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मेरी पड़ोसन की चुदाई स्टोरी के पहले भाग पड़ोसन लड़की के चूतड़ों का दीवाना-1 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी पड़ोस में रहने वाली जवान कुंवारी लड़की को पटाया और उसकी चुदाई की. फिर उसकी शादी हो गयी. उसका पति उसे जम कर चोदता था. ये सब निहारिका रोज मुझसे फोन पर बात करके बताती थी.
फिर दो महीने बाद निहारिका के पापा की मृत्यु हो गई थी. उनको कैंसर था. उसी समय निहारिका भिवानी आयी हुई थी.
फिर एक महीने बाद उसके घर से सब गेस्ट जा चुके थे, तो मैं रात को निहारिका के घर चला गया. मैं कई महीनों बाद उससे मिला था. मेरे जाते ही वो मुझसे गले लग गयी. अब मैं उसको चोद भी नहीं सकता था. वो प्रेग्नेंट थी.
मैं बस उसके साथ बेड पर लेटा रहा और कभी उसके होंठ चूसता और कभी उसकी चुचियों को पीता. कभी उसकी कमर और चूतड़ों पर हाथ फेरता. मैंने निहारिका से कहा- यार, तेरे जाने के बाद मैं बहुत परेशान हो गया हूँ. उसने कहा- इसमें मेरा क्या कसूर है जानू.
मैंने निहारिका के हाथ में लंड देकर उससे मुठ मरवाना शुरू कर दिया. निहारिका मेरा लंड हाथ में लेकर हिला रही थी. मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था. दूसरे हाथ से मैं उसकी चूची मसल रहा था और उसके होंठ चूसता रहा.
निहारिका ने अपना कमीज निकाल दी थी. बस सलवार पहनी हुई थी. वो मेरी मुठ मार रही थी. कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने वाला था और पिचकारी निहारिका की सलवार पर जा गिरी. निहारिका की सलवार मेरे छूटने से गीली हो गई थी, तो जब निहारिका ने सलवार उतारी, तो उसके चूतड़ों के दर्शन मुझे कई महीनों बाद हुए थे. मैंने देखा कि निहारिका के चूतड़ पहले से भी ज्यादा बाहर निकल आए थे और खड़े हो गए थे.
शायद उसके पति ने उसकी गांड की बहुत ज्यादा ठुकाई कर रखी थी. मैं तो देखते ही पागल हो गया था, पर कुछ नहीं कर सकता था, वो प्रेग्नेंट थी.
मैंने निहारिका से कहा- यार तेरा पिछवाड़ा तो पहले से भी ज्यादा सेक्सी हो गया है.. गाँव जाकर क्या खाने लगी है? निहारिका ने कहा- सब पति देव की मेहरबानी है … सुहागरात से ही गांड की चुदाई शुरू कर दी थी. कुछ देर बाद मैं निहारिका के घर से आ गया.
इसके बाद जब तक निहारिका इधर रही, मैं हर रात को निहारिका से मुठ मरवा लेता था.
कुछ महीने बाद निहारिका को एक लड़की हुई थी और वो बहुत खुश थी. अब निहारिका का पति भी उसके पास आ गया था और एक महीने बाद निहारिका को वापस ले गया.
उसके जाने के बाद मेरा मन काफी उदास हो गया था. अब तो उसके खड़े चूतड़ों को याद करके मैं रात को बेचैन हो जाता था. मुझे लगता था कि न जाने कब उसके खड़े चूतड़ों की सेवा लूंगा.
फिर एक दिन निहारिका की माँ ने उसको फोन करके रहने को बुला लिया. पूरे एक साल बाद निहारिका अपने घर आई थी. उसको देखकर मैं काफी खुश हुआ था. उस दिन निहारिका के आने की खुशी मैं मैंने शराब भी पी ली. फिर एक नींद की गोली का पत्ता निहारिका को दिया और उसने अपने घर वालों को देकर सुलाने को कह दिया.
रात को मैं उसके घर गया. निहारिका मुझे अपने कमरे में ले गई. अन्दर जाते ही मैंने निहारिका को बेड पर लिटा लिया और और उसके ऊपर चढ़ गया. उसके पतले होंठ चूसने लगा.
निहारिका को मेरे मुँह से शराब की गंध आ गयी. उसने कहा- तुमने ड्रिंक कर रखी है? मैंने निहारिका से कहा- तू इतने दिनों बाद आई है, तेरे आने की खुशी में पी ली. निहारिका ने कहा- मेरी कसम खाओ आज के बाद कभी नहीं पियोगे.
निहारिका ने मुझे कसम दिलाई और मैं उसको चूसने लगा. उसकी कमीज को निकाला और उसकी दोनों चुचियों को पीने लगा. निहारिका ने मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ रखा था और अपनी छाती से चिपका रखा था. फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल लिया और सलवार को उतार दिया. निहारिका को टेढ़ा लेटा कर अपना लंड उसके चूतड़ों के छेद पर रखा और उसकी पतली कमर को पकड़ कर जोर से झटका दे मारा. मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया और कमर पकड़ कर जोर जोर से शराब के नशे में झटके मारता रहा.
उसके मुँह से तेज आवाजें आने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ्फ …’
मुझे उसके मुँह से निकलती आवाजें और जोश दिला रही थीं. मैं और जोर जोर से झटके मारने लगा. मैं एक साल से उसके खड़े चूतड़ों को चोदने के लिए बेचैन था. आज जी भरके मैंने उसके पिछवाड़े की सेवा ली थी.
एक बार चोदने से मेरी भूख शान्त नहीं होने वाली थी. मैं धकापेल चुदाई कर रहा था. फिर वो झड़ने लगी, पर मैं तो नशे में धकापेल में लगा रहा. काफी देर बाद मैंने भी उसके चूतड़ों में ही रस छोड़ दिया और बीस मिनट उससे चिपट कर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैं नीचे लेटा हुआ था और मैंने निहारिका को अपने ऊपर लेटा लिया. मैंने अपना लंड उसकी गांड में सैट किया दोनों हाथों से उसकी पीठ पकड़ कर झटके पर झटके लगाने लगा. उसके खड़े चूतड़ों को चोद कर मेरे मन को शांति मिली. उस रात निहारिका की सुबह चार बजे तक ठुकाई की.
फिर दो महीने तक मैं निहारिका को ऐसे ही चोदता रहा.
एक दिन जन्माष्टमी का अवसर आया. हमारे यहां जन्माष्टमी के दिन बहुत बड़ा मेला भरता है. निहारिका ने मुझे फोन किया और पूछने लगी- जानू, तुम मेले में जाओगे? मैंने हां कहा, तो निहारिका पूछने लगी- आज मैं क्या पहनूं? मैंने कहा- जिसमें तू बहुत सेक्सी लगे, वो पहन ले.
इस पर वो हंसने लगी और फोन काट दिया. फिर शाम सात बजे मेला शुरू हो चुका था. मैं मेले में निहारिका को ढूंढ रहा था, पर निहारिका अपनी भाभी के साथ रात आठ बजे आई. मैं तो उसे देख कर हैरान रह गया. उसने काले रंग का सूट पहना था और लाल लिपस्टिक लगा रखी थी. बड़ी कयामत लग रही थी उसका ये सूट बहुत फिटिंग का था, इसलिए उसकी चूचियों का उभार मस्त दिख रहा था. जब वो चल रही थी, तो उसकी पतली कमर के साथ हिलते चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे.
मेले में सभी लड़के निहारिका का फिगर देख कर उसपे लाइन मार रहे थे. फिर निहारिका ने मुझसे इशारे में पूछा- कैसी लग रही हूँ. मैंने भी इशारे में कहा- मस्त.
निहारिका अपनी भाभी के साथ घूम रही थी और मैं मेरे दोस्तों के साथ था. मेरे दोस्तों को सब पता था कि मैं रात को निहारिका चोदता हूँ. वो सब मुझे चिढ़ा रहे थे कि यार तेरी तो आज रात को दीवाली ही दीवाली है. मेरे सब दोस्त गांजा पीते थे और वो मुझसे कहने लगे कि ले आज तू भी पी ले. पर मैंने मना कर दिया, तो वो सब कहने लगे- अबे साले आज पीके तो देख, रात को भाभी की मस्त चुदाई करेगा. फिर मैंने भी उनके साथ दो तीन सुट्टे लगा लिए, जिससे मुझे नशा हो गया था.
रात के दस बज गए थे, निहारिका भी घर जा चुकी थी, तो मैंने निहारिका को फोन किया, उससे बोला- जान तुम कपड़े चेंज मत करना, जैसी मेले में दिख रही थी, वैसी ही रहना. उसने कहा- ठीक है. वो समझ गयी थी कि रात को मैं उसको इन्हीं कपड़ों में चोदना चाहता हूँ.
रात को मैं निहारिका के पास गया, तो वो उसी सूट में तैयार खड़ी, मेरा वेट कर रही थी. मैंने जाते ही उसको बेड पर गिरा लिया और चूमने लगा. उसने होंठों पर लाल लिपस्टिक और भी गहरी लगा ली थी. मैं उसके सेक्सी होंठों को चूसने लगा. आज बहुत देर तक मैंने निहारिका के होंठ चूसे थे. उसकी सारी लिपस्टिक चूस गया था.
इसके बाद मैंने उसकी कमीज को निकाला और उसकी ब्रा खोल दी. उसकी चूचियों को जी भर कर मसला और पिया. वैसे तो निहारिका रात को ब्रा और कच्छी निकाल कर सोती थी, पर आज मैंने फोन पर उसको रोक दिया था.
फिर मैंने उसकी सलवार खोली और घुटनों तक नीचे कर दी. आज मैंने उसकी सलवार पूरी नहीं उतारी थी क्योंकि मुझे उसके शरीर पर काली सलवार बहुत सेक्सी लग रही थी और मुझे कुछ ज्यादा जोश चढ़ा रही थी.
फिर मैंने उसकी कच्छी थोड़ी सी नीचे सरका दी थी और उसको टेढ़ा लेटा दिया. फिर अपना लंड उसके चूतड़ों के छेद पर लगा कर उसकी कमर पकड़ कर जोर से धक्का दे मारा.
एक ही बार में मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया. उसके मुँह से ‘उईईई उई ईईईई..’ निकल गयी. पर आज मेरा लंड गांजे के नशे में तन रहा था और मैं धकापेल लंड पेल रहा था. मेरा हर धक्का निहारिका के पिछवाड़े पर लगने से पूरे कमरे में पटपटपट पटपटपट की आवाजें गूंज रही थीं. मेरे हर धक्के से वो हिल रही थी, तो साथ ही उसकी पाजेब और चूड़ियों की छमछम छमछम की आवाज़ गूंज रही थी. मैं धकापेल करने में लगा रहा. आज तो गांजे के नशे में मेरा लंड छूटने को तैयार ही नहीं था, पर मुझे तो मजा आ रहा था.
फिर काफी देर बाद मेरा छूटने वाला था. मैंने निहारिका के चूतड़ों में ही रस छोड़ दिया.
थोड़ी देर आराम करने के बाद वो उठी और मेरे सामने खड़ी होकर सलवार ऊपर करके नाड़ा बांधने लगी. वो मेरे सामने नाड़ा जब बांधती थी, जब उसका मन और चुदने को करता था क्योंकि उसे पता था कि मैं ये देख कर गर्म हो जाता हूँ.
वही हुआ, मैंने उसका नाड़ा खोला और उसको अपने ऊपर लेटा कर लंड पिछवाड़े में डाल कर धकापेल में लग गया. उसकी चूची हर झटके के साथ मेरे मुँह के ऊपर हिल रही थी. गांजे के नशे में दो घंटे तक उसको अपने लंड पर उछालता रहा. हम दोनों का पानी छूटने लगा और फिर वो अपने कपड़े पहन कर सो गई और मैं अपने घर आ गया.
मेरी सेक्स कहानी निहारिका के साथ अब बस यूं ही चल रही है. आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी. [email protected]
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