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हमारे कॉलेज का ग्रुप शिमला टूर पर गया. मेरी एक क्लासमेट मेरे साथ बैठी थी और मेरी कोहनी उसकी चूचियों से टच हो गयी. मुझसे रुका न गया. फिर मैंने क्या किया?
कैसे हो दोस्तो? मेरा नाम विकास है. मैं जॉब करता हूं और परिवार वाला हूं. मैं अपनी स्टोरी आपके लिये लाया हूं जो मेरी जिन्दगी में हुई सच्ची घटना है.
ये कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. थोड़ी पुरानी है क्योंकि ये आज से 15 साल पहले की बात है जब मैं कॉलेज में पढ़ा करता था. ये घटना मुझे अभी भी वैसे ही याद है इसलिए आप लोगों से शेयर करने का मन किया.
उस वक्त मुझे सेक्स का कोई ज्ञान नहीं था. मैं कंप्यूटर कोर्स कर रहा था. हमारी क्लास में लड़के भी थे और लड़कियां भी। हां, एक बात थी कि लड़के अलग बैठते थे और लड़कियां अलग लाइन में।
कुछ लड़कों की आपस में सेटिंग थी मगर अपना तो अलग ही अंदाज था।
थोड़े समय बाद हमारे कॉलेज का टूर शिमला जाना था। पहले तो मैंने सोचा कि घर पर रहेंगे मगर मेरे एक दोस्त, जिसका (बदला) नाम जिम्मी था, ने कहा- यदि तू नहीं जायेगा तो हम भी नहीं जायेंगे।
अब टूर पर जाना मेरी मज़बूरी हो गयी. मैंने भी पैसे भर दिये।
कॉलेज की ओर से फाइनल हुआ कि अगले दिन सुबह 4 बजे बस जायेगी. सभी कॉलेज में टाइम से पहले पहुंचे।
मैं सुबह जाते हुए 15 मिनट लेट हो गया. जब मैं पहुँचा तब तक सभी आ चुके थे. चूंकि मैं लेट था इसलिए मुझे सबसे पीछे बैठा दिया गया.
मैंने हमारे टीचर से कहा- मुझे मेरे दोस्तों के साथ सीट दे दीजिये.
मगर टीचर ने मेरी बात नहीं मानी. मगर जब मेरी नजर बगल की सीट पर गयी तो खुशी का ठिकाना न रहा. वहां पर मेरी एक क्लासमेट आयज़ा (बदला हुआ नाम) बैठी थी.
मैंने उसको हैलो किया और उसके पास जाकर बैठ गया. हम बातें करने लगे और कुछ टाइम के बाद ही बस चल पड़ी.
हम बातें करते जा रहे थे. फिर एक तीखा मोड़ आया और आयज़ा मेरी ओर झुक गयी और उसके चूचे मेरी बाजू से टच हो गये.
उसने सोरी बोला तो मैंने कहा- कोई बात नहीं. हम दोनों फिर से बातें करने लगे.
मगर उसके बूब्स का स्पर्श पाने के बाद मेरे मन में हलचल सी हो उठी थी. बार बार ध्यान उसी ओर जा रहा था.
मैंने भी उसका स्पर्श पाने के लिए अपनी बाजू को उसकी ओर कर दिया. वो भी शायद समझ गयी थी कि मैं बाजू को जानबूझकर सटा रहा हूं.
मैंने धीरे धीरे बाजू से उसके चूचों को छूना शुरू किया. मैंने बीच में उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हल्के से मुस्करा रही थी.
अब वो भी अपनी चूचियों को मेरी बाजुओं से सटाने की कोशिश कर रही थी. मुझे लगने लगा कि लाइन क्लियर है. मैंने पूछा- तुम्हें मैं पसंद हूं क्या?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन हल्के से मुस्करा कर नीचे गर्दन झुका ली. फिर मैंने पूछा- पहले कभी किया है किसी के साथ? उसने ना में गर्दन हिला दी.
फिर मैंने अपने बैग से अखबार निकाल लिया. मैंने अखबार को इस तरह से रखा कि सामने से हमारी हरकतें किसी को दिखाई न दें. अखबार पढ़ने के बहाने से मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख लिया. उसने कोई विरोध नहीं किया.
मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा और कुछ देर बाद उसका हाथ भी मेरे हाथ पर आ गया. वो मेरे हाथ को सहलाने लगी. अब उसने भी अपना हाथ मेरी जांघ पर लगा दिया.
मेरा लंड पहले से ही तनकर तड़प रहा था मगर उसका हाथ जांघ पर लगते ही अब फटने को हो गया. फिर धीरे धीरे उसने हाथ सरकाते हुए मेरे लंड को ही पकड़ लिया. मैं तो आनंद में खो गया.
मैंने सिसकारते हुए पूछा- इसको अंदर लिया है क्या कभी तुमने? वो धीरे से बोली- नहीं, बस हाथ से किया है अभी तक. वो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी और मैंने मौका देखकर उसकी सलवार में हाथ डाल दिया.
उसकी पैंटी पर हाथ पहुंचा और मेरी उंगलियों ने चूत के द्वार को खोज लिया. मैं उसकी चूत के मुंह पर उंगलियों से सहलाने लगा. उसकी चूत हल्की गीली होने लगी थी.
बस में ज्यादातर छात्र या तो सो रहे थे या फिर अपनी ही गपशप में लगे हुए थे. मैं कभी उसकी चूत को सहला रहा था तो कभी उसकी चूचियों को भींच देता था. वो भी कसमसाती हुई मजा ले रही थी.
मैंने पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या? वो बोली- नहीं. मगर मुझे ये बात हजम नहीं हुई.
पहली बार में कोई लड़की किसी का लंड पकड़ लेगी ये बात मैं नहीं मान सकता था.
आयज़ा पर मैंने फिर से दबाव देते हुए पूछा तो वो बताने लगी कि वो अपने पड़ोस के एक लड़के से बात करती है लेकिन सेक्स सिर्फ बातों में ही हुआ है, रियल में नहीं.
मैं समझ गया कि आयज़ा की चूत को लंड का पहला स्वाद चाहिए. अब मैंने हरकतें वहीं पर रोक दीं.
मुझे मजा तो बहुत आ रहा था लेकिन मैं उसकी आग को और भड़काना चाहता था.
फिर हम बातें करते हुए शिमला पहुंच गये. बीच रास्ते में कई बार उसने मेरी जांघों पर हाथ फेरा लेकिन मैंने ज्यादा उतावलापन नहीं दिखाया, बस उसका मन बहलाने के लिए कभी उसके कंधे सहला देता था तो कभी उसकी जांघें.
होटल में पहुंच कर हमें दो रूम में ठहराया गया. एक रूम में सात लोग थे. लड़कियां अलग रूम में थी और लड़के अलग रूम में.
जाते ही सबसे पहले मैं वॉशरूम में गया और मुठ मारी.
ऐसा लगा कि लंड से बहुत बड़ा बोझ उतर गया. पूरा रास्ते मैंने तने हुए लंड से सफर किया था.
फिर बाहर आकर दोस्त मजाक में पूछने लगे- कुछ किया या ऐसे ही बैठा रहा? मैंने मुस्करा कर ना में गर्दन हिला दी.
दरअसल दोस्त इतने कमीने होते हैं कि उनसे कोई बात छुपती ही नहीं. मगर अपने मुंह से मैंने उनको मना कर दिया.
अब मैं आयज़ा की चुदाई की सोच रहा था कि मौका कैसे मिले. फिर हम नीचे चाय नाश्ते के लिए हॉल में इकट्ठा हुए. मैं रात के लिए कुछ जुगाड़ सोचने लगा.
मैंने देखा कि हमारे होटल का वेटर हमारी टीचर से हंस हंसकर बातें कर रहा था. वो टीचर भी उसके साथ खूब हंस रही थी.
टीचर के जाने के बाद मैं वेटर के पास गया और उससे बातें करने लगा. मैं- तुम यहां के ही हो? वेटर- नहीं साहब. नेपाल से हूं. मैं- तो इस होटल में कब से हो?
वेटर- साहब मैं यहां पांच साल से हूं. मैं- अच्छा, क्या नाम है? वेटर- जी, बहादुर नाम है. मैं- इस होटल में कभी किसी लड़की को आंख मारी है? उसने शर्माते हुए कहा- कैसी बात कर रहे हैं आप?
मैं- अरे बता न यार? उसने फिर हां में गर्दन हिला दी. मैंने कहा- कभी कोई लड़की फंसी है? वो बोला- हां, एक बार एक को चोदा भी था.
फिर मैंने पूछा- इस ग्रुप में से कोई पसंद आई? वो बोला- वो जो मैडम हैं, वो पहले भी यहां आती रही हैं, उनके साथ हो चुका है. मेरा शक सही निकला. हमारी टीचर उस वेटर से चुद चुकी थी.
मैंने पूछा- कहां चोदते हो? वो बोला- अपने क्वार्टर में ले जाता हूं, जो बेसमेंट में है. मैंने कहा- आज चोदोगे उसे?
वो उदास सा होकर बोला- नहीं साहब. मैंने कहा- क्यों? उसने कहा- उसको कपड़े आये हुए हैं.
उसकी बात को मैं समझ नहीं पाया. उसने बताया कि वो डेट की बात कर रहा है. फिर मुझे समझ आया कि मैडम को पीरियड्स चल रहे हैं.
मैं बोला- तो फिर आज सूखा ही रहेगा तू? वो बोला- नहीं, बस लंड चुसवाऊंगा उसको.
मैं बोला- किस टाइम? वेटर- 10 से 11 के बीच रात में. मैंने कहा- तो यार एक मेरा भी काम कर दे?
वेटर- बोलो साहब. मैं- मेरे लिये भी एक रूम का जुगाड़ कर दे. वेटर- आप भी करोगे क्या किसी के साथ? मैंने कहा- हां, बहुत मुश्किल से पटाई है, आज नहीं हुआ तो फिर कभी नहीं होगा. तू जगह का जुगाड़ करवा दे.
वो मुझे नीचे बेसमेंट ले गया. वहां एक बड़े एरिया को छोटे छोटे पार्टीशन करके छोटे छोटे कमरों में तब्दील किया गया था. उसने मुझे अपने साथ वाले रूम की चाबी दे दी.
वो बोला- साहब, नौकरी का सवाल है, कुछ गड़बड़ ना हो जाये? मैंने कहा- तू चिंता न कर, तेरी नौकरी भी सेफ है और तुझे इनाम भी दूंगा. मगर ये बात तेरे मेरे बीच में ही रहनी चाहिए.
ये सुनकर वो मुस्करा दिया.
फिर हम ऊपर आ गये.
रात का खाना हुआ. मैंने उसी वक्त आयज़ा को फोन पर कह दिया कि रात को दस बजे के लिए तैयार रहे.
मैंने उसको नीचे बेसमेंट आने का कह दिया और रूम नम्बर भी बता दिया. उसने हां में मेरी बातों को जवाब दिया और फोन काट दिया.
फिर मैं दस बजे से पहले ही नीचे बेसमेंट वाले रूम में पहुंच गया. मैडम वहां पहले से ही वेटर के साथ गपशप मार रही थी.
मैं चुपके से साथ वाले रूम में चला गया. मुझे उन दोनों की बातें साफ सुनाई दे रही थीं. वेटर- मैडम, आपके पति आपको चोदते नहीं हैं क्या बिल्कुल भी? मैडम- अगर चोदते तो मैं तेरे से करवाती क्या?
इतने में ही आयज़ा भी कमरे में आ गयी. इससे पहले कि वो कुछ बोलती मैंने उसके होंठों पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया.
फिर हमने दरवाजे को अंदर से लॉक किया और मैंने आयज़ा को बांहों में ले लिया.
मैं उसके होंठों पर टूट पड़ा. फिर उसकी गर्दन पर काफी देर तक चूमा और उसकी चूचियों को गाउन के ऊपर से दबाने लगा.
उसकी चूचियां दबाते हुए फिर एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाने लगा. उसके शॉल को उतार कर फिर उसका गाउन भी उतरवा दिया. वो ब्रा पैंटी में कमाल की माल लग रही थी.
फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े भी उतारे और मैं उसके सामने नंगा हो गया. मेरा लंड उसकी चूत को सलामी दे रहा था. उसके बाद मैं फिर से उससे लिपट गया.
उसकी ब्रा को खुलवाकर उसकी चूचियों को पीने लगा. हम ज्यादा जोर से आवाज नहीं कर रहे थे.
फिर उसकी पैंटी निकाल कर मैंने उसकी चूत में मुंह लगा दिया और वो सिसकारने लगी. मगर दबी आवाज में ही वो खुद को काबू रखने की कोशिश कर रही थी.
फिर मैंने उसको गोद में बिठा लिया और उसके बोबों को चूसा. फिर मैंने उसकी चूत में उँगली दे दी. उसकी चूत में उंगली करते हुए मैं ऊपर से उसके बदन को चूमने चाटने लगा. वो पागल सी होने लगी.
अब उसको भी जोश आ गया. उसने मुझे नीचे बेड पर गिरा लिया और मेरे बदन को चूमने चाटने लगी. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गये. उसने मेरे लंड को मुंह में भर लिया और मैं उसकी चूत में जीभ देकर अंदर तक घुमाने लगा.
दोनों एक दूसरे के चूत और लंड को खाने लगे.
फिर उसकी आग बहुत भड़क गयी और वो धीरे से मेरे कान में बोली- मुझे अब अंदर लेना है प्लीज … जल्दी चोद दो … मेरी चूत मुझे पागल कर रही है.
मैंने उसकी टांगों को उठाया और कंधों पर रख लिया. फिर मैंने उसकी चूत को लंड से सहलाया और वो अपनी चूचियों को मसलते हुए चूत को लंड पर रगड़वाने लगी.
मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर धकेलने की कोशिश की और उसकी गीली चूत में मेरा लंड सरक कर अंदर चला गया. उसको थोड़ा दर्द तो हुआ लेकिन पहली बार की चुदाई वाला नहीं.
मैं जान गया कि ये पहले भी अपने उस पड़ोस वाले लड़के से जरूर चुद चुकी होगी. फिर मैंने पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और फिर उसके ऊपर लेटकर लंड को आगे पीछे करने लगा.
उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट लीं और आराम से चुदने लगी. वो अपने होंठ खोलकर सी … सी … कर रही थी; वो चुदाई की कुछ ज्यादा ही प्यासी लग रही थी.
मैं भी उसकी चूत मारने का पूरा मजा ले रहा था. फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डाला. वो आराम से घोड़ी की पोजीशन में भी चुदी.
अब मैं झड़ने के करीब था. उसकी पीठ पर झुक कर मैंने उसके बूब्स दबाते हुए पूछा- जान … कहां निकालना है? उसने सिसकारते हुए कहा- अंदर नहीं, चूत के ऊपर निकाल लो.
फिर मैंने उसको नीचे पीठ के बल लेटाया और उसकी टांगों के बीच में आकर लंड की मुठ मारने लगा. कुछ ही पल बाद मेरे लंड से वीर्य निकल कर उसकी चूत पर गिरने लगा.
उसकी चूत पर मैंने सारा वीर्य गिरा दिया. उसके बाद एक साफ कपड़े से उसकी चूत को साफ किया. जब हम चुदाई करके बाहर निकले तो मैडम ऊपर सीढ़ियाँ चढ़ रही थी.
मैडम ने पीछे मुड़कर हमें देख लिया और वो मुस्करा दी. मैंने भी मैडम को आंख मार दी. तभी मैंने वेटर बहादुर को आवाज दी और वो तुरंत बाहर आकर बोला- क्या हुआ साहब जी?
मगर फिर वेटर की नजर मैडम पर पड़ी और वो चुप हो गया. मैडम का चेहरा लाल हो गया और वो जल्दी से सीढ़िया चढ़कर ऊपर चली गयी.
मैं और आयज़ा भी अपने अपने कमरे में चले गये.
सुबह मैडम ने आयज़ा से पूछा- क्या करने गयी थी रात को नीचे बेसमेंट में? आयज़ा बोली- जो आप करने गयी थीं, वही.
मैडम आयज़ा को डांटने लगी लेकिन वो डरी नहीं. मैडम उसके घरवालों को बताने की धमकी देने लगी लेकिन आयज़ा भी कहने लगी- आप बताकर देख लो, फिर देखते हैं नुकसान किसका होगा.
जब मैडम को लगा कि ये नहीं दबेगी तो मैडम ने कहा- चल ठीक है, मैं तो वैसे ही डरा रही थी तुझे. मगर तू एक काम कर ना? आयज़ा- क्या मैम, बोलो?
मैडम- विकास के साथ दोनों मिलकर ही चुदाई का मजा क्यों न लें? आयज़ा- ये तो मैं उससे पूछकर ही बताऊंगी.
ये सारी कहानी आयज़ा ने मुझे आकर बताई. मैंने कहा- तुम क्या चाहती हो फिर? आयज़ा- जो तुम्हें ठीक लगे.
फिर मैंने आयज़ा को एक बार और चोदा. चुदाई करके हम काफी देर तक नंगे पड़े रहे. मैंने पूछा- तुमने पहले किससे चुदाई करवाई हुई है क्या, सच बताना?
वो हंसते हुए बोली- क्या करोगे जानकर? मैंने कहा- बताओ, नहीं तो मैं फिर तुमसे कभी बात नहीं करूंगा. वो बोली- मेरे मामा के लड़के ने मेरी सील तोड़ी थी. अब वो यहां नहीं रहता है. वो कनाडा चला गया है.
मैंने पूछा- तो किससे चुदने में मजा आया? वो ज्यादा अच्छे से चोदता है या मैं चोदता हूं? आयज़ा- उसका इतना बड़ा नहीं था. उसका पानी भी जल्दी निकल जाता था. मजा तो तुम्हारे साथ ही ज्यादा आया है. तुमने तो मेरी चूत की गर्मी ही निकाल दी.
फिर मैं बोला- तुम्हें कौन से स्टाइल में चुदना पसंद है? वो बोली- बस जो तुमने किया वही. ऊपर नीचे होकर और घोड़ी बनकर. मुझे लंड चूसना, बूब्स चुसवाना और चूत चटवाना बहुत पसंद है.
वो पूछने लगी- तुम्हें कौन सी पोजीशन में चुदाई करना अच्छा लगता है? मैंने कहा- वही सब जो तुमने बोला.
आयज़ा- और तुम्हारा पानी इतनी देर में क्यों निकलता है? मैं- वो तो मैं योगा करता हूं, इसलिए देर से निकलता है.
उसके बाद मैडम, आयज़ा और मैंने मिलकर शिमला में पूरी मस्ती की.
लौटते वक्त हमने मैडम को भी अपने पास ही बिठाया. कभी मैडम मेरे पास आ जाती थी और कभी आयज़ा.
दोनों से मैंने बस में मुठ भी मरवाई.
मैडम की चुदाई मैंने कैसे की वो मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा.
मगर एक बात मैं कहना चाहता हूं कि आप लड़की की मर्जी के बिना सेक्स मत करो, उसके साथ मर्जी से चुदाई करने में ही पूरा मजा है.
क्लासमेट की चुदाई की ये कहानी आपको कैसी वो मुझे जरूर बताना. आप मुझे कमेंट बॉक्स में या ईमेल में मैसेज करना. कोरोना से बचकर रहें और अन्तर्वासना पर गर्म सेक्स कहानियों का मजा लेते रहें.
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