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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आर्यन चौहान है और मैं अभी तीस साल का हूँ. आज मैं अन्तर्वासना पर अपने जीवन की एक बिल्कुल सच्ची कहानी लिखने का प्रयास कर रहा हूं. यह कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है. कहानी शुरू करने से पहले मैं सभी गर्म भाभियों और सेक्सी आंटियों को धन्यवाद देना चाहता हूँ जो मेरी कहानियों को प्यार देती हैं.
इस बार भी मेरा पूरा प्रयास है कि जो भी भाभी या आंटी मेरी इस नई कहानी को पढ़ेगी उनको रात में अपनी चूत में उंगली जरूर करनी पड़ेगी. अब मैं अपनी आपबीती आपको बताता हूँ. मैं हरियाणा के गुरूग्राम शहर से हूँ. यह कहानी सन् 2006 की है. उस वक्त मैं बाहरवीं कक्षा में पढ़ रहा था.
मेरी माँ का मायका हिसार में है. यानि कि मेरे मामा हिसार से हैं. उनकी बेटी हमारे घर पर आई. उसका नाम सीमा (बदला हुआ) था. सीमा मेरे शहर में ही पढ़ाई करने के लिए आई थी. सीमा के बारे में आपको बताऊं तो वह बिल्कुल काम की देवी लगती थी मुझे. जब मैंने पहली बार उसको देखा तो उसकी फिगर को देखता ही रह गया था.
उसका रंग एकदम गोरा था. उसकी चूचियां और गांड तो बिल्कुल बॉल की तरह गोल थी. जब अपनी गांड को मटका कर चलती थी तो उसकी चूचियाँ भी साथ में उछल जाती थीं. मैं तो पहली नजर में उसके रूप का कायल हो गया था. मैं क्या अगर कोई बूढ़ा भी उसको देख ले तो उसका लंड भी टन्न से खड़ा हो जाये, इतनी सेक्सी लगती थी वो देखने में.
मेरे परिवार में माँ, पापा और बड़ा भाई थे. उन दिनों मैं घर पर अकेला रहता था. जब से सीमा हमारे घर पर आई थी हम दोनों में खूब सारी बातें होना शुरू हो गई थीं.
मगर अभी तक हम दोनों में बस हँसी-मजाक ही होता था. मैंने कभी उसको सेक्स करने की नजर से नहीं देखा था. हम दोनों में भाई-बहन का रिश्ता था तो अक्सर लड़ाई भी हो जाती थी. कई बार वह मेरे ऊपर होती थी और कई बार मैं उसके ऊपर होता था. हम दोनों खूब मस्ती करते थे.
एक दिन हम दोनों शहर गये हुए थे. वहाँ पर मैंने एक वियाग्रा का ऐड देखा और उससे पूछा कि यह किस काम आती है. वह बोली- मुझे नहीं पता. मैंने कहा- तुम तो बायलॉजी की छात्रा हो. तुम्हें तो पता होना चाहिए. उसके बाद सीमा ने कोई जवाब नहीं दिया. हम दोनों घर आ गये और वह दिन ऐसे ही चला गया.
अगले दिन हम फिर कैब में बैठ कर शहर घूमने गए हुए थे. सर्दियों के दिन थे. कैब का एक शीशा बंद नहीं हो रहा था. मुझे सर्दी लगने लगी. सीमा ने देखा कि मुझे सर्दी लग रही है तो उसने अपना शॉल मुझे ओढ़ने के लिए दे दिया. सीमा और मैं अब दोनों एक ही शॉल में थे. कैब में चलते हुए उसका एक हाथ मेरी जांघ पर सरक कर आ गया. जब मुझे महसूस हुआ कि उसका एक हाथ मेरी जांघ पर आ चुका है तो मेरा लंड मेरी पैंट में खड़ा होकर तन गया. मेरा लंड झटके देने लगा. लग रहा था कि लंड जैसे फट ही जायेगा.
जब मुझसे रहा नहीं गया तो मेरे मन में पता नहीं क्या आया कि मैंने सीमा की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. जब सीमा ने महसूस किया कि मैं उसकी चूचियों को दबा रहा हूँ तो उसने अपना हाथ मेरे तने हुए लंड पर रख दिया. वह मेरे लंड पर हाथ रख कर उसको पैंट के ऊपर से ही दबाने लगी. हम दोनों बस अपनी मस्ती में एक दूसरे के अंगों के साथ खेलने लग गये. मगर दोनों में से किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि एक-दूसरे से नजर मिला सकें. वह मेरे लंड को मसल रही थी और मैं उसकी चूचियों को दबाने में लगा हुआ था. रास्ते भर हम ऐसे ही मजा लेते रहे.
जब घर आये तो मेरे दिमाग में वही सीन चल रहा था. मुझसे अब इंतजार करना भारी हो रहा था. मैं सोच रहा था कि बस किसी तरह रात हो जाये.
जैसे-तैसे करके दिन कटा और रात हुई. मैं चुपके से सीमा के कमरे में गया. मैं उसके ऊपर लेट कर बोला- आज तो बहुत मजा आया! सीमा ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. मैंने पूछा- क्या हुआ? तुम नाराज हो क्या मुझसे? वह बोली- नहीं पागल, तुमने एक साइड से मेरी चूचियों को दबा दिया इसलिए दूसरी साइड मुझे दर्द हो रहा है. मैंने कहा- कोई बात नहीं, दूसरी तरफ का दर्द भी ठीक कर देता हूँ.
कहकर मैंने सीमा की टी-शर्ट में हाथ डाल दिया और उसकी गोल-गोल चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कैब में उसकी चूची दबाने में इतना मजा नहीं आ रहा था जितना अब मुझे आने लगा. अब हम दोनों अकेले थे और उसकी गोल-मटोल मोटी चूचियाँ मेरे अंदर सेक्स की आग जला रही थीं. वह बोली- तुमने मेरी चूचियों की शेप बिगाड़ी तो देख लेना! संभल कर दबाओ कहीं एक चूची छोटी रह जाये और एक बड़ी हो जाये. मैं उसके मुंह से यह बात सुन कर और ज्यादा जोश में आ गया. मैंने उठ कर दरवाजा बंद कर दिया और सीमा के ऊपर टूट पड़ा. मैं उसकी दोनों चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा. सीमा बोली- आराम से आर्यन! पूरी रात पड़ी है अभी तो. धीरे से करो प्लीज. मैंने कहा- ये टॉप उतार दो तुम, उसके बाद मैं ज्यादा अच्छी तरह से कर पाऊंगा. सीमा बोली- तुम ही उतार दो.
मैंने धीरे से सीमा के टॉप को उतार दिया. उसकी ब्रा में तनी हुई चूचियां देख कर मेरी तो लार टपकने लगी. फिर मैंने उसकी लोअर को भी उतार दिया. अब वह केवल ब्रा और पैंटी में थी. मैंने उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसकी नंगी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया. मैं उसकी चूचियों को हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाने लगा. उसकी चूची के निप्पल तन कर टाइट हो गये थे. उसके बाद मैंने सीमा की चूचियों पर अपने होंठ रख दिये. मैंने अपनी ममेरी बहन की चूचियों को पीना शुरू कर दिया. उसकी चूची पीते हुए मैं उसकी पैंटी पर हाथ फेरने लगा. वह तड़पने लगी. उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठों को टिका कर मेरे होंठों को चूसने लगी. आह्ह … उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूचियां दबाने में जो मजा आ रहा था वह मैं शब्दों में यहाँ पर कैसे बताऊं! मैं तो जैसे जन्नत में था उस वक्त.
इतने में ही नीचे से कब उसका हाथ मेरी लोअर पर जाकर मेरे लंड को टटोलने लगा मुझे इसकी खबर भी नहीं लगी. उसने लोअर के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाना और मसलना शुरू कर दिया. मेरा लंड तो जैसे फटने ही वाला था. वह बार-बार मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर भींच रही थी. जैसे उसको लोअर से बाहर निकालने की कोशिश कर रही हो. मगर मैंने नीचे से अंडरवियर भी पहना हुआ था. इसलिए लंड को वह अच्छे तरीके से हाथ में भर नहीं पा रही थी.
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया तो उसने हाथ मेरी लोअर के अंदर डाल दिया. अब वह अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी. मगर अगले ही पल उसने मेरे अंडरवियर में ही हाथ डाल दिया. मेरा लंड मेरी बहन के हाथ में आ गया था. उफ्फ … क्या बताऊं दोस्तो, इतना मजा आ रहा था कि मन कर रहा था मैं सीमा को दांतों से काट कर खा जाऊं. वह मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी. उसके टोपे को आगे-पीछे करने लगी थी. एक बार तो मुझे ऐसा लगा कि मैं झड़ ही जाऊंगा. मगर मैंने खुद को संभाला और उसका हाथ अपने अंडरवियर से निकाल लिया.
उसके बाद मैंने उसके पेट को चूमना शुरू किया. मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी जांघों तक जा पहुंचा. मैंने उसकी काले रंग की पैंटी को अपने हाथों से खींच दिया और उसकी गीली चूत मेरे सामने नंगी हो गई. मैंने अपनी बहन की चूत बिना देर किये चूसना शुरू कर दिया. सीमा ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी जांघों के बीच में दबा दिया और मैं उसकी चूत में जीभ को घुसाने की कोशिश करने लगा. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
चूत को चाटते हुए पांच-सात मिनट हुए थे कि उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया. मैं उसके पानी को चाट गया. उसने एक लंबी-गहरी सांस ली. वह मेरी बगल में आकर लेट गयी. धीरे-धीरे अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी. लगभग पंद्रह मिनट तक हम किस करते रहे. फिर मैंने उसके सिर को पकड़ कर नीचे की तरफ धकेल दिया और वह मेरा इशारा समझ गई. उसने मेरी लोअर को निकाल दिया. मेरा लंड मेरे अंडरवियर में खड़ा हुआ था. मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर हिलाया और अपने अंडरवियर को उतार दिया. मेरा लंड उसके मुंह की सीध में ऊपर की तरफ खड़ा था.
वह मेरे लंड के पास मुंह को ले गई. मैंने उसको देखा और उसने मुझे. मैंने उसको लंड मुंह में लेने का इशारा किया. वह मना करने लगी. मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर उसके होंठों को रख दिया. उसके बाद उसने खुद ही मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी. वह इतने मजे से लंड को चूस रही थी कि मैं झड़ने को हो गया.
तब मैंने उसको बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया. मैंने धक्का मारा तो लंड चूत पर जाकर फिसल गया. उसके बाद मैं बेड से नीचे उतर गया. मैंने उसको किनारे पर खींच लिया और दोबारा से प्रयास किया मगर इस बार भी लंड चूत में नहीं जा पाया.
उसकी चूत टाइट थी. मैंने पास में पड़ी वैसलीन की शीशी उठाई और अपने लंड के टोपे पर क्रीम लगा ली. थोड़ी सी क्रीम मैंने उसकी चूत के मुंह पर भी लगा दी. शीशी को एक तरफ फेंक कर मैंने तीसरी बार पूरा जोर का झटका मारा तो लंड उसकी चूत में घुस गया. वह तड़प उठी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और उसकी आंखों में पानी भर गया. मुझे भू दर्द हो रहा था मेरे लंड पर … ऐसा लगा कि मेरा लंड छिल गया है. लेकिन बहन की चुदाई की के जोश में मैं इस दर्द को भूल गया. सीमा बोली- बाहर निकालो, मुझे दर्द हो रहा है.
मगर अब मैंने लंड को बाहर निकाला क्योंकि बड़ी मुश्किल से लंड चूत में गया था. मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया ताकि उसका दर्द कम हो जाये. इसी बीच में मैं उसकी चूत में हल्के-हल्के धक्के देने का भी प्रयास करता रहा ताकि लंड उसकी चूत में सही तरह से सेट हो जाये. उसके बाद जब सीमा का दर्द कम हो गया तो मैंने अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी. उसकी चूत को अपने लंड से चोदने लगा.
अब वह मेरे लंड से चुदाई के मजे लेने लगी. मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियों को दबाता रहा. पंद्रह मिनट तक ऐसे ही चुदाई चली. उसके बाद एकदम से उसकी चूत से पानी निकलने लगा और वह जोर से चिल्लाती हुई शांत हो गयी. मेरे धक्के अभी भी जारी थे.
मैंने सीमा को उठा कर घोड़ी बना दिया. मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया. उसकी पीठ को पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया. मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. वह कराहने लगी. कुछ देर के बाद वह फिर से गर्म हो गई. अब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलने लगी. उसको भी चूत चुदाई का मजा दोबारा से आना शुरू हो गया था. उसने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरा लंड उसकी चूत में पूरा अंदर तक टकराने लगा. आह्ह … ओह्ह … बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसके चूतड़ों पर तमाचा मारा तो उसकी गोल गांड लाल हो गयी. मैंने दो-तीन तमाचे मारे और उसकी गांड को लाल कर दिया. पांच मिनट के बाद उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. वह अपना सिर बेड पर रख कर आराम करने लगी. मगर मेरे धक्के अभी भी पीछे से लग रहे थे.
वह अपने सिर को अपने हाथों से पकड़े हुए थी और मैं उसकी गांड को पकड़ कर उसकी चूत में लंड को पेल रहा था. चूत में लंड टकराता तो फट्ट की आवाज हो जाती. इन आवाजों ने मेरे अंदर के जोश को और ज्यादा बढ़ा दिया. मैंने पूरी ताकत के साथ उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. वह दर्द के कारण चिल्लाने लगी मगर मैं नहीं रुका.
चूत चिकनी हो चुकी थी और तीन-चार धक्कों के बाद मेरा लावा भी उसकी चूत में फूट पड़ा. मैंने सारा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया.
कुछ देर के बाद जब हम नॉर्मल हुए तो देखा कि पूरी चादर गंदी हो चुकी थी. उसकी चूत से खून भी निकला हुआ था और वीर्य भी पूरा फैल गया था. उसकी चूत से वीर्य बाहर निकल रहा था. खून देख कर वह डर गई. मगर कुछ पल के बाद नॉर्मल हो गयी. उसने कहा- आर्यन, मेरे लिए एक आई-पिल और और एक पेन किल्लर ले आना.
सीमा उसके बाद उठ कर बाथरूम में चली गई और अपनी चूत को धोने के बाद बाहर आयी. अभी भी मैं बेड पर नंगा ही पड़ा हुआ था. जैसे ही वो मेरे पास आई मैंने उसको फिर से किस करना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और चुदाई का मूड बन गया. मैंने सीमा की चूत पर लंड को रगड़ना शुरू किया तो वह कहने लगी कि चूत में बहुत दर्द हो रहा है. मैने कहा- देखो न मेरे लंड को, कैसे तड़प रहा है. वह मेरे लंड की तरफ देखने लगी तो मेरा लंड तना हुआ था. वह बोली- इसका इलाज है मेरे पास.
यह बोल कर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसको आगे-पीछे करने लगी. उसके कोमल हाथों में जाकर मेरे लंड को आनंद और मजा आने लगा. वह मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी. मैंने सीमा को पकड़ कर अपने ऊपर लेटा लिया. मैंने नीचे से लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत में लंड को घुसाने का प्रयास किया मगर वह उठ गई. सीमा बोली- तुम ऐसा मत करो प्लीज … मुझे सच में बहुत दर्द हो रहा है. उसके बाद मैंने कहा- ठीक है, जैसे तुम पहले हाथ से कर रही थी वैसे ही कर दो.
सीमा ने मेरे लंड को अपने हाथ में फिर से पकड़ लिया और उसके टोपे को आगे-पीछे करने लगी. वह जोर-जोर से मेरे लंड की स्किन को खींच कर नीचे करने लगी. मुझे लंड में दर्द होने लगा. मैंने कहा- आराम से करो … दर्द हो रहा है. उसके बाद सीमा ने बेड पर पड़ी वैसलीन की शीशी उठा ली और थोड़ी सी क्रीम मेरे लंड पर लगा दी. लंड चिकना हो गया और सीमा ने दोबारा से मेरे लंड की मुट्ठ मारना शुरू कर दिया. अब मुझे पहले से ज्यादा मजा आने लगा. मन कर रहा था कि एक बार फिर से पकड़ कर उसकी चूत में लंड को घुसा दूं मगर मैं ऐसा करके उसको नाराज नहीं करना चाहता था.
वह मेरे लंड को जोर-जोर से रगड़ने लगी. मैंने अपने खड़े हुए लंड पर उसके मुंह को रख दिया. उसने लंड को मुंह में ले लिया. वह जोर-जोर से मेरे लंड को मुंह में लेते हुए अंदर-बाहर करने लगी. उसके गर्म मुंह में जाकर अबकी बार लंड को पहले से और ज्यादा मजा आ रहा था. मैंने उसकी गांड में उंगली को डालने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ हटा दिया. वह तेजी से, दोनों हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी. मैं पागल होने लगा. आह्ह … अम्म … ओह्ह … चूसो मेरी जान … उफ्फ … करती रहो. आअअह्ह … बस जल्दी … करो … ओओ … ह्ह … मैंने उसके सिर को अपने लंड पर दबा दिया और मेरे पूरा बदन ऐंठने लगा. मेरे लंड ने उसके गर्म मुंह में फिर से अपना वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया.
कुछ ही पल में मेरे लंड ने फिर से वीर्य उसके मुंह में भर दिया. वह मेरे वीर्य को अंदर ही पी गई. जब उसने लंड को बाहर निकाला तो मेरा लंड लाल हो कर सूज गया था. उसने अपनी पैंटी से मेरे लंड को साफ कर दिया और हम दोनों नंगे ही सो गये. रात कब बीत गयी इसका पता सुबह होने के बाद ही चला. सीमा ने मुझे जगाया और मुझे कपड़े पहनाए. पूरे दिन हम दोनों नॉर्मल ही रहे. मैंने उसको एक पेन किल्लर और एक आई-पिल लाकर दे दी. जब मैं बाथरूम में नहाने गया तो मुझे पता चला कि मेरे लंड का टांका टूट गया है. मेरा लंड पूरा खुल गया था. मैंने सीमा की सील तोड़ दी थी और उसने मेरे लंड का टांका तोड़ दिया.
उसके बाद तो जब भी हम दोनों को अकेले में मौका मिलता हम दोनों सेक्स का खूब मजा लेते थे. पहले दो-तीन बार मैंने सीमा की चूत मारी. फिर एक दिन मेरा मन उसकी गांड मारने को किया तो मैंने उसको गांड मरवाने के लिए भी तैयार किया और मैंने उसकी गांड भी मारी. उसकी गांड की चुदाई करने में भी मुझे बहुत मजा आया. मगर उसकी गांड की चुदाई की कहानी मैं आपको फिर कभी बताऊंगा.
सीमा की अब शादी हो चुकी है. शादी के बाद हम दोनों नहीं मिल पाये हैं. मगर फोन पर बात हो जाती है. अब हम फोन सेक्स करते हैं और वीडियो कॉल पर एक-दूसरे का मन बहला लेते हैं. मेरा बहुत मन करता है कि जल्दी से सीमा से मुलाकात हो जाये. मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों और गांड को कभी नहीं भूल पाता. अब मेरी फिर से इच्छा होने लगी है कि उसके साथ सेक्स करने का मौका जल्दी ही मिल जाये मुझे. जिस दिन उसकी सगाई हुई थी उस दिन भी मैंने अपनी ममेरी बहन की चुदाई की थी. शादी वाले दिन भी मैंने उसकी चूत चोद दी. वह सब मैं आपको अपनी अगली कहानियों में बताऊंगा.
आपको मेरी यह बहन की चुदाई कहानी कैसी लगी, इस बारे में मुझे अपने विचार जरूर बताएं. आपके विचार और सुझाव मेरे लिए बहुमूल्य होंगे. बुर का रसिया आर्यन आपके मेल के इंतजार में! [email protected]
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