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फॅमिली चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी दीदी की देवरानी से मेरी दोस्ती हो गयी. एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया, वो अकेली थी. उसने मुझे सेक्स के लिए बुलाया था.
दोस्तो, मैं सुनील आपको मेरी दीदी की देवरानी की चुदाई की कहानी बता रहा था। इसके पहले भाग दीदी की देवरानी को चोदने की चाहत में आपने देखा कि दीदी की देवरानी प्रतिभा का पति उसको चोदने में पूरी संतुष्टि नहीं देता था। एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया। उस वक्त उसका पति रूपेश नहीं था। रूपेश ने उसकी मार पिटाई की थी। वो अपनी चोट के निशान दिखाने लगी और उसकी चूचियां मैंने देख लीं।
फिर हम दोनों गर्म हो गए और उसने मेरे लंड को चूसकर मेरा पानी पी लिया। फिर वो नहाने जाने लगी तो मैं भी उसके पीछे बाथरूम में हो लिया।
अब आगे फॅमिली चुदाई कहानी:
बाथरूम में जाकर मैंने देखा उसकी काली काली झांटों के बीच उसकी चूत झाँक रही थी।
मैं बोला- आप अपने झांट क्यों नहीं बनातीं? फिर वो बोली- किसके लिए बनाऊं … तुम्हारे जीजा मुझे चोदते ही नहीं!
मैंने बोला- आपके पास रेज़र है तो आज मैं आपकी झांट साफ करूँगा।
उन्होंने रेज़र लाकर दिया और मैंने दीदी की चूत पर शेविंग क्रीम लगायी और धीरे धीरे उसकी झांट साफ करने लगा।
इसी बीच वो मुझसे बात भी कर रही थी। वो बोली- मेरी चूत को पेलने के सच्चे हकदार तुम हो। जब से मैं दिल्ली आई हूँ तुमने मुझे बहुत प्यार दिया है। थोड़े ही दिनों में मैं तुम्हें समझ गयी थी। तुम्हारा ध्यान मेरी मुलायम और बड़ी बड़ी इन चूचियों पर रहता था और तुम मुझे चोदने की नज़र से देखते थे।
प्रतिभा आगे बोली- तुम्हारे जीजा से उतना प्यार ना मिलने के कारण मैं भी चाहती थी कि तुम मेरी चूचियों को चूसो और मेरी चूत में अपना लंड डाल कर खूब चोदो। मगर वहां पर वो रूम बहुत छोटा था और तुम्हारी दीदी देख लेती तो बेवजह सीन हो जाता। मगर अब हमें कोई नहीं रोकेगा। मेरे नाम के पति तुम्हारे जीजा रहेंगे लेकिन असल में तुम आज से मेरे पति हो और मेरे बच्चे भी तुम्हारे माल से ही पैदा होंगे।
मैं उसकी झांट बनाने में बिज़ी था।
जब सारी झांटें साफ हो गईं तो चूत एकदम से चमकने लगी। चूत की फांकों में से चूत का दाना (क्लीटॉरिस) झाँक रहा था।
प्रतिभा की चूत की फांकें बहुत मोटी मोटी थीं, एकदम गद्देदार।
मैं बोला- आपकी चूत सच में बहुत प्यारी है। प्रतिभा का बुरा हाल था; उसकी चूत पानी छोड़ रही थी।
फिर हम दोनों ने साथ में शावर लिया। वॉशरूम में भी उन्होंने मेरे लंड को 5 मिनट तक खूब चूसा और मेरे लंड का सारा माल गटक गई। फिर मैंने खाना ऑर्डर किया।
थोड़ी देर में खाना आ गया।
उसने एक पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी। वो आकर मेरी गोद में बैठ गई।
हमने साथ में खाना खाया, फिर थोड़ी देर बाद हम बिस्तर में चले गये।
मैंने कमरे के अंदर जाते ही उनकी नाइटी निकाल कर फेंक दी। वो अब मेरे सामने नंगी थी।
मैंने उसके बड़े बड़े चूचों को चूसना शुरू कर दिया था और अपने एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था। वो सिसकारने लगी थी।
फिर उसने 69 में आने को कहा। हम दोनों 69 में आ गए।
उसकी चिकनी चूत मेरे सामने थी और मैंने अपने मुंह को उस पर रख दिया। उसकी चूत पानी पानी हो रही थी, चूत से लगातार रस चू रहा था।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो वो सिहर गई। उसने मेरे लंड को एकदम से मुंह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगी।
कमरे में मच … मच … पुच … पुच की आवाजें आ रही थीं।
दस मिनट की चुसाई के बाद हम दोनों ही झड़ गए।
मेरे लंड का पानी पीने के बाद वो मेरे लंड को हिलाती रही। मैं उसकी चूत को छेड़ता रहा, उसको चूमता रहा।
कुछ देर के बाद मेरा लंड फिर से तैयार हो गया।
अब मैं उसके ऊपर आ गया और उसके बड़े बड़े चूचों को चूसने लगा।
मेरा लंड बार बार उसकी चूत से टकरा रहा था। वो बोली- सुनील अब मुझे और मत तड़पाओ, मुझे चोद दो। मेरी चूत का भोसड़ा बना दो, अपनी रानी की चूत की आग मिटा दो, जी भर के मेरी चूत को चोदो।
ये सुनकर मैंने अपने लंड का टोपा उसकी गर्मा गर्म चूत पर रख दिया और धीरे धीरे चूत में सरकाना शुरू किया।
मेरे लंड को लेते हुए वो चीखने लगी, वो बोली- आराम से करो यार … आह्ह … मेरी चूत बहुत कम चुदी है। शुरू में तो तुम्हारे जीजा ने बहुत पेला लेकिन फिर बाद में चूत प्यासी ही रही।
मैं बोला- कोई बात नहीं, आप साथ दोगी तो लंड आराम से चला जाएगा।
फिर मैंने उसका ध्यान बांटने के लिए उसकी चूत और उसकी चूचियों के साथ खेलना शुरू किया।
जब वो फिर से चुदासी हो गयी तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करके उसकी चूत में जोर का धक्का मारा और लंड को अंदर घुसा दिया।
वो एकदम से तिलमिला गई, उसकी आंखों में पानी आ गया। मगर मुझे मजा आया, मैं उसको ऐसे ही चोदना चाह रहा था।
फिर वो बोली- आह्ह सुनील … दर्द तो बहुत है पर मीठा है। मैं ऐसे ही चुदना चाह रही थी।
धीरे धीरे मैंने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया। अब उसको चुदने में मजा आने लगा।
धीरे धीरे हमारी चुदाई की गाड़ी दौड़ने लगी। वो मस्ती में चुदते हुए बड़बड़ा रही थी- आईई … आह्ह … इस्सस् … आईई या याया … आह्ह … मेरी चूत … आह्ह … ऊईई … चोद सुनील आह्ह … फाड़ दे!
मैं भी उसकी चूत में अपना लंड तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था। उसके बाद उसने करवट ले ली, वो मेरे ऊपर आ गयी।
मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और मेरे लंड पर कूदने लगी।
चुदते हुए कहने लगी- आह्ह … आज मुझे लग रहा है कि मैं एक औरत हूं और एक मर्द के लंड से चुदने के लिए बनी हूं। आह्ह … मेरे राजा … क्या मस्त लंड है … मजा आ गया … आह्ह।
उसकी बातों से मुझे ये लग रहा था कि कुछ ही दिनों में वो बहुत बड़ी चुदने वाली रंडी बनने वाली है। अगर उसकी चूत को रूपेश के लंड से संतुष्टि नहीं मिली तो वो चूत को फड़वा लेगी।
वो बोली- आह्ह … सुनील … मेरी जवानी को निचोड़ने वाला मर्द चाहिए था मुझे! तुम वही मर्द हो। फिर लगभग दस मिनट तक ऐेसे ही चुदने के बाद वो बोली- अब मेरा होने वाला है सुनील, मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है।
इतना कहना था कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
फिर उसको मैंने घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने अपना लंड तुरन्त उसकी चूत में पेल दिया। वो भी पूरे जोश में थी। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और गपा-गप उसकी चूत मे अपना लंड पेलने लग गया।
चूत की दोनों फांकों के बीच मेरा लंड पूरा मौज कर रहा था और मैं प्रतिभा को चोदने में बिज़ी था। वो खूब मस्ती से मुझसे चुदवा रही थी। मैं भी 10 मिनट बाद झड़ने वाला था।
मैंने पूछा- रानी कहाँ छोड़ूं? वो बोली- मेरे मुंह में दे दो। मैंने अपना सारा माल उसके मुंह में दे दिया, वो सारा माल गटक गयी।
फिर हम निढाल पड़े रहे। उसने अपनी चूत को साफ किया और फिर वापस आकर मुझसे चिपक गई।
उस रात मैंने उसको 2 बार चोदा।
वो बोली- मेरी चूत के असली हकदार तुम ही हो अब! अब मैं दो बच्चे होने तक तुमसे ही चदूंगी और फिर श्वेता से तुम्हारी शादी करवा दूंगी।
इस तरह से बातें करते हुए हम दोनों सो गए।
मैं सुबह उठा, उस दिन रविवार था।
तब मैं प्रतिभा से बोला- ठीक है। अभी तुम चाय-नाश्ता बनाओ और मैं भी बाथरूम जा रहा हूँ। चाय-नाश्ते के बाद मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा। लोग कहते हैं कि किसी औरत की चुदाई तब तक पूरी नहीं होती, जब तक उसकी गाण्ड में लंड ना पेला जाए।
प्रतिभा बोली- तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, कैसे लूँगी मैं इसे? मैंने बोला- ठीक है, आप जैसा चाहो। मैं जोर नहीं डालूंगा।
मुझे सही नहीं लगा और मैं निराश हो गया।
फिर वो मुझसे आकर चिपक गयी।
वो बोली- मैं तो मजाक कर रही थी। मैं तो खुद इस दिन के इंतजार में थी कि कोई मुझे हर तरह से चोदे, पेले और मैं उसका लंड खा लूं। मैं तुम्हें कैसे मना कर सकती हूं। लंच कर लो, फिर मेरी गान्ड में अपना मोटा लंड डाल कर फाड़ देना।
फिर उसने लंच बनाया, हमने साथ में खाना खाया।
मैंने बोला- मैं आपको मसाज दूँगा। वो बोली- हां, वैसे भी पूरी बॉडी दर्द कर रही है। मसाज दोगे तो मजा आएगा।
वो बेड पर नंगी होकर लेट गयी। मैं नारियल का तेल गर्म करके लाया।
पहले उसकी चूचियों पर खूब तेल लगाया और मालिश की, वो मचलने लगी।
अब मैंने उसकी चूत पर तेल लगाकर मसाज की। दोनों फांकों को खोलकर मैंने उसकी चूत की तेज तेज मसाज की और उसकी चूत का पानी निकाल दिया।
फिर मैं बोला- पीठ उपर करके लेट जाओ तो वो लेट गयी। मैंने उसकी गान्ड के छेद पर तेल डाल दिया जिससे कि गान्ड का छेद नर्म हो जाए और पेलने में कोई दिक्कत ना आए और अच्छे से उनको मसाज दिया।
प्रतिभा की गदराई हुई जवानी देख लंड फुफकारें मार रहा था। उसकी चूत गर्म थी। वो मेरा लंड बार बार पकड़ रही थी।
फिर मैं बेड पर आ गया। अब उसकी चूत इतनी चिकनी हो चुकी थी कि चूत पर लंड रखते ही वो सरक जाता था।
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मैंने एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया, फिर उसको जोर से पेलना शुरू कर दिया।
वो जोश में बोलने लगी- बहुत दिनों के बाद आज मेरी चूत कायदे से चुद रही है … हाय क्या मस्त लौड़ा है तुम्हारा … मेरी चूत … लग रही है आज फट ही जाएगी … तुम रुकना मत! मुझे आज खूब चोदो … चोद-चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो। राजा इतना प्यार दे रहे हो, तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी, मुझे भगा कर ले चलो। अपने रूम पर चोदो।
मैं समझ गया कि प्रतिभा मेरे लंड की चुदाई के मजे में भावुक हो रही थी। मैंने कहा- मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। मैं ऐसे ही तुम्हारी चूत की सेवा करता रहूंगा मेरी रानी!
फिर मैंने उसको बोला- पीठ मेरी तरफ करके झुक जाओ, मुझे तुम्हारी गान्ड मारनी है। प्रतिभा ने वैसा ही किया।
मैंने देखा उसकी गान्ड का छेद बहुत छोटा था इसीलिए मैंने पहले तेल भी लगा दिया था.
लेकिन जब लंड अंदर घुसाने की कोशिश करता तो लौड़ा सरक जाता।
अब मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े, अपने लंड का टोपा उसकी गान्ड के छेद पर रखकर हाथ से अंदर ठेलेने लगा। थोड़ा सा लंड गान्ड के अंदर जाते ही वो उछल गयी।
मैं जानता था कि उसको दर्द हो रहा है … मैंने उसको किस किया और अपने से चिपका लिया। वो फिर बोली- मुझे कितना भी दर्द हो, इस बार मेरी गांड फाड़ देना।
उसकी बात सुनकर मैंने वैसे ही किया। उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसको झुका कर अपना मोटा लंड उसकी गान्ड की जड़ तक उतार दिया। वो चीखने लगी लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना।
मैं गपागप उसकी गांड में अपने लंड को पेलने लगा। उसे भी धीरे धीरे मजा आने लगा और वो खुद ही गांड को धकेलते हुए चुदवाने लगी।
करीब 20 मिनट प्रतिभा की गान्ड मारने के बाद अब मैं झड़ने वाला था। चोदते हुए मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने सारा माल उसकी गांड में छोड़ दिया।
मैंने देखा कि चुदने के बाद उसकी गांड पूरी खुल चुकी थी। इस तरह से शाम तक रुक रुककर हमने 6-7 बार चुदाई की।
चोद चोदकर मैंने प्रतिभा की चूत और गांड को पूरी तरह से खोल दिया।
वो कहने लगी- सुनील, आज मैं पूरी औरत बन गई हूं। ये जो मेरे गले में मंगलसूत्र है तुम्हारे नाम का है। मेरी मांसल बॉडी और गदराई हुई जवानी तुम्हारी है। मैं जब बोलूँगी, तब आकर मुझे चोदना और मैं तुम्हारे साथ हनीमून पर जाना चाहती हूँ।
मैंने सहमति में सिर हिला दिया। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने।
तभी उसे पता नहीं क्या सूझा कि उसने अपनी चूचियां मेरे सामने खोल दीं और कहने लगी- इनको पी लो, तुम्हें एनर्जी मिलेगी।
फिर मैंने उसके बड़े बडे मम्मों को दस मिनट तक चूसा और फिर वो खुश हो गयी। मैं अपने रूम पर आ गया। आज शाम को रूपेश जीजा भी लौटने वाले थे।
जीजा से चुदवाने के बाद उसने मुझे फोन पर बताया कि वो कैसे चुदी।
उसके बाद से ही प्रतिभा के साथ चुदाई का सिलसिला चला आ रहा है और हम लोगों की चुदाई के रिश्ते ने दस साल पूरे कर लिए हैं।
जब भी प्रतिभा का मन चुदने का करता है तो वो मुझे बुला लेती है। मैंने उसको बच्चे दिए हैं।
फिर वो जॉब भी करने लगी। अब रूपेश जीजा बस नाम के पति हैं उसके लिए।
तो दोस्तो, ये थी मेरी सांवली सलोनी प्रतिभा की चुदाई की कहानी। आपको यह फॅमिली चुदाई कहानी अच्छी लगी या नहीं … अपनी राय जरूर दें। आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतजार रहेगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected]
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