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दोस्तो, मैं आपका साथी ज़ीशान, आपके सामने फिर से आ गया हूँ. चुदाई की कहानी के ये दो आखिरी भाग हैं, अभी 10वें भाग का मजा लीजिएगा. ये दो भाग आपको हमेशा के लिए याद रहेंगे. इस सेक्स कहानी का भरपूर आनन्द लीजिए. ये दोनों भाग आपकी चुत और लंड का पानी एक से ज्यादा बार निकाल देंगे.
अभी तक आपने पढ़ा था कि हिना आंटी की हसरतों की माँ चोदते हुए मैंने उन्हें शांत कर दिया था. वे मुझसे हार गई थीं और उन्होंने कसम खा ली थी कि आगे से इस तरह की हसरतों से तौबा कर लेंगी.
इसके बाद हम सभी का पहले से तय कार्यक्रम मेरे फार्म हाउस पर चुदाई का मेला लगाने का था. सो हम सभी तयशुदा दिन पर फार्म हाउस के लिए निकल आए. उधर चुदाई के लिए पूल के पास हम सबने व्यवस्था जमा ली थी. अब आगे:
हम सब पूल की ओर बढ़ रहे थे. मैं तीनों की गांड बजा रहा था. पैंटी के ऊपर से उनकी गांड पर हाथ से मारने लगा. उनकी खिलखिलाती सिसकारियां ‘आआह आअह आओआह…’ के मजे आ रहे थे.
हम सभी पूल के पास आ गए. पूल में हमेशा हाफ पानी रहता था. मैंने पंप को ऑन कर दिया. फिर मैंने चाची को अपनी बांहों में उठा लिया और पूल में गिरा दिया. पूल का पानी ठंडा था.
चाची- आआआह ज़ीशान ये क्या कर दिया … बाप रे इतना ठंडा पानी.
वहीं पूल के स्टेप्स पर परवीन आंटी और हिना आंटी भी खड़ी थीं. मैंने उन दोनों को भी पूल में धकेल दिया. हिना- आआआह कितना ठंडा है ये पानी. परवीन- यहां पर काफी पेड़ हैं ना, इसकी वजह से इधर का मौसम ठंडा है.
मैं उनके बीच में कूद गया और तीनों बहनों को पानी में डुबोने लगा.
चाची- अरे छोड़ दे. हिना- आआआह … मैं सांस ले नहीं पा रही हूँ. परवीन- छोड़ दे बेटा … यहां पर इसलिए नहीं आए हैं हम.
मैं मेरी प्यारी चाची को चूमने लगा. उनकी सफेद रंग की टी-शर्ट में सब साफ दिख रहा था. अन्दर पहनी हुई रेड ब्रा भी ठीक से दिख रही थी. मैं चाची के मम्मों को सहलाने लगा. इतने में हिना आंटी ने मुझे खींच लिया और मुझे चूमने लगीं. मैंने उनके मम्मों को ज़ोर से दबा दिया और उनकी टी-शर्ट को उनके जिस्म से अलग कर दिया.
हिना आंटी के 38 के चूचे, उसके ऊपर काले रंग की ब्रा बड़ी मस्त थी. इतने मेरी नज़र परवीन आंटी पर गयी. मैं उनके करीब जाकर उन्हें प्यार से चूमने लगा. परवीन आंटी की 44 की उम्र थी, वो काफी मोटी थीं. मैं उनके बड़े बड़े मम्मों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा. उनकी टी-शर्ट को भी निकाल कर फेंक दिया. उनका नीले रंग की ब्रा थी.
चाची मुझे पीछे से खींच लिया और मेरे लंड पर हाथ रखने लगीं. तभी मुझे याद आया कि पहले दवाई खाना था. मैंने चाची की वाइट टी-शर्ट को निकाल दिया और अन्दर उनकी रेड ब्रा के ऊपर से मम्मों को ज़ोर से दबा दिया. मैं पूल से निकलने लगा.
चाची- कहां जा रहे हो जीशान? मैं- वो दवाई खानी है.
मैं दवाई की टेबलेट्स ले रहा था और वो तीनों पूल में खेल रही थीं. एक दूसरे को चूम रही थीं, मम्मों को मसल रही थीं.
परवीन आंटी ने तो अपनी ब्रा को भी खोल दिया था. मैं पूल के स्टेप्स के ऊपर आया और परवीन आंटी को ऊपर बुलाया क्योंकि वो नंगी थीं, मतलब ब्रा निकाल दी थी. मैंने उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूमा और नीचे लेटा दिया. मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए, सिर्फ अंडरवियर में रह गया था.
मैं बहुत प्यार से उनके मम्मे दबा रहा था. कितने बड़े थे यार. क्या बताऊं मैं … उनके 40 के मम्मों का आप अंदाज़ लगा सकते हो.
फिर मैंने उन्हें चूसना शुरू किया. परवीन आंटी सिसकारियां लेने लगीं- आआआह ऊम्म्म.
उनकी चुदासी आवाजें सुनकर हिना आंटी और चाची अपनी ब्रा निकाल कर ऊपर आ गईं. मेरे मुँह में परवीन आंटी के चूचे थे, तो चाची ने अपने मम्मों को परवीन आंटी के मुँह में रख दिया. हिना आंटी ने अपने बूब्स चाची के मुँह में लगा दिए. फिर सबने मिल कर मुझे नीचे डाल दिया और तीनों मेरे ऊपर आ गईं. वे तीनों अपने चूचे मेरे शरीर के ऊपर रगड़ने लगीं … गालों पर, होंठों पर निप्पल फिराने लगीं. क्या मस्त नज़ारा था यार. मेरे मुँह के ऊपर 6 चूचे थे. मेरा मन कर रहा था कि इन सबको एक साथ चबा लूँ. मैं भी उत्तेजित हो गया था, मैं उनके निप्पलों को काटने लगा था.
हिना- उम्म्ह… अहह… हय… याह… चाची- हहह आआआय्य … परवीन- ऊऊम्म … मादरचोद काट मत.
करीब 15 मिनट हम एक दूसरे को चूसते चूमते रहे. तभी हिना आंटी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और फट से मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया. मैं कुछ समझ पाता कि हिना आंटी ने मेरे लंड को झट से अपने मुँह में ले लिया.
मेरे मुँह से ‘आआआह’ निकल गई. चाची ने नीचे से ये देख लिया कि हिना आंटी मेरा लंड चूस रही थीं.
चाची- सब मज़ा तुम अकेले ही ले लोगी दीदी, हमें भी तो दे दो.
हिना आंटी उठ गयीं और मेरा लंड चूसने के लिए चाची आ गईं. मैं मन ही मन हंस रहा था कि पहले तो चाची को तो लंड चूसना बिल्कुल पसंद नहीं था. लेकिन आज वो मूड में थीं. चाची आज मेरे लंड को अन्दर गले तक लेने लगी थीं. वे इस वक्त बिल्कुल एक पोर्न स्टार के जैसे लग रही थीं.
मैं- आआआह … मजा आ रहा है … और ज़ोर से करो चाची.
इतने में परवीन आंटी उठ गईं- मैं सबसे बड़ी हूँ … तुम हटो, इसके लंड को ठीक से पहले मैं चूसूँगी. परवीन आंटी लंड के करीब आ गईं और अन्दर तक लंड लेकर गले के अन्दर लंड को हिलाने लगीं.
मेरी ‘आआआह..’ की आवाज निरंतर बढ़ रही थी. कोई 15 मिनट सबके चूसने के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था. मैंने परवीन आंटी को हटा दिया. मैं अपने वीर्य को ऐसे बर्बाद नहीं करने वाला था.
परवीन- चलो इसको अच्छे से नहलाते हैं.
पूल में पम्प से पानी गिर रहा था, आंटी लोग मुझे मोटी धार के नीचे ले गए. मैं बिल्कुल नंगा था. मुझे तीनों औरतें ठीक से नहलाने लगीं. सब जगह से मुझे साफ करने लगीं. हिना आंटी मेरी गांड, लंड सब जगह चाट चाट कर साफ कर रही थीं. मेरा लंड एकदम तना हुआ था. मैं कंट्रोल कर नहीं पाया. मैंने सबको आम के पेड़ के पास आने के लिए बोला.
सब लोग चुदाई के लिए छेड़खानी करते हुए चलने लगे. रास्ते में मैंने सबकी पैंटी निकाल दीं. अब हम सब लोग एकदम नंगे थे. बगीचा एकदम सुनसान था. हमारी सांसों के साथ साथ खिलखिलाने और मीठी सिसकारियों की आवाजें आने लगीं. हम पेड़ के नीचे पहुंच गए.
मैंने चाची को पिछले 10 दिनों से चोदा नहीं था, तो मैं पहले चाची को अपने पास खींच लिया. मैंने उन्हें आम के पेड़ के पास खड़ा कर दिया और हिना आंटी को इशारे करने लगा कि हैंड कफ्स कहां हैं? हिना आंटी मेरे इशारे को समझ गईं और हैंड कफ्स लेकर आ गईं.
मैं बोला- चाची के दोनों हाथों को पेड़ की शाखाओं से बाँध दीजिए. चाची- ये क्या कर रहा है? मैं- चाची, आप बस मज़े लो.
चाची बिल्कुल सीधी खड़ी थीं. उनके दोनों हाथ ऊपर की तरफ शाखाओं से बंधे हुए थे. मैं चाची को बिना देर किए ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. मैंने चाची को मेरे हाथों में ऊपर उठा लिया और उनके पैरों से मुझे जकड़ने को कह दिया.
चाची- ये क्या कर रहा है तू? मैं गिर जाऊँगी यार. मैं- कुछ नहीं होगा. बस आप अपने पैरों से मुझे ज़ोर से जकड़ लो.
चाची ने मुझे ज़ोर से पैरों से जकड़ लिया था. ये सब दोनों आंटी लोग देख रही थीं. परवीन आंटी तो चौंक ही गईं- और कितनी कलाएं हैं तेरे पास?
मैं धीरे से अपना लंड चाची के चुत में घुसेड़ने लगा. चाची- आआआह धीरे से..
मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. चाची की कामुक सिसकारियां ज़ोर ज़ोर से निकलने लगीं ‘आआआह ऊऊम्म्म ओहह हहह..’
चाची की इन कामुक सिसकारियों को सुनकर वो दोनों आंटी भी मूड में आ गईं. वे दोनों 69 की पोजीशन में होकर एक दूसरे को चाटने लगीं. अब तीनों औरतों की मादक सिसकारियां मुझे और अधिक उत्तेजित कर रही थीं.
मेरे इर्द गिर्द बस कामुक और चुदासी आवाजों का शोर था. ‘आआआह … हिना और अन्दर तक चाट..’ ‘ऊउफ … ऊऊम्म्म्म. … आआआह..’
रेशमा चाची की आवाज तो मेरे कानों में गूँज रही थी- आह … उम्म … ओहह..
मुझे अब दवाई का असर दिखने लगा था. इस दवाई की वजह से लंड और लंबा सा होने लगा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि लंड फटने वाला है. लंड के हर रग में खून तेज़ दौड़ रहा था. इसी वजह से मैं चाची की चुत ज़ोर ज़ोर से मार रहा था.
चाची ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी थीं- धीरे बेटा प्लीज … आआआह..
मगर धीरे मुझसे हो ही नहीं रहा था. मेरा लंड रुकने वाला नहीं था. परवीन आंटी और हिना आंटी मेरी स्पीड को देखती रह गईं.
चाची- आह बहुत दर्द हो रहा है … धीरे करो ना प्लीज.. मैं- मुझसे नहीं हो रहा है … ये दवाई का असर है चाची..
मैं ज़ोर ज़ोर से चाची की चूत में लंड पेल रहा था. चाची चीख रही थीं- वो मैं झड़ गई … आआआह … ऊऊऊउफ…
इतनी ज़ोर की चुदाई में चाची झड़ गईं. मैं चाची को अपने हाथों से ऊपर उठा कर पकड़े हुए था. इस कारण चाची की चुत में से पानी नीचे पैरों पर भी आ रहा था.
चाची ने तो बहुत मजे ले लिए थे और उनसे अब कुछ भी नहीं होने वाला था. वो बहुत दर्द भी झेल चुकी थीं.
चाची- अब मुझसे नहीं होगा … प्लीज़ छोड़ दे मुझे … और ये हाथ खोल दे. चाची बहुत थक गई थीं. उनकी 15 मिनट तक जोरदार चुदाई चली थी.
मैं- जिसको लंड चाहिए … यहां आ जाओ. दोनों आंटी लपक कर आ गईं. मैंने चाची का लॉक निकालने का बोला. परवीन आंटी खोलने लगीं.मैं पीछे से परवीन आंटी के चूतड़ बजाने लगा … उनसे फट फट की आवाज आ रही थी- आआआह ऊऊम्म्म्म..
मैं उन्हें अपनी बांहों में लेकर चूमने लगा. उनके बड़े बड़े मम्मों को दबाने लगा और उन्हें चूसने भी लगा. मैं एक उंगली उनकी चुत में डालकर हिला रहा था. परवीन- आआआह उउहह … अब डाल भी दे भोसड़ी के..
मैंने लंड को चुत पर निशाना रखते हुए एक जोरदार झटका दिया. एक ही झटके से पूरा लंड अन्दर चला गया. आंटी की चूत काफी बड़ी थी. क्योंकि उन्हें अभी तक 4 बच्चे हो चुके हैं. इस कारण दो लंड भी अन्दर डाले जा सकते थे.
परवीन- आआआह … ऊऊम्म्म … मज़ा आ गया. मैं- मुझे पता है कि आंटी आपकी चूत काफी बड़ी है. इसमें तो दो लंड भी जा सकते हैं. परवीन- हां … 4 बार जो डिलीवरी हुई है. मैं क्या करूँ? और अब दूसरा लंड की ज़रूरत नहीं है … तेरा जो मूसल है. वो मेरी पूरी चुत में फैल गया है … आह एकदम टाइट जा रहा है. मैं- आंटी दूसरे लंड को भी डालते हैं … आपको और भी मज़ा आएगा. परवीन- अब तूने किसको बुलाया है?
मैंने हिना आंटी को डिल्डो लाने को इशारा किया. आंटी मेरे हाथ में डिल्डो लाकर दिया. मैं परवीन आंटी को डिल्डो दिखाने लगा. परवीन- याल्लाह … ये क्या है? इतना बड़ा. … अगर ये है तो कोई लंड की ज़रूरत ही नहीं है. मैं- अब इसको भी साथ में ले लो.
मैं धीरे धीरे डिल्डो को भी आंटी की चुत में घुसाने कोशिश करने लगा. परवीन- आआआह आई … मर गई … रुक जा … प्लीज. मैंने कुछ नहीं सुना … बस ज़ोर से उसको अन्दर कर दिया. आधा डिल्डो चूत में अन्दर चला गया.
परवीन- आआआह मैं मर गई … ऊउफ निकाल दे बेटा प्लीज … आआआह.. मैं- मजा आएगा.
मैं एक और बार ज़ोर से अन्दर डाल दिया, पूरा डिल्डो अन्दर घुस चुका था. मेरा लंड भी अन्दर था. चुत का तो ट्रेन के जनरल डिब्बे जैसा हाल हो गया था.
परवीन- आआआह … क्या कर दिया तूने … निकाल भोसड़ी के इसको..
उन्हें दर्द होने लगा था. मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
परवीन- आआआह … ऊऊऊ ऊऊउफ ओहह … मैं मर गयी प्लीज जीशान.
मैं अब झटके ज़ोर से देने लगा … लंड ज़ोर ज़ोर से पेलने लगा. परवीन- मेरी चुत को तूने भोसड़ा बना दिया मादरचोद. मैं- चुपचाप मजे ले साली रंडी.
मैं ज़ोर ज़ोर धक्के मारने लगा … आंटी की चीख मज़ा में बदलने लगी. फिर मैं एकदम से रुक गया. आंटी ज़ोर से सांस लेने लगीं. तभी मैंने ज़ोर से एक धक्का दिया.
परवीन- आआआ आएय … ऊऊऊऊफ … भैन के लंड … जान ही लेगा साला.
फिर मैं दो सेकंड रुका और फिर एक और ज़ोर का धक्का दे दिया. उनके मुँह से अब ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां आने लगीं. अब उनको भी मज़ा आने लगा. परवीन- आआआह … चोद मादरचोद..
मैं ऐसे ही हर 2 सेकंड में रुक कर एक एक झटका ज़ोर ज़ोर से देने लगा. इसके कारण लंड आंटी की चूत की जड़ तक जाने लगा. कोई 5 मिनट बाद फिर मैं सामान्य तरीके से चुदाई करने लगा. अब मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था.
परवीन- आआहह … आएय … और ज़ोर से और ज़ोर से … मेरी चुत को भोसड़ा बना दिया मादरचोद … आआआह..
मैं और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. आंटी और उत्तेजित होने लगीं. हम दोनों मज़ेदार चुदाई का मजा लेने लगे.
मैं अभी तक दवाई के कारण झड़ा नहीं था, जबकि आंटी झड़ने वाली थीं. परवीन- आआहह … मेरा हो गया.
मैं और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. आंटी मुझे रोकने लगीं- रुक जा बेटा … अब मुझसे नहीं होगा … मैं तो पानी छोड़ चुकी हूँ. मैं- मेरा भी होने वाला है … बस 2 मिनट. परवीन- मुझसे नहीं होगा … मैं मुँह में ले लूंगी.
आंटी ने तुरंत मेरे लंड को चुत से निकाला और मुँह में लेने लगीं. वे बड़ी नजाकत और प्यार से लंड चूस रही थीं. लेकिन इस समय मुझे वो नहीं चाहिए था. मैं उनका मुँह पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. मेरा लंड उनके गले के अन्दर तक जाने लगा. आंटी की चीख अन्दर ही रुकने लगीं ‘आआआह … गूं गूं … गल्प..’
मैं अब झड़ने वाला था. मैंने लंड उनके मुँह से निकाला और उनके मम्मों के ऊपर सारा माल डाल दिया.
मेरा लंड तो झड़ने के बाद भी दवाई के कारण खड़ा ही था. ये करीब 40 मिनट से खड़ा था. हिना आंटी की मासूम निगाहें मुझ पर थीं. उनको अभी तक लंड नहीं मिला था. वो लंड का इंतज़ार करने लगीं.
अब तक शाम हो गयी थी. हम सब नंगे ही फार्म हाउस में बने कमरे के अन्दर जाने लगे. हम चारों ऐसे लग रहे थे, जैसे आदिमानव जंगलों में फिरते हैं.
हम फार्म हाउस के रूम में आ गए और ऊपर छत पर चुदाई के दूसरे राउंड के लिए इंतज़ाम करने लगे.
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