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नमस्कार मित्रो … मेरा नाम आलोक चौधरी है. मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में रहने वाला लड़का हूँ.
मैंने अन्तर्वासना की बहुत बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. अन्तर्वासना पर मैं बहुत टाइम से लिखना चाहता था, पहलेपहल काफी संकोच हुआ कि कहीं मेरी गोपनीयता भंग न हो जाए. पर बहुत सारे लेखकों की आपबीती पढ़ने के आज मैंने अपनी सेक्स कहानी को लिख ही दिया. अन्तर्वासना से अच्छा पटल कोई भी नहीं है. यहां अलग अलग लोगों की कहानी पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगता है और साथ ही आनन्द भी खूब आता है.
मैं सोचता रहा हूं कि अन्तर्वासना से जुड़ने से शायद मुझको नए दोस्त मिल जाएंगे. लेकिन खुद अन्तर्वासना बहुत अच्छी दोस्त जैसी है. यहां इतनी कहानियां है कि आपका मन कभी नहीं भरेगा.
मेरे परिवार में पापा मम्मी और बस मैं ही हूँ. हमारे परिवार की जिंदगी सही चल रही है … कहीं कोई परेशानी नहीं है.
सेक्स कहानी शुरू करने से पहले बताना चाहता हूँ कि यह एक समलैंगिक कहानी है. हालांकि मैं अपने आपको गे नहीं मानता हूँ क्योंकि मुझे लड़कियां चोदना भी बहुत पसंद हैं. तब भी मैं इस बात को भी मना नहीं करूँगा कि मुझे गांड मरवाने में भी मजा आता है.
मैंने अपने चचेरे भाई के साथ भी बहुत कुछ किया है और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भी चुदाई का मजा लिया है. मेरी इस सेक्स कहानी पढ़कर यदि आप लोगों का प्रोत्साहन मिला, तो मैं जरूर आपके लिए बहुत कुछ लिखूंगा.
यह कहानी है मेरी औऱ मेरे एक बचपन के दोस्त की. हम दोनों बचपन से साथ रहे हैं.
मेरे दोस्त का नाम रवि वर्मा है. वो दिखने में काफी अच्छा है. उसका रंग एकदम साफ है. वो पतला बहुत है लेकिन मस्त लगता है. मैं थोड़ा मोटा हूं … पर देखने में अच्छा मैं भी लगता हूँ. हम दोनों समय के साथ बड़े होते गए. दोनों जवान हो गए. फिर एक समय ऐसा आया कि हम दोनों बहुत नजदीक आ गए.
एक दिन हम दोनों साथ बैठ कर एक फ़िल्म देख रहे थे, तो उसमें एक सेक्स सीन आया. अब हम दोनों बचपन से साथ रहते आए थे, तो कुछ शर्म नहीं थी.
उसने अपना लंड निकाला और मुठ्ठी मारने लगा. उस समय मैंने उसका लंड पहली बार खड़ा देखा था. इसके पहले मैंने उसका लंड देखा तो था, पर उसे टॉयलेट करते हुए देखा था … उस समय इतना कड़क नहीं दिखता था.
वो लंड हिलाने लगा. अचानक उसको याद आया कि मैं भी पास मैं बैठा हुआ हूं. उसने मुझसे बोला- तू भी अपना हिला ले न …
उसके कहने के बाद मैंने भी बिना शर्म के अपना लंड निकाला और हिलाने लगा. उसका और मेरा लंड लगभग बराबर नाप के थे. बस उसका मुझसे थोड़ा लंबा था और मेरा उससे थोड़ा मोटा था. दो मिनट बाद वो बोला- अबे चल एक दूसरे का हिलाते हैं.
मैंने उसका लंड पकड़ा और हिलाने लगा लेकिन उसने मेरा पकड़ा, तो मुझे बहुत अजीब महसूस हुआ और मैंने अपना लंड छुड़ा लिया. लेकिन उसका हिलाते रहा और दूसरे हाथ से अपना.
अब यह उस दिन हो गया, तो फिर लगभग रोज का खेल हो गया. हम दोनों खाली कमरा देख कर रोज यह करते थे. फिर उसने मुझसे मुँह में लेने को बोला. मैंने कहा- लेकिन तुझे भी लेना पड़ेगा. तो उसने भी हां बोल दिया.
अब मेरे लिए पहली बार था. मैंने उसका मुँह में ले लिया. थोड़ी देर में अच्छा लगने लगा. फिर उसने भी चुम्बन लिया, तो मुझे भी सही लगा.
खेल अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा. कुछ ही दिन में हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे से लिपटने चिपटने लगे.
फिर लंड चूसने की बात आई तो मैंने उससे पहले अपना लंड चुसवाया. फिर मैंने भी उसका लंड चूसा. एक दूसरे की रबड़ी भी चखी.
फिर कुछ दिनों हम दोनों और आगे बढ़े. उसने मुझसे कहा- आज गांड मारेंगे एक दूसरे की. मैंने कहा- ठीक है … लेकिन पहले मैं तेरी मारूंगा. उसने कहा- ठीक है … मार ले.
मैं लंड हिलाते हुए उसकी गांड के छेद पर टिकाया और अन्दर करने की कोशिश की, लेकिन मेरा लंड उसकी गांड के छेद के अन्दर नहीं गया.
फिर उसने कहा- अब मैं कोशिश करता हूँ. यदि मुझसे हो गया, तो तुझे भी बताऊंगा कि कैसे जाएगा.
मैं बेड पर लेट गया सीधा. उसने कहा कि बेड के कोने पर लेट कर एकदम साइड में गांड रख ले.
मैंने वैसा ही किया और उसने मेरे पैर उठा कर अपने कंधे पर रखे और अपने लंड पर थूका और मेरी गांड के छेद पर लगाया.
गांड में लुब्रीकेशन हो गया.
फिर उसने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा और हल्के से आगे ठेला. उसके लंड का टोपा मेरी गांड में अन्दर चला गया. लंड मोटा होने के कारण मेरे को बहुत तेज़ दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ लेकिन साले ने उसी दिन मेरी गांड की सील खोल दी. उसने आज पहले से ही गांड मारने का प्लान बनाया था. क्योंकि उस वक्त घर पर कोई नहीं था.
मेरी निकलती चीख से उसको मानो कोई चिंता ही नहीं थी.
उसने फिर से एक तेज़ का धक्का मारा और पूरा लगभग 6 इंच का लंड अन्दर चला गया. मैं रोने लगा, लेकिन उसकी पकड़ बहुत तेज़ थी और वो धक्के पर धक्के मारने लगा. जिसने भी गांड मरवाई होगी, उसको दर्द मालूम होगा कि क्या हाल होता है.
थोड़ी देर के बाद मैं सामान्य हुआ, तो उसने लंड बाहर निकाला और सीधा लेट गया. वो मुझसे बोला- अब तू इसके ऊपर बैठ जा.
अब मेरा भी दर्द कम हो गया था, तो मैं उसके तने हुए लंड पर बैठ गया. हालांकि लंड पर बैठते वक़्त फिर से दर्द हुआ, लेकिन बहुत कम हुआ.
गांड में लंड लेकर मैं बैठ गया तो उसने कहा कि अबे हिल तो … ऊपर नीचे होते रह. मैं उसके लंड पर ऊपर नीचे होने लगा. इस बार दर्द नहीं था, तो कुछ मजा भी आया.
उसके बाद 5 मिनट तक ऐसे ही गांड चुदाई हुई. फिर उसने मुझे घोड़ी बना दिया. उसने फिर पीछे से एक ही बार में लौड़ा डाल दिया. मेरे तब भी बहुत दर्द हुआ, लेकिन फिर सहते हुए गांड मरवाता रहा. उसने भट भट करते हुए तेज़ तेज़ धक्के मार कर मुझे चोदना शुरू कर दिया. फिर अगले मिनट में चिल्लाते हुए ही उसने मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दिया.
इसी बीच वो मेरा लंड भी सहलाता रहा था. उसके झड़ने के कुछ देर बाद मेरा खड़ा हो गया. इस बार मैंने फिर से कोशिश की. लेकिन मेरा अब भी अन्दर नहीं गया और मैंने हाथ से शांत कर लिया.
अब जब मैं यह सब करवा चुका था, तो फिर कुछ दिनों बाद मैंने अपनी चचेरी बहन के साथ करने की सोचा. वो मेरे घर के पास रहती थी और घर में आती रहती थी.
मेरी चचेरी बहन का नाम कोमल है. और वो कोमल भी है. उसके उस समय पर चुचे तो बहुत छोटे थे. बस यह समझिये कि तब उसके चुचे उग रहे थे. लेकिन उसकी गांड बड़ी मोटी थी. पेट तो लगभग सब लड़कियों का सेक्सी होता ही है. वो मेरे घर आती रहती थी.
एक दिन मेरी मम्मी उसके घर पर गई थीं और वो मेरे घर पर आ गयी. तब मैं लेटा हुआ था, वो आई और मेरे पास लेट गयी. वो मुझसे बातें करने लगी. ठंड का समय था, तो हम दोनों एक ही रजाई में घुसे थे.
मैंने ऐसे ही रजाई में एक हाथ उसके ऊपर रख दिया, जैसे गले लगते हैं. उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया. बात करते करते मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया. यह पहली बार था … मैंने रख कर तुरंत होंठ हटा लिए. उसने कुछ भी नहीं बोला.
मैंने पूछा- कैसा लगा तुझको? उसने कहा- इतनी जल्दी हटा लिया, पता ही नहीं चला. फिर मैंने उससे कहा- अब तू कर और जब तक मन ना भरे, हटाना मत.
उसने मुझे चुम्मी की और बहुत देर बाद मुझे छोड़ा.
दोस्तो, वो मेरा पहला चुम्बन था और पहला चुम्बन कितना यादगार होता है, आप लोग जानते होंगे.
फिर मैंने उसके कपड़ों के अन्दर हाथ डाल कर पूरे शरीर पर हाथ फेरा. उसके टॉप को उतारा और उसके मम्मों को देखे, जो अभी थोड़े ही निकले थे, निप्पल भी बाहर को निकले थे. दोनों निप्पल एकदम अलग अलग साइड बड़े ही मोहक लग रहे थे.
मैंने उसके निप्पल को चूसा और उसके बाद उसके पेट पर आ गया. मुझे उसके पेट को चाटने में बहुत मजा आया. मैंने जीभ से चाट कर पेट गीला कर दिया. उसके बाद मैंने फिर से उसके होंठों को चूसा और बार बार जीभ को चूसा.
मैं उससे बार बार उसकी जीभ बाहर निकालने को बोलता और उसको चूसता.
फिर मैंने उसकी जीन्स उतारी. पैंटी उतारी और देखा कि उसकी चूत पर बाल उग आए थे. मैंने उसकी चूत में बिना कुछ सोचे उंगली डाल दी. चूत थोड़ी गीली तो थी … लेकिन उंगली डालते ही वो चिल्ला पड़ी और उसको शायद बहुत तेज़ दर्द हुआ. इसलिए उसने मेरा हाथ निकाल दिया और दुबारा नहीं डालने दिया.
उसके बाद हमने यह सब बहुत बार किया लेकिन चुत में उंगली उसने दुबारा नहीं करने दी.
हालांकि मुझे उसके शरीर से खेलने का अवसर हर बार मिला. शायद उसे भी अपनी चुल्ल मिटाने के लिए मैं एक सहज साधन सा लग रहा था.
एक टाइम आया, जब मैं मेरी चचेरी बहन और मेरी गांड मारने वाला दोस्त रवि तीनों ने साथ में एक ही बेड पर अकेले वक़्त गुजारा. वो सेक्स कहानी आप लोगों का साथ मिलने पर जरूर लिखूंगा.
दोस्तों मुझको लगभग दो साल बाद होश आया कि यह सब नहीं करना चाहिए था. लेकिन मेरा लंड मुट्ठी मारते मारते टेड़ा हो गया और एक मिनट में पानी भी निकल आता है. ये टाइट भी बहुत कम होता है. मेरा टोपा भी ऐसा है कि उसको टच करता हूँ, तो बहुत सेंसिटिव है. उसको टच तक नहीं कर पाता. किसी को उपाय पता हो, तो मेल जरूर करना.
इन दो सालों में मैंने बहुत कांड करे. सब आगे सुनाऊंगा, अगर आप लोगों का प्यार मिला तो. मैंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भी बहुत कुछ किया, वो भी बताऊंगा. धन्यवाद.
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