This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. यह कहानी मेरी यानि साहिल, अनामिका और सोनिया की है. यह कहानी उस समय से शुरू होती है, जब हम तीनों गांव के स्कूल में बारहवीं क्लास में पढ़ते थे. अनामिका सांवली, पतली थी और उसकी चूचियां काफी गठी हुई थीं. सोनिया थोड़ी मोटी, लेकिन एकदम दूध जैसी गोरी थी. उसकी चूचियां काफी बड़ी थीं और गांड के तो क्या कहने थे.
मैं यानि साहिल गोरा, सामान्य कद के साथ पढ़ाई में काफी अच्छा था. उस समय मैं अनामिका से प्यार करता था. कभी कभी लगता था कि वह भी मुझे पसंद करती है, लेकिन कह नहीं पा रही है.
मेरा एक परम मित्र था, सुरेश. सुरेश सोनिया पर लाइन मारता था और सोनिया भी उसे पसंद करती थी. सोनिया ने ही सुरेश को बताया था कि अनामिका मेरे बारे में अक्सर बातें करती है.
हम लोग उस समय नए नए जवान हो रहे थे, इसलिए सेक्स के प्रति हमारा आकर्षण अपनी ऊंचाईयों पर था. मैं हमेशा अनामिका को चोदने के लिए सोचता रहता था. मैं ठरकी तो था ही इसलिए सोनिया या अनामिका की चुत चुदाई के बारे में भी सोचकर मुठ मार लिया करता था.
चूंकि ग्रामीण परिवेश के कारण लड़कों, लड़कियों के बीच ज्यादा बातें नहीं होती थीं, इसलिए हम दोनों ने चूत के बारे में सोचते हुए मुठ मारकर बारहवीं की परीक्षा पास कर ली.
बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद में आगे की पढ़ाई करने के लिए बड़े शहर आ गया और अनामिका, सोनिया ने बगल के शहर के कॉलेज में एडमिशन ले लिया.
उसके बाद से मैंने उन लोगों को कभी नहीं देखा. पांच साल बाद किसी से पता चला कि उन दोनों की शादी हो गयी है. इधर मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और इंजीनियरिंग करने के बाद बहुत बड़ा सरकारी ऑफिसर बन गया. सोनिया, अनामिका की यादें काफी पीछे छूट चुकी थीं.
समय के साथ मेरी भी शादी एक सुंदर लड़की से हो गयी. जिन्दगी अच्छी चल रही थी. मेरे पास पैसा रुतबा सब था. सेक्स लाइफ काफी अच्छी थी. पर मैं ठरकी तो शुरू से ही था तो अपनी बीवी को जमकर चोद लेता था. बीवी भी चुदाई में पूरा साथ देती थी. उसे गांड चुदवाने में बड़ा मज़ा आता था.
मेरी चुदाई का आलम यह था कि बीवी को किचन में चाय बनाते हुए, पीछे से साड़ी उठाकर चूत चाटकर गर्म कर देता था और रसोई में ही उसे कुतिया बनाकर चोद देता था. उसे रसोई में अपनी टांग उठाकर गांड मरवाना बहुत पसंद है. हालांकि उसको लंड चूसना ज्यादा पसंद नहीं था. वो बहुत अनमने ढंग से लंड चूसती थी, लेकिन मैं काफी जोश में उसकी चूत चाटता था.
यूं ही चोदते चोदते कब दो बच्चों का बाप बन गया, पता ही नहीं चला.
विभाग में अब मेरा प्रमोशन हो चुका था. मैं अब और बड़ा साहब बन चुका था, परन्तु प्रमोशन के साथ ट्रान्सफर भी हो गया था. दिल्ली अब मेरा नया कार्यस्थल था.
कुछ ही दिनों में अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गया. नया ऑफिस था और पद भी काफी बड़ा था, इसलिए लोगों से मिलते मिलते कब दो महीने गुजर गए पता ही नहीं चला. हां, लेकिन नई जगह पर भी अपनी बीवी की चुदाई में मैंने कोई कमी नहीं की. मैंने चोद चोद कर उसकी चूत को भोसड़ा बना दिया था और गांड का छेद भी बड़ा कर दिया था.
एक बदलाव भी मैंने अपनी बीवी में देखा कि वो अब बहुत अच्छे से मेरा लंड चूसती थी. कभी तो सुबह-सुबह ही मेरे लंड को चूसकर मेरी नींद तोड़ देती थी और टांगें फैलाकर चुद जाती थी. शायद यह दिल्ली के पानी का असर था.
दिल्ली में जिन्दगी अपनी रफ्तार से चल रही थी. बड़े बड़े बिल्डर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स के बीच मेरा काफी रुतबा था. फाइल क्लियर करवाने के लिए लोग मेरे आगे पीछे लगे रहते थे.. लेकिन में किसी को अनावश्यक परेशान नहीं करता था, इसलिए सब मेरी बहुत इज्ज़त करते थे.
एक दिन महेश नाम का एक कांट्रेक्टर मुझसे मिलने के लिए आया. बातचीत के दौरान पता चला कि वो मेरे ही जिले का है. वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था.
एक दिन वो बहुत परेशान था. पूछने पर बताया कि यदि उसने दो दिन के अन्दर फाइल मेरे से साइन नहीं करायी, तो कंपनी उसे नौकरी से निकाल देगी.
मैंने फाइल देखी, उसमें कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम थी. मैंने उसे इसके बारे में बताया तो मेरे पैर पड़ने लगा. चूंकि वो मेरे जिले का था, मैंने प्रॉब्लम नजरअंदाज करते हुए फाइल साइन कर दी. मैंने उसकी नौकरी बचा दी थी, उसके बाद से वो मेरा भक्त हो गया था.
महेश किसी न किसी काम से मेरे ऑफिस आता रहता था. अब मेरी उससे अच्छी पहचान हो गयी थी. अक्सर लंच भी साथ कर लेते थे.
महेश अक्सर ड्रिंक भी करता था और उसने बताया था कि उसकी बीवी भी साथ में ड्रिंक करती है. इस तरह की बातें दिल्ली में आम हैं. कई बार उसको मैं अपने घर पर भी ले गया था. चूंकि वो हमारे जिले का था, मेरी बीवी भी उसको देवर जैसा मानती थी.
महेश को उसकी कंपनी ने दिल्ली में फ्लैट दिया था, जिसमें वो अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता था. मैं अभी तक उसकी फैमिली से मिला नहीं था.
कहानी में ट्विस्ट तब शुरू होता है, जब महेश ने मुझे बताया कि कंपनी ने उससे फ्लैट वापस ले लिया है और उसे दो दिन के अन्दर फ्लैट खाली करना है.
इतनी जल्दी दिल्ली में फ्लैट का इंतजाम नहीं हो सकता था, इसलिए मैंने अपने रुतबे का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली से थोड़ा बाहर एक रूम के फ्लैट का इन्तजाम करवा दिया और उसको भरोसा दिया कि बहुत जल्दी ही मैं अच्छा सा फ्लैट दिल्ली में दिलवा दूंगा.
महेश और उसकी फैमिली ने चैन की सांस ली. फ़िलहाल उन्हें सर पर छत मिल गयी थी. महेश ने मुझसे क़हा कि उसकी फैमिली मुझको थैंक्स कहना चाहती है, इसके लिए मैं अपनी बीवी को लेकर आज रात उसके घर डिनर पर आऊं.
मैं भी कभी उसकी फैमिली से नहीं मिला था, इसलिए सोचा कि चलो आज मिल लेते हैं. लेकिन बीवी के घर से कुछ लोग आ गए थे, इसलिए उसने कहा कि वो फिर कभी चली जाएगी. इसलिए मैं अकेला ही महेश के घर चला गया.
रात को ठीक आठ बजे मैं महेश के घर पहुंच गया. किस्मत को कुछ और मंजूर था. महेश ने अपनी बीवी से मुझे मिलवाया. उसकी बीवी को देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा.
महेश की बीवी कोई और नहीं बल्कि अनामिका थी, जो मेरे साथ स्कूल में पढ़ती थी. वो पहले से बहुत ज्यादा खूबसूरत हो गयी थी. उसका शरीर गदरा गया था. चुचियां बड़ी-बड़ी और पुष्ट हो गयी थीं. किसी भी तरह वो दो बच्चों की माँ नहीं लग रही थी. घर शिफ्ट करने के कारण उसके बच्चे नानी के घर गए हुए थे.
अनामिका भी मुझे देखकर चौंक गयी थी. लेकिन वो महेश के सामने अनजान बनी रही, जैसे वो मुझे जानती ही नहीं हो. मैं भी अनजान बना रहा और इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया.
हमने खाना खाया और महेश के कहने पर मैंने भी ड्रिंक भी ले ली. आखिर पहला प्यार जो सामने था. अनामिका ने भी ड्रिंक में हमारा साथ दिया. इसके बाद मैं पुरानी बातें सोचते हुए घर आ गया.
घर आकर अपनी बीवी में अनामिका का चेहरा की कल्पना करते हुए दुगने उत्साह से चोदने लगा. आज वो मेरे ऊपर थी. बीवी ने पूछा- क्या बात है, महेश जी ने क्या खिला कर भेजा है? मैंने हंसते हुए कहा- महेश की बीवी ने बहुत अच्छे से स्पेशल खाना खिलाया है. यह कहकर मैंने उसकी चुत में लंड की स्पीड और बढ़ा दी. मेरी बात सुनकर वो भी शरारत के साथ हंसने लगी और अपनी चुचियां मेरे मुँह पर जोर जोर से हिलाने लगी.
मैं और गर्म हो गया और लंड चूत से निकाल कर तुरंत उसकी गांड में डाल दिया. हल्की से सिसकारी उम्म्ह… अहह… हय… याह… भरने के बाद वो गांड में लंड के मज़े लेने लगी. चूत और गांड तो मैं अपनी बीवी की मार रहा था, पर दिल में अनामिका का ही चेहरा घूम रहा था.
मेरी बीवी ने चुदाई से संतुष्ट होकर अपनी गांड ऊपर की और सो गयी.
लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ अनामिका की चुत का नशा ही छाया हुआ था. आलम ये था कि दो घंटे में मेरा लंड फिर सलामी देने लगा. बीवी गांड ऊपर करके सो रही थी. मैंने लंड पर थूक लगाया और गांड में घुसा दिया. बीवी ने अनमने मन से मुझे देखा, फिर गांड हिला कर पूरा लंड गांड में ले लिया. मैं निहाल होकर चुदाई करने लगा.
कुछ देर बाद बीवी ने कहा- अब जगा ही दिया है, तो चूत भी चोद दो ना. फिर मैंने उसकी दोनों टांगें उठाकर चूत चोदी और पूरा माल चूत में छोड़ दिया. फ्रेश होकर मैं भी सोने चला गया. मैं अब किसी तरह अनामिका से मिलने का मौका खोज रहा था.
अगले दिन मेरी बीवी के पीहर से फोन आ गया कि उसकी माँ की तबियत खराब है और उसको बुलाया गया था. मेरी बीवी ने मुझसे कहा- तुम भी मेरे साथ चलो. मैंने कहा- इतनी गम्भीर बात नहीं है. मुझे भी ऑफिस में कुछ काम है. तुम निकल जाओ, मैं बाद में आ जाऊंगा.
उसके जाने के बाद मैं मुझे अब अनामिका दिखने लगी थी. उसकी मदमस्त जवानी मुझे तड़फाने लगी थी.
अगला दिन रविवार का था और महेश को आज ही किसी तरह सामान शिफ्ट करना था. लेकिन कंपनी वालों ने परेशान करने के लिए उसे किसी काम से मुंबई जाने को कहा. महेश ने मुझसे मदद मांगी कि मैं उसके घर का सामान शिफ्ट करवाने में अनामिका की हेल्प कर दूँ.
मेरी बीवी भी उस दिन अपने मायके जा रही थी. अब मुझे अनामिका को चोदने का सपना पूरा होते हुए नज़र आ रहा था. मैंने महेश से कहा- तुम निश्चिन्त रहो. मैं सामान शिफ्ट करवा दूंगा.
मैं सुबह दस बजे अनामिका के यहां चला गया था. महेश और अनामिका ने सामान पैक कर लिया था, सिर्फ सामान को नए फ्लैट में शिफ्ट करना था.
अनामिका इशारों से मुझे देख रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी. हम लोग सामान ट्रक में लेकर नए फ्लैट में चले गए. उसके बाद महेश एक हफ्ते के लिए मुंबई चला गया.
अब मैं और सिर्फ अनामिका फ्लैट में थे. हमने मिलकर सामान को लगाना शुरू किया.
तीन घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अनामिका ने सब सैट कर लिया. उसका किचन भी सैट हो गया था. उसने मुझसे चाय के लिए पूछा. फिर हम दोनों चाय पीने लगे. उसके साथ बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.
सबसे पहले उसने मेरा शुक्रिया किया. उसने बताया कि महेश ने उसे मेरे द्वारा किए गए सारे एहसान के बारे में बताया है. माहौल कुछ हल्का हुआ तो मैंने बताया- मैं तुम्हें स्कूल के समय से ही पसंद करता हूँ. मेरी बात सुनकर वो हंसने लगी. उसने हंसकर कहा- मैं भी तुमको पसंद करती थी. मगर वो स्कूल के समय की बातें थीं.
मैंने अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में बताया.
फिर मैंने पूछा कि उसकी मैरिज लाइफ कैसे चल रही है? मेरी बातें सुनकर थोड़ा परेशान हो गयी. मैंने कहा कि मुझसे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है, आखिर हम स्कूल के समय के साथी हैं.
थोड़ा रिलैक्स होने के बाद उसने बताया कि महेश बहुत परेशान रहता है. उसे हमेशा काम का टेंशन रहता है, इसलिए फैमिली पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता है.
फिर उसने मेरी फैमिली लाइफ के बारे में पूछा. मैंने बताया कि मैं और मेरी पत्नी काफी एन्जॉय करते हैं. मैंने मजाक में कहा- हमारी सेक्स लाइफ भी काफी मजेदार है.
मेरी बात सुनकर वो थोड़ी दुखी सी लगी. शायद उसकी सेक्स लाइफ में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा था. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि शायद महेश काम की वजह से अनामिका की ढंग से नहीं चोद पाता है. बातचीत के क्रम में उसने बताया कि सोनिया भी इसी शहर में रहती है.
यह सुनकर मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया, पर मैंने किसी तरह कण्ट्रोल किया. अनामिका से मैंने कहा- क्या तुम मुझे अब भी याद करती हो? उसने कहा- जब तक तुमको देखा नहीं था, तब तक तो मुझे तुम्हारी कुछ भी याद नहीं आती थी. लेकिन अब मिल गए हो तो शायद तुम्हें भुला ही न सकूंगी. मैंने अनामिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया.
उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- क्या ये सही रहेगा? मैंने कहा- मैं तुमको प्यार करता हूँ और तुमको पाना चाहता हूँ. यदि तुमको मेरा साथ अच्छा नहीं लगा हो, तो मैं तुमको कुछ भी नहीं कहूँगा. यह सुनते ही उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से दबा दिया.
उसका इशारा पाते ही हम दोनों आपस में लिपट गए.
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद हम दोनों के कपड़े पत्तागोभी की तरह निकलते चले गए. वो मेरा साथ पाकर बहुत खुश थी. मैंने उसको जमीन पर ही लिटा लिया और उसके ऊपर छा गया. हालांकि मुझे उसके हर अंग को चखना था. पर मेरी ख्वाहिश को उसने ये कह कर टाल दिया कि अगले राउंड में हम सब कुछ करेंगे, अभी मेरी प्यास बुझा दो.
मैंने अपना कड़क लंड उसकी उफनती चूत में प्रविष्ट कर दिया. उसकी लम्बे लंड के कारण आह निकल गई. कुछ देर बाद धकापेल चुदाई शुरू हो गई. बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी. चुदाई की चरम सीमा पर पहुँचने के बाद मैं उसकी चूत में ही खाली हो गया.
हम दोनों लिपटे पड़े रहे. वो मुझे चूमती रही. उसकी आँखों में मिलन के आंसू थे.
शाम होने को आ गई थी. मुझे भी घर जाने की चिंता नहीं थी. घर पर बीवी जो नहीं थी. मैंने उसे बताया तो वो मुझसे लिपट गई और हम दोनों ने रात को साथ रहने की बात पक्की कर ली.
शाम को बीवी का फोन आया तो मैंने उससे कह दिया- मुझे बहुत काम है मैं देर से घर पहुंचूंगा. उसने भी बताया- मैं कुछ दिन रुकने के बाद ही वापस आऊंगी.
उधर ट्रेन से ही अनामिका के पति का फोन आया तो उसने भी बता दिया कि आपके साहब चले गए हैं. मुझे अभी भी घर का सारा सामान जमाना है.
हम दोनों ने रात को जश्न करने का प्रोग्राम बनाया. मैंने आर्डर करके ब्लैक डॉग की बोतल और खाने का बोल दिया. कुछ देर बाद सब सामान आ गया.
रात को अनामिका के साथ दारू का मजा और उसकी मचलती जवानी का मजा किस तरह उठाया गया, ये सब बहुत ही रसीली कहानी है, जो मैं आप सभी के मेल के बाद लिखूंगा. दूसरे भाग की कहानी का मजा यहीं से शुरू होता है कि कैसे मैंने अनामिका की गांड भी उसके मना करने के बावजूद भी चोदी और अनामिका के यहां सोनिया भी कैसे मिल गयी और उसकी चूत व गांड कैसे मारी.
फिर मेरी बीवी के साथ क्या हुआ. इस सब को पूरे विस्तार से लिखने का मन है, इसलिए आपको ये सब अगले भाग में लिखूंगा.
अगर आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आई, तो प्लीज कमेंट करके मेरा उत्साह बढ़ाएं, जिससे मैं कहानी का दूसरा भाग लिख सकूं.
मेरे ईमेल है. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000