This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम इंद्रबीर है, मैं पंजाब का रहने वाला हूँ. मैं अन्तर्वासना शायद तब से पढ़ता आ रहा हूँ, जब से मेरे लंड ने होश संभाला है. वो जैसे कहते हैं बूँद-बूँद से सागर बन जाता है, वैसे ही मैंने यहां से भी अपने सेक्स ज्ञान में बहुत वृद्धि की है और अपने आप में सक्षम बना हूँ.
आप सबके द्वारा मेरी ईमेल [email protected] पर भेजे गए विचारों से मैं आपका आभारी हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी आपकी उम्मीदों पे खरा उतर सकूँ.
यह बात तब की है, जब मैं जनवरी 2018 में किसी काम से दिल्ली 4 महीने के लिए स्किल डिवेलप्मेंट की क्लास लगाने गया हुआ था. मैं उधर रूम रेंट पर लेकर रहने लगा. मैंने एक अच्छी सोसायटी में एक दो कमरे वाले फ़्लैट में एक कमरा रेंट पे ले लिया. उस फ़्लैट मेरे अलावा दूसरे कमरे में 45 साल के मालिक-मकान और 42 साल की उनकी बीवी भी रहते थे. वे बैंक मैंनेजर थे और उनका एकाएक बेटा विलायत में पढ़ाई करता था.
आदत अनुसार मैं हमेशा सुबह जल्दी उठकर पार्क में जॉगिंग करने जाता. फिर तैयार होकर 1-2 घंटे की क्लास लगाकर अपना काम शुरू करता. शाम को जिम जाता … इंटर्नेट सर्फ़िंग करता. सोसायटी अच्छी थी, तो रोज शाम को आंखें गर्म करने के लिए चुपचाप लड़कियों का चक्षुचोदन करता. किसी की कमर, तो किसी के बड़े-बड़े मम्मे, किसी का सेक्सी फ़िगर सब कुछ चैक करता.
मुझे नहीं था पता कि वहीं कोई मुझे भी चैक कर रहा था. मेरा फ़्लैट छटवें फ़्लोर पे था, तो मैं माइंड से रिलैक्स और फ़िट होने के लिए हमेशा लिफ़्ट प्रयोग करने की जगह कभी कभी सीढ़ियों का भी इस्तेमाल करता.
ये सब पारुल भाभी, जो तीसरे फ़्लोर पे रहती थीं, वो नोटिस कर रही थीं. उनका फ़िगर एकदम सेक्सी … भरे हुए मम्मे, पतली कमर, सफ़ेद रंग, भरी और उठी हुई गांड मैंने पार्क में नोटिस की थी और उनका कामुक फिगर सोच कर मुठ भी मारी हुई थी.
मैं जब भी उनको कनखियों से देखता, तो उन्हें अपनी तरफ देखता हुआ ही पाता. अगर उस समय वो अकेली होतीं, तो इससे मुझे लगता कि जैसे मेरे अन्दर तक देख रही हों.
मैं सीढ़ी से आता, तो जैसे ही 3 फ़्लोर पे आता … मेरी स्पीड अपने आप स्लो हो जाती … क्योंकि वो कई बार अपने डोर के पास कुछ ना कुछ कर रही होतीं.
मैंने नोटिस किया वो साड़ी में बहुत सेक्सी माल लगती थीं. वो रोज अच्छी साड़ी पहन कर बला की सुंदर दिखती थी.
एक दिन मैंने सीढ़ी से पलट के देखा, तो वो भी मुझे देख रही थीं. मैंने एक स्माइल दी, तो उधर से स्माइल मिली. उस दिन मैं क्लास में भी उन्हीं को याद करता रहा. वापिस आया, तो वो नहीं दिखीं.
उस शाम मैं उन्हीं का चक्षुचोदन करने पार्क में गया, तो वो बार-बार मुझे देखकर हँस रही थीं. मैंने उन्हें हंस कर देखा, तो उन्होंने मुझे आंख मार दी. बस यही वो अद्भुत नज़ारा था. मैं सोचकर महसूस कर रहा था कि भौजी पट गई है.
मैंने भी हँसते हुए उन्हें नम्बर का इशारा कर दिया, तो वहां से उठकर चली गईं.
उस शाम मैं बहुत शांत पार्क के बेंच पे बैठा मस्त मजा ले रहा था. मैं बहुत ख़ुश था. बाद में करीब 9 बजे सीढ़ियों से वापिस आ रहा था, तो पारुल अपनी बाल्कनी में मोबाइल पे किसी से बात कर रही थीं. मुझे देखते ही वो बाल्कनी से सीढ़ियों की तरफ़ आईं, तो हँसते हुए एक पेपर मुझे दे गईं.
मैंने पेपर जेब में डाला, फ़्लैट पे आके फ़्रेश होके खाना खाने बैठा, तो पेपर की चिट निकाल के पढ़ने लगा.
जी हां आप सही सोच रहे हैं, उस चिट पर उनका मोबाइल नम्बर लिखा था.
मैंने उसी टाइम व्ट्सऐप पर हाय लिखकर भेज दिया. ऐसे हमारी बात चालू हो गयी.
मुझे पता चला कि वह भी एमएनसी कम्पनी में आईटी विभाग में काम करती हैं. उनकी शिफ़्ट रात 1 से प्रात 9 तक होती है, लेकिन अभी वह घर से ही ऑनलाइन काम कर लेती हैं. उनके घर में उनके पति और एक 6 साल का बेटा है. वो मुझे देखकर आकर्षित हो गयी थीं और हमारी कामवाली बाई एक ही है, तो थोड़ा उसने मेरे बारे में बता दिया.
हमारी बातें लम्बी होने लगीं, तो मैंने उनसे दोस्ती का इजहार किया. उन्होंने हां बोल दिया, तो मैंने उसी समय उनसे एक चुम्मी माँग ली, तो उन्होंने मैसेज में लिप्स भेज दिए.
अब मैंने उनसे असली चुम्बन का मूड बनाने के लिए रात 3 बजे तक बात की. मैंने भाभी से दोस्ती पक्की करने के लिए असली में किस करने के लिए बोला. तो उन्होंने पहली बार मुझे किसी बात के लिए ना बोला. इस पर मैंने थोड़ी नाराज़गी बता दी. वे मुझे मनाने लगीं. पर बात ना बनते देख उन्होंने मैसेज किया- जल्दी नीचे आओ. मैं उसी समय दरवाज़ा खोल बाहर निकला और नीचे जाने लगा.
मैंने छटवें से चौथे माले तक की सीढ़ियों वाली बत्तियां बंद कर दीं. मैंने देखा पारुल भाभी के फ्लोर वाली लाइट पहले से ही बुझी हुई है. मेरे वहां पहुँचते ही पारुल भाभी का दरवाज़ा सीढ़ियों की तरफ़ खुला. उन्होंने पीले रंग की कैप्री और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी हुई थी. उन्होंने एक मुस्कान दी और मेरे गाल पे चूमके चलने लगीं.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और कमर से पकड़ के उन्हें स्मूच मारी और छोड़ दिया. वो हंस कर चली गईं. मैं भी रूम में आ गया. उनका शरारती सा मैसेज आ गया. पर उन्होंने बताया कि उन्हें इस शरारत ने बहुत मजा दिया.
फिर दिन में भी आते जाते स्पर्श और चुम्बन होने लगे. हमारी बातें भी फ़ोन सेक्स तक पहुँच गयीं. अब मैंने भाभी को बता दिया कि मेरा लंड अब उनको चोदने की सोचते ही खड़ा हो जाता है और मुझे हस्तमैथुन करना पड़ता है, जो ज़्यादा मुझे पसंद नहीं. उन्होंने मेरे लंड का साइज़ पूछ लिया, तो मैंने बताया आठ इंच लम्बा है. मैंने उनका साइज़ पूछा, तो उन्होंने 34”-30”-34” बताया.
मैंने भाभी से उनके मम्मों को दबाने की इच्छा बतायी, तो वो भी बोलीं कि उन्हें भी मेरा लंड पकड़ना है और वहीं नीचे आने का बोला. मैं भी यही चाहता था.
दोस्तो, उस समय हमारे अन्दर आग लगी हुई थी. ये काम चुपके वाला था, नहीं तो लंड को तो रोज ही पारुल भाभी का कोई ना कोई सुराग़ मिल रहा होता.
अब मैं फिर से लाइट बंद करके उनकी सीढ़ियों के पास आ गया. वो आईं, तो मैंने सीधे उनके होंठ चूस लिए और वो मुझसे लिपट गईं. वो बहुत गरम लग रही थीं. मैंने उनका हाथ पकड़कर लोअर के अन्दर सीधे लंड पे रख दिया. लंड पकड़ कर उनकी आंखें मदहोश हो उठी थीं.
मैंने भाभी से हस्तमैथुन करने को कहा और ख़ुद उनकी गर्दन और मम्मों की गहरायी पे अपनी ज़ुबान चलाने लग गया. साथ ही उसकी ब्रा के हुक खोलके उसके मम्मों से खेलने लगा.
हम वहां 5 मिनट रुके. वैसे वो बिल्कुल सुरक्षित जगह थी क्योंकि लोग लिफ़्ट ज़्यादा इस्तेमाल करते थे और हमने लाइट भी बुझाई हुई थीं. अभी मेरा हाथ उनके पजामे में जाने वाला था, तो उन्होंने दबाके रोक दिया और अपने हाथ की रफ्तार बढ़ा दी. जिससे मेरा वीर्य भाभी के हाथ पे ही छूटा और कुछ बूंदें नीचे गिर गईं.
उन्होंने अपने हाथ अलग रखते हुए मेरे होंठों पे किस किया और बोला- इंद्र, कितना मजा आ रहा है. इसके बाद हम दोनों ने कपड़े ठीक किए और अपने-अपने फ़्लैट में आ गए.
मैंने भाभी को थैंक्स लिखके भेजा, तो उन्होंने ख़ुशी भरा मैसेज भेजकर उस मिले आनन्द के लिए थैंक्स बोला.
मैंने भी उनका हाथ न रोककर उनसे कोई ज़बरदस्ती नहीं की. अब भाभी को मुझपे पूरा भरोसा हो गया था. अभी हमने अपनी नंगी तस्वीरें एक दूसरे को भेजनी शुरू कर दी थीं. उन्होंने ब्रा पैंटी तक मेरे पसंदीदा रंगों की लेनी शुरू कर दी. अब हम मजा करने के लिए और ज़्यादा समय चाहते थे.
एक दिन मैंने उन्हें मूवी के लिए मना लिया. हमने एक मॉल में मिलने का बुधवार का प्लान बना लिया. उस सुबह मैं 9:30 ही मॉल में पहुँच गया और वो भी थोड़ी देर में आ गईं.
तब तक मैंने 10:30 के शो की टिकट ले ली और पारुल का इंतज़ार करने लगा. तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी, पारुल भाभी का फोन था. वो भी आ चुकी थीं. क्या ग़ज़ब लग रही थी, आते ही हम दोनों ने हाथ मिलाए और मैंने हल्के से उनके हाथ को दबा कर उनको कामुक सा इशारा कर दिया. वो बहुत ख़ुश दिख रही थीं.
उन्होंने डार्क ब्लू खुला खुला टॉप पहना था और नीचे काली टाइट फ़्लेक्सिबल जींस. उनकी ख़ूबसूरती और फ़िगर बहुत ही सेक्सी लग रहे थे. वो मुश्किल से 25 साल की लग रही थीं.
हमने 5-10 मिनट सामन्य बातचीत की. फिर हम हॉल में अपनी सीट पर चल दिए, इस बीच हमने हाथ पकड़े रखे. जैसा सोचा था, वैसा ही निकला. सुबह का शो होने के कारण बहुत कम लोग थे, जिनमें ज़्यादातर जोड़े थे और 2-3 सिंगल लोग थे.
सभी दूर दूर बैठे थे. अकेले बंदे आगे वाली सीटों पर थे. हमारी लाइन में सिर्फ़ हम ही थे. उन्होंने मेरा हाथ कसके पकड़ा हुआ था. जैसे ही मूवी चालू हुई, हम एक दूसरे के हाथ घुमाने लग गए और किस करनी चालू कर दी. देखते देखते हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े. मेरे हाथ भाभी के मम्मे मसल रहे थे और हम स्मूच कर रहे थे. वो मेरी छाती पर हाथ घुमा रही थीं.
मैंने उनको कमर से पकड़ा, तो उन्होंने मुझे हाथ अन्दर डालने को बोला. मैंने उनका टॉप उठाके हाथ अन्दर डाल दिया. उनकी कमर का स्पर्श मेरा लौड़े तक को हिला गया. मैंने उनका हाथ अपनी पैंट पे रख दिया, तो स्मूच करते उन्होंने लंड दबा दिया. मैंने हस्तमैथुन के लिए बोला, तो वो ख़ुद ही जिप खोलके लंड को सहलाने लग गईं.
मैं उनके टॉप में उनके मम्मे, नाभि और कमर सहला रहा था. फिर मेरा हाथ उनकी पैंट पे आके वापिस चला जाता, तो उन्होंने ये जान लिया. अपनी पेंट की हुक खोलकर मेरा हाथ अपनी पैंटी उठाके अन्दर फुद्दी पे रख दिया. आह.. बहुत ही कोमल साफ़ फुद्दी थी. मैंने फुद्दी के इर्द गिर्द हाथ घुमाना चालू कर दिया. मैं कभी दाने पे उंगली रगड़ता, कभी हाथ से फुद्दी मसलता.
इसी बीच मैंने एक उंगली उनकी भीगी सी फुद्दी में घुसा दी, तो उन्होंने वहीं अन्दर रखे रहने को कहा. मैंने उंगली से चूत की चुदाई शुरू कर दी. भाभी ने लंबी आह ली और मेरा कान काट लिया. मैं तेजी से उंगली को अन्दर बाहर करने लगा. वो प्यार से मदहोशी वाली सिसकारियां लेने लगीं. अब मैंने दूसरी उंगली भी डाल दी, तो उन्हें दर्द हुआ. उन्होंने एक से ही करने को कहा और साथ में मम्मे चूसने के लिए कहा.
मैंने वैसा ही किया. एक-एक मम्मा इतना चूसा कि उनकी आंखों में मदहोशी दिखने लग गयी थी और वो मेरे हाथ को फुद्दी पे दबा के अपने मम्मे आगे और सिर ऊपर को करके ‘ओह्ह …’ करके झड़ गईं. कुछ देर उन्होंने मुझे वैसे ही रोके रखा. फिर उन्होंने कहा- तुम मुझे बहुत ख़ुश रखते हो, अब मैं भी तुम्हें खुश करूंगी. इतना बोलकर उन्होंने अपने होंठ मेरे लंड पे लगा दिए और लंड पे पागलों की तरह टूट पड़ीं.
दोस्तो, उन्होंने लगातार 10 मिनट तक मेरा लंड अपने मुँह में रखा, इसके बाद लंड गर्म होके पिचकारी छोड़ने लगा, तो उन्होंने लंड को मुँह से निकाल के अपने हाथ में भींच लिया और सारा वीर्य लंड के सुपारे में दबा दिया. वो दूसरे हाथ से लंड को सहजता से सहलाती रहीं, जिसके कारण उस दिन मेरी पिचकारी बंद होने का नाम ना ले रही थी.
फिर जब सब हो गया, तो उन्होंने मेरी छाती पे किस की और नीचे को किस करती हुई फिर से लंड तक पहुँच गईं. लंड चाटते हुए सुपारे को मुँह में लेकर हाथ छोड़ दिया.
दोस्तो, मैं क्या बताऊं, उस समय मैं इतना जान गया था कि पारुल भाभी ने मुझे ख़ुश कर दिया है. उन्होंने लंड से निकलते वीर्य पर मुँह लगा दिया, उसे नीचे गिरने नहीं दिया. फिर हमने मूवी के ख़त्म होने से पहले एक लम्बी स्मूच ली, अपने कपड़े सैट किए और हॉल छोड़ कर बाहर आ गए.
फिर हम दोनों वाशरूम चले गए. उस दिन मेरी पेशाब की धार बहुत लम्बी चली. इसी बीच मैंने अपने लंड पर उनकी लिप्स्टिक का रंग देखा, जो बाद में मैंने उन्हें भी बताया. वो बोली- यह मेरी तरफ़ से तुम्हारे लिए इनाम है. मैं मुस्कुरा दिया.
फिर हम लोग एक रेस्तरां में लंच को गए, तो उन्होंने बताया कि मैं यह सब अपने पति के साथ भी कर चुकी हूँ, इसलिए ये सब मुझे अच्छी तरह करना आता है. लेकिन अब मेरे उनको ये सब बोर लगता है. इसीलिए मैं तुम्हारी तरफ़ आकर्षित हो गयी. यूं ही मस्ती करते-करते पता ही नहीं चला, कब शरारतों में हम इतनी दूर निकल आए.
मैंने उनका हाथ पकड़ कर उनसे पूछा- कोई दिल में बात है, तो बोलो. वो आंखों में आंसू लाकर बोलीं- मुझे तुम पर पहले से ज़्यादा भरोसा हो गया है. मैंने बोला- मैं आपको असली में चोदना चाहता हूँ. वो बोलीं- मैंने जबसे तुम्हारे कड़क लंड पे नज़र डाली है, मैं भी तुम्हारे लंड को लेने को बेताब हूँ. पर मैं किसी होटल में ये सब करने से डरती हूँ और मेरे घर पर पूरे टाइम कोई ना कोई होता है. मेरे फ़्लैट में भी बाक़ी लोग (मकान-मालिक का परिवार) होता है.
फिर बातें करते करते हम वहां से अलग-अलग अपने घर आ गए. मैं आकर सो गया.
अब हम दोनों को चुदाई की आग लगी हुई थी. इसका पूरा मजा भी मिला. वो सब तफसील से अगले भाग में आपको सुनाऊंगा. बने रहिये मेरे साथ अपनी प्यारी अन्तर्वासना के साथ. मुझे मेल कीजियेगा. [email protected]
कहानी का अगला भाग: भाभी के साथ मजेदार सेक्स कहानी-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000