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हेलो नमस्कार दोस्तो जैसा आपने पार्ट 5 मे पढा की शादी में मेरे पापा औऱ सरपंचजी की मुलाकात हुयी थी और फिर उन्होने पापा को रात को हवेली पर रहने के लिये मना लिया। हम चारो यानी सरपंचजी मैं पापा और मम्मी सरपंचजी की गाड़ी में बैठकर हवेली पहुंचे।
मुझे मम्मी और पापा को एक कमरा दिया उसमे एक किंग साइज बेड था यानी हम तीनों एक ही बेड पर सो सकते थे। सरपंचजी हमे उस कमरे में छोड़कर चले गये मम्मी को लगा आज शायद सरपंचजी के साथ वो मजे नही कर पायेगी इसलिये मम्मी थोडा नाराज हुयी उनका चेहरे पर जो आते वक्त खुशी थी वो उतर गयीं थी।
थोड़ी देर बाद पापा को नीचे बुलाने के लिये सरपंचजी ने एक नौकर भेजा पापा के साथ मैं भी उनके पीछे पीछे गया।
मैंने देखा नीचे सरपंचजी कुर्सी पर बैठे थे सामने टेबल पर दारू और चकना पड़ा था। सरपंचजी ने पापा को दारू पीने के लिये बिठाया और दोनों बाते करते करते दारू पी रहे थे।
मैंने देखा सरपंचजी ज्यादा नही पी रहे थे पर पापा एक के बाद एक पेग लगाते जा रहे थे पापा के बातों से लग रहा था कि अब पापा अपना आपा खो बैठे है वो कुछ भी बड़बड़ा रहे थे।
ये सब देखकर मैं वापस अपने कमरे की ओर निकला मैंने देखा कल जो औरत मम्मी को सजा रही थी वो मम्मी के साथ बात कर रही थी वो मम्मी को बोल रही थी कि “कुछ नही होगा तू डर मत मालिक सब संभाल लेंगे तू बस तेरे बेटे को सुला दे मालिक निचे तेरे पती को दारू पिला रहे है”
मेरे आते ही वो औरत कमरे से बाहर निकल गयी और मम्मी मुझे पास लेकर सुला रही थी बोल रही थी कि “जल्दी सो जाओ कल हमे घर जाना है सुबह ”
मम्मी को लग रहा था कि मुझे उनके प्लान के बारे में कुछ नही पता पर मैं सब जानता था। फिर मैंने सोने का नाटक किया थोड़ी देर बाद पापा को लेकर एक नौकर आया।
पापा नशे में धुंद थे उनको कोई होश नही था कि वो कहां है ? क्या बोल रहे है ? बेड पर लेटते ही जल्द ही पापा भी सो गये मैं भी सोने का नाटक कर रहा था।
थोड़ी देर बाद मुझे दरवाजा खोलने की आवाज आयी मैंने देखा मम्मी बाहर जा रही है। मैं चुपचाप लेटा रहा थोड़ी देर बाद मैं उठा धीरे से दरवाजा खोलकर इधर उधर देखा और चल पड़ा उस कमरे की ओर जहां कल मम्मी सरपंच के साथ सोयी थी। उस कमरे के बाहर मम्मी की चप्पल थी और सरपंचजी का बूट था मैं समझ गया कि मम्मी और सरपंचजी अंदर है मैंने उसी छेद से देखा जिस छेद से कल मैंने उनकी चुदाई देखी थी।
मैंने देखा सरपंचजी बेड पर लेटे है और उनके बदन पर बनियान और पैजामा था और मम्मी सरपंचजी के ऊपर थी और दोनों एक दूसरे के ओठो को चूम रहे थे इतने पैशनेटली किस कर रहे थे कि जैसे सालों बाद मिले हो।
मम्मी के बदन पर ब्लैक ब्रा और ब्लैक पैंटी थी मम्मी की नाइटी और सरपंचजी का कुर्ता नीचे जमीन पर पडा था। मम्मी और सरपंचजी बेड से उठे मम्मी सरपंचजी की जांघो पर बैठी थी फिर मम्मीने सरपंचजी की बनियान निकाली सरपंचजी मम्मी की गांड और पीठ सहला रहे थे मम्मी के हाथ सरपंचजी के चेहरे पर थे एकदूसरे को किस करना चालू ही था।
फिर सरपंचजी ने मम्मी के ब्रा का हुक खोला और मम्मी के बूब्स चुसने शुरू किये मम्मी भी सरपंचजी को ऐसे चुसवा रही थी कि वो उनका बच्चा हो एक के बाद एक बूब चूस रहे थे।
फिर सरपंचजी निचे लेट गये और मम्मी सरपंचजी के जांघो से नीचे उतरी और उनके पैजामे का नाड़ा खोलकर सरपंचजी का पैजामा उतार दिया और सरपंचजी को पैरो के बालो को सहला रही थी। फिर सरपंचजी के मजबूत जांघो पर हाथ फेर रही थी जांघो को पर अपने ओठ घूमा रही थी।
और फिर ऊपर आकर सरपंचजी के सीने के बालो में हाथ घुमा रही थी और उनका बालो से भरा हुआ सीना चाट रही थी। मम्मी की इस हरकत के वजह से सरपंचजी अपने आप पर काबू खो बैठे वो आंखे बंद करके आह आह कर रहे थे फिर मम्मी सरपंचजीके ऊपर आकर ओठो को चूम रही थी।
फिर सरपंचजी ने मम्मी को अपने नीचे लिया और मम्मी के ऊपर आये वो भी मम्मी के पैरों से चाट रहे थे मम्मी के जांघो पर किस करने लगे फिर सरपंचजी ने मम्मी की पैंटी उतारी और मम्मी की चूत सरपंचजी के सामने आ गयी।
सरपंचजी ने हाथो से चुत को सहलाना शुरू किया फिर वो मम्मी की चुत चाटने लगे। आज सुबह मम्मी ने शादी के घर जाने से पहले सरपंचजी का लंड चूसा था अब मम्मी की बारी थी सरपंचजी मम्मी की चुत चाट रहे थे। उनकी जीभ से मम्मी के क्लाइटोरिस के साथ खेलने लगे मम्मी अब गरम हुई थी।
फिर सरपंचजी ऊपर आये मम्मी के नाभि के अंदर जीभ डाल रहे थे फिर उन्होने मम्मी के बूब्स चूसना शुरू किया एक बूब दबाते और दूसरा बूब मुह में लेकर चुसते मम्मी फिर से गरम हुयी थी उनके सिसाकरियो की आवाज से पता चल रहा था कि वो अब सरपंचजी का लंड लेना चाहती है।
सरपंचजी ने बिना देर किये फट से अंडरवियर निकाला सरपंचजी का काला लंड अब मम्मी के गोरे गुलाबी चुत के द्वार पर खड़ा था। सरपंचजी ने मम्मी के पैर अपने कंधों पर लिये और एक जोर का झटका मारा चुत के पानी की चिकनाहट की वजह से झट से लंड अंदर गया और मम्मी ने जोर से आह आवाज कर दी कल सरपंचजी मम्मी की आवाज दबा रहे थे पर आज वो दोनों बेशरम बन गये थे।
सरपंचजीने जोर जोर से झटके मारना शुरू किया हर एक झटके के साथ मम्मी की वो मादक आवाजें सरपंचजी का और जोश बढा रही थी। आज सरपंचजी अलग ही मूड में नजर आ रहे थे कल जो प्यार से धीरे धोरे कर रहे थे आज वो जोर जोर से मम्मी की चुत चोद रहे थे।
फिर सरपंचजी बेड पर लेटे और उन्होंने मम्मी को अपने ऊपर ले लिया मम्मी अब सरपंचजी के जांघो पर बैठकर चुत में लंड ले रही थी। नीचे से सरपंचजी धक्के मार रहे थे और ऊपर से मम्मी गांड हिला हिलाकर लंड ले रही थी। फच फच फ़च आवाजे आ रही थी। सरपंचजी मम्मी के बूब्स दबा रहे थे और दोनों का जोश कम नही हो रहा था एकदूसरे के आंखों में आंखे डालकर दोनों एकदूसरे की कामवासना पुरी कर रहे थे।
फिर सरपंचजी उठे और उन्होंने फिर से मम्मी को नीचे लिया पैर कंधो पर लेकर जोर जोर से ठुकाई कर रहे थे। सरपंचजी का लंड जब मम्मी के चुत से टकराता तो थप थप आवाज आ रही थी यानी लंड पूरा चुत में जा रहा था। और सरपंचजी की गोटिया मम्मी के चुत के बाहरी हीसो को लग रही थी थोड़ी देर बाद सरपंचजी झड़ गये उन्होंने अपना सारा माल मम्मी के चुत के अंदर छोड़ दिया और वो मम्मी के ऊपर ढेर हो गये।
मम्मी सरपंचजी के बाहों में थी मम्मी का चेहरा सरपंचजी के बालोवाले सीने पर था और मम्मी उनका हाथ सरपंचजी के सीने पर घुमा रहे थे दोनों के चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी जोरदार ठुकाई के बाद दोनों शांत लेटे थे थोड़ी देर बाद मम्मी सरपंचजी से बाते कर रही थी
मम्मी : आज क्या खाकर आये थे सरपंच बाबू ? रुकने का नाम ही नही ले रहे थे !!
सरपंच : अरे जानेमन तुझ जैसी औरत जब सामने हो तो कुछ खाने की जरूरत नही है
मम्मी : अच्छा जी
सरपंच : हां मेरी रज्जो रानी
मम्मी : मुझे तो लगा था आज हमारा मिलन नही होगा । मुश्किल लग रहा था मनीष के पापा होते हुये कैसे होगा ?
सरपंच : मैंने तो तुझे चोदने के लिये तो उसे हवेली पर लाया था उसे दारू पिलापिलाकर सुला दिया और वैसे भी अगर वो ना आता तो तुझे उठाकर लानेवाला था मैं
मम्मी : कुछ भी बोलते हो उठाकर कैसे लाते मेरे पति के सामने मुझे ??
सरपंच : तू कहे तो मैं उसे तेरे सामने उसको चोदू पर तू डरती बहोत है उससे ।
मम्मी : हां डरना तो पड़ेगा ना हम सबकी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी ना और कोई औरत पती के सामने किसी पराये मर्द के नीचे नही सोती।
सरपंच : हां तेरी बात भी सही है। पर कुछ भी बोल साली तू बड़ी कमाल चीज है पती के सामने उसकी संस्कारी बीवी बनकर रहती है और यहां मेरे साथ रंडी बनके पूरी नंगी होकर चुदवा रही है
मम्मी : (शरमाकर) ऐसा नही है कुछ भी बोलते हो आप !
सरपंच : (मजे लेते हुये) अच्छा जी ऐसा नही है तोगांड उछल उछल कर कौन ले रहा था चुत में लंड हं ?? कुछ भी बोल रज्जो मुझे तू बहोत अच्छी लगती है ।
मम्मी : क्यों ?
सरपंच : तू पूरा मजा लेकर चुदवाती है। तू मर्दको जो चाहिये वो हर मजा देती है और खुद लेती भी है
मम्मी : मजा तो आपभी कम नही देते।
सरपंच : मजा देता हूँ इसलिये तू तड़प रही थी ना मेरे नीचे आने के लिये
ये सुनकर मम्मी शरमाने लगी। फिर सरपंचजी और मम्मी एक दूसरे की बाहों में वैसे ही सो रहे थे मुझे ये डर लग रहा था कि अगर पापा ने मम्मी को सरपंचजी के साथ इस हालत में देख लिया तो क्या होगा??
इसलिये मैं झट से अपने कमरे की तरफ चल पड़ा मैंने देखा पापा सो रहे थे फिर मैं भी उनके बाजू में लेट गया। मेरी आंख लगने ही वाली थी कि हमारे कमरे का दरवाजा किसीने बाहर से खोला।
अब अगले पार्ट में पढिये की कौन आया था हमारे कमरे में ? क्या आगे भी मम्मी की चुदाई होगी या पापा को मम्मी की सच्चाई पता चल जाती है ?
दोस्तो कहानी पसंद आयी हो तो लाइक कीजिये और कमेंट में जरूर बताइये की कहानी कैसे लगी। कोई अगर मुझसे फीडबैक देना चाहता है तो मेल कीजिये या हेंगआउट पर मैसेज कीजिये।
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