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मेरी साली ममता और उसकी सहेली सुधा की शादी एक साथ ही हुई थी. मगर शादी के बाद कोई ऐसा संयोग नहीं बन पाया कि दोनों में से कोई भी अपने जीजा के साथ मिल सके. एक दिन ऐसा संयोग बना कि ममता और सुधा दोनों ही अपने पति के साथ मायके आई हुई थीं. जब उसकी सहेली सुधा को पता लगा कि उसकी सहेली ममता आयी हुई है तो वह दौड़ी चली आई.
दोनों काफी दिनों के बाद मिली थीं इसलिए दोनों ने पहले तो आपस में खूब बातें की और उसके बाद दोनों ने ही साथ में खाना भी खाया. उसके बाद ममता उसको ऊपर वाले कमरे में ले गई. दोनों सहेलियाँ आपस में कुछ गप-शप करने के लिए ऊपर वाले कमरे में चली गईं. मैंने भी अभी साली साहिबा से गुफ्तगू की थी और उसके बाद मैं बाथरूम में घुस कर अपने कपड़े साफ करने लगा. उसके बाद मैं कमोड पर बैठकर दैनिक क्रियाओं से फारिग हो रहा था कि इतने में ही दोनों सहेलियों ने रूम पर कब्जा कर लिया. मैं शर्म के मारे बाथरूम से बाहर भी नहीं आ सकता था. कुछ देर वहीं पर ये सोचकर बैठा रहा कि सुधा चली जाएगी तो उसके बाद ही बाहर आऊंगा. मगर यहाँ तो सीन ही उलट हो गया था.
सुधा ने ऊपर आते ही ममता के ऊपर प्यार लुटाना शुरू कर दिया जिसका सबूत उनकी चुम्मा-चाटी की आवाजें बाथरूम के अंदर तक आकर दे रही थी. जब दोनों की चुम्मा-चाटी समाप्त हो गई तो सुधा पूछने लगी- जीजा को कहाँ छिपा दिया है? सुधा बोली- यार ममता तू तो अभी से इतना पजेसिव हो रही है. एक बार जीजू से मिलवा दे. मैं खा थोड़ी न जाऊंगी तेरे पति को? ममता ने कहा- अरे तू बड़े जीजू से नहीं मिली? वो तो नीचे ही हैं. सुधा ने कहा- चल हट, वो तो बहुत गंदे इन्सान हैं. हमेशा छिछोरापंथी करते हैं और गंदी नजरों से देखते रहते हैं. वैसे भी वो कहावत है न- जहाँ दिल मिले वहाँ चूत तैयार, नहीं तो फिर सैंडिल से वार! मैं तो तेरे वाले से मिलने के लिए आई हूँ. तेरे मुंह से उनकी तारीफ सुनने के बाद तो मैं उनकी फैन हो गई हूँ. मैं तो अपने पति से भी बोलकर आई हूँ कि मैं अपने जीजू से मिलने जा रही हूँ. उनको कहकर भी आई हूँ कि अगर किसी चीज की जरूरत हो तो वह मामी से मांगने में शर्म न करें.
ममता बोली- वे तो कल ही चले गए हैं. मगर कह कर गए हैं कि जब वापस लेने आयेंगे तो सप्ताह भर की छुट्टी लेकर ही आएंगे. उन्होंने तो खास तौर पर तुमसे मिलने की इच्छा भी जताई है. कह रहे थे कि तुम्हारी सहेली सुधा से जरूर मिलना चाहेंगे. वह तो पूरा वक्त देने के लिए तैयार हैं. आखिर जो रंग मेरी बीवी पर चढ़ा है तो फिर सुधा को उससे वंचित क्यों रखा जाए भला? मुझे तो लगता है कि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई है. अब यही इंतजार है कि तुम दोनों की ये प्यास कब बुझ पाएगी. दोनों सखियाँ इस बात पर खिलखिलाकर हँसने लगीं.
सुधा ने ताना मारते हुए कहा- कलमुंही तू मिलने देगी तब न प्यास बुझ पाएगी. तूने तो पहले ही भगा दिया उनको. मेरी आंखें तो कब से उनके दीदार के लिए तरस रही हैं.
ममता बोली- बस, अब अपनी शायरी बंद कर. जब मिलोगी तुम दोनों को अकेले छोड़ दूंगी. हाय! जब तू उनसे मिलेगी तो तेरा चेहरा तो शर्म के मारे लाल हो जाएगा मेरी रानी. तू तो उनके सामने टिक ही नहीं पाएगी और शरमा कर भाग खड़ी होगी. अब ये बता कि और क्या चल रहा है तेरी लाइफ में? सुधा ने कहा- मामी आयी हुई है घर पर. एक सप्ताह पहले ही आई थी और सुना है कि एक महीने तक यहीं रहेगी. मेरे मामा जी को विदेश में किसी प्रोग्राम में जाना था इसलिए उनको यहाँ पर महीने भर के लिए छोड़ कर गए हैं. मामी बता रही थी कि यहाँ पर आने के लिए पता नहीं क्या-क्या घूस देनी पड़ी है तेरे मामा को! ममता ने पूछ ही लिया- मामी ने भला क्या घूस दी यहाँ आने के लिए?
सुधा बोली- अरे तू नहीं जानती लाडो! मामी बता रही थी कि यहाँ आने से पहले उन्होंने गांड मरवायी, बुर चुदवाई, मुंह को चुदवाया, दोनों चूचियों के बीच में फंसाकर चुदवाया. जब इतने में भी मामा का दिल नहीं भरा तो एक दिन सारी हद पार कर बैठे. मामी को बाथरूम जाना था सू-सू करने के लिए तो मामा भी साथ में चल दिए. बोले कि दोनों साथ में करेंगे! अब मामी बेचारी मरती क्या न करती? मामा कमोड पर बैठ गए और लंड को थोड़ा सहला कर अर्ध-सुप्त अवस्था में ले आए और मामी से कहने लगे कि अब तुम भी बैठ जाओ मेरी टांगों पर. दोनों साथ में मूतेंगे. देखते हैं कि किसके पेशाब में कितना जोर है. दोनों ने एक साथ मूतना शुरू किया. मामी उनके लंड पर फुद्दी को टिका कर मूतने लगी. उधर से मामा ने फु्द्दी को निशाना बनाकर पेशाब करना शुरू किया. गर्म-गर्म पेशाब जब फुद्दी पर लगने लगा तो उनकी मुनिया को गर्म कर दिया. धीरे-धीरे पेशाब की धार से गर्म होकर चूत अब चुदाई के लिए तैयार होने लगी. पेशाब से भीगी हुई चूत लंड खाने के लिए तरस उठी. चूत से पेशाब की धार बंद होते ही लंड को हाथ से हिलाकर खड़ा कर दिया और चूत की सीध में टिका कर गप्प से लंड को अंदर ले गई मामी. मामा इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थे. कमोड का ढ़क्कन खुला हुआ था जिसके कारण मामा के चूतड़ थोड़ा अंदर की तरफ धंस गए. उनकी गांड चौड़ी होकर फटने लगी. मगर मामी तो गर्म हो चुकी थी और कूद-कूद कर लंड को अंदर निगल रही थी उनकी लंडखोर चूत. पूरे मजे लेकर चुदाई को खत्म किया.
अब तू ही बता ममता कि कमोड भी भला क्या चुदाई की जगह होती है? ममता बोली- हाउ स्वीट! मामा जी तो बहुत ही रसीले हैं. आइडिया तो झकास था यार! सुधा ने कहा- मामी मुझसे कहने लगी, देख ले सुधा तुझसे मिलने के लिए मुझे इतने पापड़ बेलने पड़े हैं. मगर अब तू भी रिटर्न गिफ्ट की तैयारी कर ले मेरी जान. मैंने मामी से पूछा- क्या मामी? मैं आपकी बात समझी नहीं. मामी बोली- तुझको मैंने हमारी चुदाई लाइव दिखाई थी न? अब तू भी तैयारी कर ले उसके लिए.
सुधा ने बताते हुए कहा- मैंने भी मामी से जोश में आकर कह दिया कि अगर मामी तैयार है तो छेद से चुदाई का सीन दिखाने की बजाय मैं तो उनके सामने ही अपनी चूत को चुदवाकर दिखा दूंगी. मामी ने जवाब दिया- अच्छा, ठीक है फिर! नेकी और पूछ-पूछ? कहकर मामी हँसने लगी. ममता ने उतावलेपन से पूछा- उसके बाद क्या हुआ? सुधा- अरे बता तो रही हूँ. कहीँ भागी नहीं जा रही मैं. मैंने मामी को जोश ही जोश में निमंत्रण तो दे दिया मगर अब इस चैलेंज को पूरा कैसे करूँ उस सोच में बैठी हुई थी.
फिर मेरे दिमाग में ऊषा का ख्याल आया. उषा हमारी नौकरानी है. मैंने ऊषा से इस बारे में बात की मगर उसको आधा प्लान ही बताया. मैंने ऊषा को समझा दिया कि वह मेरे पति से लिपट जाये उसके बाद मैं खुद संभाल लूंगी. ऊषा ने भी हामी भर दी. ऊषा बोली- दीदी, बस इतना छोटा सा काम? यह काम तो मैं आंख झपकते ही कर दूंगी. मगर उसके बाद अपने पति पर नज़र रखना आपका काम है क्योंकि उनको देख कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगती है. मेरा मन तो बहुत करता था मगर आपकी खातिर अब तक बख्श रही थी उनको. मैंने कहा- ठीक है, ठीक है. मैं संभाल लूंगी. अब जा और अपनी शेखी कहीं और जाकर बघार.
मेरे पति विपिन नहाने के लिए तैयार हो रहे थे. उनकी आदत है कि वो नहाते समय सारे कपड़े, निक्कर और गंजी छोड़कर, बाहर खोल कर रख देते थे. सिर्फ तौलिया लपेट कर बाथरूम में नहाने के लिए जाते थे. प्लान के मुताबिन ऊषा को पानी का गिलास लेकर अंदर जाना था और चौखट पर पैर लग कर गिरने की एक्टिंग करनी थी. सब कुछ प्लान के मुताबिक ही चल रहा था. वो अंदर गयी और जैसी उसने गिरने की एक्टिंग की तो विपिन उसको लपक कर बचाने लगे. ऊषा अपनी बांहों को उनकी गर्दन में फंसाए हुए नीचे गिर गई. मैंने ऊषा को थोड़ा सा और वक्त दिया ताकि वह अच्छे तरीके से आलिंगनबद्ध हो सके. उसके बाद मैं अंदर दाखिल हो गई और ऊषा नीचे गिरी हुई थी और विपिन जी का तौलिया एक तरफ खुल कर गिर गया था और विपिन जी केवल अंडरवियर में थे और ऊषा के ऊपर लेटे हुए थे. उषा ने जान-बूझकर अपने पैर हवा में उठा लिये थे जिससे लंड अंडरवियर सहित सीधे चूत के ऊपर जाकर लग जाये और उसकी चूत की तपिश को महसूस कर सके. ऊषा की बुर की गर्मी पाकर लंड महाराज बिना किसी की परमिशन लिए खुद ही खड़े होने लगे. भला लंड को किसी की परमिशन की जरूरत थोड़े ही पड़ती है खड़ा होने के लिए! लंड महाराज ने अंडरवियर सहित ही चूत का रास्ता खोज लिया था. कमरे में अंदर घुसते ही मैं फट पड़ी- यह क्या रास-लीला चल रही है?
मेरी आवाज सुनकर मामी भी स्थिति को संभालने के लिए तुरंत कमरे में आ घुसी. ऊषा रानी और विपिन का आलिंगन सीन मामी ने भी देखा. उसने तुरंत ऊषा को वहाँ से उठा दिया और वहाँ से चलती कर दिया. मैं भी पैर पटकते हुए बाहर आ गई. बाहर आकर बड़ी ही जोर से मेरी हँसी छूट गई मगर मैंने मुंह को अपने हाथ से दबा लिया और वहाँ से खिसक गई. अब आगे की कमान मामी को संभालनी थी. मामी तो ठहरी पुरानी खिलाड़ी इसलिए उन्होंने बड़े ही अच्छे तरीके से स्थिति की कमान संभाली. विपिन जी कुछ घबराए हुए से लग रहे थे. वो अपनी सफाई देना चाहते थे मगर इससे पहले कि वो कुछ बोल पाते मामी कह उठी- अरे मेहमान जी! ऊषा चीज ही ऐसी है. शाम वर्ण, औसत कद-काठी, चेहरे पर बड़े-बड़े आकर्षक नैन बिना काजल के भी कजरारे, जिन पर आप क्या आपके मामा भी फिदा रहते हैं. ऊपर से जब वह गांड मटका कर चलती है तो अच्छे-अच्छों के मन को डगमगा देती है. जरा बच के रहना! जिस पर उसका दिल आ जाता है उसको वह पार के घाट उतार कर ही दम लेती है. किंतु अगर उसका दिल न चाहे तो अच्छा-खासा पहलवान भी उसके सामने घुटने टेक देता है. एक बार एक पहलवान ने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी. ऊषा उसके लंड को दांतों से काट कर खा गयी थी. बेचारे को 6 महीने तक डॉक्टरों के चक्कर लगाने पड़ गए थे. मगर उसका दिल आपके मामा जी पर आया तो हम लोगों के रहते हुए भी उनसे चुदवा कर आ गयी थी. अगर आप कहें तो सुनाऊँ वह कहानी?”
विपिन जी के मन में तो कहानी सुनने के लिए हाँ थी मगर होंठों से कुछ बोल नहीं पा रहे थे. मामी बिना उनकी हामी लिये ही चालू हो गयी कहानी सुनाने के लिए. “तो हुआ यूं कि एक दिन घर में चिकन बना था. ऊषा ने थाली में खाना परोस कर मामा जी के रूम में पहुंचा दिया और हम लोगों के सामने भी खाना थाली में सजा कर रख दिया. इतना लजीज खाना देख कर हम सभी लोग एक साथ खाना खाने के लिए बैठ गए. या यूं कहें कि खाने पर टूट पड़े. एक साथ खाने का मजा भी तो अलग होता है न! ना-नुकर करते हुए भी लोग ज्यादा खा लेते हैं. अगर मटन या चिकन बना हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है. हर कोई मामा जी को भूल कर खाने पर जुटा हुआ था. कुछ देर के बाद ऊषा एक कटोरे में चिकन और शोरबा लेकर मामा जी के कमरे में गयी और पूछने लगी- थोड़ा और दूं? मामा जी खाने की तारीफ कर रहे थे. ऊषा बोली- थोड़ी तारीफ खाना बनाने वाली की भी कर दो! उस चिकन की तारीफ तो आपने कर दी मगर इस चिकनी की तारीफ भी कर दो थोड़ी सी! मामा भी कम थोड़े ही थे, बोले- कुछ दिखे तो तभी तो तारीफ करें? अगर खाने को वह भी मिले तभी तो पता चलेगा कि चिकन अच्छा है या चिकनी? ऊषा अपने नैन घुमाते हुए बोली- घबराइये नहीं, अभी तो सब लोग खाना खा रहे हैं. अगर आपकी इच्छा इस चिकनी को खाने की भी है तो लीजिये आपके सामने अभी परोस देती हूँ.
कहकर ऊषा ने अपने दोनों चूचों को ब्लाउज की कैद से आजाद कर दिया. मामा ने भी खाना वहीं पर छोड़ कर उसकी तरफ मुखातिफ हो गये और बोले- आओ पहले उसी चिकनी का स्वाद ले लेता हूँ. मगर दिल की बात कहूँ तो मैं कब से यही चाहता था मगर डर लगता था कहीं तुम लंड को दांतों से न काट लो! मामा उसकी चूचियों का स्वाद लेकर पीने लगे. नीचे की तरफ ऊषा ने मामा की लुंगी हटाते हुए उनके लंड को मुंह में लेकर चूस लिया और मामा का लंड खड़ा हो गया.
मामा ने ऊषा को बेड पर लेटा दिया और ऊषा उठकर खुद ही मामा को नीचे लेटा कर उनके लंड पर बैठ कर सवारी करने के लिए तैयार होने लगी. लंड का सुपाड़ा चूत पर लगाया और शरीर का भार नीचे की तरफ छोड़ा तो लंड को जाने में परेशानी हुई. कुछ पल बाद चूत के रस से चिकना होकर लंड का आधा भाग में चूत में जा घुसा और उसके बाद एक झटके में पूरा लंड अपनी चूत में उतरवा लिया हमारी ऊषा रानी ने. मामा के लंड की सवारी करते हुए वह मामा के निप्पलों को होंठों में लेकर चूसने लगी. बोली कि मर्द के निप्पलों को चूसने का मजा ही कुछ और होता है. नमकीन सा स्वाद और साथ में उनके मुंह से निकलती सिरहन … आह्ह् … लगता है कि असली घोड़े की सवारी की जा रही है. उसके बाद मैंने भी आपके मामा जी के निप्पलों को चूस कर देखा विपिन जी, सच में बड़ा मजा आया. ऐसा करना मर्दों के अंदर तुरंत जोश भर देता है.
उसके बाद मुझे ध्यान आया कि काफी समय से ऊषा अंदर गयी हुई है. मुझे शक होने लगा और मैं तुरंत उठ कर मामा जी के कमरे की तरफ जाने लगी. जाकर देखा तो वह उधर से गांड मटकाते हुए चली आ रही है. मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से बोली- क्या दीदी, शक करने चल दी अपने पति पर? मैं तो उनको प्यार से खाना खिला रही थी. देखो, चिकन के साथ दोनों चिकनी भी खिला कर आ रही हूँ, वर्ना आप ही कहने लगतीं कि मेरे पति का तो कोई ख्याल ही नहीं रखता. एक आंख दबाती हुई ऊषा रानी बोली- हाय रे, लुट गई मामा की इज्जत. आज एक और मर्द की इज्जत तार-तार कर दी. लुट गयी उनकी आबरू! विपिन जी ने स्वाभाविक प्रश्न पूछते हुए कहा- मामी आपको कैसे पता चला? मामी- हम औरतें ईश्वर की बहुत ही रहस्यमयी रचना हैं. कुछ बातें तो पचती ही नहीं हैं. अगर किसी से न कहें तो पेट फूलने लगता है. मगर कुछ बातें हम औरतें ऐसे पचा लेती हैं कि डकार भी न निकल पाए! मैंने बस दो-तीन बार ऊषा को पिन मारी कि सारा का सारा वाकया उसने मेरे सामने उगलते हुए अपने मुंह से उल्टी कर दी. हम लोगों ने बहुत ही चटकारे लेकर सुना था वह वाकया. उसमें सबसे ज्यादा बढ़िया लगा मर्दों के निप्पल चूसने वाला भाग. मेरा तो इस तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया था. अब आप जल्दी से स्नान कर लीजिए और बाहर आ जाइये. विपिन जी एक बात तो पूछना भूल ही गई मैं, आपका अंडरवियर कैसे गीला हो गया? कहीं आप भी तो उसके मोह-पाश में उलझ तो नहीं गये?
विपिन जी ने अपना अंडरवियर छू कर देखा तो सचमुच गीला हो गया था. वो थोड़े से घबरा गए. बोले- पता नहीं मामी, कैसे गीला हो गया. सुधा ने आगे की कहानी बताते हुए जारी रखी- ममता, हम लोगों का प्लान ‘ए’ तो कामयाब रहा. दूसरे पार्ट में मैं दिनभर उनके पास नहीं गई. मैं तो नाराज होने का नाटक जो कर रही थी. नाराजगी भी तो जतानी थी. उस दिन मैं मामी के हाथों ही खाना, चाय, नाश्ता सब भिजवाती रही. अंतत: शाम में उन्होंने मामी को बोल ही दिया- कब तक सुधा नाराज रहेगी मामी? जब वो मिलेगी तब न सारी बात बता पाऊंगा कि हुआ क्या था! मामी बोली- इंतजार करिये, रात में उसको खींच कर तुम्हारे पास ही ले आऊंगी. तब अपनी सफाई पेश कर लीजिएगा.
रात हुई तो मामी ने नाइटी बदल ली क्योंकि मामी रात में नाइटी पहन कर ही सोती हैं. अंदर की ब्रा और पैंटी सब निकाल देती हैं. कहती हैं कि खुला-खुला अच्छा लगता है. साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी बना रहता है. ममता बोली- सही कहती है मामी … सुधा बीच में ही ममता को टोकते हुए बोली- अरे, आगे की बात तो सुन. मैं और मामी साथ में रूम में घुसे. मैं नाराज रहने का नाटक भी निभा रही थी. विपिन जी ने बीसियों बार सॉरी बोला मगर मैं मुंह घुमा कर लेटी रही. मैंने अपने भाव दिखाने बंद नहीं किये.
उसके बाद मामी ने कमान संभाल ली. मामी बोली- मेहमान जी! आपने ऊषा को कहाँ-कहाँ छुआ था? विपिन बोले- कितनी बार तो माफी मांग चुका हूँ मामी. जबकि मेरी कोई गलती भी नहीं थी इसमें. आप लोग मेरी बात को सुनने के लिए तैयार तो हो जाओ तभी तो मैं कुछ बता पाऊँगा. मामी बोली- आपने गलती की है या नहीं इसका फैसला तो बाद में होगा मगर उससे पहले आप जवाब दें कि आपने गलती से ही सही मगर आपने ऊषा को कहाँ-कहाँ छुआ था? विपिन बोले- शायद दोनों चूचियों पर मेरा कलेजा था उसकी ‘उस’ जगह मेरा ‘वो’ था. मामी बोली- थोड़ा साफ-साफ बताने का कष्ट करेंगे?
सवाल से पीछा छुड़ाने की मंशा से उन्होंने तपाक से जवाब दिया- उसकी चूत पर मेरा लंड था! उसकी चूत की गर्मी की वजह से मेरा लंड खड़ा भी हो गया था. शायद अंडरवियर सहित लंड थोड़ा सा चूत के अंदर भी चला गया था. इसलिए मेरा अंडरवियर भीग गया था. मामी बोली- तो फिर आप से गलती हुई है तो आप सजा के भी हकदार हो जाते हैं. आपको सुधा की इन दोनों जगहों से माफी मांगनी है. माफी आपको बिना बोले ही मांगनी होगी. मैं थोड़ी हिन्ट दे रही हूँ कि अब आप इन्हीं दो जगहों पर अपने मुंह और जीभ से सॉरी महसूस करायें। मैं (सुधा) बोली- मामी इनसे कहिये कि पहले ये पूरे नंगे हो जाएं उसके बाद ही माफी मांगने के लिए आगे बढ़ें. विपिन बोले- मामी के सामने ही? मैं तुनक कर बोली- क्यों, ऊषा को पेलने में तो जरा सी भी शर्म नहीं आई, जो अब आ रही है!
हार कर मेरे भोले विपिन जी नंगे हो गए और बड़े प्यार से ब्लाउज को और फिर मेरी ब्रा को उतारा. मेरे दोनों मम्मों को सहलाया और उनको धीरे से पीना शुरू किया जैसे कोई अबोध बच्चा दूध पी रहा हो. फिर सिर नीचे ले जाकर अपने दांतों से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दांत से ही मेरी पैंटी को भी उतार दिया.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी, अपने लंड-चूत को तैयार रखें. [email protected]
कहानी का अगला भाग: मामी को रिटर्न गिफ्ट: रसीली चुदाई-2
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