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आज जो बात मैं आप लोगों को बताने जा रही हूं यह मेरी जिंदगी की कड़वी सच्चाई है. मैं ईश्वर की सौगंध खाकर कहती हूं कि मेरे द्वारा लिखी जा रही आपबीती इस कहानी में एक भी शब्द झूठ नहीं है. न ही बनावटी है. मैंने सब कुछ वैसा का वैसा ही लिखा है जैसा मेरे साथ हुआ है।
आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों को दिल से प्यार और शुक्रिया. आप को बता दूं कि अपनी सच्चाई को सभी के समक्ष प्रस्तुत करने और अपनी अंतरंग बातों और दृश्यों को लिखकर सबके सामने रखने का सबसे प्रभावी माध्यम अगर कोई है तो वह है अन्तर्वासना. पाठकों द्वारा मुझे भी बड़ा प्यार और सहयोग मिला.
मेरे जीवन की हर सच्चाई को मैंने आपके सामने अपने शब्दों में लिखा जिसे आपने पढ़ा और सराहा भी, उसके लिए मैं अंतर्वासना व इसके पाठकों का बारम्बार आभार व्यक्त करती हूं।
मेरा नाम बंध्या है. मैं रीवा के पास तपा गांव की रहने वाली हूं. यह वाकया उस समय का है जब मैं अपनी चढ़ती जवानी में आशीष के प्यार में पागल थी. दिन रात मुझे बस आशीष ही दिखता था. वो भी मेरे लिए पागल रहता था और सारा दिन मुझसे बातें करता था.
मेरी उम्र उस समय 19 साल और 4 महीने की हो चुकी है। मैं आशीष से एक बार मिल चुकी थी उसकी बुआ के घर में. उन पलों को याद करते हुए मैं आज भी पसीना-पसीना हो जाती हूं। मुझे आशीष से मिलने का मन करता रहता था, लेकिन कोई जुगाड़ नहीं बना पा रही थी. आशीष जून में मंडीदीप से अपने गांव आ रहा था. आशीष ने ही मुझे बोला था कि बंध्या तुम मुझसे मिलने सतना आ जाओ. मुझे मिलना है तुमसे.
तब मैंने कहा कि देखती हूं, अगर किसी तरह कोई जुगाड़ बनता है तो मैं आऊंगी. मेरा भी मन है कि तुम्हें देखूं. तुमसे मिलूं.
इस तरह बात होते-होते दूसरे-तीसरे दिन मेरे बड़े जीजू घर आए और बोले कि उन्हें चित्रकूट जाना है. जीजू ने बताया कि वो परिक्रमा के लिए जा रहे हैं और सतना में भी थोड़ा काम है तो मैंने तुरंत आशीष को फोन लगा कर यह सब बता दिया. वो बोला- आ जाओ तुम यहां, जब चित्रकूट से लौटोगी तब सतना में मैं तुमसे मिल लूंगा।
मैं तुरंत मम्मी और जीजा से बोली कि मुझे भी चित्रकूट दर्शन के लिए चलना है. वहां पर मैं कभी नहीं गयी थी. मम्मी और जीजा दोनों ने मना किया पर मैंने जिद कर ली. तब मम्मी ने जीजा से बोला- इसे भी ले जाओ, घूम आयेगी वहां।
मेरे जीजा मुझसे उम्र में पन्द्रह साल बड़े हैं और वो मुझे बेटी की तरह मानते थे. न उनके मन में कुछ था और न मेरे मन में। मैं जीजा के साथ बस से चित्रकूट पहुंच गई. हर बार जीजा का फोन लेकर चुपके-चुपके आशीष से बात करती थी आधे घण्टा, एक घण्टा! फिर जब ऐसा मैंने दो तीन बार कर लिया तो जीजा ने पूछा- किसको लगाती हो फोन बंध्या? मैं कहा- सहेली है जीजा, उससे बात करती हूं. वो बोले- ठीक है.
इस तरह करके उसके बाद भी कई बार उससे फोन पर बात की. मगर जीजा ने मुझे बिना बिताए ही उस नम्बर पर फोन लगा दिया तो उधर से आशीष की आवाज आई और जीजा को जब पता चला कि दूसरी तरफ कोई लड़का है तो वो मुझे यह कहते हुए डांटने लगे कि यह सब क्या चल रहा है? तुम मुझसे झूठ बोल रही थी कि किसी सहेली से बात करती हो. जीजा जी मुझसे नाराज से हो गये.
उसके बाद फिर दोबारा से आशीष का फोन आ गया और वो कहने लगा कि बंध्या तुमने फोन लगा कर काट क्यों दिया. मैंने बताया कि मैंने तो अभी फोन किया है. लेकिन वो कहने लगा कि कुछ देर पहले तो तुम्हारा फोन आया था मेरे पास लेकिन तुमने कुछ बात ही नहीं की. मैंने पूछा- तो तुमने क्या कहा फोन पर? आशीष बोला- मैंने तो फोन पर यही बोला था कि बंध्या मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं. मन करता है कि तुमसे लिपटा रहूं. तुम्हारे होंठों को चूसता रहूं. जैसे ही आशीष ने यह सब बात बताई तो मैं घबरा गई क्योंकि जीजा को अब शायद हमारे बारे में सब कुछ पता लग गया था. मैं शर्मिंदा होकर जीजा से नजर नहीं मिला पा रही थी. लेकिन यह सब जानने के बाद भी जीजा ने मुझे फोन देने से मना नहीं किया.
चित्रकूट पहुंच कर हमने वहां पर दर्शन किये और परिक्रमा करने के बाद फिर हम धर्मशाला और किसी लॉज की तलाश करने लगे. मगर सारे ही लॉज भरे हुए थे.
हमने कई लॉज में ट्राई किया लेकिन कमरा नहीं मिल रहा था. मैं साथ में थी तो लॉज वाले बार-बार पूछ रहे थे कि मैं जीजा की क्या लगती हूं. जीजा सबको बता देते कि मैं उनकी साली हूं.
फिर जब हम ढूंढते हुए लॉज में पहुंचे तो वहां पर चार-पांच आदमी रिसेप्शन पर बैठे हुए थे. उन्होंने जीजा से मेरे बारे में पूछा तो जीजा ने कुछ नहीं बताया और मुझे वहां से चलने के लिए कहने लगे.
वो पांचों आदमी मुझे घूर कर देख रहे थे. उनमें से एक ने कहा- माल तो मस्त है. मैंने जीजा को रुकने के लिए कहा. जीजा बोले कि यहां रुकना ठीक नहीं है.
लेकिन मैंने वहां पर बैठे लोगों से पूछा कि कमरा कितने में मिलेगा. वो बोले- कमरे तो सारे फुल हैं लेकिन हम आपके लिए व्यवस्था कर देंगे लेकिन उसके लिए आपको अतिरिक्त चार्ज देना पड़ेगा. मैंने पूछा- कितना चार्ज लगेगा? वो बोले- पांच सौ रूपये एक्सट्रा लगेंगे. आपको एक रूम एक हजार रूपये का पड़ेगा. वैसे अगर आप चाहो तो आपको रूम फ्री में भी मिल सकता है. मगर उसके लिए तुम्हें जीजा-साली के प्रोग्राम में हममें से भी एक को शामिल करना पड़ेगा. मैंने कहा- कौन सा प्रोग्राम? वो बोले- जिस प्रोग्राम के लिए तुम कमरा ले रहे हो मैडम.
जीजा बोले- बंध्या तुम चलो यहां से. हम चलने लगे तो चलते हुए पीछे से एक आदमी ने कहा कि बहुत मस्त माल है जीजा के पास तो. रात में मस्त चुदाई करेगा. अगर आज रात यहां पर रुक जाते तो हमारा भी काम बन जाता. उनकी ये बात सुनकर मुझे समझ आया कि ये किस प्रोग्राम की बात कर रहे थे. अब मुझे भी बुरा लगा क्योंकि मेरे जीजा मुझे बेटी के समान मानते थे. इसलिए वहां पर रुकना हमने ठीक नहीं समझा. हम वहां से निकल गये.
जीजा बोले- अगले लॉज में तुमसे कोई पूछे तो बता देना कि तुम मेरी बेटी हो. अगर हम जीजा-साली बताएंगे तो कोई भी हमें रूम नहीं देगा. मैंने कहा- ठीक है जीजा. अगले लॉज में हमने जाकर पूछा तो वहां पर एक रूम था और उसमें केवल एक ही बेड था. जीजा ने कह दिया कि कोई बात नहीं, यह मेरी बेटी है. हमें कमरा मिल गया. खाने के लिए हमने घर से ही पूड़ी और सब्जी ले रखी थी इसलिए वही खा ली.
खाने के बाद हम लोग सोने लगे क्योंकि जीजा ने बोल दिया था कि सुबह हमें जल्दी उठना है. सुबह हम मंदाकिनी नदी में स्नान करके दर्शन के लिए चलेंगे. उसके बाद हमें बस भी पकड़नी है.
हम सोने लगे. बेड के एक कोने पर जीजा सो रहे थे और दूसरे कोने पर मैं लेटी हुई थी, मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी. जीजा के सोने के बाद मैंने चुपके से उनका फोन लिया और आशीष को लगाया.
आशीष ने जीजा के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि जीजा सो गये हैं. उसेक बाद कुछ देर तक तो हम नॉर्मल बातें करते रहे. फिर उसके बाद आशीष धीरे से रोमांटिक बातें करने लगा. कुछ ही देर में हमारे बीच में खुली चुदाई की बातें होने लगीं. आशीष बोला- बंध्या मेरा मन कर रहा है कि अभी तुम्हारे बिस्तर में आकर तुम्हारे पूरे कपड़े उतार दूं और तुमको नंगी कर दूं और तुम्हारी चूत को चाट लूं.
मेरा यार आशीष जब ऐसी सेक्स की बातें कर रहा था तो मुझे भी कुछ होने लगा था. मैं तो भूल गयी थी कि जीजा मेरे साथ ही सो रहे थे. मैं आशीष की बातों में खो सी गयी. उससे मैं भी खुल कर बातें करने लगी. आशीष मुझे खुल कर बोलने के लिए मजबूर कर रहा था. मैंने कहा- मेरा मन भी कर रहा है कि मैं तुम्हारा लौड़ा लेकर मुंह में भर लूं. तुम्हारे लंड को चूसने का मन कर रहा है आशीष. आशीष भी उत्तेजित हो चुका था.
वो बोला- बंध्या अपनी पैंटी उतार दो. मैंने लोअर पहनी हुई थी जिसे मैंने नीचे करके अपनी चूत को नंगी कर लिया. मैंने कहा- आशीष मैं नंगी हो गई हूं. तुम मेरे ऊपर आकर मेरी चूत को चोद दो. आह्ह … आशीष बोला- तुम अपनी चूत में उंगली डाल कर ऐसी कल्पना करो कि वह मेरा लंड है जो तुम्हारी चूत में जा रहा है. उसके कहने पर मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी. आशीष और मेरे बीच में लगभग हर दिन फोन पर इसी तरह का सेक्स होता था. मुझे फोन पर आशीष से चुदवाते हुए मजा आता था.
मेरा बदन टूटने लगा और मैं मचलने लगी.
तभी पीछे से जीजा ने आकर मुझे पकड़ लिया. उन्होंने मेरे हाथ को चूत से हटाया और अपने हाथ की उंगली मेरी चूत में डाल दी. उंगली घुसते ही मैं उछल पड़ी. लेकिन मैं कुछ बोल नहीं सकती थी. जीजा ने अपनी पैंट खिसका कर उतार ली और अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
वो पीछे से मेरी गांड में अपना लंड घुसाने लगे. जीजा का लंड मेरी गांड पर रगड़ रहा था. मगर अभी तक मेरी गांड के छेद पर सेट नहीं हो पाया था. दूसरी तरफ से आशीष बोला- क्या हुआ? मैंने कहा- अब मैं फोन रख रही हूं, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. आशीष बोला- तुम्हें मेरी कसम है फोन मत रखना. मुझे तुम्हारी सेक्सी आवाज ऐसे ही सुननी है.
पीछे से जीजा भी मेरे कान में आकर बोले- हां, तुम अपने यार से ऐसे ही बात करती रहो, उसे भी सुनने दो तुम्हारी तड़प. मैं तुम्हें आज जन्नत दिखाऊंगा. जीजा ने मरी पैंटी और लोअर को निकाल दिया, फिर मेरी टांगों को फैला कर एक बार मेरी फूली हुई चूत को देखा और जीभ लगा कर उसको चाटने लगे. जीजा बोले- तुम तो बहुत चुदवाती हो बंध्या, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल गीली और फूली हुई है. कितनों से चुदवाती हो?
मैंने कहा- किसी से नहीं. आशीष बोला- क्या बोल रही हो? मैंने कहा- कुछ नहीं, मेरा चुदवाने का बहुत मन कर रहा है. मैं क्या करूं? आशीष बोला- तुम्हारे जीजा कहां हैं? मैंने कहा कि वो सो रहे हैं.
आशीष ने कहा कि उनसे ही चुदवा लो. अगर तुम जीजा से चुदवाओगी तो मैं भी बुरा नहीं मानूंगा. मैंने कहा- वो मुझे बेटी की तरह मानते हैं. वो मुझे नहीं चोद सकते. वो उम्र में मुझसे 15 साल बड़े हैं. वो बोला- एक बार बस तुम उनको नंगी दिख जाओ. फिर तो तुम्हारा बाप भी तुम्हें चोद देगा.
मैंने कहा- तुम बहुत कमीने और गंदे हो आशीष. मैं सिर्फ तुमसे ही करवाऊंगी. मैं तुमसे प्यार करती हूं. मेरा बहुत मन कर रहा है कि तुम अभी आकर मुझे चोद दो. वो बोला- ठीक है. तुम उंगली से ही चुद लो. मस्ती से उंगली करती रहो नहीं तो तुम्हारी हालत खराब हो जायेगी. वरना मेरी बात मान और अपने जीजा से चुदवा ले. मैंने कहा- ऐसे कैसे चुदवा लूं. मेरी हिम्मत नहीं है उनसे चुदवाने की. मैंने कभी इस बारे में सोचा भी नहीं है. वो बोला- तुम बस उनसे एक बार लिपट जाओ, वो खुद ही तुझे चोद देंगे. एक बार ट्राई तो करो.
तभी जीजा ने मेरी चूत में उंगली डाल दी. मैंने फोन हटा कर चिहुंकते हुए कहा- जीजा, क्या कर रहे हो, चूत में उंगली घुस गई है. अब मैं क्या करूं?
तभी जीजा ने मुझे इशारा किया. मैंने कहा- आप फोन पर कुछ मत बोलना, आशीष को सब सुनाई दे रहा है दूसरी तरफ. इतने धीरे से करो ताकि उसको कुछ भी पता न चले. मैं उससे प्यार करती हूं. जीजा बोले- साली, तू तो फ्रॉड है. कितना नाटक करती है तू आशीष के सामने. मुझे तो लगता है कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड भी तेरे जैसा ही है. वो भी पता नहीं कितनी लड़कियों को चोद चुका होगा.
तभी जीजा ने मेरा टॉप उठा दिया और मेरी नाभि को चाटने लगे. वो मेरी तरफ देखने लगे तो मुझे शर्म आने लगी क्योंकि वो मेरे पापा जैसे थे.
जीजा बोले- ऐसे क्या देख रही हो. तुमने मुझे पहली बार देखा है क्या? अभी आधे घंटे पहले तक तो तू मेरी बेटी जैसी थी. मैंने कभी सपने में भी तेरे बारे में ऐसा नहीं सोचा था. मैं सच बता रहा हूं. लेकिन जब तूने अपने प्रेमी से बात करना शुरू किया तो मेरी नींद अचानक ही खुल गई. तेरी बातें मेरे कान में आने लगी. मुझे पहले तो गुस्सा आया लेकिन फिर मैंने सोचा कि देखूं तो सही ये क्या-क्या कर रही है. जब तुम्हारी चुदाई की बातें शुरू हुईं तो मेरा मन भी डोलने लगा. मैं धीरे से तुम्हारी तरफ घूम गया था और तुझे ही देख रहा था. तेरी उठी हुई मस्त गांड देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. जैसे ही तू अपने ब्वॉयफ्रेंड से बातें करते हुए अपनी लोवर को नीचे करने लगी तो मेरा होश बेकाबू होने लगा. पहली बार मेरा मन तुझे चोदने को करने लगा. फिर तूने जैसे ही पैंटी को खिसकाया तो तेरी नंगी गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं पीछे से आकर तुझसे लिपट गया. मुझे तो आज पता चला कि तू तो कयामत है. बहुत बड़ी चुदक्कड़ है. तेरी दीदी तो तेरे सामने कुछ भी नहीं है. लगता है कि तू अपनी माँ पर गई है. तेरी माँ यानि कि मेरी सास भी तो हर जगह बदनाम है. तेरे पापा ने तेरी माँ को एक-दो बार किसी और से चुदवाते हुए रंगे हाथ पकड़ा है. तू भी बिल्कुल वैसी ही है. आज पहली बार मुझे लग रहा है कि तुझे अपने सामने नंगी ही रखूं. तेरी चूत को चाटता रहूं और उसका रस पीता रहूं. अपना लंड तेरी चूत में डाले ही रखूं.
मैं जीजा की बात को ध्यान से सुन रही थी. मैंने फोन को एक तरफ रख दिया. ताकि आशीष को जीजा की बातें सुनाई न दें. इतने में ही जीजा ने मेरा टॉप उतार कर मुझे ऊपर से नंगी करना शुरू कर दिया.
यह लम्बी कहानी जारी रहेगी. कहानी आपको कैसी लगी, आप इसके बारे में कमेन्ट करें और बतायें कि क्या मेरे साथ सही हो रहा था? [email protected]
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