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कहानी के पिछले भाग बड़ी साली की दबी हुई अन्तर्वासना-1 में मैंने आपको बताया था कि मेरी पत्नी बीमार रहने लगी तो मैंने उसे अपने पुराने घर में छोड़ दिया था. अब मैं अकेला रहता था. मेरे नीचे वाले फ्लोर पर ही मेरी पत्नी की बड़ी बहन यानि मेरी साली अपने पति और दो साल की बेटी के साथ रहती थी. जब उससे बात हुई तो उसने अपनी व्यथा मुझे बताई. फिर एक दिन उसके पति की गैरमौजूदगी में मैं रात को उसके घर रुका हुआ था और मैंने उसके फोन में पॉर्न साइट के लिंक देख लिये थे. अब आगे …
मैं समझ गया था कि वो बहुत परेशान है अपने पति की बेरुखी से. इसलिए मैंने दूसरा विषय छेड़ दिया. फिर कुछ यहां-वहां की बातें करने के बाद उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई.
फिर मैंने दोबारा से उसको छेड़ने के इरादे से कहा- मुझे पता चल गया था कि आज आपके चेहरे पर ये चमक कैसे आई आप इतनी खुश क्यों लग रही थीं! वो तपाक से बोली- क्या पता लग गया आपको!
मैंने तुरंत उसका मोबाइल उठाया और उसके फोन में उन्हीं लिंक पर जाकर वो पॉर्न साइट खोल कर उसको दिखाने लगा. अपने ही फोन में वो इस तरह सी पॉर्न सामग्री देख कर शरमाने लगी. उसकी चोरी पकड़ी गई थी.
अब मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और उससे कहा- इसका मतलब तो आपको मेरे वाला आइडिया पसंद आ गया था! मैंने ही तो आपको बताया था कि मैं मोबाइल में पॉर्न देख कर अपने आप को संतुष्ट कर लेता हूं. क्यूं सही कहा न मैंने?
वो मेरी बात को सुन कर वहां से उठ कर चलने लगी. जब वो उठ कर चलने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मेरे द्वारा हाथ पकड़े जाने से वो एकदम से सिहर उठी. उसी पल मैंने उसको अपनी तरफ दोबारा से खींच लिया और उसको फिर से अपने पास में ही बेड पर बिठा लिया.
मैंने अब बेशर्म होते हुए पूछा- बताओ न भाभी, आपको मजा आया या नहीं? मैंने सही अंदाजा लगाया था न आपकी खुशी का? आपका चेहरा इसीलिये दमक रहा था आज? बोलो न भाभी, जवाब तो दो मेरी बात का? पहले तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन फिर शरमाते हुए हां में अपना सिर हिला दिया. उसका चेहरा शर्म से बिल्कुल लाल हो गया था. उसके गाल एकदम टमाटर की तरह लाल हो गये थे. वो अभी भी नजर नीचे किये हुए बैठी थी और मैंने उसके हाथ को ऐसे ही पकड़ रखा था.
मैंने पूछा- अच्छा ये तो बता दो कि क्या क्या देखा आपने? वो शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे झुकाए रही तो मैंने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया. वो पीछे हटने की कोशिश करने लगी तो मैंने अपने दूसरे हाथ को भी उसके कन्धे पर रख दिया. अब मेरे दोनों हाथ उसके दोनों कन्धों पर थे. वो शर्म से जैसे गड़ी जा रही थी.
मैंने उसको समझाने वाले लहजे में कहा- क्या हुआ? इतना भी क्यों हिचक रही हो, इसमें कुछ गलत थोड़ी है. ये सब तो सामान्य सी क्रिया है. हम दोनों अच्छे दोस्त हैं. इन सब बातों के बारे में तो हम चर्चा कर ही सकते हैं. आपको इसमें कुछ गलत लग रहा है क्या?
फिर वो धीरे से बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. मैंने कहा- तो फिर आप बताती क्यों नहीं कि आपने क्या-क्या देखा? प्लीज बताओ न भाभी. मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं आपकी पसंद के बारे में. वो सकुचाते हुए बोली- वही सब।
मैंने कहा- वही सब क्या? उसने मेरी बात का कोई जवाब न दिया तो मैंने शर्म की सारी हद पार करते हुए कह दिया- वही सब जो रात में किया जाता है? उसने मेरी बात सुन कर मेरे हाथ पर जोर से नोंच लिया और नीचे मुंह करके मुस्कराने लगी.
अब मैंने फिर से छेड़ते हुए कहा- आपने पहली बार देखा था क्या ये सब? उसने हां में सिर हिला दिया. दोबारा पूछते हुए मैंने कहा- मजा आया कि नहीं? वो धीमी सी आवाज में बोली- बहुत!
उससे इस तरह की कामुक बातें करते हुए अब मेरी जिज्ञासा और उत्तेजना दोनों बढ़ने लगी थी. मैंने फिर से पूछा- कितनी देर तक देखा आपने ये सब? वो बोली- एक घंटे तक। हैरान होते हुए मैंने कहा- एक घंटा! आपको इस दौरान कुछ हुआ नहीं क्या? वो पूछने लगी- क्या नहीं हुआ? मैंने कहा- बहुत मन किया होगा ना (सेक्स) करने का?
मेरी बात सुन कर उसकी सांसें और तेजी से चलने लगीं और मेरा दिल दिल भी जोर से धड़कने लगा था. अब मुझे मालूम हो गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है और उस पर हथौड़ा चला देने का ये बिल्कुल सही वक्त है. भाभी की सांसें तेजी के साथ चल रही थी और उसका चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था.
मुझसे भी अब कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था. मैंने उसके लाल हो चुके तमतमाये गालों को चूम लिया. उसके मुंह से गर्म सांस भांप की तरह निकल रही थी. तभी मैंने उसके दूसरे गाल पर भी एक चुम्बन जड़ दिया. उसकी आंखें बंद ही थीं.
वो बोली- ये क्या कर रहे हो? ऐसा कहते हुए भाभी की आवाज में विरोध नहीं बल्कि मादकता भरी हुई थी. मैंने उसकी बंद आंखों को भी ऊपर से चूम लिया. मेरे ऐसा करते ही वो मचल सी गयी. वहां से उठने की कोशिश करने लगी. मगर मैंने उसको उठने नहीं दिया.
जब वो छुड़ाने की कोशिश करते हुए चलने लगी तो मैंने उसको वापस से अपनी तरफ खींच कर उसको अपनी बांहों में भर लिया. उसके मादक और मांसल शरीर यह मेरा स्पर्श था. जिसको छूने भर से ही मेरी उत्तेजना सातवें आसमान पर पहुंच गई थी.
वो बोली- छोड़ो मुझे! मैं जानता था कि उसका ये विरोध केवल दिखावा मात्र था. उसके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि वह अंदर से गर्म हो चुकी है. मैंने उसको जोर से अपनी बांहों में जकड़ते हुए उसको गालों को जोर लगा कर चूम लिया. मेरी हवस बढ़ती ही जा रही थी.
फिर मैंने उनके माथे को चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथों से उनकी पीठ और चूतड़ों को रगड़ कर सहलाने लगा. कुछ पल ऐसे ही चूमने पर वो और भी मदहोश हो गयीं और अपना दिखावटी प्रतिरोध छोड़ कर उन्होंने भी मेरी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया. मेरी पीठ को प्यार से अपनी बांहों से सहलाते हुए वो मुझसे और जोर से लिपट गयीं. मैंने मौका देखते ही उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और हम एक दूजे में खो गए.
काफी देर तक हमने एक दूसरे के होंठों को चूसा और इस बीच मैं बराबर उसके चूतड़ों को मसलता रहा. उनको बांहों में लिये हुए ही मैं उनको बिस्तर के पास ले गया और उसको आहिस्ता से बेड पर लिटा कर खुद भी उसके ऊपर लेट गया. मेरी छाती उसके चूचों पर रखने के कारण उसके चूचे मेरी छाती के नीचे दब गये जिनका स्पर्श मुझे पागल करने लगा.
अपने बदन को मैंने उसके बदन से जोर से रगड़ना शुरू कर दिया. अब तो जैसे दोनों ही वासना के सागर में डूब से गये थे. उसके चेहरे को चूमते हुए उसकी गर्दन और उसके ऊपरी हिस्से को मैं चूमता रहा और वो मुझे अपनी बांहों में लपेटती रही.
उसके बाद मैंने अपना सिर उसके सीने पर रख दिया और उसके भारी स्तनों को ऊपर से ही दबाने लगा. फिर मैंने एक-एक करके उसके ब्लाउज के सारे हुक खोल दिये और उसका ब्लाउज निकाल दिया. उसने नीचे से एक प्रिंटेड ब्रा पहनी हुई थी.
देर न करते हुए मैंने उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसके स्तन मेरे सामने नंगे हो गये. पहले मैंने उसके स्तनों को जोर से दबाया और फिर बारी-बारी से मुंह में लेकर उनका रस चूसने लगा. मेरी जीभ जब उसके निप्पलों पर लग रही थी तो उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.
इसके बाद मैंने एक-एक करके उसकी साड़ी और पेटीकोट को भी निकाल दिया. अब मेरी भाभी मेरे सामने एकदम से नंगी लेटी हुई थी. मैंने भी जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिये और हम दोनों के बदन अब बिल्कुल नंगे हो गये थे. मैं उसके बदन से लिपट गया.
हमारे बदन इतने गर्म हो चुके थे कि मानो दोनों के बदन से जैसे अंगारे निकल रहे हों.
कुछ देर तक अपने नंगे शरीर को उसके नंगे बदन पर रगड़ने के बाद मैंने उसकी जांघों के पास हाथ कर लिया. मैं उसकी जांघों के पास जाकर बैठ गया और उसकी योनि में उंगली डाल दी. उंगली डालते ही वो उछल पड़ी.
जैसे ही उंगली उसकी योनि में गई तो उसके मुंह से जोर से आह्ह निकल गई. मैं उसकी योनि को धीरे-धीरे करके मसलने लगा. उसकी योनि को मसलने और सहलाने के बाद मैंने उसकी योनि से टपक रहा रस अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर उसकी योनि को चाटने के बाद मैंने उसको अपने बदन पर लिटा लिया और वो मेरे सीने पर आकर जोर से मुझसे लिपट गई. वो मेरे सीने को चूमने लगी. मैं अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को सहलाता रहा. वो काफी देर तक मेरे सीने को चूमती रही और चूसती रही.
उसके बाद मैंने उसको अपने बदन पर नीचे सरका दिया और अपने लिंग को उसके मुंह की तरफ कर दिया. मेरा इशारा वो समझ गयी थी लेकिन उसने ना में गर्दन हिलाते हुए मेरा लिंग चूसने से मना कर दिया. मैंने भी उसके साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की.
इसके बाद मैं उसके ऊपर आ गया और मैंने अपना लिंग उसकी योनि पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो एकदम से सिहर उठी. मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया और फिर एक झटके में नीचे से अपना लिंग उसकी योनि में धकेल दिया. उसके मुंह से एक जोर की आह्ह निकल गई.
अब मैं धीरे-धीरे उसकी योनि में धक्के लगाने लगा और उसके गालों और होंठों को चूमते-काटते हुए उसकी योनि का चोदन करने लगा. वो भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी. मैंने भाभी को अपनी बांहों में कस कर जकड़ रखा था.
कुछ देर तक इसी पोजीशन में उसकी चुदाई करने के बाद मैंने उसको उठा दिया और उसको अपनी गोद में बिठा कर उसकी चूत में धक्के देने शुरू कर दिये. उसने अपनी बांहों को मेरे गले में डाल रखा था. मैं उसके स्तनों को मुंह में लेकर चूसते हुए उसकी योनि को चोद रहा था.
हम दोनों ही चुदाई के आनंद में खो गये थे. उसके मुंह से जोर से आह्ह … आह्हह की आवाजें निकल रही थीं और मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था. कुछ देर ऐसे ही उसकी योनि की चुदाई करने के बाद मैंने उसको अपने ऊपर बिठा लिया और वो मेरे ऊपर बैठ कर उछलने लगी. मैं उसकी योनि में नीचे से धक्के लगाने लगा.
वो मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में ले रही थी. बहुत मजा आ रहा था. वो जोर से सिसकारियां लेते हुए चिल्ला रही थी- मर गई … उईई … आह्ह … हाय रे दैया! उसके आनंद को मैं उसके चेहरे पर साफ-साफ देख रहा था. उसके चेहरे को देख कर मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था.
जब वो थक गई तो मैंने उसको फिर से अपने नीचे लिटा लिया और उसके स्तनों को मुंह में लेकर चूसते हुए उसकी योनि में धक्के देने लगा. अब उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया था. मेरे धक्कों की रफ्तार और बढ़ गई थी. तभी वो जोर से सिसकारियां लेते हुए झड़ने लगी.
झड़ने के बाद जब उसका पानी निकल गया तो योनि में लंड के चोदन करने से पच-पच की आवाज होने लगी. उस आवाज ने मुझे आनंद के शिखर पर पहुंचा दिया. मेरा लंड अकड़ने लगा. मैंने दो-तीन धक्के खूब जोर लगा कर मारे और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा.
मैं झटके देते हुए उसकी योनि में झड़ने लगा. इस कामुक चुदाई के बाद हम दोनों ही निढाल हो गये थे. कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे. मैं उसके बदन से लिपटा रहा और वो मेरी पीठ पर अपने हाथों से सहलाती रही.
फिर हमने उठ कर अपने कपड़े पहने और मैंने उसको एक बार फिर से बांहों में लेकर चूमा और गुड नाइट बोल कर अपने कमरे में चला गया.
दोस्तो, ये थी मेरी आपबीती, एक सच्ची घटना. अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आई? कहानी पर आप कमेंट करके भी बतायें कि आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी.
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