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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रंजन देसाई है. मेरी उम्र 27 साल है और मैं कोल्हापुर, महाराष्ट्र का रहने वाला हूं. मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. ये मेरी पहली कहानी है जो मैं अन्तर्वासना पर लिख रहा हूं.
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी यह कहानी आज से लगभग आठ साल पहले की है. कहानी को शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को ये बता देता हूँ कि मेरी यह कहानी मेरे और मेरी चाची के बीच हुई एक घटना के बारे में है. उन दिनों मैं बी.कॉम. के आखिरी साल में था. यानि कि मैं अपने फाइनल इयर की पढ़ाई कर रहा था.
आपको बता दूं कि मेरा ज्यादा ध्यान उन दिनों पढ़ाई में नहीं रह गया था. चूंकि वो लास्ट इयर था तो उस साल में मैं ज्यादा समय मस्ती करने में ही बिता रहा था. हर वक्त मैं आवारा घूमता रहता था. इधर उधर मटरगश्ती करता रहता था. अपने फोन पर मैं हर वक्त चुदाई वाली वीडियो देखा करता था.
जवानी भी पूरे जोश में थी तो दिन में तीन बार तो लंड की मुठ हो ही जाती थी. मैंने इंटरनेट पर लगभग सभी पॉर्न साइट के मजे ले लिये थे. उनमें कोई ऐसी पॉपुलर साइट नहीं रह गई थी जहां पर मैंने चुदाई के वीडियो देख कर मुठ नहीं मारी हो. इस तरह से मेरे फोन में मेरे पास चुदाई वाले वीडियो का अच्छा कलेक्शन भी हो गया था.
जब भी मेरा पॉर्न देखने का मन किया करता था तो मैं अपने फोन में सेव किये हुए वीडियो देख लेता था. कई वीडियो तो इतने मस्त थे जिनको देख कर मैं कई बार मुठ मार चुका था लेकिन फिर भी मेरा मन नहीं भरता था. इस तरह से मैं अपने टाइम का पूरा इंजॉय कर रहा था.
लेकिन कहते हैं न कि एक ही काम बार-बार किया जाये तो फिर बोरियत हो जाती है. इसलिए बहुत दिनों तक चुदाई वाले वीडियो देख कर मैं भी अब कई बार बोर हो जाता था. अब मुझे असल में ही चुदाई करनी थी लेकिन मेरे पास चूत का कोई जुगाड़ नहीं था.
फिर वो जुगाड़ भी हो गया. उसी के बारे में इस कहानी में मैं आपको विस्तार से बताने जा रहा हूं कि कैसे मुझे मेरे जवान लंड के लिए एक चूत मिल गई.
यह बात उन दिनों की है जब मेरे घर वाले सभी 5-6 दिन के लिए किसी रिश्तेदार के यहां पर शादी के फंक्शन के लिए जा रहे थे. मेरे एग्जाम की वजह से मैं नहीं जा सकता था. मेरे चाची जी, जो कि हमारे घर के बाजू वाले घर में ही रहती हैं, उनका नाम रूपा था. उन दिनों उनके बेटे की तबियत भी ठीक नहीं थी इसलिए वो भी नहीं जा रही थी. इस वजह से मेरे खाने-पीने का इंतजाम चाची जी के घर पर ही था.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं आप लोगों अपनी चाची के बारे में कुछ बता देना चाहता हूं. मेरी चाची का बदन काफी गोरा है. वो हल्की सी भारी बदन की मालकिन हैं. यानि कि आप उनको मोटी औरतों की श्रेणी में रख सकते हैं. उनकी गांड भी काफी बाहर की तरफ निकली हुई है. मुझे उनके शरीर में उनकी गांड बहुत ही ज्यादा पसंद थी.
जब वो चलती थी तो उनकी गांड ऊपर नीचे होती थी. जिसको एक बार देख लेने के बाद तुरंत ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. लेकिन अभी तक मुझे चाची को छूने का मौका नहीं मिला था.
मैं कई बार चाची की गांड और चूचों के बारे में सोच कर मुठ मार चुका था. वैसे तो चाची किसी हिरोइन से कम नहीं लगती थी. इसलिए मैं उनकी चुदाई का भी सपना देख रहा था मगर अभी तक वो मौका मेरे हाथ आया ही नहीं था.
मेरे घर वालों ने चाची के पहले से बोल दिया था कि मैं भी घर पर ही रहने वाला था. फिर जिस दिन सब लोग शादी में चले गये तो मैं चाची के वहां खाना खाने के लिए गया हुआ था. उस दिन खाना खाते हुए भी मुझे चाची के चूचों की दरार दिख गई तो मुझे अपने घर पर आकर मुठ मारनी पड़ी.
फिर अगले दिन सुबह चाची के यहां पर मैं नाश्ता करने के लिए गया तो चाची ने कहा- जब तुम्हारे घर वाले शादी अटेंड करके वापस नहीं आ जाते तो तुम तब तक मेरे यहां पर ही रुक जाओ. मेरे बेटे की तबियत भी ठीक नहीं है और इस तरह से तुम्हारे यहां पर रहने से मेरी भी कुछ मदद हो जाया करेगी. मैं तो चाची की हर मदद करने के लिए तैयार था. इससे अच्छा मौका मेरे पास और कोई हो ही नहीं सकता था.
चाची ने कहा- यहां रहने से मुझे बार-बार तुमको घर से बुलाना भी नहीं पड़ेगा तो मुझे भी आसानी हो जायेगी. मैंने तुरंत हां कर दी.
फिर मैं अपने कपड़े वगैरह लेकर चाची के पास ही चला आया. अगले दिन मुझे पेपर देने जाना था तो उस दिन चाची सुबह से ही अपने काम में लगी हुई थी. मैं अपना एग्जाम देने के लिए निकल गया.
शाम को जब मैं घर लौटा तो देखा कि चाची सो रही थी. मैंने चाची के चूचे उठे हुए देख लिये. एक बार मन तो किया कि जाकर चाची के चूचों को मैं अभी अपने हाथ से दबा ही दूं लेकिन फिर कुछ सोच कर मैं रह गया.
उस दिन भी जाकर मैंने बाथरूम में अपना लंड हिलाया और माल गिराने के बाद ही मेरा लंड शांत हुआ.
फिर अगले दिन मुझे दूसरे पेपर की तैयारी करनी थी तो मैं तैयारी करने के लिए बैठ गया.
रात को चाची ने अपने बेटे को यानि मेरे चचेरे भाई को खाना खिलाकर सुला दिया उसके बाद हम दोनों ने भी खाना खाया और मैं थोड़ी देर टीवी देखने लगा. तभी चाची भी अपने बर्तन वगैरह साफ करके किचन का काम खत्म करके टीवी देखने चली आई.
बहुत रात होने के बाद चाची ने बोला- चलो अब सोते हैं.
चाचा के घर में दो बेडरूम थे. एक उनका और एक चिल्ड्रन बेडरूम था. मैं चाची के साथ उनके ही बेडरूम में सो गया.
रात को जब मैं पानी पीने के लिए उठा तो मैंने देखा कि चाची की साड़ी उनके घुटनों के ऊपर तक खिसक गयी थी. क्या लग रही थी उनकी गोरी टांगें. ये देख कर मेरे अंदर की अन्तर्वासना जग गयी. इससे पहले मैंने कभी रूपा चाची को ऐसी हालत में नहीं देखा था.
चाची को इस हालत में देख कर तो मेरी नींद और प्यास दोनों उड़ गए. अब मैं चाची के बगल में सोने का नाटक करने लगा और अपना एक हाथ उनकी बॉल पर रख दिया. चाची गहरी नींद में होने के कारण हिली भी नहीं.
मैंने इस बात का फायदा उठाते हुए हल्के से ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बॉल को दबाना चालू कर दिया. थोड़ी देर बाद मैंने आहिस्ता आहिस्ता उनके ब्लाउज के बटन खोलना चालू कर दिया. तब मुझे लगा कि वो जगी हुई है तो मैंने कमरे की लाइट चालू कर दी.
लाइट ऑन होते ही वो डर गई और उन्होंने पता नहीं क्यों मेरा विरोध करना शुरू कर दिया. चाची मुझे गुस्सा होकर पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी. वो कहने लगी- ये सब गलत है. वो मुझसे कह रही थी कि तुम मेरे बेटे के जैसे हो.
लेकिन मेरे अंदर तो हवस जग चुकी थी. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैं उनको बार-बार किस किये जा रहा था. मैं उनके चूचों को दबाता रहा और दो मिनट के बाद ही उन्होंने विरोध करना बंद कर दिया.
शायद ये सब उनके विरोध करने का नाटक ही था. वो भी सेक्स करने के लिए इच्छुक हो रही थी. इसलिए वो इतनी जल्दी अपने हथियार डाल कर मेरी हरकतों का साथ देने लगी. थोड़ी देर बाद जब उनका विरोध कम हुआ वो भी मुझे किस करने लगी.
मैंने उनकी साड़ी उतारना चालू किया. एक-एक करके मैंने चाची को नंगी करना चालू किया. अब वो सिर्फ चड्डी में मेरे सामने थी. मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिये. अब हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे थे. एकदम से चाची ने मेरा लंड हाथ में लेकर कहा- तुम्हारा लंड तो चाचा से भी बड़ा है.
उनके मुँह से लंड शब्द सुनकर मेरे होश ही उड़ गये. मैंने चाची के चूचों के बीच में अपना लंड दे दिया और उनके चूचों की ही चुदाई करने लगा. मेरे अंदर पूरी हवस चढ़ी हुई थी. चाची भी अपने दोनों हाथों से अपने चूचों को दबा कर मेरे लंड को अपने चूचों के बीच में दबा कर मजे से चूचों की मैथुन करवा रही थी. मैंने कई मिनट तक ऐसे ही चाची के गोरे चूचों के बीच में लंड को रगड़ा.
मेरा लंड चाची के होंठों तक पहुंच रहा था. मैं सोच रहा था कि चाची खुद ही मेरे लंड को मुंह में लेने के लिए कहेगी लेकिन चाची मेरे लंड को मुंह में लेने के लिए पहल नहीं कर रही थी. मेरे लंड का बुरा हाल हो गया. मेरे लंड को पहली बार चाची के बदन का स्पर्श मिला था इसलिए मैं हर काम जल्दी ही जल्दी में कर लेना चाहता था.
मैं अब चाह रहा था कि चाची मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसे. लेकिन चाची ने मेरे पानी छोड़ रहे लंड पर रहम नहीं किया और उन्होनों लंड को मुंह में नहीं लिया.
चाची का इंतजार करने के बाद मैंने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और चाची के बालों को पकड़ कर अपना लंड चाची के होंठों पर लगा दिया. एक बार तो चाची मेरे लंड को हटाने का नाटक करने लगी. लेकिन उनको लंड अपने होंठों पर शायद अच्छा लग रहा था.
मैं दो मिनट तक लंड को चाची होंठों पर रगड़ता रहा. फिर मैंने चाची को मुंह खोलने के लिए कहा तो चाची ने अपना मुंह खोल दिया और मैंने अपना लंड चाची के मुंह में दे दिया.
अब चाची ने मेरा लंड मुँह में ले कर चूसना चालू कर दिया. वो बहुत ही मजे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी. अब मेरे मुंह से सीत्कार से निकल रहे थे. आह्ह … चूसो चाची … आहह् … बहुत मजा दे रही हो… उफ्फ … पूरा चूस लो चाची.
इस तरह से मैं चाची को तेजी से अपना लंड चुसवा रहा था. मेरा लंड पूरा का पूरा चाची के गले तक जा रहा था. चाची को लंड चूसने का काफी तजुरबा था इसलिए मेरे लंड को बहुत मजा दे रही थी. दो मिनट तक मैंने खूब मस्ती से चाची के मुंह में लंड देकर चुसवाते हुए मजा लिया. थोडी देर के बाद जब मेरा लंड झड़ने को आया तो मैंने उसे चाची के मुँह से निकाल कर मेरा वीर्य उनके मुँह पर ही गिरा दिया.
वीर्य उनके मुंह पर गिरा तो उनको थोड़ा गुस्सा आ गया. इस बात के लिए मैंने उनसे माफ़ी भी मांगी और उनका सारा मुँह एक कपड़े से साफ कर दिया तो उन्होंने मुझे माफ़ कर दिया.
बाद में उनको उठा कर मैंने बेड पर लिटा दिया और चूत पर मेरा लंड सेट करके अंदर डालने की कोशिश करने लगा. मैंने चूत पर लंड को लगा कर धक्का लगाया लेकिन मेरा लंड चाची की चिकनी चूत पर फिसल जा रहा था. मैंने दो बार कोशिश की लेकिन दोनों ही बार मेरा लंड चाची की चूत पर फिसल गया और सुपारा भी अंदर नहीं जा पाया. मैं हैरान था कि चाची की चूत इतनी टाइट कैसे हो सकती है.
चाची मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगी पर काफी दिनों से उनकी चूत अनचुदी होने के कारण उनको थोड़ा दर्द होने लगा तो उन्होंने मुझे चूत में नारियल का तेल डालने को बोला. तेल डालने के बाद मैं फिर से प्रयास करने लगा. चाची ने मेरा लंड हाथ में ले कर अपनी चूत में डालने का फिर से प्रयास किया. इस बार लंड थोड़ा अंदर चला गया तो चाची को थोड़ा दर्द हुआ. मैं बिना रुके लंड को अंदर बढ़ाता गया.
जैसे जैसे मेरा लंड चाची की अनचुदी चूत में उतर रहा था तो चाची को दर्द होता जा रहा था. दर्द के कारण वो मुझे पीछे धकेलने लगी. मैंने उनको टाइट पकड़ कर उनको किस करना चालू कर दिया. थोड़ी देर इसी पोजीशन में रुकने के बाद चाची ने नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिया तो मैं भी जोश में आकर धक्के लगाने लगा.
चाची ने अब आहें भरना चालू कर दिया. मेरे हर धक्के के बाद उनकी आह आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआअह्ह … ह्हह … ऊऊऊ … ऊईई … ईईइ … मर गई माँ.. की आवाजें चालू हो गई. थोड़ी देर के बाद चाची आवाजें निकालते निकालते ही झड गई. अब उनके झड़ जाने से उनकी सारी चूत गीली हो गई तो मेरा लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने को आया तो चाची से पूछा- मेरा निकलने वाला है तो कहाँ निकालूं? चाची बोली- बहुत दिनों से मेरी चूत प्यासी ही है. तुम अपना माल मेरी चूत में ही निकाल दो. मैं चाची के कहने पर उनकी प्यासी चूत में ही झड़ गया. झड़ने के बाद में निढाल हो कर चाची के ऊपर ही थोड़ी देर पड़ा रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से चाची को किस करना चालू कर दिया. मैंने चाची से बोला- मैं आपकी गांड मारना चाहता हूं. तो वो बोली- मैं आज से पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. जो करना है जैसे करना है कर लो.
जब चाची ने मुझे पूरी छूट दे दी तो मैंने चाची को पलट दिया. ऐसा करके उनकी गांड में नारियल का तेल डाल कर उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी.
चाची को गांड में दर्द होने लगा. वो गांड मरवाने से बचने के लिए दूर हटने लगी. लेकिन मुझे आज हर हाल में चाची की गांड को चोद कर ही रहना था. वो कहने लगी- तुम्हारा लंड तो मेरी गांड को फाड़ कर रख देगा. चाची ने बताया कि आज से पहले उन्होंने कभी अपनी गांड में लंड नहीं डलवाया था.
वो मुझसे कहने लगी- आज गांड को रहने देते हैं और तुम मेरी गांड फिर किसी दिन मार लेना. मगर मैं तो आज ही चाची की गांड मारना चाह रहा था तो मैंने चाची को कहा कि एक बार कर लेने दो तो चाची मान गयी.
फिर मैंने एक तकिया लिया और चाची के पेट के नीचे लगा दिया. तकिया जब पेट के नीचे आ गया तो चाची की गांड थोड़ी सी ऊपर आ गई. थोड़ा नारियल तेल मैंने मेरे लंड पर लगा कर उनकी गांड में डालने की कोशिश की.
जैसे ही लंड का सुपारा चाची की गांड के अंदर गया तो चाची रोने लगी. चाची को सचमुच में बहुत दर्द होने लगा. वो लंड को बाहर निकालने के लिए छटपटाने लगी. मुझसे लंड को वापस बाहर करने करने के लिए मिन्नतें करने लगी. मगर मैं अब बना बनाया खेल बिगाड़ना नहीं चाह रहा था. इसलिए मैंने चाची को शांत करने की कोशिश की. मैं लंड को चाची की गांड में डाल कर उनके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा.
अब चाची का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया था. मैंने दर्द कम होने पर अपने लंड को फिर से गांड में धकेलना शुरू किया. एक जोर का झटका देकर मैंने पूरा का पूरा लंड चाची की गांड में उतार दिया तो चाची चीख पड़ी. लेकिन मैंने उनको पकड़े रखा.
दो मिनट रुकने के बाद जब वो शांत हुई तो मैंने धीरे-धीरे चाची की गांड में अपने लंड को हिलाना शुरू किया. जब मेरा लंड हिलना शुरू हुआ तो चाची को भी मजा सा आने लगा. वो मेरे लंड को गांड में लेने लगी. वो दूसरे तकिये पर अपना मुंह दबाकर पड़ी हुई थी. कुछ ही देर में चाची के मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं.
जब मुझे लगा कि अब चाची मेरे धक्के को झेल सकती है तो मैंने पूरी ताकत के साथ अपना लंड चाची की गांड में पेलना शुरू कर दिया. अब तो चाची मस्ती से मेरे लंड को अपनी गांड में लेने लगी- आह्ह … और जोर से … फाड़ दो मेरी गांड को … आह्ह … इस तरह की आवाजें चाची के मुंह से निकलने लगीं.
कई मिनट तक मैंने चाची की गांड की जोरदार तरीके से चुदाई की तो मेरा माल भी झड़ने को आ गया. मैंने चाची से बिना पूछे ही अपना माल चाची की गांड में उड़ेल दिया और मैं चाची की कमर पर ही ढेर हो गया.
फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम में चले गए और एक दूसरे को साफ करके नंगे ही सो गए. जब मेरी सुबह आँख खुली तो चाची नहा रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर फिर से उनकी चुदाई की और घर वालों के वापस आने तक हम पति-पत्नी की तरह रहे. उन चार दिनों में चाची ने मुझसे अलग-अलग तरीके अपना कर चुदाई करवाई.
चाची की अनचुदी गांड और चूत को चोद कर मुझे बहुत मजा आया. मैं भी बहुत दिनों से अपने लंड को हाथ से ही रगड़ रहा था और चाची ने मेरे लंड की प्यास बुझा दी. जब तक घर वाले वापस आये मैंने चाची को कभी स्नानघर में तो कभी किचन में चोदा. चाची ने भी पूरे मजे से अपनी चूत की प्यास बुझवाई.
फिर हमारे घर वाले वापस आ गये तो मैं अपने घर पर ही रहने लगा लेकिन चाची के साथ मेरे सेक्स संबंध बन गये थे. मुझे जब भी मौका मिलता हैं मैं उनकी चुदाई करता हूँ.
मेरी यह पहली सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे आप मेरे मेल आईडी पर रिप्लाई देकर जरूर बताएं और यदि कहानी को लिखते समय मुझसे कोई भूल हुई हो तो माफ़ करें. [email protected]
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