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दोस्तो, मेरा नाम शुभ है, मैं 22 साल का हूँ. मैं दिखने में साधारण … परंतु चुस्त और जोशीला हूँ.
आज मैं आपको एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. यह कहानी मेरी और मेरी 45 वर्षीय चाची के बीच की है. मैं आपको अपनी चाची के बारे में बता देना चाहता हूँ. मेरी चाची थोड़ी मोटी, पर बहुत सेक्सी हैं, उनके बड़े बड़े चूचे किसी भी आदमी का लंड खड़ा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. चाची के 2 बच्चे हैं. मेरी चाची स्कूल टीचर हैं, जिस वजह से उनको रोज़ सुबह जल्दी उठना होता था. मैं भी सुबह सुबह जल्दी उठ कर जॉगिंग पर निकल जाता था.
बात कुछ ऐसे शुरू हुई कि एक दिन मैं सो कर उठा और जॉगिंग के लिए तैयार होने लगा कि अचानक मेरे पैर में दर्द सा होने लगा, तो मैं चाची के रूम के बाहर सोफे पर बैठ गया. चाची ने मुझे देखा और पूछने लगीं- क्या बात है … आज सुबह सुबह यहाँ कैसे? मैंने भी जवाब दिया- वो चाची … बस जॉगिंग पर जा रहा था कि पैर में दर्द सा होने लगा. चाची बोलीं- ला … मैं देखती हूँ, तेरे कहां दर्द हो रहा है?
मैंने भी पैर आगे कर दिया. चाची नीचे बैठ कर मेरे पैर की नस को दबा कर देख रही थीं, पर उस वक़्त मेरा ध्यान अपने दर्द पर कम और चाची के बड़े बड़े मम्मों पर ज़्यादा था. यह हरकत चाची ने चुपके से देख ली, पर मेरा ध्यान तो सिर्फ़ बड़े बड़े मम्मों पर टिका हुआ था. चाची खड़ी हो कर बोलीं- मैंने तेरे पैर को मालिश से सहलाया है, तू कुछ यहीं बैठ, सही हो जाएगा. यदि नहीं हुआ तो रुका रहना, मैं अभी नहा कर आती हूँ.
मैं भी वहीं बैठा रहा. चाची बाथरूम में नहा रही थीं और ज़ोर ज़ोर से गाना गा रही थी ‘कुण्डी मत खटकाओ राजा … सीधा अन्दर आओ राजा … धीरे धीरे राजा …’
बाहर बैठ कर मैं भी मज़े से गाना सुन रहा था कि अचानक चाची ने मुझे आवाज़ लगाई- सुन … वो मैं अपनी टॉवेल और कपड़े तो बाहर ही भूल गयी हूँ, ज़रा दे दे. मैंने भी झट से खड़े हो कर उनकी टॉवेल और लाल रंग की ब्रा और पैंटी उठा ली. जैसे ही मैं उनके हाथ में टॉवेल और बाकी कपड़े देने लगा, मेरा ध्यान साइड के मिरर पर गया और मुझे मिरर में चाची के बड़े बड़े चूचे दिखने लगे. मेरे मुँह में तो जैसे पानी सा आ गया.
चाची भी उधर समझ गईं कि मैंने उनके बूब्स देख लिए हैं. वे अपने मम्मों को दबा दबा कर मुझे मिरर के जरिये दिखाने लगीं. तभी चाची ने अपनी पेंटी को, जो कि अब तक गीली होकर उनकी चूत से चिपकी थी, उतार दिया और पलट कर आवाज दी- कितनी देर लगाएगा, जल्दी कर ना! मैंने कहा- चाची मैं तो कबसे देने को खड़ा हूँ, आप लो तो.
चाची ने हाथ बाहर किया और हल्का सा अपना मम्मा दिखाते हुए तौलिया और ब्रा पेंटी मेरे हाथ से ले ली. उनके हाथ के स्पर्श से भी मुझे एक संकेत सा मिला. उन्होंने अपनी एक उंगली के नाखून से मेरी कलाई पर नोंच सा लिया था. मैं मीठी कराह सी लेकर रह गया.
अब मैं हर रोज़ जॉगिंग के बहाने उनके सोफे पर बैठ जाता और जैसे ही चाची नहाने जातीं, दरवाज़े की छोटी सी झिरी में से नंगी चाची नहाते हुए देखता रहता. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. यह सिलसिला कुछ 5 दिन चला. जैसे ही छटवें दिन मैं उनके सोफे पर बैठ कर उनके नहाने जाने का इंतज़ार करने लगा, चाची समझ गईं कि क्या बात है.
उस दिन चाची ने जानबूझ कर दरवाज़े की कुण्डी कुछ इस तरह लगाई कि जैसे ही कोई थोड़ा भी दरवाज़ा हिलाए, दरवाज़ा पूरा खुल जाए. जैसे ही मैं उनको नंगी देखने के लिए खड़ा हुआ और दरवाज़े पर हाथ रखा, दरवाज़ा पूरा खुल गया और चाची को नंगी देखता रह गया. उधर चाची ने भी मुझे रंगे हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से चिल्लाते हुए मुझसे बोलीं- क्या कर रहा है तू यहां, क्या देख रहा है, दरवाज़ा बंद कर और अन्दर आ.
मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी थी. मेरा मुँह शरम से नीचे था और लाल हुआ था. चाची ने मुझे अन्दर खींचा और दरवाजा लगा कर मुझसे बोला- ऊपर देख! मैंने जैसे ही चाची को देखा, उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी. चाची बोलीं- साले … ऐसे देखना पसंद है क्या? मैं शरमाते हुए बोला- हां. वो बोलीं- तो पहले क्यों नहीं बताया.
उन्होंने उसी वक़्त मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मुझे किस करने लगीं. मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था. चाची मुझसे बोली- कपड़े उतार ले, नहीं तो गीले हो जाएंगे. मैंने भी देर ना करते हुए सारे कपड़े उतार दिए और नंगा खड़ा हो गया.
चाची मेरा मोटा सा खड़ा लंड देख कर बोलीं- क्या बात है, तेरी चाची ने तो खड़ा कर दिया तेरा. मैं भी बोला- चाची मुँह में लेकर देखो इसे, सारे मज़े करा देगा. फिर मैंने चाची के मम्मों को चूसना शुरू किया. चाची भी सिस्कारियां भरने लगीं- आहह … आराम से कर … आअहह…
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने धीरे धीरे चाची की चूत पर उंगली फिराना शुरू कर दिया. चाची को बहुत मज़ा आने लगा. मैं भी धीरे धीरे चूत में उंगली करने लगा. चाची भी सिसकारियां भरने लगीं- आअहह … ऊहह … मेरे राजा …
चाची की चूत अब गीली हो चुकी थी और चाची अब चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थीं. पर मैं अभी कहां चोदना चाहता था. मुझे तो अभी और तड़पाना था. मैंने चाची को कहा- फर्श पर लेट जाओ, मुझे आपका पानी पीना है. चाची भी देर ना करते हुए वहीं फर्श पर लेट गईं, मैं भी 69 में लेट गया और उनकी चूत के पास मुँह ले गया. फिर मैंने उनकी चूत को चूसना शुरू किया. शुरू में तो मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर धीरे धीरे मज़ा आने लगा. चाची की चूत का रस बहुत ही मज़ेदार था.
चाची भी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगीं- आहह मेरे राजा … चाट ले मेरे भोसड़े को … चूस ले अपनी रंडी का सारा माल … अहह … ऊओह … आअहह जानू … चूसो मुझे …
मैंने भी चाची की चूत में 2 उंगलियां डालीं और हिला हिला कर चूसता रहा. फिर थोड़ी देर बाद चाची अपनी गांड उठाते हुए झड़ गईं और उनका सारा माल बाहर आ गया. चाची मुझसे बोलीं- अब देर मत कर जल्दी से चोद ले मुझे … नहीं तो तेरे चाचा सो कर उठ जाएंगे, फिर ख़तरा है.
मैंने भी देर ना करते हुए जैसे ही चाची को चोदना चाहा, उतने में ही चाचा के उठने की आवाज़ आ गयी. चाचा बाथरूम के पास आके बोले- दरवाज़ा खोलो. हम दोनों बहुत डर गए कि चाचा ने हम दोनों की आवाज़ सुन ली है. पर तभी चाचा बोले- मुझे बाथरूम यूज करना है. तब थोड़ा सांस में सांस आई.
चाची बोलीं- मुझे अभी टाइम लगेगा, आप दूसरे बाथरूम में चले जाओ. चाचा दूसरे बाथरूम में चले गए. इस तरह मैं चाची को चोद नहीं पाया. पर चाची को भी कहां चैन था. वो बोलीं- अभी नहीं हो पाया, कोई बात नहीं, शाम को तैयार रहना.
शाम को हमारे एक रिश्तेदार के घर शादी थी. मैंने तो पढ़ने का बहाना लगा दिया और चाची ने भी सिर दर्द का बहाना बना दिया.
इस बार पूरे घर में सिर्फ हम दोनों ही थे. जैसे ही सब घर से बाहर निकले, चाची ने मेन गेट बंद कर लिया और मुझे आवाज़ लगाई. मैं भी पूरे मूड में बैठा था. चुदासी चाची की आवाज़ सुनते ही झट से चाची के कमरे में चला गया. अन्दर जाते ही मैंने देखा कि चाची तो एक सेक्सी सी नाइटी पहन कर बेड पर लेटी हैं. उनके बड़े बड़े बूब्स तो जैसे उस नाइटी में से बाहर लटक रहे हैं.
मैंने भी देर ना करते हुए सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो कर उनके सामने खड़ा हो गया. मेरा लंड देख कर चाची ने भी अपनी नाइटी उतार फेंकी और मेरा लंड चूसने लगीं. थोड़ी देर बाद मैं भी चाची की चूत चाटने लगा. चाची भी मदहोश होती जा रही थीं. फिर चाची ने मुझसे कहा- मेरे राजा आ अब अपनी रंडी को चोद दे, कहीं सुबह की तरह रुकावट ना आ जाए.
मैंने भी झट से चाची के ऊपर छलांग मारी और लंड डालने लगा कि तभी चाची ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- मेरे राजा इतनी जल्दी भी क्या है, पहले कंडोम तो पहन ले. चाची ने बेड के सिरहाने से चॉकलॅट कंडोम का पैकेट निकाला और एक कंडोम मेरे खड़े लंड पर अपने हाथ से लगा दिया. अब चाची बोलीं- अब चोद ले अच्छे से अपनी रंडी को.
मैंने भी देर ना करते हुए एक ही झटके में पूरा लंड चाची की चूत में घुसा दिया. लंड बड़ा होने की वजह से चाची की चीख निकल गयी- आहह … मर गयी रे … आहह मेरी माँ … चोद दिया हरामी ने … आराम से डाल ना राजा … क्या करता है, मेरी चूत फाड़ेगा क्या … अब से रोज़ तुझे ही चोदना है, तो ज़रा आराम से पेल ना..
धीरे धीरे मैंने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया, चाची भी कमर उठा उठा के पूरा साथ दे रही थीं. मुझे चाची की मादक सिसकारियों से बहुत मज़ा आ रहा था. चाची- आहह … ऊहह … हां मेरे राजा … छोड़ … ज़ोर से चोद मुझे … मेरी चुत का छेद बड़ा कर दे … बहुत हरामी हो गयी हूँ मैं … मुझे रंडी की तरह चोद … आअहह … ऊहह … आअहह राजा!
मैंने पोज़िशन बदल बदल कर चुदाई की, कभी घोड़ी बना कर, तो कभी खड़े हो कर, पर सबसे ज़्यादा मज़ा तो रिवर्स काउगर्ल में आया … उस पोज़िशन में तो चाची का सारा दम निकल गया था. करीब 15 मिनट तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और फिर मैं चाची की चूत में ही झड़ गया.
फिर मैंने अपना लंड चाची की चूत में से बाहर निकाला और चाची ने कंडोम का सारा माल अपने मुँह में ले लिया और फिर लंड को चूसने लगी.
फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और बिस्तर पर लेट कर ही एक दूसरे को किस करने लगे. सभी के वापस आने का समय हो चला था. दूसरा राउंड सम्भव नहीं था.
तभी किसी ने दरवाज़े की घंटी बजाई. मैं उठ कर अपने रूम में पढ़ने चला गया और चाची ने दरवाज़ा खोल दिया. सभी घर वाले अन्दर आ गए.
अगले दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ. चाची सुबह सुबह उठ गईं और रोज़ की तरह स्कूल के लिए तैयार होने के लिए बाथरूम में चली गईं.
आज चाची ने मुझे व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा- कहां है मेरे राजा … मैं बाथरूम में हूँ. मैं- आज नहीं चाची, कल की तरह अगर चाचा उठ गए तो? चाची- नहीं उठेंगे, मैंने रात को नींद की गोली दे दी थी उनको. मैं- नहीं, आज नहीं. चाची- कैसे नहीं आएगा, रुक कुछ दिखाती हूँ.
चाची ने अपनी एक फोटो भेजी, जिसमें वो लाल नेट वाली ब्रा और पेंटी में थीं. जिसमें से उनके काले निपल्स और चूत की झाँटें दिख रही थीं. मैं बोला- इस पिक को देख कर तो इस रंडी को चोदने का मन हो रहा है … ठीक है, मैं आता हूँ. पर आज गांड मारूंगा, मंज़ूर? चाची- गांड … चल ठीक है मेरे राजा, तेरे लिए मैं गांड भी चुदवा लूंगी. अब जल्दी आजा.
फिर मैं जल्दी से चाची के पास गया और चाची की गांड मारने के लिए तैयार हो गया. मैंने चाची से थोड़ा तेल लिया और चाची की गांड के छेद पर लगाने लगा. चाची पूछने लगीं- तू ये क्या कर रहा है? मैंने बोला- तेल लगा रहा हूँ, जिससे लंड आराम से अन्दर चला जाए.
फिर मैंने चाची को कुतिया बनने को कहा, चाची भी झट से कुतिया की तरह घुटने और हाथ के सहारे बैठ गईं. मैंने भी अपने लंड का टोपा उनकी गांड के छेद पर रखा और धीरे धीरे अन्दर ज़ोर लगाने लगा. जैसे जैसे मैं ज़ोर लगा रहा था, उनकी दबी आवाज में चीख निकलती जा रही थी- आराम से डाल ना साले, आअहह … मर गयी … चोद दिया रे इसने तो … बहुत दर हो रहा है राजा, बाहर निकाल इसे.
मैं कहां मानने वाला था. मैंने अपने धक्कों को थोड़ा और तेज़ किया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. मेरे हर झटके पर चाची की चीख निकल रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकाला और अपना सारा माल चाची के मुँह पर छोड़ दिया. मेरी चाची भी अब रंडी बन चुकी थीं, तो पूरा माल पी गईं.
इस तरह मैं अब हर दूसरे तीसरे दिन अपनी रंडी चाची को चोदता हूँ. अब चुदाई कभी बाथरूम, कभी स्टोर तो कभी किचन में होती रहती है.
उम्मीद है दोस्तो, आपको मेरी और मेरी चाची के बीच हुए ये चुदाई की कहानी अच्छी लगी होगी. यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, मस्त लगी हो तो मेल करके ज़रूर बताना. [email protected]
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