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मैं अवी हाजिर हूँ अपनी रीयल लाइफ स्टोरी मेरा पहला सेक्स कुंवारी लड़की के साथ का अगला भाग लेकर. मुझे उम्मीद है कि आप सब इस कहानी को पढ़कर भी बहुत इन्जॉय करेंगे. अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं कहानी की शुरूआत करना चाहूँगा.
उस दिन मेरे दोस्त रवि की बहन के साथ मेरा पहला सेक्स हुआ तो उसके बाद वह अपने घर पर चली गई. मैं उस दिन बहुत ही खुश था और बार-बार सुषी के साथ हुए सेक्स को याद करके मेरा लंड खड़ा हो जा रहा था. हमारे बीच में जो कुछ भी हुआ वो मुझसे भूला ही नहीं जा रहा था और मुझे बार-बार सुषी की याद आने लगी थी.
उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही बेचैनी में बीत गए. एक दिन शाम को जब मैं ऑफिस से निकल रहा था तो तभी सुषी का कॉल आ गया और वह फोन पर मुझसे मेरा हाल पूछने लगी. थोड़ी ही देर में हमारे बीच में पिछली बार की मस्त चुदाई को लेकर बात होने लगी. सुषी ने कहा कि उस दिन जो भी हुआ उसे वह बहुत अच्छा लगा. मैंने भी उसको हँसते हुए जवाब दे दिया कि मुझे भी बहुत अच्छा लगा.
सुषी ने कहा- क्या हम फिर से मिल सकते हैं? मैंने कहा- हाँ, मिल तो सकते हैं, मगर … “मगर क्या?” सुषी ने उत्सुकता भरे लहजे में पूछा. मैंने कहा- उस दिन तो मेरे घर पर कोई भी नहीं था इसलिए हम दोनों को वह खूबसूरत मौका मिल गया था. मगर हर बार ऐसा तो नहीं हो सकता न कि मेरे घर पर कोई भी न रहे. सुषी ने कहा- कोई बात नहीं, तुम जगह की चिंता मत करो. वह सब मुझ पर छोड़ दो. तुम लगभग आठ बजे के करीब हमारे मौहल्ले के बाद वाले नुक्कड़ पर आकर मिलो. मैं वहाँ पर आ जाऊंगी. मैंने कहा- ठीक है.
यह कहकर मैं जल्दी से ऑफिस से निकल गया. सुषी के बारे में सोचकर मेरा लंड पहले ही खड़ा होने लगा था. उस दिन की चुदाई को मैं तो अभी तक भूल भी नहीं पाया था और सुषी ने मुझे आज फिर से अपने पास बुला लिया. मैं बहुत खुश था. कुछ देर के बाद मैं तैयार होकर वहां पहुंच गया. दो मिनट के बाद ही वो अपनी स्कूटी लेकर आ गई, स्कूटी को रोक कर कहा- चलो, मेरे साथ!
मैं उसके उसके पीछे-पीछे चलने लगा. चूंकि हम एक छोटे शहर के रहने वाले हैं इसलिए हम दोनों को ही डर लग रहा था कि कहीं कोई हम दोनों को साथ में न देख ले. छोटे शहरों में लड़का और लड़की अगर साथ में चल भी रहे हों तो दुनिया उनको ऐसी ही नजर से देखती है. वैसे हम दोनों में तो चुदाई हो चुकी थी मगर साधारणतया अगर एक लड़का और लड़की साथ में दिखाई दे जाएँ तो लोग समझने लगते हैं कि जरूर इनका आपस में कोई चक्कर चल रहा है. इसलिए हम दोनों भी संभल कर ही कदम आगे बढ़ा रहे थे.
कुछ दूर चलने के बाद सुषी ने अपनी स्कूटी रोक दी. वह उतर कर एक मेडीकल स्टोर की तरफ बढ़ने लगी. मैं समझ गया कि जरूर यह चुदाई के लिए कंडोम लेने जा रही है. मैं भी हैरान था कि सुषी को चुदाई करवाने की बड़ी ललक लगी थी. वह खुद ही कंडोम लेने मेडीकल स्टोर पर जा रही है. मगर इससे पहले तो सुषी ने मेरे लंड को बिना कंडोम के ही अपनी चूत में ले लिया था. तो फिर आज यह कंडोम लेने क्यों जा रही है?
मैं यह सब सोच ही रहा था कि इतने में सुषी मेरे पास आकर मेरे करीब खड़ी हो गई. उसने चुपके से मेरे हाथ में एक दवाई की गोली थमा दी. मैंने पूछा- यह क्या है? वह बोली- चुपचाप खा जाओ इसको. मैंने कहा- मगर बताओ तो सही क्या है ये? उसने कहा- तुमको मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
उसकी ये बात सुनकर मैंने उसके बाद उससे कोई सवाल नहीं किया और चुपचाप उसके हाथ से गोली लेकर खा ली. अब सुषी ने कहा कि हमें किसी होटल में चलना होगा.
उसके बाद हम दोनों एक होटल के पास जाकर रुक गए. होटल के बाहर जाकर उसने तीन लोगों के लिए खाना पैक करवा लिया. मैंने पूछा- तुमने तीन लोगों का खाना पैक क्यों करवाया? वह बोली- यही तो सरप्राइज है. उसने एक कातिल मुस्कान के साथ जवाब दिया।
मगर मैं सोच रहा था कि सुषी के दिमाग में क्या चल रहा है? फोन पर तो इसने मुझे किसी और के बारे में नहीं बताया. मैंने सोचा, कोई बात नहीं, थोड़ी ही देर में खुद पता चल जाएगा कि क्या सरप्राइज है. हम खाना पैक करवाने के बाद वहाँ से चल पड़े. थोड़ी दूर चलने के बाद हम दोनों एक अपार्टमेंट के पास पहुंच गए. हमने गाड़ी को पार्क किया और लिफ्ट से चौथी मंजिल पर पहुंच गए. वह मुझे एक फ्लैट पर ले गयी.
फ्लैट के बाहर पहुंचकर उसने डोर बेल बजाई और अंदर से लड़की ने दरवाजा खोला. सुषी और वह लड़की दोनों ही एक दूसरे को देखकर खुश हो गईं. उन दोनों ने एक दूसरे को हग किया और फिर हम तीनों ही अंदर चले गए. सुषी ने अब मुझसे उस लड़की का परिचय करवाया. उस लड़की का नाम रिमी (बदला हुआ) था. उसका फिगर लगभग 36-30-36 के आस-पास था. वह देखने में भी अच्छी थी. उसके बाद सुषी ने मुझसे वहीं पर बैठने के लिए कहा और फिर वो ये कहकर अंदर चली गई कि हम खाना परोस कर लाती हैं उसके बाद तीनों ही साथ में बैठकर खाना खाएंगे.
वे दोनों किचन की तरफ चली गई. मैं वहीं पर हॉल में बैठकर उन दोनों के वापस आने का इंतजार करने लगा. पांच मिनट के बाद ही रिमी और सुषी खाना लेकर हॉल में आ पहुंची. हम तीनों डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गए. हमने साथ में खाना शुरू किया. सुषी ने मुझे रिमी के बारे में बताया कि वह यहाँ पर अकेली ही रहती है. रिमी कॉलेज में पढ़ रही थी. वह दूसरे शहर से यहाँ पर आई है.
मैं गोपनीयता के कारण यहाँ पर शहर का नाम नहीं बता सकता हूं. वैसे सुषी और रिमी की दोस्ती फेसबुक के जरिए ही हुई थी. मगर वह दोनों अब काफी अच्छी दोस्त बन गई थी. हम तीनों आपस में बातें करने लगे. कुछ देर के बाद मुझे थोड़ी गर्मी सी लगने लगी. मुझे हल्का-हल्का पसीना आना शुरू हो गया. एक मिनट बाद ही मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया. मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा था अचानक से.
मैंने जल्दी से अपना खाना खत्म कर दिया. मैंने रिमी से वॉशरूम का रास्ता पूछा और वहाँ पर अंदर जाकर खुद को संभालने की कोशिश करने लगा. मैं सोचने लगा कि मुझे यह अचानक से हो क्या रहा है? कुछ ही पल बाद मुझे याद आया कि सुषी ने जो टेबलेट मुझे दी थी यह उसी का असर हो सकता है. उसके बाद मुझे समझते हुए देर नहीं लगी कि यह टेबलेट वियाग्रा की थी. मैंने जैसे-तैसे करके अपने खड़े हो चुके लंड या यूं कहें कि अपने बुरे तरीके से तनाव में आ चुके लंड से पेशाब किया और अपने अंडरवियर में अपने खड़े लंड को ऊपर की तरफ सेट करके सीधा कर लिया ताकि वह उन दोनों को खड़ा हुआ दिखाई न दे. उसके बाद मैं बाहर आ गया.
अब तक लगभग 9 बजे का टाइम हो चुका था. सुषी ने मुझसे रूम में चलने के लिए कहा और बोली- तुम अंदर चलो, मैं अभी आती हूँ. मैं भी समझ गया कि इसने बहुत अच्छे तरीके से प्लानिंग की है. मैं अंदर चला गया.
करीब पांच मिनट के बाद सुषी अंदर आ गई और एक स्माइल देते हुए उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया. वो आकर पलंग पर बैठ गई और पूछा- कैसा लगा सरप्राइज? मैंने सुषी का हाथ पकड़ कर कहा- इससे अच्छा सरप्राइज मुझे आज तक नहीं मिला. मैं पूरी कोशिश करूंगा कि यह रात हमारी जिंदगी की सबसे हसीन रात हो. यह कहकर मैंने उसके हाथ को किस कर लिया.
वह मुझे देख रही थी और मैं उसे देख रहा था. उसके बाद उसने मुझे किस करना चालू कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को किस करने लगे. उसके बाद हम दोनों अलग हो गए. फिर सुषी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. पहले उसने मेरी शर्ट को उतारा और फिर मेरी पैंट को खींच कर मेरी टांगों से अलग कर दिया. उसके बाद मैं केवल अंडरवियर में था.
मेरा लंड मेरी अंडरवियर में पहले से ही तना हुआ था और मैंने उसको ऊपर की तरफ सेट किया हुआ था. मगर मेरा लंड मेरे अंडरवियर को जैसे फाड़ने ही वाला था. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि गोली का असर मेरे लंड पर बहुत ही ज्यादा था.
सुषी ने मुझे फिर से चूमना शुरू कर दिया. वह साथ ही साथ एक हाथ को मेरे लंड पर अंडरवियर के ऊपर से ही फिराने लगी. उसके हाथों के छूने से मेरे लंड में और ज्यादा कड़कपन आ गया और मैं पागल सा होने लगा. मैंने सुषी की कुर्ती उतरवा दी और फिर उसका पजामा भी उतरवा दिया. तब तक सुषी ने मेरे लंड पर से मेरे अंडरवियर को खींच दिया और मेरा लंड फुफकारता हुआ मेरे पेट से जा लगा. मेरा लंड जैसे ही आजाद हुआ तो सुषी ने उसे अपने हाथों में ले लिया और उसको ऊपर नीचे करते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी.
मेरे लंड में तो पहले से ही आग लगी हुई थी और सुषी ने अपने हाथों से उस आग को और ज्यादा तेज कर दिया था. मैं उसकी चूत में अभी इस वक्त लंड को पेल देना चाहता था.
उसके बाद सुषी ने मेरे लंड पर एक किस किया. मेरी आह्ह … निकल गई. सुषी ने मुझे पलंग पर पीछे की तरफ धकेल दिया और मुझे सीधा लेटा दिया. उसके बाद उसने मेरे लंड पर फिर से किस कर दिया. सुषी ने मेरे दोनों पैरों को अलग कर दिया और फिर खुद मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गई. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और एक बार सहला कर फिर मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया. वह मेरे लंड को जोर लगाकर चूसने लगी.
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था. वह मेरे लंड को जोर से चूस रही थी और बीच-बीच में अपने दांत भी मेरे लिंग पर गड़ा देती थी. मुझे हल्का सा दर्द भी हो जाता था, मगर साथ ही मजा भी बहुत आ रहा था. सुषी ने जो गोली मुझे खिलाई थी उसके असर से लग रहा था कि मेरा लिंग आज जैसे फट ही जाएगा.
कुछ देर उसके होंठों की चुसाई झेलने के बाद जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने सुषी को वहां से उठा दिया और पलंग पर लेटा दिया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया और हम दोनों ने 69 की पोजीशन बना ली. मैंने सुषी की ब्रा को निकाल कर फेंक दिया. उसकी पैंटी को हाथ से सहलाया तो पता चला वह पहले से ही गीली हो चुकी थी. मैंने अपने हथेली से उसकी पैंटी को एक-दो बार रगड़ा तो सुषी की सिसकारी छूट गई.
एक दो बार ऐसा ही करने के बाद मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया और उसकी गीली चूत को चूसने लगा. उसकी चूत की खुशबू आज कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी. मैं ज्यादा देर उसकी चूत को चूस भी नहीं पाया क्योंकि मैं उसको अब बस चोद देना चाहता था. मैंने उसको चोदने के लिए तैयार किया.
सुषी भी समझ गई थी कि मैं उसको चोदने की तैयारी कर रहा हूँ. सुषी ने कहा- तुम पर्स में से कंडोम निकाल कर पहन लो. मैंने उसके पर्स में से कंडोम निकाल लिया और अपने लिंग पर पहन लिया. अब मैं उसको चोदने के लिए तैयार था.
मैंने सुषी की गांड के नीचे दो तकिये रख दिए. मैंने उसका एक पैर अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर उठा लिया ताकि उसकी चूत सही पोजीशन में आ जाए. उसके बाद मैंने सुषी की चूत में अपना लंड डाल दिया और सुषी ने हल्की सी आह्ह निकाल दी अपने मुंह से. मगर उसकी आह्ह में दर्द कम और मजा ज्यादा था. उसकी चूत में लंड को धकेल कर मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मेरी स्पीड अपने आप ही बढ़ने लगी. गोली का असर था और मैं सुषी की चूत की चुदाई करते हुए मजा लेने लगा. सुषी भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… की सिसकारियों के साथ चुदाई का मजा लेने लगी थी.
मैंने सुषी के बूब्स को पकड़ लिया और उनको दबाते हुए उसकी चुदाई करने लगा. फिर मैंने उसके निप्पल्स को काटना शुरू कर दिया और साथ ही साथ हम एक दूसरे के होंठों को भी बीच-बीच में चूस रहे थे. पूरा कमरा हमारी मदहोश कर देने वाली सिसकारियों से गूंज रहा था. हमें चुदाई करते हुए काफी देर हो चुकी थी मगर सुषी का भी पानी नहीं निकल रहा था और मेरा भी अभी तक वीर्य नहीं निकला था.
लगभग तीस मिनट एक हम दोनों चुदाई करते रहे और फिर एक साथ ही झड़ गए. मैं सुषी के ऊपर लेट गया और मेरी सांसें उस वक्त काफी तेज चल रही थीं. उसके बाद मैं बेड पर लेट गया और हम अलग हो गए. यह शायद वायग्रा का ही असर था कि मेरा लंड कुछ ही मिनट के बाद फिर से खड़ा होना शुरू हो गया था. मैं हैरान था कि अभी-अभी कुछ देर पहले ही मेरा वीर्य निकला है मगर इतनी जल्दी मेरा लंड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया. सुषी मेरे खड़े होते हुए लंड को देखकर हँसने लगी.
मैंने कहा- तुमने जो गोली खिलाई थी वह वियाग्रा थी न? वह बोली- हाँ. लेकिन तुम चिन्ता मत करो, मैंने भी एक टेबलेट ली है. वह कहते हुए उठने लगी.
उसने पुराना कंडोम, जिसमें वीर्य भरा था, वह निकाल दिया. वह मेरे खड़े लंड को फिर से सहलाने लगी. सुषी बोली- मुझे बिना कंडोम के चुदाई में ज्यादा मजा आता है. ऐसा कहते हुए उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और अपनी चूत पर सेट करते हुए मेरे लंड पर बैठ गई. मेरा लंड जैसे ही अंदर उसकी चूत में घुसा उसके मुंह से एक लम्बी सी कामुक आह्ह … निकल गई. उसके बाद सुषी ने अपनी गांड को मेरे लंड पर उछालना शुरू कर दिया. वह अपनी चूत खुद ही चुदवाने लगी. मैंने उसकी गांड की दोनों तरफ से उसको पकड़ लिया और उसको ऊपर नीचे होने में उसकी मदद करने लगा. वह जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी- आह्ह … ऊऊऊ … आआआ … उम्म … ओह्ह … अम्म … मा … उफ्फ … करती हुई वह चुदाई का मजा लेने लगी.
कुछ देर के बाद जब वह थकने लगी तो उसकी स्पीड थोड़ी स्लो हो गई. मैंने उसकी गांड को अब अपने हाथों के सहारे से थोड़ा ऊपर की तरफ उठा कर वहीं पर रोक लिया और नीचे से उसकी गांड की चुदाई करने लगा. वह अब फिर से मजे से चुदवाने लगी. नीचे से मैं अपनी गांड को उछाल-उछाल कर उसकी चूत में गचा-गच पेल रहा था.
काफी देर की चुदाई के बाद वह एकदम से अकड़ना शुरू हो गई और मेरे लंड पर ही झड़ने लगी. उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर से बहता हुआ नीचे गिरने लगा. उसकी चूत के पानी ने मेरे लंड को पूरा भिगो दिया.
मैं अब कुछ पल के लिए रुक गया. मगर अभी मेरा लंड ज्यों का त्यों उसकी चूत में फंसा हुआ था और मेरा पानी अभी तक नहीं निकला था. उसके बाद मैंने सुषी को धीरे से बेड पर लेटा दिया. मैंने ऐसा करते हुए अपना लंड उसकी चूत से बाहर नहीं आने दिया और उसको बेड पर लेटा कर किस करने लगा. कुछ ही मिनट के बाद सुषी फिर से मेरा साथ देने लगी और चुदाई के लिए फिर से तैयार हो गई.
अबकी बार मैं उसको नए तरीके से चोदने की सोचने लगा. मैंने यहाँ वहां देखा तो मुझे एक आइडिया आया. मैंने पास की खिड़की पर देखा तो वह खुली हुई थी. मैंने सुषी को उठा लिया और उसको ले जाकर खिड़की पर बैठा दिया. उसकी पोजीशन ऐसी थी कि वह आधी खिड़की पर बैठी थी और उसकी चूत मेरे सामने खुली हुई थी. मैंने उसको वहाँ पर सेट करके अपना लंड नीचे से उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चुदाई करने लगा. सुषी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैं तेजी के साथ उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत को चौड़ी करने लगा. उस पोजीशन में चोदते हुए मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था. मेरा लंड किसी मशीन की तरह उसकी चूत के अंदर और बाहर तेजी के साथ जा रहा था. सुषी की आवाजें तेज होती जा रही थी. मेरे हर धक्के पर उसकी एक जोर की आवाज निकल जाती थी.
कुछ देर के बाद सुषी कहने लगी- बस, अब मुझे तकलीफ हो रही है. मैंने उसके कहने पर कुछ पल के लिए चुदाई को रोक दिया. उसके बाद मैंने उसको खिड़की से नीचे उतार दिया कुतिया वाली पोज बनाने के लिए कहा. सुषी जल्दी ही उसी पोज में आ गया. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को डाला और धक्के देने शुरू कर दिये. वह अब चुदाई के मजे लेने लगी और मुझे भी चुदाई में मजा आने लगा. आह्ह … आह्ह … ओह्ह … चोदो … आह्ह … उम्म … करो … कहती हुई वह चुदाई करवा रही थी. उसकी सिसकारियाँ फिर से पूरे कमरे में गूंजने लगी थी.
लगभग दस मिनट उसको कुतिया वाली पोज में चोदने के बाद अब मेरे लंड ने भी और ज्यादा टाइट होना शुरू कर दिया और मैं जल्दी ही झड़ने वाला था. मगर इससे पहले सुषी ही झड़ गई. उसके बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल दिया और सीधा बैठा कर सुषी के मुंह में अपना लंड घुसा दिया. मैंने तेजी के साथ उसके मुंह को चोदना शुरू किया और कुछ ही धक्कों के बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ने लगा. मैंने सारा वीर्य उसके मुंह में निकाल दिया. मगर उसने मेरा वीर्य अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और मेरा वीर्य उसके होंठों से बहता हुआ नीचे उसके चूचों पर गिरने लगा. वह मुझे गुस्से से देख रही थी.
शायद सुषी को मुंह में वीर्य निकलवाना पसंद नहीं आया. वह उठ कर खड़ी हो गई और जाकर बेड पर पर लेट गई. मैं उसके पीछे-पीछे जाकर उसके साथ ही बेड पर लेट गया. मैं उसके साथ लेट कर उसके बूब्स को मसलने लगा.
वह बोली- अब मैं काफी थक गई हूँ यार. मैं कुछ देर सोना चाहती हूँ. मैंने कहा- ठीक है, मैं भी थका हुआ हूँ. हमें कुछ देर आराम करना चाहिए. उसके बाद हम दोनों को ही नींद आ गई.
लगभग 12.30 बजे मेरी नींद अचानक से खुल गई. मेरा लंड अभी भी पूरा तना हुआ था. मैंने देखा कि सुषी मेरी बगल में गहरी नींद में सो रही है. मेरे न चाहते हुए भी मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया. मैं अपने लंड को किसी भी तरह शांत करना चाहता था. साथ में नंगी सुषी लेटी हुई थी. मैंने एक बार तो सोचा कि इसको नींद से उठाना सही नहीं है. मगर उसका नंगा बदन देखकर मेरे लंड के अंदर जोर-जोर से झटके लग रहे थे. मैंने सुषी को धीरे से सीधी कर दिया और वह अभी भी गहरी नींद में सो रही थी. मैंने उसके पैरों को धीरे से खोल दिया. अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसकी चूत के ऊपर लंड को रखकर एक जोर का धक्का दे दिया. एक ही झटके में सारा लंड उसकी चूत में अंदर चला गया.
वह घबराकर उठ गई जैसे उसने कोई बुरा सपना देख लिया हो. जब उसने देखा कि लंड उसकी चूत में घुस चुका है तो वह थोड़ी नॉर्मल होने लगी और बोली- तुमने तो मुझे डरा ही दिया था! इससे पहले वह कुछ कहती या करती मैंने उसकी चूत में धक्के देने शुरू कर दिये और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. सोने के बाद अब मेरे अंदर फिर से नया जोश आ गया था. मैंने तेजी के साथ उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया और वह मेरा साथ देने लगी. मगर दस मिनट के बाद मैंने पोजीशन बदलने के लिए सोची.
मैंने उसको उठने के लिए कहा और खुद बेड के आखिरी छोर पर आकर मैंने पैर नीचे की तरफ लटका दिया. अब मेरा लंड छत की तरफ सुषी के सामने तना हुआ खड़ा था. मैंने सुषी से आगे बढ़कर लंड उसकी चूत में डालने के लिए कहा. वह थोड़ी सी आगे बढ़ी और उसने खड़े हुए ही अपने घुटने मोड़कर मेरे लंड को अपनी चूत में डाल लिया और खुद ही चुदने लगी. वह आगे-पीछे होते हुए मेरे लंड से चुदने लगी.
पांच मिनट के बाद मैंने उसको फिर से खड़ी कर दिया और सुषी को दीवार के सहारे से लगा दिया. उसके बाद मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को डाला और धक्के देने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था कि सुषी की चूत दीवार में लगी है और मैं दीवार को चोद रहा हूँ. मैंने इस पोजीशन में बहुत मजा लेकर सुषी की चुदाई की. यह मेरे लिए एक नया अनुभव था. मैं उसकी चूत को पीछे से चोदने में लगा हुआ था और सुषी के चूचों को अपने हाथों से आगे की तरफ भींच भी रहा था. मेरे धक्के काफी तेज थे जिससे सुषी का सिर दीवार में जाकर लग जाता था. मेरे लंड से जोरदार चुदाई के बाद कुछ ही देर में सुषी झड़ गई और मैं भी उसके झड़ने के बाद चार-पांच धक्कों के बाद झड़ गया.
हम दोनों बुरी तरह से थक कर बेड पर जाकर गिर गए. उसके बाद तो हम दोनों को कब नींद आ गई कुछ भी पता नहीं चला. इससे आगे की कहानी मैं फिर कभी बताऊंगा. अभी तो सुषी की चूत चुदाई की शुरूआत हुई थी. सुषी ने उस रोज मुझे बहुत मजा दिया. वह देखने में सीधी सी लगती थी मगर वह तो बहुत ही काम-वासना भरी हुई लड़की निकली. मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह मुझे इतना मजा दे देगी.
आप सबको मेरी यह रीयल लाइफ स्टोरी कैसी लग रही है आप मुझे मेल के जरिये जरूर बताना. मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी. धन्यवाद। [email protected]
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