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दोस्तो, मेरा नाम रजत है. मैं इंदौर (म.प्र.) का रहने वाला हूं. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं। सभी पाठकों को मेरा कामवासना भरा नमस्कार। जैसा कि आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी मालिश से कामुक होकर चुदी भाभी में पढ़ा कि हम लोगों ने कैसे गुलछर्रे उड़ाये और कैसे उस अनिता भाभी ने उसकी बहन की बेटी को चुदवाने का वादा किया था और कैसे मैं उसकी बहन की बेटी से मिला। ये उससे आगे की स्टोरी है।
यूं तो पिछली कहानी में मैंने आप लोगों को अपने बारे में बता दिया था लेकिन जो पाठक मेरे बारे में नहीं जानते हैं उनकी जानकारी के लिए मैं एक बार फिर से अपना शारीरिक परिचय आप को दे देता हूं. मेरी लम्बाई 6 फीट है. मैं एक एथलीटिक शरीर का मालिक हूं. मेरी उम्र 21 साल है. मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है और मोटाई 2 इंच है.
अनिता भाभी की बहन की बेटी से मेरी मुलाकात महज़ एक इत्तेफाक सी थी लेकिन इसके पीछे उस औरत का सबसे बड़ा प्लान था जो काफी सोच समझ कर बनाया गया था।
उस लड़की का नाम अमृता था जो मूल रूप से पटियाला में रहती थी। गर्मियों की छुट्टी में वो अपनी मौसी अनिता के यहाँ रहने के लिये आयी। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि औरतें एक बार किसी को अपना बना लें तो वो उस व्यक्ति को अपना सब कुछ देने के लिए तैयार हो जाती हैं।
मैंने पिछली कहानी में आप लोगों को बताया था कि इस हवेली जैसी कोठी में अनिता अधिकतर अकेली रहती थी। अमृता के आ जाने से उनकी चुदायी में मानो रुकावट सी आ गयी थी।
फिर अनिता ने मुझसे कहा कि अमृता का मन मूवी देखने का है। क्या तुम इसे मूवी दिखा लाओगे? मैं भला कच्ची कली को भोगने का मौका कैसे छोड़ देता? उसी लालच में मैंने बिन सोचे समझे ही हां कर दी. मुझे नहीं पता था कि इसका परिणाम क्या होने वाला है.
हमने ऑनलाइन कॉर्नर की एक सीट छोड़ कर बाकी 2 सीटें बुक कर लीं। मैं जानता था कि अनिता भाभी ने जो शर्त रखी थी कुंवारी बुर चोदने की, वह यही है। इसलिये मैं पिक्चर शुरू होने से 2 घंटे पहले ही उनके घर पहुँच गया।
जैसे ही मैंने डोर बेल बजाई तो अमृता ने ही दरवाजा खोला जिसे देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। अमृता दिखने में बिल्कुल 19-20 साल की आलिया भट्ट जैसी दिख रही थी जिसका चेहरा प्रतिका राव (मॉडल, ऐक्ट्रेस) जैसा था और उसके चूचे मानो उछल कर बाहर को आने को बेताब हों. 34-28-36 का साइज था उसके बदन का. जिस्म भरा हुआ था जिसे देख कर मेरा लंड मानो पैंट में ही हड़ताल करने लगा और बाहर आने को बेचैन सा होने लगा।
मैंने अपनी पैंट में से लंड को हाथ लगा कर ऐडजस्ट किया और फिर हल्की सी स्माइल के साथ उसको अपना परिचय दिया। उसकी आंखों की चमक देखते ही बन रही थी. उसके होंठ भी जैसे सूखने से लगे थे.
मैंने उसको बोला- अन्दर नहीं बुलाओगी क्या? उसने फिर हाथ से मुझे अन्दर आने का इशारा कर दिया.
मैं बोला- तुमको मूवी देखने जाना था न? तुम्हारी मौसी कह रही थी. अमृता- हाँ मुझे यहाँ आये हुए 8 दिन हो गये और मौसी को घर का काम रहता है जिसकी वजह से हम यहां आने के बाद अब तक कहीं भी बाहर घूमने के लिए जा ही नहीं पाये हैं. इसलिए मैंने मौसी को बोल दिया था.
मैं- कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मौसी का दोस्त हूँ और तुम मेरे साथ बाहर कहीं भी घूमने के लिए चल सकती हो. तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी. अमृता- ठीक है. मैं अभी तैयार होकर आ जाती हूं.
मैं तो कोई मौका चूकता ही नहीं था. मैंने वहीं पर तीर छोड़ दिया. मैंने कहा- तुम्हें तैयार होने की क्या जरूरत है? तुम तो वैसे ही इतनी खूबसूरत लग रही हो.
मेरी बात सुन कर जैसे उसकी जवानी और निखर आई. वो अंदर ही अंदर अपने हुस्न को लेकर फूली नहीं समा रही होगी. फिर वो मंद मंद मुस्काती हुई अंदर चली गई.
तभी उसके जाने के बाद अनिता भाभी आयी जिसने मुझे तन और मन से अपना पति माना हुआ था.
उसके आते ही मैं उस पर टूट पड़ा. मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों से होंठों को सटा दिया. वो छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसके दोनों चूचों को जोर से अपने हाथों में दबा दिया और फिर उसके चूचों के बीच में मुंह दे दिया. मेरी पकड़ इतनी तेज थी कि उसकी चीख निकल गई.
तभी अमृता के भागते हुए कदमों की आवाज आई तो हम दोनों अलग हो गये. अमृता- क्या हुआ मौसी? अमृता की मौसी अनिता बोली- कुछ नहीं, वो छिपकली मेरे पैर के पास गुजर गई तो मैं डर गई.
इतना सुन कर अमृता ने नीचे देखा. मगर छिपकली होती तब दिखाई देती न. फिर वो वापस से अंदर चली गई. मैं- भाभी, बहुत मन है तुम्हें चोदने का! मैंने हवस भरे लहजे में कहा.
अनिता भाभी अपने पेट पर हाथ रखते हुए बोली- ये जो पहले का फल है इसे तो बाहर निकालूं! मैं- इसमें मेरा क्या कसूर है. तुमने ही तो कहा था। भाभी- हाँ, मगर इस हालत में ये करना सही नहीं है इसलिये तो तुम्हारे लिये कच्ची कली बुलाई है। अब तुम देख लो कि इसे फूल कैसे बनाना है।
मैं बनावटी गुस्से में बोला- लेकिन मुझे इस सामने वाले फूल को एक बार प्यार तो करने दो. इतना कह कर मैंने भाभी की सलवार में से ही उसकी चूत को पकड़ कर जोर से ऊपर की ओर खींच दिया.
भाभी ने मुझे एक लम्बी किस दी और फिर हम दोनों अलग हो गये. उसके बाद यहां-वहां की बातें करने लगे.
दस मिनट के बाद अमृता रेडी होकर नीचे आ गई. भाभी ने मेरे हाथ में तीन हजार रूपये थमाते हुए कहा- ध्यान रखना मेरी बच्ची का. मैंने पैसे पकड़ते वक्त अपने हाथ की बीच वाली उंगली भाभी की हथेली पर घुमा दी जिससे वो समझ गयी कि आज उसकी चूत की चुदाई भी हो सकती है.
अब मैं और अमृता, हम दोनों उनकी कार में बैठ कर मॉल की ओर चल दिये. करीब पंद्रह मिनट में हम मॉल में पहुँच गये और मैंने कार पार्किंग में लगा दी. हम सीधे ही फूड जोन में गये क्योंकि अभी तो मूवी शुरू होने में 1.30 घंटे का वक्त बचा हुआ था.
वहां एक कैफे में बैठ कर खाने का ऑर्डर देने के लिए मैंने अमृता की तरफ मेन्यू कार्ड बढ़ाया. मगर उसने वापस से मेरी तरफ कार्ड करते हुए उसे मेरे हाथ में रख दिया और बोली- तुम जो भी मंगवाना चाहो 2 मंगवा लेना.
मैंने उसके हाथ पर हल्का सा किस कर दिया तो उसने एकदम से हाथ वापस खींच लिया. वो हल्की सी नाराज हो गई थी. तब मैंने कहा- माफ करना. तुम इतनी सुन्दर हो कि कई बार कोशिश करने के बाद भी मैं खुद रोक नहीं पाता हूं.
वो बोली- रहने दो. मैं इतनी भी सुन्दर नहीं हो. मुझे पता है कि तुम मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो. मैं बोला- नहीं सच में, तुम्हें देख कर लगता है कि जैसी नक्काशी ताज महल में की गई है वैसी ही खूबसूरती से बनाने वाले ने तुमको भी गढ़ा हुआ है. क्या हम दोनों दोस्त बन सकते हैं? वो बोली- हां क्यों नहीं. लेकिन मेरी एक शर्त है. मैंने शर्त सुने बिना ही कहा- हां मंजूर है. वो बोली- मूवी के बाद तुम मुझे किसी तालाब के किनारे लेकर चलोगे. मैंने कहा- हां जरूर.
उसके बाद हमारे बीच में फैमिली को लेकर बातें शुरू हो गयीं. फिर हमने 2 कॉफी और 1 पास्ता, एक वेज लॉलीपॉप और स्प्रिंग रोल मँगा लिये।
हम दोनों शेयर करके खा रहे थे तो मैंने जान बूझ कर उसके गाल पर क्रीम लगा दी और उसे साफ करने का इशारा किया लेकिन उसने साफ नहीं किया और मुझे ही साफ करने का इशारा किया तो मैं उठ कर उसके पास साफ करने गया और साफ करके हल्का सा झुक कर उसे एक किस दे दिया जिसकी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
फिर हम हॉल में जाकर बैठ गये. हम दोनों आखिरी की सीटों पर बैठे हुए थे लेकिन अभी तक हमारे बीच में सब कुछ नॉर्मल ही चल रहा था. हमारे आगे ही कुछ लड़कियों का ग्रुप बैठा हुआ था. फिर जब मूवी शुरू हुई तो उसमें एक किसिंग सीन को देख कर मेरी नजरें भी भटकने लगीं.
पास में ही बैठे एक कपल को देख कर मेरे लंड में हलचल मच गई. वो दोनों आपस में एक दूसरे के होंठों को चूसने में लगे हुए थे और लड़के ने उस लड़की की लैगिंग में हाथ डाला हुआ था. शायद अंदर हाथ देकर वो उसकी चूत को कुरेदने में लगा हुआ था. दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने में ऐसे लगे हुए थे जैसे जन्मों के प्यासे हों.
इस माहौल में भला लंड पर कब तक काबू रख पाता मैं. मैंने अमृता की तरफ देखा तो वो भी उसी कपल की तरफ देख रही थी. मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके अपनी पैंट में बने तम्बू की तरफ अमृता का ध्यान खींचने के लिए उसको इशारा किया तो वो मेरे तम्बू को देख कर मुस्कराने लगी.
अब मुझसे रहा न गया और मैंने उसको अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मैं कभी उसके होंठों को अपने मुंह में भर कर चूस कर रहा था तो कभी अपनी जीभ को उसके मुंह के अंदर डाल रहा था.
इस तरह करते हुए हमें तीन मिनट ही हुए थे कि मैंने भी अपना हाथ मेरी कमसिन कली की नन्हीं सी चूत पर सलवार के ऊपर से ही रख दिया. वो पटियाला सलवार थी जिसमें कपड़ा बहुत था तो चूत को पकड़ पाना कठिन हो गया था.
मैंने देर न करते हुए उसका नाड़ा खींच दिया. अमृता वासना की आग से बाहर आई तो उसने मुझसे अपने आप को अलग कर लिया. मैंने सवालिया निगाहों से पूछा- क्या हुआ? उसने ना में गर्दन हिला दी.
लेकिन मैं हार मानने वाला नहीं था. मैंने जबरदस्ती उसकी पैंटी पर हाथ टिका दिया जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. इतने में ही इंटरवल हो गया और मुझे गुस्सा आ गया. न चाहते हुए भी हमें उठ कर वहां से बाहर आना पड़ा.
मगर बाहर आने के बाद मैंने उसके कान में कहा- तुम वॉशरूम में जाओ तो अपने चूत रस से भीगी हुई पैंटी को निकाल कर अपने पर्स में रख कर ले आना. वो सहमत हो गयी और वॉशरूम में चली गई.
इधर मैंने भी अपना कच्छा उतार कर जेब में रख लिया। अब हम दोनों हॉल में आकर बैठ गये. मैंने हाथ लगा कर देखा तो अमृता ने नाड़ा खोल दिया था लेकिन पैंटी नहीं उतारी थी. मैंने चुपके से पूछा- तुमने पैंटी क्यों नहीं उतारी? अमृता- वहाँ साफ जगह नहीं थी. मेरे कपड़े गंदे हो जाते।
अब मेरे पास इसके आगे कहने के लिए कुछ नहीं था. मैंने अपनी चेन को खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया.
तभी मेरा ध्यान मेरे हाथ पर फिर रहे एक दूसरे हाथ की तरफ गया. गर्दन घुमायी तो एक लड़की का हाथ मेरे हाथ पर सहला रहा था. मैंने इशारे से अपने लंड का टोपा उसकी तरफ कर दिया और उसको लंड चूसने के लिए कह दिया. लेकिन वो जाकर अपने दोस्त की गोदी में बैठ गयी.
उन दोनों को देख कर मेरे मन में भी ऐसी ही खुराफात करने का विचार आया. मैंने अमृता को मेरी गोदी में बैठने के लिए कहा तो काफी ना-नुकर करने के बाद वो मेरी गोदी में बैठ गयी. उसकी कोमल गांड के नीचे मेरा लंड उसकी चूत के मुंह को छू रहा था. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे मजा आ रहा था.
अब हॉल के अन्दर हम इससे ज्यादा और क्या करते. वहां पर उछल-उछल कर तो मैं उसकी चूत की चुदाई नहीं कर सकता था इसलिए बस उसी छुअन का मजा लेता रहा.
लेकिन लंड जो चूत से भिड़ गया था तो इसका कुछ रंग तो निकल कर बाहर आना ही था. मैंने अपनी जान के संतरे जैसे चूचे उसकी कमीज के ऊपर से ही मसलने शुरू कर दिये. उसके चूचों को अपने हाथों में लेकर भींचता रहा.
काफी देर तक दो जवान बदनों में आग भड़कती रही. फिर मूवी खत्म हुई और हम पार्किंग में आते हुए एक कोल्ड ड्रिंक लेकर गाड़ी में बैठ गये. दोनों ही शान्त थे. मैंने चुप्पी तोड़ी और अमृता से पूछा- तालाब के पास चलोगी क्या? उसने मेरे होंठों पर होंठ रखते हुए ना कहा और घर की तरफ चलने के लिए कह दिया.
मैं गाड़ी के अन्दर ही लंड निकाल कर बैठ गया और गाड़ी चलाने लगा. अमृता अपनी जीभ मेरे लंड पर चलाने लगी. दस मिनट में ही मेरे लंड ने अपना रस उसकी जीभ पर छोड़ दिया. हमने अपने कपड़े ठीक किये और फिर घर पहुंच गये.
घर पहुंचे तो दिमाग एकदम से सुन्न सा हो गया. जाकर देखा तो अनिता के पति घर आ चुके थे. जिस चुदाई के सपने हम मूवी हॉल से सजा कर लौटे थे वो पल भर में ही कांच की तरह टूट कर बिखरते हुए दिखाई देने लगे. फिर उसकी मौसी भी आ गई. उन्होंने कहा कि वो अमृता से अकेले में कुछ बात करना चाहती हैं.
मैं वहां से आ गया अपने रूम में.
वैसे तो काफी थका हुआ था लेकिन अमृता के साथ हॉल में हुई कामुक हरकतों को याद करके एक बार फिर से लंड को हल्का किया और फिर सो गया. जब उठा तो एक अन्जाने नम्बर से मिस कॉल आई हुई थी.
मैंने वापस कॉल की तो पता चला वो नम्बर अमृता का ही था. फिर हमारी बातें फोन पर ही होने लगीं और अब धीरे धीरे दिन बीतने लगे. फ़ोन सेक्स अब वीडियो सेक्स में बदल चुका था और हमारी एक दूसरे से मिलने की कामुकता और जोर काटने लगी थी। बहुत कोशिशों के बाद भी हर मौका नाकामयाब साबित हो रहा था।
एक दिन उनके घर में गेस्ट आये थे तो उसकी मौसी और अमृता दोनों साथ सो रहे थे। इतने में मेरा वीडियो कॉल आया तो अमृता ने कॉल काट कर मेसेज में अपनी मौसी के पास होने की बात कही। वो अन्जान कहाँ जानती थी कि उसी की मौसी का खेल है जो हम साथ में हैं. मैंने उसे बहुत समझाया और मौसी से बात कराने की बात कही।
बड़ी ना नुकर के बाद उसने कॉल उठाया और अपनी मौसी को फोन पकड़ा दिया।
फिर क्या था, हमारे बीच की जो दूरियां थी मानो कम हो गयी हों। अब अमृता को भी सारा खेल समझने में देर नहीं लगी और वो उसकी चुदक्कड़ मौसी के नये रंग देखने लगी. अब उस दिन से वो दोनों साथ सोती थीं और दोनों खुल कर विडियो चैट में मेरे लंड के हिलने के आनंद को लेकर मजा लेती थीं। इस तरह से दोनों ही अपनी चूत का कामरस चूस चूस कर चाट लेती थीं.
दोस्तो, मेरी यह एक खास बात है कि मैं चैट में ही औरत की चूत से कामरस निकालने की खूबी रखता हूं बशर्तें कि मैं जैसा कहूं सामने वाली महिला वैसा ही करे. उसके लिए शहद, मक्खन और कॉन्डम घर में होना बहुत जरूरी है. खैर इसकी चर्चा मैं आपसे फिर कभी विस्तार से करूंगा. महिला पाठक अगर इस नुस्खे का रस लेना चाहें तो मुझे मेल पर मैसेज कर सकती हैं.
चूंकि अब हमारी चुदाई पर ताले लग गये थे तो मैं बड़ा ही बेचैन रहने लगा था. कोई उपाय नहीं सूझ रहा था.
6 दिन के बाद अमृता की छुट्टी खत्म हो गयी और वो पटियाला वापस चली गयी. अब मुझे ऐसे लगने लगा जैसे मेरे खड़े लंड पर लात मार दी गई हो. उसके पटियाला जाने के बाद तो हम वीडियो चैट भी नहीं कर पा रहे थे.
लेकिन एक बात तो मैं हमेशा मानता हूं कि ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है. इसका प्रमाण भी आप को कहानी के अगले भाग में मिल जायेगा.
मैं पाठकों से निवेदन करना चाहूंगा कि कहानी को पढ़ने के उपरान्त आप कहानी के बारे में प्रतिक्रिया अवश्य दें जिससे हमारी गलतियों का पता भी हमें साथ-साथ लगता रहे. इससे आपके लिए एक बेहतर कहानी लिखने में मदद मिलेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग: मौसी ने अपनी भानजी की चुदाई करायी-2
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