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कैसे हो दोस्तो, मैं अपनी एक और कहानी लेकर आया हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि आपको मेरी यह कोशिश भी पसंद आयेगी. इससे पहले जो मेरी सत्य कहानी सास के साथ चरम सुख की प्राप्ति अंतर्वासना पर प्रकाशित हुई थी, उसको आप लोगों ने काफी पसंद किया था. उसी की तरह यह भी एक सत्य घटना है.
मैं दिल्ली में एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. कुछ समय पश्चात मैंने नोएडा की एक कंपनी में जॉइन कर लिया था। नोएडा में मेरी पत्नी की बड़ी बहन यानि मेरी बड़ी साली भी अपने परिवार के साथ रहती थी. मेरे साढू साहब एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर हैं और उनकी एक 2 साल की बेटी भी है, मैंने उन्हीं की बिल्डिंग में उनके ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर शिफ्ट कर लिया.
मेरे वहाँ पहुंचने से मेरी पत्नी और उसकी बहन बहुत खुश हो गईं क्योंकि मेरी पत्नी को अपनी बहन का साथ जो मिल गया था. हम लोग खुशी-खुशी वहां रहने लगे।
इसी दौरान मेरी पत्नी की तबियत काफी खराब रहने लगी. उसे वहां का मौसम सूट नहीं कर रहा था जिस वजह से उसे मुझे अपने पुराने घर पर छोड़ना पड़ा।
पत्नी के जाने के बाद मैं अब बिल्कुल अकेला था इसलिए घर का सारा काम जैसे खाना बनाना, साफ-सफाई करना और यहां तक कि अपने कपड़े भी मुझे खुद ही धोने पड़ते थे. कई बार घर आने में देरी भी हो जाती थी तो खाने की भी समस्या हो जाती थी। मेरी पत्नी की बहन जिन्हें मैं भाभी कहता था वो बहुत ही अच्छे स्वभाव की महिला थी, वो मेरा काफी ख्याल रखती थीं.
अक्सर सुबह निकलते समय और शाम को वापस आने के समय वो मेरे लिये चाय बना कर दे जाती थीं, कई बार शाम को देर होने पर मेरे लिए खाना भी बना देती थीं. मैंने उन्हें कई बार संकोचवश मना भी किया लेकिन वो मानती नहीं थीं। इसी बहाने से कई बार हम दोनों का एक साथ बैठना हो जाता था.
चूंकि वो मेरा ख्याल रखती थी इसलिए मैं भी उसकी बेटी के लिए कई बार चॉकलेट या आइसक्रीम ले जाता था, जिससे वो बहुत खुश होती थी. अक्सर आफिस से लौट कर कुछ पल उसकी बेटी के साथ थोड़ी देर खेल कर और चाय पीकर मैं अपने रूम में जाता था, इस बहाने हम लोगों में थोड़ी थोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगीं।
उनके पति हमेशा रात में 10 बजे के बाद ही आते थे और कई बार तो उनकी नाईट ड्यूटी भी होती थी. आफिस से आने के बाद कई दफा हम लोग काफी देर तक साथ बैठ कर बातें करते थे। उनके पति बेहद लापरवाह और अजीब मानसिकता के व्यक्ति थे जिससे वो बहुत परेशान रहती थी.
यह बात उसकी पत्नी ने मुझे तब बताई जब हम लोगों की दोस्ती बढ़ने लगी. इस वजह से मैं भाभी का और अधिक ख्याल रखने लगा था जैसे कि उनके बाजार के छोटे-मोटे काम कर देता था. कई बार फोन में बैलेंस रिचार्ज करवाने चला जाता था. उसका भरोसा मुझ पर बढ़ता जा रहा था.
एक दिन की बात है जब मैं ऑफिस से लौटा तो वो बुरी तरह बुखार से तप रही थी, उन्होंने अपने पति को कॉल किया तो उन्होंने आने से मना कर दिया. उसकी हालत काफी खराब थी और वो रो रही थी. उसकी हालत मुझसे देखी न गई और मैं उसको डॉक्टर के पास ले गया और दवाई दिलवा कर ले आया.
फिर वापस आकर मैंने उनके लिए व उनकी बेटी के लिए खाना तैयार करके दिया। अगले दिन भी उनके पति के जाने के बाद उनके लिए बाजार से फल लाकर दिए. बीच-बीच में कॉल करके मैं भाभी का हाल- चाल भी पूछता रहा. शाम तक वो ठीक हो चुकी थीं.
मेरे इस व्यवहार से वो बहुत खुश हुई. उसने मेरे वापस आते ही मुझे चाय पिलाई और मेरे पास बैठ कर काफी देर तक बातें करती रही और उनके पति के बारे में बात करते हुए रोई भी. वो अपने पति की बेदर्दी से काफी दुखी थी. फिर मैंने उनको समझाया तो वो शांत हुई.
रात का खाना हम लोगों ने साथ में ही खाया. अगले दिन ऑफिस की छु्ट्टी थी. उस दिन सुबह नाश्ते से लेकर लंच तक हमने साथ ही किया. फिर वो कहने लगी कि उसे कुछ रोज़ की जरूरतों का सामान चाहिए है इसलिए हम लोगों ने बाजार जाने का प्लान किया.
हमने साथ में ही शॉपिंग की और फिर गोल गप्पे भी खाये. उसके बाद हम दोनों ने पार्क में साथ बैठ कर काफी सारी बातें भी कीं. उस दिन हमने बाहर खाना भी खाया. वापस घर आकर उसने अपने पति के लिए खाना बना दिया.
अगले दिन उनके पति की नाईट शिफ्ट थी इसलिए वो दिन भर घर पर ही रहे. फिर शाम को 8 बजे वो ड्यूटी पर चले गए. जब मैं आफिस से लौटा तो उनकी बेटी को खाना खिलाने के बहाने वहीं रुक गया. उन्होंने फिर मुझे जाने ही नहीं दिया. हमने एक साथ बैठ कर खाना खाया और काफी देर साथ में बैठ कर बातें करते रहे.
हम एक दूसरे के साथ बातचीत में काफी खुल गए थे तो बातों ही बातों में मैंने मजाक में उनसे पूछा कि आपके हस्बैंड सुबह 8 बजे चले जाते हैं और रात में 10-11 बजे आते हैं, कई बार नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती है, तो फिर आप लोग ‘वो’ कब करते हैं? पहले तो वो मेरी बात का मतलब नहीं समझ पायीं और बोलीं- वो क्या?
इस पर मैंने मुस्कुराते हुए अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाते हुए चुम्बन का इशारा किया. मेरे इस इशारे पर वो एकदम से शरमा गयीं और एकदम से बोलीं- हो… ये क्या कह रहे हो आप! मैं तो आप को सीधा साधा समझती थी और आप … ! उनका चेहरा शर्म से बुरी तरह लाल था और हल्की सी मुस्कान फैल गई थी.
मैंने भी मजे लेते हुए कहा- क्यों सीधे लोग मजाक नहीं कर सकते क्या? और फिर आप तो …! वो बोली- आप रुक क्यों गये? मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो कहने लगी- मैं तो आपसे बड़ी हूँ, मेरे साथ ऐसा मजाक कैसे कर लिया आपने? इस पर मैंने भी तुरन्त कहा- आप तो मेरी भाभी हैं न.
फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- और आप बड़ी हो तो क्या हुआ, मेरी दोस्त भी तो हो. मेरा तो हक बनता है आपसे मजाक करने का. फिर मैंने थोड़ा सीरियस होकर कहा- आपको बुरा लगा क्या मेरी बात का? वो बोली- नहीं, बुरा तो नहीं लगा लेकिन थोड़ा अजीब लगा क्योंकि मेरे साथ किसी ने ऐसा मजाक किया नहीं था इससे पहले.
मैं भी तपाक से बोल पड़ा- मगर मैं तो कर सकता हूं न! मेरे अलावा किसी और की हिम्मत है जो आपके साथ ऐसा मजा कर सके? इस बात पर हम दोनों ही हंस दिये.
फिर मैंने दोबारा से पूछा- मगर मुझे अभी भी मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला है? मेरे ऐसा कहने पर उसने मेरे हाथ को नोचते हुए कहा- अभी बताती हूं तुम्हें, बेशर्म कहीं के! बहुत मार पड़ेगी अगर ऐसी बातें की तो मेरे साथ! कहते हुए उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.
अब मैंने भी जिद करते हुए पूछा- मार लो, लेकिन जवाब तो दे दो? वो शर्माते हुए बोली- ये भी कोई बताने की बात है. मैंने कहा- लेकिन दोस्तों को तो बताई ही जा सकती है. मेरी बात सुन कर वो एकदम से शांत हो गई.
फिर कुछ सोचकर बोली- आप खुद ही समझ लीजिये. मैंने पूछा- क्या समझ लूं? उसने कहा- जब वो इतने बिजी रहते हैं तो फिर आप खुद ही समझ लीजिये कि कुछ होता होगा या नहीं. मैंने कहा- बिजी रहने का मतलब ये कब से होने लगा कि प्यार भी नहीं किया जायेगा?
फिर मैंने दूसरा सवाल किया- अच्छा ये तो बता दो, कितने दिन से नहीं किया है? वो बोली- पिछले एक महीने से. मैंने हैरान होते हुए कहा- सच में? एक महीने से आप लोग कैसे रुके हुए हो?
वो बोली- मतलब? मैंने कहा- मतलब ये कि आपका मन तो मचलता ही होगा तो फिर बिना किये कैसे रह लेते हो? मेरी इस बात पर वो बुरी तरह से शरमा गयी और कहने लगी- मेरे बारे में तो सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में कुछ नहीं बता रहे.
मैंने कहा- मैं क्या बताऊं, मैं भी बहुत टाइम से बिना (सेक्स) किये रह रहा हूं. ऐसे ही मन को बहला लेता हूं. वो बोली- मन बहलाने का क्या मतलब है? मैंने कहा- बस मोबाइल में कुछ-कुछ देख कर अपने मन को बहला लेता हूं और खुद को संतुष्ट कर लेता हूं.
मेरी इस बात पर उसने अन्जान बनते हुए पूछा- मोबाइल में ऐसा क्या देख लेते हो जो संतुष्ट हो जाते हो? अब मैंने भी शर्म छोड़ते हुए अपना मोबाइल फोन निकाला और पॉर्न वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया. वो उसे देख कर बुरी तरह शरमा गयी और उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया.
फिर बोली- आप ये सब भी देखते हो? मैंने तो आपको बहुत ही शरीफ इन्सान समझा था. मैंने कहा- क्यूं? इसको देखने में क्या बुराई है? सीधे सादे लोग मजा नहीं ले सकते क्या?
वो मेरी बात सुन कर कुछ नहीं बोली और बस नजर को नीचे झुका कर बैठी रही. फिर कुछ देर तक हम दोनों में कुछ बात नहीं हुई. मैंने उसको गुड नाइट कहा और फिर अपने कमरे में चला गया.
अगले दिन सुबह मुझे ऑफिस के लिए निकलना था. मैं सुबह उठ कर ऑफिस के लिए निकल गया और रात के 9 बजे वापस आया. आते हुए भाभी ने मुझे टोकते हुए पूछा- आज इतनी लेट? मैंने कहा- काम थोड़ा ज्यादा था आज.
फिर उसने मुझे बैठने के लिए कह दिया और बोली- आ जाओ साथ में बैठ कर चाय पीते हैं.
मैं उसके पास चला गया और वो चाय बना कर ले आयी. आज उसकी आवाज में एक अलग ही खनक सी थी और चेहरे पर जैसे एक चमक थी.
उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी. चाय लाने के बाद हमने साथ में बैठ कर चाय पी. फिर हम दोनों के बीच में रोज की तरह बातें शुरू हो गई. उसने बताया कि आज रात को भी उसके पति की नाइट शिफ्ट है.
वो बोली- तुम हाथ-मुंह धोकर बैठो, मैं तुम्हारे लिये खाना लगा देती हूं. उसकी बातों को सुन कर आज ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझ पर अपना हक सा समझने लगी थी.
मैं जल्दी से उठ कर अपने रूम में गया और फटाफट चेंज करके वापस आ गया. जब तक मैं वापस आया उसने खाना लगा दिया था. हमने साथ में बैठ कर खाना खाया और कुछ यहां-वहां की बातें करने लगे. बीच-बीच में मैं उसके हाथ के बने हुए खाने की तारीफ भी कर रहा था. वो मेरी बातें सुन कर काफी खुश हो रही थी. उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिखाई दे रही थी आज.
मैंने कहा- आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. फिर वो मुझे छेड़ने के मकसद से बोली- आज से क्या मतलब है तुम्हारा? बाकी दिन मैं खूबसूरत नहीं लगती हूं क्या? इस पर हम दोनों हंसने लगे.
फिर मैंने भी उसको छेड़ने के अंदाज में कहा- खूबसूरत तो आप हो ही लेकिन आज आपका चेहरा कुछ ज्यादा ही चमक रहा है. लगता है कि साढू साहब ने आज आपको दिन में ही खुश कर दिया है. उसने मेरी बात पर शर्माते हुए मेरे हाथ पर चुटकी से काट लिया और हम दोनों साथ में हंसने लगे.
वो बोली- आप भी न! पता नहीं क्या-क्या बोलते रहते हो! मैंने कहा- क्यूं, मैंने कुछ गलत कह दिया क्या? मेरी बात पर वो थोड़ी गम्भीर होते हुए कहने लगी- अरे आपके साढू साहब को इतनी फुरसत कहां है! इतना कहते-कहते वो उठ कर किचन की ओर जाने लगी.
उसके जाने के बाद मैंने पास में ही रखे हुए उसके मोबाइल को उठा कर देखा. उसकी सर्च हिस्ट्री में कुछ पॉर्न साइट्स के लिंक मुझे दिखाई दे गये. ये देख कर मैंने उसके फोन को चुपचाप वैसे ही रख दिया.
फिर मैं बिल्कुल अन्जान बन कर बैठ गया. वो जब वापस आई तो हमने फिर कुछ बातें कीं. कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद मैं उसको फिर से उसी विषय पर ले आया जिस विषय पर उसके जाने के पहले हम लोग बातें कर रहे थे.
मैंने उसको दोबारा से छेड़ते हुए कहा- आपने उस बात पर उदास सा चेहरा क्यों बना लिया था? वो बोली- कौन सी बात पर? मैंने कहा- वही साढू साहब के खुश करने वाली बात पर?
कुछ देर तक सोचने के बाद वो बोली- नहीं, आपने कुछ गलत नहीं कहा था. बस मैं ऐसे ही कुछ सोचने लगी थी. मैं दोबारा से जोर देकर पूछा- कुछ ऐसी-वैसी बात है क्या? वो कहने लगी- उनके पास मुझे देने के लिए वक्त ही कहां है.
मैंने अपनापन जताते हुए कहा- आप ऐसे दुखी मत होइये वरना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा.
इस पर वो उदास होकर अपनी सारी व्यथा मुझे बताने लगी, कहने लगी- सच कहूं तो उन्होंने कभी मेरी परवाह की ही नहीं. उनको मेरी खुशी से कुछ लेना-देना नहीं है.
मैं समझ गया था कि वो बहुत परेशान है अपने पति की बेरुखी से. इसलिए मैंने दूसरा विषय छेड़ दिया. फिर कुछ यहां-वहां की बातें करने के बाद उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई.
फिर मैंने दोबारा से उसको छेड़ने के इरादे से कहा- मुझे पता चल गया था कि आज आपके चेहरे पर ये चमक कैसे आई आप इतनी खुश क्यों लग रही थीं! वो तपाक से बोली- क्या पता लग गया आपको?
मेरी साली की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपने विचार रखने के लिए कमेंट करें.
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