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मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग मामी को रिटर्न गिफ्ट: रसीली चुदाई-1 में आपने पढ़ा कि नौकरानी ऊषा के साथ प्लान बनाकर मैंने अपने भोले-भाले पति विपिन को मामी के सामने चुदाई करवाने के लिए कैसे फंसाया था. ऊषा के साथ हुई घटना को केंद्र बनाकर मैंने अपने पति को मामी के सामने नंगा करवा दिया और मामी ने भी इसमें मेरा पूरा साथ दिया. अब बारी थी मेरे विपिन जी की मुझे मनाने की और अपने दमदार लंड से खुश करने की. अब आगे … हार कर मेरे भोले विपिन जी नंगे हो गए और बड़े प्यार से ब्लाउज को और फिर मेरी ब्रा को उतारा. मेरे दोनों मम्मों को सहलाया और उनको धीरे से पीना शुरू किया जैसे कोई अबोध बच्चा दूध पी रहा हो. फिर सिर नीचे ले जाकर अपने दांतों से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दांत से ही मेरी पैंटी को भी उतार दिया.
उनकी गर्म-गर्म सांसें पूरी की पूरी जांघों से होते हुए पैरों पर पड़ रही थीं. मेरा पूरा शरीर सिहर रहा था. मेरा रोयां रोयां खड़ा हो गया था. विपिन ने ऊपर आकर मेरी फुद्दी को नाक से रगड़ दिया. उनकी गर्म-गर्म सांसें मेरी उत्तेजना को बढ़ाये जा रही थीं. फिर जीभ से दोनों फांकों को अलग कर चूत चाटने लगे. मैं मामी को खींच कर अपने ऊपर ले आयी और अपने ऊपर लेटा लिया और उनकी दोनों चूचियों को बाहर निकाल लिया. एक को मुंह में भर कर पीने लगी. दूसरी को एक हाथ से मसल रही थी. उत्तेजना के कारण मेरी दोनों टांगें अपने आप फैलती चली गईं. वो अपना लंड मेरी चूत में डालने के लिए पोजीशन बदलने ही लगे थे कि मैंने अपने पैरों को सिकोड़ लिया.
मामी बोली- यही आपकी सजा है कि आज आपका लंड बुर के लिए तरसता रहे. आपको अपने मुंह से मेरी बच्ची (सुधा) की चूत को मनाना है. चूत जब आपको अपनी पिचकारी से नहला दे तो समझियेगा कि आपको माफी मिल गयी. विपिन जी फिर वहीं से चालू हो गये. मैं अपना हाथ बढ़ाकर मामी की चूत के पास ले गयी जिसे मामी ने आज ही शेव किया था. मामी की चूत साफ-सुथरी चिकनी और मुलायम थी. वहाँ हाथ जाते ही मामी की चूत, जो पहले से ही पिघल रही थी, और ज्यादा गीली होने लगी. उनकी चूत का रस दोनों जांघों पर चू कर फैल रहा था. इतने में मेरा शरीर अकड़ने लगा. थोड़ा सा चिपचिपा रस मेरी चूत से निकल कर उनके मुंह में समा गया तो कुछ रस चारों तरफ फैल गया. उनका मुंह चिकने द्रव्य के कारण चमक कहा था.
मैं उठी और विपिन पर बिगड़ते हुए बोली- चलिये मेरी चूत ने आपको माफ किया. मगर यह तो बताइये कि आप उषा को कैसे चोदते? मामी के ऊपर करके बताइये. मामी शायद इसके लिये तैयार नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने पैरों को समेट लिया. मैंने मामी को पीठ के बल लेटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर बैठ गयी जिसके कारण मेरी चूत उनके मुंह के ऊपर आ गयी. मैंने मामी की टांगों को दोनों हाथों से फैला दिया. उनकी चुदने की इच्छा तो हो रही थी मगर वह अपने मुंह से नहीं कह पा रही थी. थोड़ी सी ना-नुकर करने के बाद मामी भी आराम से पैर फैला कर लेट गयी. विपिन जी ने आदेश का पालन करते हुए मामी को पेलना शुरू कर दिया. मामी हर स्ट्रोक का आनंद लेने लगी. हर बार चूतड़ उठा कर विपिन जी के लंड को गप्प से निगल जा रही थी उनकी चूत.
मेरी फुद्दी मामी के नाक के ऊपर थी. उनकी गर्म सांसें वहां टकरा रही थीं. मामी ने जीभ से मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया. एक हाथ का अंगूठा पहले मेरी चूत में डालकर गीला कर लिया और फिर मेरी गांड में घुसा दिया. मेरी चूत फिर से उत्तेजित होने लगी. मामी पीछे से अंगूठे को गांड में भीतर-बाहर कर रही थी. जीभ से बुर की चुदाई कर रही थी. विपिन जी की स्पीड बढ़ने लगी थी. मामी ने भी बदले में अपनी स्पीड बढ़ा दी थी. साथ ही साथ मामी का अंगूठा मेरी गांड में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था. पूरे रूम में चूत चटाई की चपर-चपर के साथ-साथ चूत चुदाई की चट्ट-चट्ट फैल गई थी. लगभग तीनों ही एक ही समय पर झड़ गए और निढ़ाल होकर पड़ गये. मामी उठकर कपड़े पहनने की तैयारी करने लगी तो मैंने उनको मना कर दिया. मैंने मामी को इसी तरह सोने के लिए बोल दिया. उसके बाद हम तीनों ने एक चादर ओढ़ ली. विपिन हमारे बीच में सैंडविच के माफिक लेटे हुए थे. मैंने उनका लंड पकड़ कर कहा- खबरदार जो किसी और की चूत की तरफ लंड उठाकर देखने की कोशिश भी की तो! मुझे पता था कि अगली बार सप्ताहों तक लंड महाराज और चूत का मिलन न हो पायेगा इसलिए मैं उनके लंड को अपने दोनों चूतड़ों के बीच में फंसा कर सो गयी.
अब भला लंड को क्या मतलब कि चूत या गांड किसकी है. वह तो उसकी तपिश से ही खड़ा होना शुरू जाता है. यहाँ तो दो-दो औरतें दोनों तरफ से लंड को दाबे हुए थीं. ऊपर से लंड को चूतड़ों में फंसा कर रखे हुए थी. कुछ आधा घंटा बीतने के बाद लंड फिर से खड़ा होने लगा. उसके आकार का परिवर्तन मेरी गांड में दस्तक देने लगा था जिससे मेरी नींद खुल गयी. मैंने मामी को उठाया तो वह अलसायी हुई थी. मामी उठ कर बोली- अब ये तुम दोनों का ही मामला है. मैंने एक बार सुलह करा दी है. अब तुम जानो और तुम्हारी चूत-लंड जानें. उस रात मैं लंड की चुदाई से अभी तक वंचित ही थी. इसलिए उसके खड़ा होने भर की देर थी कि मेरी चूत ने भी रस छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने लंड की सवारी करने की सोची. विपिन जी को पीठ के बल लेटा कर उन पर चढ़ कर बैठ गयी. लंड सीधे मेरी चूत के अंदर चला गया. मुझे इस तरह से घुड़सवारी करने में बड़ा ही आनंद आता है.
मामी बगल में जैसे निश्चल लेटी हुई थी. मगर यह तो संभव सी बात नहीं लग रही थी कि बगल में चुदाई चल रही हो आपको नींद आ रही हो. मैंने मामी का फॉर्मूला उन्हीं पर फिट कर दिया. मैंने अंगूठे को उनकी गांड के पास रखा और दो उंगलियों को चूत के पास रख दिया और धीरे से अंदर करने लगी. मामी की चूत तो जाग रही थी जिसका अंदाजा मुझे उसकी चूत से निकलने वाले रस से हो गया. मैं जान गई थी कि मामी ने बस आंखें बंद कर रखी हैं. जितनी तेजी के साथ मैं लंड की सवारी कर रही थी उसकी दोगुनी स्पीड के साथ मैं मामी को अपनी उंगलियों से चोद रही थी. मामी की सीत्कार बढ़ने लगी तो मैंने मामी को बोल दिया- मामी अब तो उठ जाओ, मेरी चुदासी मामी. मामी उठी और बोली- बोलो क्या करना है, लंड पर तो तुम काबिज हो.
मैंने मामी के चूतड़ों को उठा कर विपिन के मुंह पर रख दिया. मामी ने अपनी चूत की फांकों को और चौड़ा कर दिया. उनकी नाक के ऊपर रगड़ने लगी. विपिन जी अब मामी की चूत को जीभ निकाल कर अंदर तक चाट रहे थे. मामी की चूत में जीभ तो डाल ही रहे थे और साथ ही अब उनकी गांड में अपनी उंगली भी करने लगे थे. मैंने मामी के मम्मों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. साथ ही मैं लंड की सवारी का भी पूरा आनंद ले रही थी. हम तीनों की स्पीड तो बढ़ रही थी मगर साथ में पलंग की चर्र-चर्र भी बढ़ रही थी. कुछ देर के बाद तीनों ही एक साथ खल्लास हो गए. अब मामी बिना कुछ कहे ही उठ कर नाइटी पहनने लगी और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गई. हम दोनों भी काफी देर तक सोते रहे.
सुबह उठ कर नीचे गई तो मामी नहा कर तैयार हो चुकी थी. उनको अपने बाहुपाश में भरते हुए मैंने पूछा- कैसा रहा रिटर्न गिफ्ट? मेरी चुदासी मामी मुस्कराकर बोली- लाडो, मैं तो तेरे लिए डिल्डो ही लेकर आई थी मगर तूने तो सच-मुच में असली का लंड मेरी चूत पर न्यौछावर कर दिया.
इतने में ही ऊषा आ गयी. मुझे एक तरफ कमरे में लेकर गयी और बोली कि जरूरी काम है. अंदर जाते ही उसने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया और मेरे पैरों पर गिर पड़ी. बोली- हे दीदी, देखो मेरी चूत की हालत. यह कहकर उसने साड़ी और पैटीकोट को उठा लिया और मुझे दिखाने लगी. उसकी पैंटी पूरी भीगी हुई थी.
ऊषा बोली- रात भर मैं तो उंगली करके थक गई हूँ, नींद भी नहीं आई. मगर यह छिनाल सुधरने का नाम ही नहीं ले रही. बस सोच कर ही भीग जाती है. दीदी कुछ तो करो. इसके लिए लंड का इंतजाम कर दो किसी तरह. मेरा तो सिर फटा जा रहा है जब से विपिन जी का लंड मेरी चूत से छूकर गया है. तब से यह पागल हो गयी है. चिल्ला-चिल्ला कर उन्हीं का लंड मांग रही है. कहती है कि लंड चाहिए तो वही चाहिए. मैं जब दूसरे लंड की तरफ इशारा करती हूँ कमीनी सूख जाती है. मैंने पलंग पर लेटते हुए कहा- चल आ जा, मेरी चूत की मालिश कर दे. रात भर बहुत झटके खाये हैं इसने.
वो भी कहीं से तेल की शीशी उठा कर ले आयी और मेरी चूत की मालिश करने में जुट गयी. बीच-बीच में अपनी जीभ से बुर की फांकों को चौड़ा कर चाट भी रही थी. आखिर एक चूत ही दूसरी चूत के दर्द को समझ सकती है और वही उसका इलाज भी कर सकती है. ऊषा के बर्दाश्त की सीमा जब पार हो गई तो उसने अपनी चूत को मेरी चूत के ऊपर ही घिसना चालू कर दिया. थोड़ी ही देर में गरम सा लिस-लिसा सा पदार्थ मेरी चूत के ऊपर फैल गया. मैं समझ गयी कि वो झड़ चुकी है. कुछ देर के बाद वह फिर से शुरू हो गई. बोली- देखो दीदी, अब आप ही देख लो, यह तीसरी बार है. कुछ तो करो मालकिन, मेरा मन शांत नहीं हो रहा है, वर्ना मैं छत पर से कूद जाऊंगी! मैंने उसे झिड़कते हुए कहा- शांत हो जा पगली. मेरी बात को ध्यान से सुन. जिस बाथरूम को विपिन जी यूज करते हैं उसमें बिना बल्ब के कोई नहीं जा सकता. इतना अंधेरा होता है वहां दिन के समय में भी. उधर एक फ्यूज बल्ब रखा हुआ है. जा … जाकर बदल ले अपनी किस्मत!
ऊषा तुरंत समझ गयी कि उसे क्या करना है. विपिन जी जैसे ही नाश्ता करने के लिए नीचे उतरे. वह फुर्ती से जाकर बल्ब बदल आई. भीतर जाकर वाशरूम का दूसरा दरवाजा और कुंडी भी खोल दी जो वाशरूम के अंदर से ही खुलता और बंद होता है. वह भी इंतजार करने लगी कि कब विपिन जी नहाने के लिए जाते हैं. साथ ही साथ चूत चुदवाने के उतावलेपन में वह काम भी फटाफट निपटा रही थी.
विपिन जी जैसे ही नहाने के लिए अंदर गये तो उन्होंने बल्ब ऑन किया. मगर फ्यूज बल्ब भी भला कभी जलता है? उन्होंने मुझे आवाज दी और कहने लगे- देखो सुधा, बल्ब नहीं जल रहा है. मैंने कहा- अगर आप बाहर आएंगे तो मैं देख पाऊंगी कि क्या बात है.
वो बाहर आये और इतने में ऊषा भी दूसरे दरवाजे से अंदर घुस गई. अगर थोड़ी सी भी टाइमिंग की गड़बड़ हो जाती तो कोई भी पकड़ लेता कि दूसरे गेट से कोई अंदर दाखिल हुआ है. मैंने बाहर आकर विपिन जी से कहा- कोई बात नहीं, लगता है कि बल्ब फ्यूज हो गया है. आप वाशरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला छोड़ कर स्नान कर लीजिए ताकि वाशरूम में रौशनी आती रहे. मैं बाहर ही बैठ जाती हूँ. वो अंदर गये और पानी के गिरने की आवाज आने लगी.
अब जैसा ऊषा ने मुझे बताया वो भी सुनो: मैंने (ऊषा) इतनी ही देर में पूरे कपड़े उतार दिये थे. जमाई बाबू बदन पर पानी डालने के बाद अंधेरे में शायद साबुन ढूंढ रहे होंगे. मगर उससे पहले ही मैंने साबुन खोज कर उनकी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. पीठ पर साबुन मलने के बाद मेरे हाथ आगे छाती की तरफ आ गए. छाती पर साबुन मलते समय मेरी दोनों चूचियां जमाई बाबू की पीठ पर सट रही थीं. उसके बाद छाती से चलकर मेरे हाथ पेट पर मलते हुए नीचे लंड की तरफ बढ़ गये. पीछे से चूचियों का दबाव और साथ में नारी का स्पर्श मिलते ही लंड तुरंत खड़ा हो गया. मैं उनके खड़े लंड पर साबुन लगाने लगी. मेरे हाथ आगे की तरफ उनके लंड पर जाकर टिक गये और वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे. जमाई जी का तना हुआ गर्म लौड़ा हाथों में ऐसा आया कि हाथों ने मजे ही मजे में लंड को सहलाना शुरू कर दिया. कभी टोपे का साइज नापने लगे तो कभी तोप के नीचे के दो बड़े गोलों को छूकर वापस तोप के ऊपर फिसल जाते. मेरी चूचियां तो जमाई जी की पीठ से लग कर ही तन गई थीं. मगर साथ ही जब चुदाई की आग बेकाबू होने लगी तो मैंने चूत रानी को भी पीछे से जमाई जी के चूतड़ों पर रगड़ दिया. मन कर रहा था उनकी गांड में ही अपनी चूत को घुसा दूँ. मगर इतना वक्त नहीं था मेरे पास. उसके बाद ठीक से उनको अच्छी तरह नहलाया और अपनी तरफ उनको घुमाते हुए जमाई जी की गर्दन पर लटक गई. थोड़ा सा उचकते ही मेरी चूत का छेद ठीक लंड के टोपे के ऊपर सेट हो गया. एक धक्का दिया और टोपा फिसलते हुए चूत से बाहर भाग गया. जल्दी से टोपे पर थूक लगाया और फिर से गीला करते हुए एक और धक्का दे मारा तो आधा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया. उसके बाद जोर से दूसरा धक्का और पूरा लंड चूत में समा गया. आह्ह … जमाई जी का लंड जब अंदर गया तो मेरी चूत की धधकती आग में जैसे घी डाल दिया गया हो. मगर अगले ही पल उनको पता चल गया कि किसी गलत नम्बर पर कॉल गया है.
कान में फुसफुसाते हुए जमाई जी बोले- कौन हो तुम? मैं बोली- कल के अधूरे काम को पूरा कर लें जमाई जी? दीदी बाहर बैठी है. मगर पानी के शोर में कुछ सुनाई नहीं देगा कि अंदर क्या हो रहा है. जमाई जी ने मुझे वहीं फर्श पर लेटा दिया. मेरी चूत पर लंड रखा और फच्चाक से एक ही धक्के में पूरा लंड योनि के अंदर चला गया. थोड़ा दर्द तो हुआ मगर बढ़ते हुए धक्कों के साथ जल्दी ही मजा भी आने लगा. मैं तो दस-बारह धक्कों में ही संयम खो बैठी और झड़ पड़ी. मगर जमाई जी अभी भी धक्कम पेल चालू किए हुए थे. कुछ देर के बाद मैं बोली- बस, हो गया हो तो अब हट जाइये. जमाई जी- अभी मेरा कहाँ हुआ है … कहकर उन्होंने फिर से धक्कम-धक्का कर दी.
मैं दोबारा से गर्म होने लगी. मैं भी चूतड़ उठा उठाकर उनका साथ दे रही थी. थकने के बाद जमाई जी मेरा दूध पीने लगे. चूचियों को मसल-मसल कर बुरा हाल कर दिया उन्होंने. एक दो जगह से चूची को काट भी लिया जिसका निशान अभी भी पड़ा हुआ है मेरी चूची पर. उषा ने अपनी चूची निकाल कर मुझे (सुधा को) दिखाई भी थी . ऊषा ने कहानी जारी रखते हुए कहा- सांसें सामान्य होने के बाद हमारी चुदाई फिर से शुरू हो गई. दोनों जन पसीना-पसीना हो गये. जब उनकी स्पीड बढ़ने लगी तो मैं समझ गई कि वो अब झड़ने वाले हैं. मैंने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी. जितनी जोर से वो धक्का दे रहे थे मैं उससे दोगुनी ताकत लगाकर अपनी चूत को उछाल देती थी. हर बार जब लंड चूत में घुसता तो फच्च की आवाज हो उठती और जांघों पर चट्ट की आवाज बन पड़ती. मैं उनकी पीठ पर लगभग लटक ही गयी थी उनके धक्के मुझे बाथरूम के फर्श से हर बार उठाते और फिर धम्म से नीचे पटक देते. जैसे ही वो ऊपर उठते मैं उनकी पीठ से लटक कर ऊपर उठ जाती. ऐसा चोदू मर्द मिला है सुधा दीदी आपको. बड़ी किस्मत वाली हो आप तो.
ऊषा के मुंह से मुझे मेरे ही पति की चुदाई की तारीफ सुन कर बड़ा मजा आ रहा था. ऊषा ने आगे बताते हुए कहा- जमाई जी मेरी चूत का बाजा बजा रहे थे और मैं उनकी चुदाई की धुन में नाच रही थी. बहुत दिनों के बाद मेरी आग उगलती चूत को ऐसा ठंडे पानी का झरना मिलने वाला था मैंने तो अनुमान भी नहीं लगाया था इसका. मगर विपिन जी का लंड तो मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा दमदार भयंकर साबित हो रहा था. जब पहले दिन उनके अंडरवियर के अंदर से ही चूत ने उनके टोपे के अहसास को महसूस किया था, मेरी हालत तो उसी पल से खराब होने लगी थी. दीदी अगर आज आप मेरे लिए जमाई जी के लंड का इंतजाम न करती तो सच में मैं छत से कूद कर अपनी जान ही दे दती.
आपने जो बाथरूम के बल्ब को बदलने का आइडिया दिया उसने भले ही बाथरूम में अंधेरा किया लेकिन जमाई जी का लंड पाकर मेरी चूत में सैकड़ों बल्ब जल उठे थे. उनका हर धक्का मेरी चूत में आनंद का उजाला कर रहा था. मैं तो चुदते हुए मन ही मन कहने लगी थी- आया नया उजाला, जबरदस्त धक्कों वाला … जमाई जी मेरी चूत को अपने लंड से घायल कर रहे थे और मैं उनके हथौड़े को पूरा मौका दे रही थी कि वह अंदर तक मेरी चूत की ठुकाई कर दे. आह्ह … बहुत दिनों के बाद इतना आनंद आया था मुझे चुदाई में. पेलम-पेल, धका-धक, फच्च-फच्च चुदाई के वो पल भुलाए नहीं भूलते दीदी.
कुछ देर के बाद अकड़ते हुए दोनों ही भलभला कर निकल पड़े. जमाई जी का कुछ वीर्य अंदर गिरा तो कुछ बाहर गिर गया. बाहर गिरा हुआ वीर्य पानी के साथ घुल कर मेरी पूरी पीठ पर फैल गया. देखो दीदी पूरी पीठ चट-चट कर रही है. इतनी कस कर चुदाई कर दी है कि लगता है पूरे शरीर का पानी चूस कर बाहर निकाल दिया हो. चलो कहीं कोने में, सोने के लिए, अब आप ही संभालना दीदी.
ऊषा की बात यहाँ पर खत्म होती है.
यहां से कहानी में मैं वापस आ जाता हूँ. नहीं तो आपको लगेगा कि ऊषा की चूत की आग की आंच अभी भी आपके मन में उठ रहे वासना के समंदर को भाप बनाकर उड़ा रही है. इतना कहने के बाद सुधा चुप हो गयी. सुधा बोली- देखो, तुम्हें (ममता को) कहानी सुनाते-सुनाते मैं तो फिर से पिघलने लगी. छू कर देख ममता, मेरी पूरी पैंटी गीली हो गई है. तुम्हारा क्या हाल है जरा तुम भी दिखाओ.
सुधा ने ममता की टांगों के बीच में हाथ लगा कर देखा और बोली- अरे कोई असर ही नहीं हुआ तुम पर तो! बिल्कुल रेगिस्तान की तरह सूखी लग रही हो? ममता बोली- जिसके लिए दिल धड़का उसी के लिए चूत का पानी छलका.
फिर बातें करते-करते दोनों नीचे चली गईं और मुझे (बाथरूम में कमोड पर बैठे हुए) वहाँ से मुक्ति मिल गई.
मेरा इस बार का प्रयास कैसा लगा, आप नीचे दिये गए मेल आई-डी पर जरूर बतायें. [email protected]
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