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हैलो फ्रेंड्स, मैं हरियाणा के करनाल से जुड़ा हुआ हूँ. ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. मैं कोई लेखक तो हूँ नहीं, इसलिए गलतियां होना स्वाभाविक है. यदि आपको इसमें कोई ग़लती दिखे, तो मुझे माफ कर देना. यह कहानी पूरी तरह से सत्य घटना पर आधारित है. इसका जो मूल कथानक है, उसे आप सभी के लिए कुछ चटपटा बनाने के लिए मसाला डाला है.
यह सेक्स कहानी मेरी चाची की है. मेरी चाची का नाम सुनीता है. मेरी चाची का फिगर साइज़ 38-32-40 का है. उनके लंबे बाल मोटी गदीली गांड और उनके सुडौल व बड़े बड़े चुचे एक अलग किस्म की मादकता बिखेरते हैं.
जब चाची ठुमक कर चलती हैं, तो उनकी गांड के दोनों फलक और दोनों चुचे बड़े ही मस्त हिलते हैं. मेरा दावा है कि उसकी उस मस्तानी और वासना से भरी हुई चाल ढाल से किसी का भी लंड सलामी देने में लग जाए.
कुछ मैं अपना परिचय भी दे देता हूँ. मेरा नाम राज है. मेरा लंड सात इंच लंबा व दो इंच मोटा है, जो किसी औरत को पूरी तरह से संतुष्टि दिला सकता है. मेरी उम्र 21 साल की है और मेरी चाची की उम्र 32 साल है. चाची की शादी को पांच साल हो चुके हैं. उनके दो बच्चे भी हैं. एक लड़का है और एक लड़की है. लड़की कोई 4 साल की है और लड़का अभी एक साल का है. हमारी जॉइंट फैमिली है. हमारा घर डबल स्टोरी है. ऊपर वाले फ्लोर पर मेरे चाचा-चाची और उनके बच्चे रहते हैं. ग्राउंड फ्लोर पर मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ.
ये बात उस टाइम की है. जब मैं अपना स्नातक की पढ़ाई पूर्ण कर चुका था. इस समय मैं अपने रिज़ल्ट आने का इन्तजार कर रहा था. इन दिनों मेरा ज़्यादातर समय घर पर ही बीतता था.
एक दिन मेरी मम्मी ने मुझे ऊपर से मेरी चाची से कुछ सामान लाने को कहा, तो ऊपर सामान लेने गया.
मेरी चाची अपने लड़के को दूध पिला रही थीं. मेरी चाची ने उस टाइम सूट पहना हुआ था. वो अपने कुरते को ऊपर उठा कर मुन्ना को दूध पिला रही थीं.
मुझे उनके चुचे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नजर उनके मस्त और रसीले चूचों पर अटक गई. चाची ने मुझे देखा तो बिना अपने दूध ढके मुझसे आने का कारण पूछा. मैंने बताया तो उन्होंने मुन्ना को एक तरफ लिटाया और मुझे सामान दे दिया. मैं सामान लेकर नीचे चला आया.
उस दिन से मेरी नज़र चाची की तरफ बदल गई थी. अब से मैं चाची को चोदने और उन्हें नंगे देखने के बहाने खोजने लगा. मेरे दिमाग में उनके चूचे इस कदर घुस चुके थे कि उनको सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मार चुका था.
फिर यूं ही दिन निकलने लगे, अब मेरी निगाहें चाची के जिस्म को टटोलने लगी थीं.
उन्हीं गर्मियों की बात है. उस दिन की बात है. बिजली की कटौती के चलते पूरे दिन घर पर लाइट नहीं थी.. जिस वजह से हमारे इनवर्टर की बैटरी लो हो चुकी थी. गर्मी अपनी चरम सीमा पर थी. मैं रात को 7-8 बजे के करीब छत पर जाने लगा. छत पर जाते समय मेरी आंख और कान दोनों चाची के घर में ही लगे थे. मुझे पानी गिरने की आवाज आई, तो मुझे समझ आ गया कि उस टाइम मेरी चाची नहाने के लिए अपने बाथरूम में घुसी थीं. मैं उनके बाथरूम के डोर के पास चला गया. मैंने अन्दर देखने की चाहत से दरवाजे को देखा, तो उसमें एक छेद से मुझे अन्दर का नजारा देखने का मौका मिल गया.
मैं अन्दर देखने लगा. जब मैंने अन्दर देखा, तो मेरी तो आँख चौंधिया गईं. अगले ही पल मेरा हाथ अपने आप मेरे 7 इंच के हथियार पर पहुंच गया. मैं अन्दर का नजारा देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगा.
अन्दर मेरी चाची नहाने की तैयारी कर रही थीं. पानी बाल्टी में भर रहा था. तभी चाची ने अपने सूट की कमीज़ निकाली, उनकी बड़ी बड़ी चुचियां ब्रा में क़ैद दिखने लगी थीं. उसके बाद चाची ने सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे गिर जाने दिया. चाची ने अपनी सलवार को सम्भालने का कोई प्रयास नहीं किया. उनकी सलवार मखमली जांघों से होती हुई नीचे आ गिरी.
अब चाची सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थीं. उसके बाद चाची ने अपनी ब्रा खोली और उनके चुचे ब्रा से बाहर निकल कर उछलने लगे.
उनके चुचे काफी बड़े बड़े और एकदम गोल थे. चाची के सख्त चूचों के ऊपर उनके चूचुक ब्राउन कलर के थे और एकदम से कड़क थे. चाची के मस्त रसीले चूचे किसी का भी लंड खड़ा कर सकते थे.
फिर उसके बाद चाची ने अपनी पेंटी निकाल दी और मुझे चाची के बड़े बड़े चूतड़ दिखने लगे. उनके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे. चाची की गांड पूरी गुंदाज व गद्देदार थी. मैं तो शुरू से ही चाची की गांड का दीवाना था.
उसके बाद चाची बैठ कर नहाने लगीं. उनका मुँह दरवाजे की दूसरी तरफ था. जिससे मुझे उनका पिछवाड़ा दिख पा रहा था.
फिर चाची अपने बदन पर साबुन लगाने लगीं और जिस्म को रगड़ रगड़ कर मसल रही थीं. अब चाची कुछ घूम गई थीं, जिससे उनके चूचे दिखने लगे थे. वे अपने 38 इंच के चूचों को बड़ी बेदर्दी से मसल रही थी और अपने निप्पलों को अपनी दो उंगलियों में दबा कर मींज रही थीं. उनके निप्पल एकदम कड़क थे और भूरे रंग के थे.
फिर चाची ने अपनी चूत पर भी साबुन लगाया और चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगीं. उसे देख कर बाहर मेरी हालत खराब हो रही थी और अब मेरा मन कर रहा था दरवाजा तोड़ कर बाथरूम में घुस जाऊं और चाची की गांड मार दूं. पर मैंने अपने जज्बातों पर काबू किया और लंड ही हिलाता रहा. लंड भी एकदम खूंखार हो गया था और उसकी फूलती नसों से ऐसा लग रहा था कि फट न जाए.
मैं लंड हिलाता हुआ फिर से अन्दर देखने लगा. चाची की चूत पर बड़ी बड़ी झांटें थीं और चाची अपनी चूत के अन्दर उंगली कर रही थीं.
फिर थोड़ी देर चाची ने बाथरूम की दीवार से खुद को टिकाया और अपनी टांगें ऊपर उठा लीं. अब उन्होंने अपनी गांड में टूथब्रश घुसेड़ लिया था और तेजी से टूथब्रश से अपनी गांड घिस रही थीं. साथ ही चाची एक हाथ की उंगली से अपनी चूत भी चोद रही थीं. इस वक्त उनके मुँह से गरम सिस्कारियां निकल रही थीं- उ आ ह औह!
फिर थोड़ी देर चाची एकदम से झड़ गईं और एक पल के लिए यूं ही निढाल होकर पड़ी रहीं.
फिर चाची पानी से नहायी और अपना बदन तौलिये से पौंछने लगीं.
इसके बाद चाची ने ना तो ब्रा डाली, ना पेंटी पहनी. सिर्फ़ टी-शर्ट और टाइट लोवर डाल लिया. अब तक मैं भी मुठ मार चुका था और मैंने अपना वीर्य बाथरूम के दरवाजे पर मार दिया था. मैं भी जल्दी से भाग कर चला गया.
अब तक लाइट भी आ चुकी थी और मैं अपने कमरे में आ गया था.
दोस्तो, मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी सेक्स स्टोरी पसंद आई होगी. आप मुझे अपने कमेन्ट भेजिए ताकि मैं इस सेक्स स्टोरी का अगला भाग लिख सकूं.
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