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मेरी हॉट सेक्स स्टोरी के पहले भाग छोटे भाई की बीवी के साथ सुहागरात-1 में अब तक आपने पढ़ा कि मेरे छोटे भाई की बीवी मुझसे चुदने के लिए एकदम राजी हो गई थी और उसने पूरी प्लानिंग भी बना ली थी. अब आगे:
अब वो मुझसे बोली- मेरी प्लानिंग तो बन गई. अब आप रिसॉर्ट बुक करो … और हां मुझे जाने से पहले थोड़ा शॉपिंग भी करना है. मैंने हां कर दी.
मैंने नेट से भोपाल के बाहर ग्रीन व्यू रिसॉर्ट में 3 दिनों के लिए एक सुइट बुक कर दिया. फिर ज्योति से पूछा- शॉपिंग पर कब चलना है? ज्योति बोली- तीन बजे निकलते हैं, रास्ते में मॉल में शॉपिंग कर लेंगे. मैंने ओके किया.
अब ज्योति बोली- तो … अब आप जाएं और पैकिंग वगैरह करिए. मैं आंख मारते हुए उठा और ज्योति को फिर एक बार पकड़ने की कोशिश की.
लेकिन इस बार भी ज्योति ने मुझे चकमा दे दिया और बोली- जरूर मिलेंगे … चिंता मत करो मेरे राज … लेकिन सुहागरात की सेज पर ही. फिर मैं निकल गया.
बीच में आनन्द का फोन भी आया कि ज्योति सहेली के यहां कहीं जा रही है. मैंने भी कहा- ठीक है.
कार से घर जाकर 2 बजे तक पैकिंग के काम निपटाए. फिर तैयार होकर ज्योति के घर पर निकल गया. वहां पहुंचा, तो ज्योति के साथ एक और लड़की बैठी थी. ज्योति ने मेरा परिचय कराया. उस लड़की का नाम सुचिता था.
वो बोली- इस से मिलिए … ये मेरी पक्की सहेली सुचिता है. आप इनसे बात कीजिएगा. तब तक मैं आती हूँ. यह बोलकर ज्योति तैयार होने चली गई.
अब सुचिता मुझसे बोली- क्यों जीजाजी, आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले, आखिर ज्योति को प्रपोज करके पटा ही लिया बड़ी हसीन मुलाकात हुई आप दोनों की. मैं अनजान सा बनने की कोशिश करने लगा.
सुचिता बोली- हम दोनों सहेलियाँ आपस में सारी बातें शेयर करती हैं, आप चिंता मत कीजिएगा, ये राज, राज ही रहेगा.
इतने में ज्योति तैयार होकर आ गई. ज्योति काले रंग की साड़ी पहने हुए थी. उस पर कंधा विहीन ब्लाउज़ जो कि गहरे गले और बैक लैस था. पैरों में छनछन करती पायल. एक अलग ही माहौल बन रहा था.
सुचिता बोली- देख लो प्यार से रखना मेरी सहेली को … बड़ी नाजुक कली है. उसने ज्योति को मेरी तरफ धक्का दे दिया. मैंने भी ज्योति को कन्धे से पकड़ा और कहा- आप कहें, तो हमेशा के लिए अपनी बनाकर रख लूं. इस पर दोनों सहेलियां हंस पड़ीं.
पहली बार मैंने स्मूच के अलावा ज्योति को इतना नजदीक से छुआ था. मेरे शरीर में मानो करंट सा लगा.
फिर मैंने ज्योति का बैग पकड़ा और कार में रख कर वापस आ गया. ज्योति दरवाजा लॉक कर रही थी. सुचिता मैं और ज्योति कार तक आए.
सुचिता ने अपनी स्कूटी निकाली और हम दोनों से बोली- बाई … एन्जॉय योर हनीमून … वो आंख मारते हुए निकल गई.
हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी. हम लोग भी कार में बैठकर मॉल की ओर निकल पड़े, तब 4:15 बज चुके थे.
मॉल में पहुंच कर ज्योति ने पहले मेरे लिए एक शर्ट और जीन्स पसंद की फिर हम लेडीज़ कपड़े के सेक्शन की ओर गए. वहां ज्योति ने एक शार्ट फ्रॉक गुलाबी रंग की पसंद की जो काफी हॉट फ्रॉक थी. फिर उसने एक जालीदार नाइटी पसंद की, लेकिन दोनों कपड़े अकेले में ट्राई करके आई.
वो मुझसे बोली- आपके सामने तो रिसॉर्ट में ट्राई करूंगी.
मैं तो सोच रहा था कि 3 दिन जन्नत से कम नहीं रहने वाले हैं.
अपने कपड़े खरीदते समय वो मुझसे बार बार पूछ रही थी कि कैसी है? मेरा हर बार एक ही जवाब होता था. मैं एक आंख मारता और वो मुस्कुरा देती.
शॉपिंग करने के बाद हम दोनों 6:30 बजे करीब रिसॉर्ट की ओर निकल पड़े.
एक घंटे बाद करीब 7:30 बजे हम दोनों रिसॉर्ट पहुंच गए.
हमने चैक इन किया और अपने सुइट में आ गए. वहां जाकर हम दोनों फ्रेश हुए. फ्रेश होने के दौरान काफी बार मैंने ज्योति के पास जाने की कोशिश की. लेकिन उसने मुझको अपने पास भी आने नहीं दिया, वो हर बार बोलती रही कि रात तक सब्र करो.
फिर हम दोनों खाना खाने के लिए बाहर रिसॉर्ट के रेस्टोरेंट में गए. अभी 8:30 बजे थे. मैंने पहले से सुइट को फूलों से सजाने के लिए बुक किया हुआ था, तो मैनेजर मेरे पास आया. उसने एक घन्टे के लिए रूम सर्विस की स्वीकृति ली.
मैंने हां बोल दिया. करीब 10:00 बजे हमें रूम में जाना था, लेकिन ये बात मैंने ज्योति को नहीं बताई थी. ये बात मुझे ज्योति को सरप्राइज देना था.
फिर हम दोनों ने रेस्टोरेंट में खाना ऑर्डर किया … जल्दीबाजी न दिखाते हुए हम दोनों ने आराम से खाना खाया. फिर वापस हम 10:15 रात को अपने रूम के लिए निकले.
मैंने ज्योति से कहा- आप रूम में चलो, मैं आता हूँ. ज्योति के सुइट में चले जाने के बाद मैं वापस रेस्टोरेंट में आ गया. इतने में ज्योति का फोन आया.
ज्योति- अच्छा … तो ये सरप्राइज मेरे लिए छुपा कर रखा था … कुछ भी हो जनाब … बड़े रोमांटिक हो. मैं- सब तुम्हारे लिए है … कैसा लगा सरप्राइज? ज्योति- बस अब मैं जब फोन करूं, तो आ जाना … तुम्हारा सरप्राइज भी तैयार रहेगा. मुझे तैयार होने में आधा घन्टा लगेगा … ओके रखती हूँ, मुझे तैयार होना है. उसने फ़ोन काट दिया.
अब मैं बेसब्री से ज्योति के फोन का इन्तजार करने लगा. इस बीच मैंने कार में जाकर गोल्डन रिंग उठा ली. जो मैं ज्योति को सुहागरात में गिफ्ट देने के लिए लाया था.
फिर 11:05 पर ज्योति का फोन आया … वो बोली- कम इन हनी … योर डॉल इस वेटिंग फ़ॉर यू. मैं भी जल्दी से सुइट की ओर बढ़ा. मैंने रूम को नॉक किया, तो देखा दरवाजा खुला था. मैं समझ गया कि ज्योति ने मेरे लिए दरवाजा खोल रखा है.
मैंने अन्दर जाकर दरवाजा अन्दर से लॉक किया और पलट कर देखा तो सारा रूम रोशनी से भरा था. बेड के चारों ओर पीले फूल की माला बंधी थी और सफेद चादर, जिस पर दिल का आकार बना था. इस दिल की आकृति के एक तरफ राज और दूसरी तरफ ज्योति लिखा था. ज्योति दिल के बीच में बैठी थी.
ज्योति उसी लहंगा चुनरी के जोड़े में थी, जो उसने शादी वाले दिन पहन रखा था. हां लेकिन अभी ज्योति ने बड़ा सा घूंघट ले रखा था. सिर्फ उसके हाथों की उंगलियां दिख रही थीं. सारा समा रंगीन था. मैं आगे बढ़ा और बेड के पास पहुंचा.
ये बेड गोल शेप में था और काफी बड़ा भी था. अब मैं फूलों की माला को हटाकर बेड पर बैठा और ज्योति की तरफ सरका.
ज्योति थोड़ा सिमटी और उसके कंगन की खनक से शन्ति टूटी. मैं ज्योति के एकदम समीप था. ज्योति उस दिल के आकार के फूल के बीच में लहंगा फैलाए बैठी थी. उसके पैर दोनों घुटनों से मुड़े हुए सामने की तरफ थे और हाथ घुटनों पर रखे थे. इस समय ज्योति का घूंघट कुछ ज्यादा ही लम्बा था.
मैंने शुरूआत की और ज्योति के हाथों की उंगलियां पकड़ते हुए कहा- अब तो चांद के दर्शन दे दो. इस पर ज्योति बोली- इस चांद के दर्शन के लिए मुँह दिखाई देनी पड़ेगी. मैंने उसकी उंगली में रिंग डाल दी और कहा- अब तो दे दी मुँह दिखाई, अब तो दीदार करा दो. इस पर वो बोली- मुझे शर्म आती है … खुद ही देख लो.
तुरंत मैंने उसका घूँघट उठाया, पर अगले ही क्षण में उसने अपना चेहरा हाथों से ढक लिया. मैंने कहा- अब हमसे क्या शर्माना. उसके हाथों को मैंने उसके चेहरे से हटाया तो देखा कि आज सचमुच चांद मेरे सामने था. मैंने कहा- आज चांद धरती पर उतर आया है.
मैंने ज्योति के हाथों को अपनी ओर लेकर चूमा और कहा- आई लव यू ज्योति. इस पर उसने कहा- चलो झूठे कहीं के … अगर इतना ही प्यार था, तो आज तक बोला क्यों नहीं … कभी बात करने की कोशिश भी नहीं की. वो तो कल मुझे ही कदम बढ़ाना पड़ा, नहीं तो रह जाते यूं ही. मैंने कहा- बोलता कैसे, तुमने रिश्तों की इतनी बड़ी दीवार जो खड़ी कर दी थी. ज्योति बोली- तो आज तोड़ भी दो सारी दीवार … और हो जाओ दो जिस्म एक जान.
मैंने ज्योति के सर से चुनरी को पूरी तरह सरका के हटा दिया. उसके बाल खुले हुए थे जो कमर तक आ रहे थे. ज्योति की फिगर में पिछले 6 महीने में काफी बदलाव आ गया था.
उसके स्तन जो पहले 32 इंच के थे, अब 36 के हो गए थे. कमर भी गदरायी लग रही थी. गहरे गले का लाल ब्लाउज़ उस पर कयामत लग रहा था. उस ब्लाउज में से उसकी क्लीवेज की लकीर साफ़ दिख रही थी.
ज्योति उस समय गहनों से पूरी तरह सजी थी. अब मैंने उसके गहनों को उतारना शुरू किया.
पहले मैंने उसके हाथों के कंगन उतारे और हाथों को चूमा. फिर माथे की बिन्दिया उतारी और माथे को चूमा लिया. फिर मैंने ज्योति के पीछे से जाकर उसके बालों को एक हाथ से हटाकर उसके गले के हार को खोला. इसके बाद आगे हाथ डालकर हार को अलग किया और पीछे से गर्दन पर होंठ लगा दिए.
इस पर ज्योति की आवाज निकल पड़ी- ओह राज क्या कर रहे हो? मैंने उसकी छाती पर दो उंगलियां भी चलाईं, इस पर ज्योति मेरा हाथ पकड़ते हुए बोली- बड़े नॉटी हो रहे हो.
वो मेरे सामने को हुई, तो मैंने भी ज्योति के पैरों को पकड़ा और उसके लहंगे को थोड़ा सा उठाकर पायल को निकालने लगा. मैंने उसकी दोनों पायलें निकाल दीं. मैं बोला- तो इसी पायल से आप मेरे ध्यान को विचलित करती थीं. इस पर वो बोली- वो तो आपके लिए इशारा था, पर आप कभी समझे ही नहीं.
यह बोलकर ज्योति उठने को बेड पर खड़ी हुई, तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया. उसकी कमर के पास छूकर उसकी कमर की चैन उतार दी. फिर उसकी पतली कमर को पकड़ कर हाथ घुमाया.
ज्योति की हल्के हल्के से मादक आवाजें निकल रही थीं- ओह राज … नहीं बस करो.
कुछ ही देर में ज्योति के सारे गहने निकल चुके थे. मैंने अब ज्योति को बेड पर बैठा दिया और फूलों को उठाकर उसके चेहरे पर फेंका, तो उसने चेहरा घुमा लिया. मैंने एक फूल उठाया और उसके माथे पर छुआते हुए नीचे लाने लगा. उसकी नाक, चेहरा, हाथ … फिर गर्दन और फिर छाती पर रख कर गुलाब को फेरा, तो ज्योति ने अपने आपको और पीछे कर लिया. वो अब लेट गई.
मैं फूल को और नीचे करते हुए उसकी पतली कमर पर फिराने लगा. इस पर ज्योति ने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने भी गुलाब छोड़कर ज्योति का हाथ पकड़ कर एक साइड में कर दिया. उसके होंठों के पास अपने होंठों को ले जाकर देखा, तो उसकी सांसें तेज हो चली थीं.
मैंने भी उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और फिर एक लम्बा चुम्बन किया. मैंने इस बार के स्मूच में उसे हिलने का भी मौका भी नहीं दिया.
बस उसके गुलाबी होंठों को चूसता ही रहा. वो भी मेरे चेहरे पर हाथ फिरा रही थी. उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर मैंने ऊपर नीचे दोनों होंठों को चूसा. फिर अपनी जीभ को उसकी जीभ से मिला दिया. उसकी लाल लिपस्टिक को पूरी चाट गया.
आखिर दस मिनट बाद हम दोनों का स्मूच खत्म हुआ. मैंने ज्योति से पूछा- कैसा लगा? उसने कहा- ये किस मेरी लाइफ की सबसे बढ़िया किस थी. मैं इसे हमेशा याद रखूंगी.
फिर मैं ज्योति के टमाटर जैसे गालों पर किस करने लगा और उसे पूरे चेहरे पर चुम्बन किए. ज्योति बोली- अब बस भी करो.
मैंने नीचे आते हुए गर्दन पर किस करते हुए उसके ब्लाउज़ के ऊपर से उसके स्तनों पर किस करने लगा. ज्योति के दोनों हाथ मेरे सर को सहला रहे थे. मैं और नीचे होते हुए उसकी पतली कमर पर किस करने लगा. उसके पेट की थिरकन बता रही थी कि उसे भी मज़ा आ रहा है.
मैं और नीचे होते हुए अब पैरों पर आ गया और लहंगा हल्का सा उठाकर पैरों पर किस किया.
ज्योति लेटे हुए ही पलट गई. मैं उसे किस करते हुए ऊपर को जाने लगा और उसके हिप्स से होते हुए पीठ तक जा पहुंचा. उसके बालों को पूरे एक तरफ करके मैंने उसकी पीठ किस करना शुरू किया.
फिर उसके ब्लाउज़ की टॉप लेस को खींचा, तो ज्योति कि हंसी निकल पड़ी. मैंने ब्लाउज़ नीचे के हुक भी खोल दिए.
ज्योति फिर से पलट गई और मैं ज्योति के मम्मों पर से ब्लाउज़ को हल्का सा खींचते हुए आजाद करने लगा. इसमें ज्योति ने भी मेरी मदद की और ब्लाउज़ को पूरा निकल जाने दिया.
अब ज्योति मेरे सामने एक रेशमी लाल ब्रा में थी. जिसमें से उसकी क्लीवेज की लकीर दिख रही थी. मैंने तुरंत उसके क्लीवेज पर अपना मुँह रख दिया और किस करने लगा. ज्योति और मैं पूरे बिस्तर पर राउंड राउंड, एक के ऊपर के घूमते हुए एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे.
इसके बाद मैंने ज्योति के लहंगे की तरफ हाथ बढ़ाया और लहंगे के नाड़े को खींच दिया. ज्योति मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.
मैंने अगले ही पल लहंगे को पूरा अलग कर दिया. अब वो मेरे सामने लाल ब्रा और पेन्टी में लेटी थी और अपने बदन को दोनों हाथों से छुपाने की कोशिश कर रही थी.
मैं भी उसके ऊपर आ गया और उसके शरीर को सहलाने लगा. जब मैं अपना हाथ उसकी पैंटी पर ले गया, तो पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी. पैंटी जालीदार होने के कारण मुझे उसकी चुत भी हल्की सी नज़र आ रही थी.
अब ज्योति बोली- भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पैर पड़ती हूँ. मैंने भी कहा- आज तुम्हें कोई भी नहीं बचा सकता मेरे चंगुल से. हम दोनों हंस पड़े.
फिर मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रिप साइड में करते हुए उसके कंधे पर किस करना आरम्भ किया.
मैंने पीछे हाथ डालकर उसकी ब्रा पीछे से खोल दी. फिर जल्दी से नीचे आकर उसकी पैंटी को भी नीचे करके पूरी पैंटी उतार दी. अब ज्योति के पूरे कपड़े उतर चुके थे और वो मेरे सामने नंगी पड़ी थी.
बीच बीच में ज्योति भी मेरे कपड़े उतारती जा रही थी. कुछ ही पलों में मेरे पूरे कपड़े भी उतर चुके थे. हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे.
उसको पूरी नंगी देख कर मैं उसे एक पल रुक कर निहारने लगा. वो शर्माए जा रही थी. फिर उसने अपने मम्मों को अपनी भुजाओं से ढापते हुए लजा कर कहा- ऐसे क्या देख रहे हो … प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है.
मैंने उसे फिर एक बार अपनी बांहों में ले लिया. वो कटे हुए पेड़ की तरह मेरे आलिंगन में समा गई. मैंने उसके मम्मों को चुसना शुरू कर दिया. वो भी मेरे सर को अपने हाथों से दबा कर मुझे अपने दूध चूसने का पूरा मजा दे रही थी.
धीरे धीरे मैंने उसकी कमर पर चूमते हुए उसकी चुत को जीभ से टच किया. उसकी एक आह निकल गई और उसने अपनी टांगें फैला दीं. शायद उसकी ये कामना थी कि मैं उसकी चूत की चुसाई करूं.
मैंने लगभग एक मिनट तक उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटा और फिर मैं 69 में हो गया.
उसने एक पल की देरी नहीं की और मेरा मूसल सा फूला हुआ लंड अपने मुँह में भर लिया. मेरी गोटियों को अपने हाथों से सहला कर वो मेरे लंड को पूरा मजा दे रही थी.
हम दोनों इसी मुख मैथुन की चुदाई में एक बार स्खलित हो गए. इसके बाद हम दोनों लेट गए.
फिर उसने उठ कर सुइट के मिनी फ्रिज से एक बोतल निकाली, जो शैम्पेन की थी. ये उस रिसॉर्ट की तरफ से रुकने वाले मेहमानों के लिए उपहार होती थी या ये उस रिसॉर्ट की तरफ से रुकने वाले मेहमानों के लिए उपहार होती थी या ज्योति ने रूम सर्विस से मंगवाई थी. मुझे नहीं मालूम था.
वो बड़ी मादक अदा से मेरे पास आई, उस बोतल को ओपनर से खोल कर उसको खोला और उसकी पिचकारी को मेरी छाती पर मार दी. मैं उस शैम्पेन के रस से भीग गया.
फिर उसने अपने होंठों से शैम्पेन की बोतल को लगाया और एक लम्बा घूंट भर लिया. वो मेरे करीब आई और उसने अपने मुँह में भरा हुआ घूँट मेरे होंठों से लगा दिया. मैंने मुँह खोला और उस शैम्पेन के घूंट को अपने हलक में उतार लिया.
इसके बाद बोतल को तरफ रख कर वो मेरे साथ गुत्थम गुत्था हो गई. मैंने भी उसे अपने नीचे ले लिया. कुछ पलों की मस्ती के बाद वो मेरे लंड को टटोलने लगी. मैंने उसके हाथों में लंड जाने दिया. अगले ही पल उसने अपनी चुत में मेरे लंड का सुपारा लगा लिया और मुझे इशारा किया. मैंने झटका दिया तो मेरा आधा लंड उसकी चुत में पेवस्त हो गया. उसकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई.
चुदाई की लीला शुरू हो गई. लगभग बीस मिनट की लम्बी चुदाई में वो दो बार तृप्त हुई. फिर मेरे वीर्य को उसने अपने अन्दर आत्सात कर लिया.
उस रात तीन बार सम्भोग का सुख मिला. अगले दो दिन तक वो मेरे साथ हर तरह से संतुष्ट हुई.
अब हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे के जिस्म का मजा लेते हैं.
ये मेरे छोटे भाई की बीवी के साथ मेरे सुहागरात की कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल कीजिएगा. [email protected]
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