भड़क उठी थी कि अब और सहन नहीं हो रहा था. वासना के नशे में उसका बाप धीरे-धीरे गांड चाट रहा था और कभी कभी जीभ गांड के छेद में घुसेड़ दे रहा था.
“सच बेटी, तुम्हारी गांड बहुत ही ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है. तुम्हारी गांड में से बहुत मादक खुशबू आ रही है.” ज्योति को आज तक ये बात समझ नहीं आई थी कि मर्द लोगों को औरत की गांड चाटने में क्या मज़ा आता है.
अब महेश ने ज्योति की चूत के रस में से सना हुआ लंड अपनी बेटी की कुँवारी गांड के छेद पर टिका दिया. ज्योति भी कुतिया बनी उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब उसके बाप का लंड उसकी कुँवारी गांड में प्रवेश करेगा.
महेश ने अपनी बेटी के चूतड़ों को पकड़ कर चौड़ा किया और साथ ही एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. “आआई! … अहह् इस्स …” जैसे ही लंड का मोटा सुपारा ज्योति की कुँवारी गांड में घुसा उसके मुँह से चीख निकल गयी.
“हाय मेरी बच्ची! क्या मस्त गांड है तुम्हारी!” महेश ने ज्योति के चूतड़ पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का लगा कर आधे से ज़्यादा लंड उसकी कुँवारी गांड में उतार दिया था. ज्योति का दर्द के मारे बुरा हाल था. उसे पक्का विश्वास था कि आज तो उसकी गांड ज़रूर फटेगी, लेकिन अपने बाप से गांड मरवाने की चाह में उसे दर्द का अंदाजा नहीं हो पाया. अब जब उसके बाप का हथौड़े जैसा लंड उसकी कुंवारी गांड में घुसा तो उसे मालूम हुआ कि गांड की चुदाई करवाना बच्चों का खेल नहीं है.
“बेटी, जितना मज़ा तुम्हारी गांड मारते हुए आ रहा है उतना मज़ा तो तुम्हारी मां की गांड मार कर भी कभी नहीं आया.”
ज्योति को सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की थी कि उसको चोदने में उसके बाप को उसकी मम्मी से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
इस बार महेश ने पूरा लंड बाहर खींच कर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा लंड जड़ तक ज्योति की गांड में पेल दिया और ज्योति दर्द से फिर चीख पड़ी.
लेकिन महेश अब रुकने वाला नहीं था. बहुत दिनों के बाद उसको ऐसी कुंवारी गांड मिली थी. अब महेश ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार कर लंड ज्योति की गांड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. दो मिनट के अंतराल पर ज्योति को भी गांड चुदाई का मजा आने लगा. अपने बाप के लंड को गांड में लेकर वो एक अलग ही आनंद में डूब गयी. कुछ देर के अंदर ही ज्योति फिर से झड़ गई.
महेश के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और शायद महेश भी झड़ने वाला था.
अचानक ज्योति को अपनी गांड में गर्म गर्म पिचकारियाँ सी महसूस हुई. उसके पिताजी उसकी गांड में झड़ गये थे. उसकी गांड लबालब उसके बाप के वीर्य से भर गयी थी.
उसके बाप ने जैसे ही बेटी की गांड से अपना लंड बाहर खींचा, वीर्य गांड में से निकल कर ज्योति की चूत और जांघों पर बहने लगा. ज्योति पीठ के बल लेट गयी और अपनी गांड से निकला हुआ अपने पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया.
किसी मर्द का लंड चूसने में आज तक इतना मज़ा नहीं आया था उसे जितना अपनी गांड की गंध से सना अपने बाप का लंड चूसने में आ रहा था. उसके बाप के लंड से ज्योति की चूत और गांड दोनों की गंध आ रही थी. ज्योति ने बड़े प्यार से महेश के लंड और बॉल्स को चाट चाट कर साफ किया.
महेश भी काफी समय से ज्योति की चूत गांड और मुंह को चोद रहा था. वो भी थक कर निढाल हो गया था.
इतने में कुछ देर बाद ज्योति को ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई दी. उसके पिताजी थकावट के कारण सो गये थे. ज्योति ने जी भर कर अपने बाप के लंड को सहलाया, चूमा और चाटा. थोड़ी देर वो बिस्तर पर पड़े हुए ही अपने पिताजी के लंड और उसकी गोटियों को सहलाती रही.
ज्योति अब धीरे से बिस्तर से उठी. उसकी गांड में से पापा का वीर्य निकल कर बह रहा था. ज्योति जल्दी से बाथरूम में गयी और अपनी चूत और गांड को साफ किया. गांड को साफ करते हुए उसने देखा कि उसकी गांड कई जगह से फट गई है. उसकी गांड में जलन सी हो रही थी लेकिन उसके अंदर एक अलग ही तरह का उन्माद भी भरा हुआ था. गांड चुदवाने में उसे काफी मजा भी आया और मोटे लंड वाले मर्द से चुदाई का एक नया अनुभव भी मिल गया.
भाई बहन और ससुर बहू की चुदाई अब बाप बेटी की गांड चुदाई स्टोरी का रूप ले चुकी थी. लेकिन परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है. महेश ने अपनी बहू को चोदा और फिर अपनी बेटी की चूत और गांड भी चोद डाली. लेकिन उसका मन अभी भी अपनी नीलम बहू की चूत पर अटका हुआ था.
कहानी के अगले और अंतिम भाग में जानें कि महेश, समीर, नीलम और ज्योति की किस्मत ने क्या फैसला किया.
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