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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज में पढ़ें कि मैं पति से हो गयी. लेकिन मेरी चूत को लंड चाहिए था. तो मैंने एक लड़के को पटाया. फिर उसके साथ सेक्स की शुरुआत कैसे हुई?
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी के पिछले भाग चूची दिखाकर जवान लड़के की वासना जगायी में आपने पढ़ा कि पति से अलग होने के बाद मेरी चूत लंड मांगती थी. तो मैंने एक लड़के को पटाना शुरू किया.
मेरा काम हो गया. मुझे उसका नाम भी पता चला. मैंने व्ट्सऐप देखा तो उसकी एक बहुत अच्छी सी तस्वीर लगी थी. मैंने तुरंत अपने फ़ोन में सेव कर लिया और उसको मेसेज किया.
कुछ देर बाद उसका भी जवाब आया और इसी तरह कुछ देर तक हम दोनों की बात हुई।
अब आगे अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी:
अब अगले दिन फिर मैं इसी तरह तैयार होकर इंस्टीट्यूट गयी. पर आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था साहिल के पास जाने का।
इसी तरह आधा समय बीत गया.
और जब दोपहर बाद मेरी मैम आयी तो उन्होंने मुझे बुलाया और बोली- आफिस में साहिल के पास चली जाओ. कुछ काम है बुला रहा है। अब मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. मैं समझ गयी कि मेरी चाल काम कर गयी.
मैं तुरंत पहुंच गयी उसके आफिस में! उसने मुझे कुछ लिखने का काम दिया और अपने बगल मेरी कुर्सी लगा दी।
मैं भी उसी के तरफ झुक कर लिखने लगी और वो मुझे ताड़े जा रहा था. इसे मैं समझ गयी थी लेकिन मैंने जानबूझ कर अपनी गर्दन उठा कर उसे देखा नहीं. मैं उसे अपने गदराए, मखमली और उभरे हुए स्तनों को दिखा कर ललचाने लगी।
कुछ देर तक मुझे निहारने के बाद उसका लन्ड में कुछ हरकत होने लगी; जिसको वो हाथ से सही करने लगा.
हाथ लगते ही साहिल का लन्ड पूरा तन गया. उसको उसने अपनी पैन्ट में साइड में कर दिया. लेकिन उसका लन्ड पैन्ट में एक विशाल आकार ले चुका था. वो मेरे हिसाब से 8 इंच से कम का नहीं थी.
वो पूरा तना हुआ साइड में मुझे साफ दिख रहा था. लेकिन ये बात शायद उसको अब तक नहीं पता थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे अलमारी से कुछ निकालने को बोला जो उसके पीछे रखी थी. उसने मुझे चाबी दी और मैं उठ कर निकालने लगी।
जब मैं अलमारी से सामान निकालने लगी तो साइड से मेरी साड़ी का पल्लू उसी की तरफ खुला था जिस पे उसकी नज़र थी. वो मेरी पतली कमर, नाभि को ही निहार रहा था.
और जब मैं ऊपर से सामान उठाने के लिए अपना हाथ उठाती तो साइड से मेरी चूचियों को भी निहार रहा था साहिल!
तरकरीबन एक घंटे तक मैं उसके साथ रही. कुछ बातें भी हुई.
अब मैं उसकी कुर्सी के बगल में खड़ी होकर सब कागज़ स्टेपल करने लगी. तभी वो उठने लगा. वहां से निकलने की जगह एकदम ना के बराबर थी क्योंकि मैं वहीं पर खड़ी थी.
और जैसे ही मैंने देखा कि वो उठ रहा है तो मैं जानबूझकर अपनी गांड और निकाल कर खड़ी हो गयी। मैं हटी नहीं और ना ही उसने मुझे हटने को कहा. बल्कि वो मेरी गांड पर अपना तना हुआ लन्ड हल्का सा रगड़ते हुए निकला. इससे मुझे बहुत अच्छा लगा और कुछ देर बाद वो उसी तरह मेरी गांड से अपना लन्ड सटाते हुए आया भी।
काम हो जाने के बाद मैं अपने क्लास में आ गयी।
इसी तरह कुछ दिनों तक चलता रहा. हमारी अब फ़ोन पे बात भी होने लगी और मैं हमेशा किसी न किसी बहाने से साहिल के आफिस भी जाने लगी।
फिर कुछ दिन बाद मैंने उसको प्रोपोज़ भी कर दिया. उसका जवाब अगले दिन उसने मुझे अपने आफिस में बुला कर दिया. इसके बाद उसने मेरी गाल पर एक किस भी किया.
और इस तरह अब मैं उसकी गर्लफ्रेंड बन गयी.
कुछ दिन तक यही सब थोड़ा बहुत चला. अब जब भी मैं उसके पास जाती तो वो मुझे अपने गले से लगा लेता और मेरे होंठों को भी चूमने लगा।
एक दिन रात में हम दोनों ने थोड़ी अश्लील बातें की. जिसके बाद उसने बोला- ये सब बात मत करो. तो मैं बोली- क्यों? तो उसने बोला- कुछ नहीं.
फिर मेरे बहुत जोर देने पर बोला कि उसका सामान टाइट हो जाता है और फिर उसको मुट्ठ मारना पड़ता है। उसकी बात सुन कर मैं बोली- तुम चिंता मत करो. कल मैं उसको शांत कर दूंगी. वो बोला- कैसे? मैंने कहा- अब वो कल पता चलेगा।
अगले दिन दोपहर के बाद उसके पास गई. तो वो तुरंत उठा. उसने अपने आफिस का दरवाजा बंद कर दिया.
मैं उसके गले लग गयी. और फिर उसके होंठों को बहुत अच्छे से चूसा. उसकी जीभ अपने मुख में डाल कर चूसी. यही काम उसने मेरे साथ भी किया.
मैंने उसका हाथ लेकर अपनी कमर पर रख दिया. उसने पहले तो पीछे से खुली पीठ को सहलाया. फिर मेरी कमर को और फिर मेरी 38 की मोटी गांड को मसलने और सहलाने लगा।
अब मैंने उसके गाल को चूमा. फिर उसके कान पर काटा और चूसा. और फिर उसके गले को अपनी जीभ से चाटने लगी और चूमने वा चाटने लगी.
अब तक उसका लन्ड पूरा खड़ा हो गया था जो आगे से मुझे गड़ने लगा. मैंने उसको और उकसाने के लिये उसके गाल पर एक जोरदार लवबाईट दे दिया. उसके गले पर मेरे दांत का निशान पड़ गया और पूरा लाल हो गया।
अब उसका बुरा हाल हो रहा था. जिसको देखते हुए अब मैंने अपने हाथ में उसका लन्ड लिया और उसको सहलाने, दबाने लगी.
अब आगे मैं ज़मीन में बैठी और उसकी चैन खोल कर जैसे ही उसका लन्ड बाहर निकाला तो उसका लन्ड देख कर मेरी गांड फट गई।
साहिल का लन्ड काफी लम्बा और मोटा था. पहले तो मैंने लंड का टोपा अपनी जीभ से गीला किया और हल्का हल्का उसका लन्ड का टोपा अंदर बाहर करने लगी। अब तक कभी मैंने इतना बड़ा लन्ड वास्तव में देखा नहीं था तो लेने की बात तो दूर है।
मेरी आदत नहीं थी इतना बड़ा लन्ड लेने की क्योंकि मेरे आदमी का लन्ड 4 इंच का था बस! और कभी मैंने उनका लन्ड अपने मुँह में नहीं लिया था.
ये पहला लन्ड था जो मेरे मुँह में घुस रहा था. मैंने पोर्न वीडियो में देखा था कि लड़कियां कैसे इतना बड़ा लन्ड बड़े आसानी से चूस लेती है पूरा अपने मुँह में घुसा कर! उसी तरह धीरे धीरे उसका भी लन्ड मैं अपने मुँह में घुसाती गयी.
मेरा मुँह धीरे धीरे बड़ा खुलने लगा. अंत में उसका आधे से ज़्यादा हिस्सा मेरे मुँह के अंदर गले तक समा चुका था.
अभी भी उसका लन्ड और बचा था अंदर जाने को! लेकिन अब मेरे मुँह में जगह नहीं बची थी, मैं उतना ही लंड चूसने लगी.
करीब 10 मिनट तक साहिल का लन्ड चूसने के बाद उसने एकाएक मेरा सर पकड़ा और एक झटके में अपना पूरा लन्ड मेरे मुँह में घुसा दिया. अब तो मेरा दम घुटने लगा.
लेकिन उसने मुझे छोड़ा नहीं और तेज़ रफ़्तार में वो अपना लन्ड मेरे मुँह के अंदर बाहर करने लगा.
2 मिनट बाद ही मेरे मुँह में जैसे गर्म नमकीन लावा की बाढ़ सी आ गयी. यह उसका वीर्य था जो मेरे पूरे मुँह में भर गया था.
लेकिन अभी भी वो अपना लन्ड मेरे मुँह के अंदर बाहर कर रहा था जिसकी वजह से साहिल का सारा वीर्य मेरे गले के नीचे हो गया.
अब उसके लन्ड की नस और उसके हाथों का मेरे सर पर दबाव धीरे धीरे कम होने लगे। उसने अपना हाथ हटा लिया.
लेकिन अभी भी उसका मूसल लौड़ा मेरे मुँह में था और अभी भी उसमें से वीर्य की कुछ नमकीन बूंदें निकल रही थी. जिसको मैंने आखिर तक पिया और उसका लन्ड अपने मुँह से साफ किया.
उसके बाद मैंने उसका लन्ड बाहर निकाला तो लन्ड मेरे थूक से गीला था. मैंने अपने रुमाल से उसका लन्ड साफ किया और फिर उसका लन्ड वापस उसके पैन्ट में रख कर ज़िप बंद की और खड़ी हो गयी.
अब मैंने उसको होंठों पर एक जोरदार चुम्मा करने के बाद उससे पूछा- कैसा लगा? जिसपे उसने जवाब दिया- बहुत अच्छा।
फिर मैं वहां से चली आई. जिसके बाद से काफी दिन तक मैं हमेशा उसका लन्ड चुस्ती कभी उसके आफिस में तो कभी उसकी टेबल के नीचे बैठ कर और काफी बार वो मुझे बाथरूम में ले जा कर अपना मूसल लन्ड चूसाता और हर बार मैं उसका सारा वीर्य पी जाती।
अब इसी तरह कब दो हफ्ता बीत गये, पता ही नहीं चला। मुझे पहले तो किसी लन्ड की तलाश थी जो अब मुझे मिल चुका था.
लेकिन अब उससे मुझे चुदना भी था. मैंने शाम को साहिल से बात करते हुए सीधे बोल दिया- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा! तुम्हारी सन्तुष्टि तो मैं कर देती हूं लेकिन अब मुझे भी तुम पूरी तरह से संतुष्ट करो। इस पर साहिल जानबूझ कर मुझसे बुलवाने के लिए बोला- कैसे करूँ?
अब मैंने भी उसको एकदम खुले शब्दों में बोला- मुझे तुम्हारे विशालकाय लौड़े से अपनी चूत फड़वानी है। उसको शायद मेरे मुँह से ये सब सुन कर अच्छा लगा; उसने जवाब दिया- ठीक है, मैं देखता हूं. मुझे कुछ दिन का समय दो।
इसी तरह एक और सप्ताह बीत गया.
एक दिन शाम को बात करते हुए उसने बताया- कमरे का इंतज़ाम हो गया है. कब चलना है बताओ? मैं- किसका कमरा है? साहिल- एक दोस्त का है. वो आज अपने गांव जा रहा है, कुछ दिन बाद आएगा. तो मैंने उसके कमरे की चाबी ले ली है।
मैं- तो ठीक है, कल ही चलो फिर! साहिल- ठीक है, कल सुबह तुम मुझे मिलो।
अब हम दोनों ने समय और जगह तय किया और फिर कुछ देर बात करने के बाद मैं सो गई।
अगली सुबह मैं घर में रोज़ की तरह की उठी और नहा कर तैयार हो गयी. मैंने लाल साड़ी पहनी और सब लाल … अंदर बाहर सब लाल पहना.
लाल बिंदी और लाल लिपिस्टिक भी लगाई मैंने! और हॉट लाली अपने बैग में रख भी ली.
मैंने खूब सारी लाल चूड़ियां पहनी और मैंने पायल भी पहनी। मैं बिल्कुल इस तरह तैयार हुई जैसे आज मेरी सुहागरात है.
और ऊपर से मैंने एक बड़ा दुप्पटा बांध लिया जिससे मुझे कोई देख न ले. फिर घर से निकल कर मैंने साहिल की बताई जगह पर पहुंच कर उसको फ़ोन किया.
वो दो मिनट के अंदर बाइक से आया. मैं उसके साथ हो ली और हम दोनों कुछ देर चलने के बाद कमरे पर आ गए।
बाहर बड़ा सा गेट लगा था. साहिल ने मुझे चाबी दी और बोला- खोलो!
मैंने ताला खोलकर दरवाजा खोला और उसने बाइक अंदर कर दिया और गेट बंद कर दिया.
अंदर कमरे का भी ताला खोल कर हम दोनों अंदर आ गए। अंदर एक बेड बिछा था और सामने सोफा था. उधर ही सामने किचन था।
साहिल ने मुझे सोफे पर बैठने को बोला और वो जाकर किचन से मेरे लिए पानी ले कर आया.
अब पानी पीने के बाद मैं खड़ी हुई और उसके सीने से लग गयी।
कुछ देर गले लगने के बाद उसने मेरे पूरे चेहरे को चूमा और फिर मैंने भी उसके पूरे चेहरे को चूमा. फिर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से भींच लिया और उसके होंठों का रस चूसने लगी.
7 – 8 मिनट तक उसके होंठों का रस पीने के बाद उसको अलग किया. तो देखा उसके होंठ एकदम लाल पड़ गए थे क्योंकि शायद मैंने बहुत तेज़ से उसके होंठों को चूमा था. जिसके वजह से साहिल को होंठों पर खून जम गया था.
फिर आगे मैंने उसके गले को खूब अपनी जीभ से चाटा और खूब सारा चूमा. और फिर उसको तड़पाने के लिए जगह जगह उसके गले पर खूब सारा काट लिया. इस वजह से उसकी पूरी गर्दन लाल पड़ गयी और जगह जगह मेरे दांत के निशान पड़ गए थे।
लेकिन वो भी एकदम असली वाला मर्द था. मेरे इतने जंगली और आक्रामक रुख से भी उसने मुझे ऐसा करने न तो रोका, न ही उफ किया. बल्कि अपना पूरा शरीर उसने जैसे मुझसे सौम्प दिया कि जो मेरे मन में हो, वो मैं कर सकती हूँ उसके साथ।
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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी का अगला भाग: जिस्म दिखाकर लिया सेक्स का मजा- 3
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