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अभी तक कहानी में आपने पढ़ा कि
मैंने एक हाथ से कल्पना भाभी की बुर के दाने को भी हल्के हल्के मसलना और बुर को चाटना एक साथ शुरू किया और अपने दूसरे हाथ की एक उंगली उनकी बुर के छेद में डालने लगा. एक डेढ़ इंच तक तो उंगली आराम से चली गई, पर जब थोड़ा और जोर लगाया, तो उनकी चीख निकल गयी. उन्होंने मेरे बालों को पकड़ के मेरा मुँह अपनी चूत से हटा दिया. कल्पना- दर्द हो रहा है.. मैं- थोड़ा तो दर्द सहना ही पड़ेगा, ये मैंने शुरू में ही बताया था आपको. कल्पना- ह्म्म्म.. ट्राय करती हूं.
अब आगे..
मैं फिर से उनकी बुर चाटने लगा, साथ ही मैं उनके दाने से भी खेल रहा था. मैं अपने दूसरे हाथ की उंगली फिर से भाभी की बुर के फांकों में घुमाने लगा. वो एक बार फिर से सिसकारियां लेने लगीं. मौका देख कर मैंने पूरी उंगली को उनकी बुर में घुसा दिया. इस बार वो चिंहुक गईं, पर इस बार उन्होंने मुझे रोका नहीं, उन्होंने दर्द को बर्दाश्त कर लिया.
अब धीरे धीरे मैंने अपनी उंगली की स्पीड को बढ़ा दिया. इधर मेरे उंगली की स्पीड बढ़ी, उधर उनकी सिसकारियां निकलने लगीं.
मेरी उंगली ने उनके छेद में जगह बना ली थी. कुछ समय तक उंगली अन्दर बाहर करने के बाद मैंने अपनी उंगली निकाल लिया, जो उनके रस से भीग चुकी थी. इसके बाद मैंने दो उंगलियों को भाभी की चूत की फांकों में रख दीं और उनकी तरफ देखा. उनके चेहरे पर होने वाले दर्द का डर साफ दिख रहा था.
पहले मैंने दोनों उंगलियों को कुछ देर तक उनकी फांकों में ऊपर नीचे किया. जब उन्हें अच्छा लगने लगा और उनके डर पर मज़ा हावी होने लगा, तभी मैंने एकाएक दोनों उंगलियों को अन्दर घुसा दिया. इस बार वो और जोर से उछलीं पर मुझे रोका नहीं और अपने होंठों को भींच लिया.
कुछ ही समय में उन्हें मेरी दोनों उंगलियों से और मज़ा आने लगा. तो अब मैंने अपना पूरा ध्यान भाभी के जी स्पॉट को खोजने में लगाया, जो कि ज्यादातर महिलाओं की चूत के दाने के ठीक नीचे अन्दर की तरफ होता है. कल्पना का जी स्पॉट भी वहीं था, पर थोड़ा और ऊपर की तरफ था.
जैसे ही मेरी उंगलियां उनके जी स्पॉट पर पड़ीं, वो आनन्द के मारे बौखला गईं और मेरा सर पकड़ कर पूरी ताकत के साथ मुझे अपनी चूत पर दबा लिया. इसके कुछ ही सेकंड्स में वो फिर से झड़ गईं. इस बार उनका पिछली बार से ज्यादा पानी निकला था.
अब तक वो दो बार झड़ चुकी थीं और मेरा अभी तक पैंट भी नहीं उतरा था. उनकी सांसें काफी तेज चल रही थीं. जिस वजह से भाभी के मम्मे भी उसी स्पीड से ऊपर नीचे हो रहे थे और वो खुद को कंट्रोल करने में लगी थीं. वो मुझे काफी थकी हुई लगने लगीं. मैंने ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा.
अब मैंने भी अपना पैंट और अंडरवियर निकाल कर साइड में रख दिया, जिससे कब से खड़े मेरे लंड का दर्द थोड़ा कम हो गया और वो भी खुले माहौल में सांसें लेने लगा.
कुछ देर रुकने के बाद एक बार मैंने फिर से उनकी चूत को थोड़ी देर तक चाटा. फिर एक तकिया उनकी कमर के नीचे रख दिया ताकि उनकी चूत और ऊपर आ जाए.
तकिया लगा देने से अब उनकी बुर का छेद एकदम सही जगह और सही पोजीशन में आ गया था.
मैंने बैग से कंडोम का पैकेट निकाला और एक कंडोम अपने लंड पर चढ़ा लिया. फिर मैंने कल्पना भाभी की बुर पर अन्दर तक लुब्रिकेंट लगाकर लंड को उनकी बुर के छेद पर रख कर ऊपर नीचे करने लगा.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद एकाएक धक्का दिया, लंड का टोपा ही घुसा था और कल्पना ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ चिल्लाने लगीं. कल्पना की आँखों में आंसू आ गए. वो मुझ पर चिल्लाने लगीं और लंड बाहर निकालने के लिए कहने लगीं. पर मैंने उनकी बात अनसुनी कर दी. क्योंकि मैं जानता था कि अभी लंड निकाल लिया, तो ये फिर से डालने नहीं देंगी, इसलिए मैंने लंड बाहर नहीं निकाला. साथ ही मैंने कुछ देर के लिए हिलना डुलना बंद कर दिया.
‘आह.. उह.. आर्यन.. प्लीज अपना वो बाहर निकालो ना.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊँगी..’ मैंने कल्पना के माथे और होंठों को चूमते हुए कहा- कुछ भी नहीं होगा, बस दो मिनट में दर्द चला जाएगा. वैसे क्या निकालूँ? कल्पना- अपना वो … कल्पना को छेड़ने के लिए मैंने फिर से पूछा- मेरे लंड की बात कर रही हो क्या? उन्होंने हल्की सी स्माइल के साथ ‘हां कहा. मैं- ओके, पर कहां से निकालूँ? कल्पना धीरे से बोलीं- मेरी बुर से.. मैं- ठीक है.
अब तक उनका दर्द भी चला गया था. मैंने हल्का सा अपना लंड बाहर खींचा और एक और धक्का लगा दिया.
‘आ.. उह.. आह.. आह.. बहुत दर्द हो रहा है उइ.. ईईई.. मैं मर गई.. आह..’ कल्पना छटपटाने लगीं.
अब तक मेरा तीन चौथाई लंड उनकी बुर में समा गया था. कल्पना लंड बाहर करने की पूरी कोशिश करने लगीं, पर मैंने उन्हें अपनी बांहों में कस लिया और उनके होंठों पे अपने होंठ रख दिए.
पाँच मिनट ऐसे ही रहने के बाद कल्पना का दर्द कम हुआ, तो मैं लंड धीरे से आगे पीछे करने लगा. उनकी बुर बहुत कसी हुई थी, इसलिए मैंने थोड़ी देर तक उतना ही लंड आगे पीछे करने लगा, जितना भाभी की बुर में लंड घुसा था.
धीरे धीरे उनकी मस्त आहें फिर से निकलने लगीं, तो मैंने एक लास्ट धक्के के साथ अपना पूरा लंड उनकी बुर में घुसा दिया. इस बार वो बस कसमसा कर रह गईं. मैंने लंड को अब अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
कल्पना के मुँह से कामुक कराहें निकलने लगीं. जाहिर था कि उन्हें अपनी पहली चुदाई का मज़ा आने लगा था. इस तरह मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा. थोड़ी ही देर बाद उनकी चूत अच्छे से पनियां गयी और लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा.
अब मैंने लंड को अच्छे से बाहर तक निकाल निकाल कर वापिस चूत में पेलना शुरू किया, तो कल्पना को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे लंड से ताल से ताल मिलाने लगीं. जल्दी ही चुदाई अपने यौवन पर आ गई और चूत लंड में घमासान मच गया. मेरा लंड अब बड़े मजे से गचागच, सटासट उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा था.
मैंने अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी.
कल्पना लगातार चुदास से सिसिया रही थीं और बड़बड़ा रही थीं- आह.. आ.. आऊ.. मज़ा आ रहा है.. कब से इस दिन का इंतजार किया था. पता नहीं इस गांडू (अपने पति के बारे में) के पल्ले कैसे पड़ गयी मैं.. और जोर से करो.. और जोर से! फिर तो पता नहीं वो क्या क्या बोलती रही.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से एक ही बार में पूरा लंड पेल दिया. वो इस झटके से चिंहुक उठीं.
उसके बाद जो चोदा-चोदी एक्सप्रेस चली कि रुकने का नाम ही नहीं लिया, जब तक मेरे लंड ने पानी नहीं छोड़ दिया. मैंने कंडोम लगाया था, तो बाहर निकालने का कोई टेंशन भी नहीं था. सारा माल कंडोम में ही रह गया. मैंने कंडोम निकाला और बांध कर डस्टबिन में फेंक दिया.
इस तूफ़ानी चुदाई के कारण मैं और कल्पना दोनों थक गए थे. बेड पर एक दूसरे के बगल में लेट कर सुस्ताने लगे.
मैं- उम्मीद करता हूं कि मैंने आपको निराश नहीं किया. कल्पना पहले तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरायी, फिर लंबी सांस लेते हुए बोलीं- पहली बार ये अनुभव हुआ मुझे, आज तुमने सच में मुझे जन्नत की सैर करा दी. तुमने तो बिना अपना हथियार डाले ही दो बार मेरा पानी निकाल दिया.. सच अ अमेजिंग एक्सपीरिएंस. यू आर अमेज़िंग.. और सेक्स के टाइम भी दो बार मेरा पानी निकला.. पहली बार मैं इतने कम समय में 4 बार झड़ी. इससे पहले जब भी अपने हाथ से ट्राय करती थी, तो एक बार के बाद दोबारा करने का मन नहीं होता था. पर आज तुमने तो गज़ब कर दिया. आज मुझे औरत होने का अहसास हुआ.. थैंक यू सो मच.. मैं- इट्स माय प्लेजर.. बाइ द वे मेरे पास कोई हथियार नहीं है, बस एक छोटा सा लंड है. कल्पना- अच्छा, छोटा सा.. मैं- ह्म्म्म..
इस बात पर हम दोनों हंस दिए.
अब दोस्तो, मैं आप लोगों को कल्पना की कहानी बताना चाहूंगा, जो उन्होंने मुझे बताया था, पर मैं यह उनकी कहानी उनके ही शब्दों में लिखूंगा. उसके बाद मेरी आगे की कहानी आएगी.
कल्पना की स्टोरी उसकी शादी के एक साल पहले से शुरू करता हूँ. बाकी उसके पहले की कुछ बातें भी कहानी दौरान बताता रहूंगा.
दोस्तों मेरा नाम कल्पना है, मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ. मेरे पापा एक स्कूल में प्रिंसिपल हैं और मम्मी एक हाउसवाइफ हैं. मेरे दो छोटे भाई भी हैं, वो दोनों मुझसे छोटे हैं. हम गुजरात के बड़ोदरा शहर से हैं.
मेरी फैमिली काफी खुली विचारों वाली है, शुरू से ही मुझ पर या मेरे भाइयों पर कोई पाबंदी नहीं थी.. स्पेशली मम्मी की तरफ से. मेरी मम्मी शुरू से ही मेरी मम्मी कम सहेली ज्यादा थीं. वो हमेशा मेरे साथ हर विषय पर खुल कर बातें करती थीं.
इससे पहले मैं आगे बढ़ूँ, पहले आप सबको मैं अपने बारे में बता दूँ. मेरी उम्र 25 साल है, रंग गोरा, साइज 32-30-32 का है. हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है. मेरी फिगर की वजह से ही स्कूल टाइम से ही बहुत से लड़कों ने मुझे प्रपोज़ करना शुरू कर दिया था, पर मैंने किसी के भी प्रपोजल को स्वीकार नहीं किया.
पढ़ाई में भी शुरू से ही काफी अच्छी थी तो सब टीचरों की भी पसंदीदा स्टूडेंट थी. उनमें से कुछ के लिए अपने फिगर की वजह से, तो कुछ के लिए पढ़ाई की वजह से.
कॉलेज में आते आते महीने में एक दो प्रपोजल तो मिल ही जाते रहे, पर मैंने कभी भी किसी का प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं किया.
मैं ये सारी बात मम्मी को बताती और हम दोनों मिल कर खूब हँसते. मम्मी से मैंने आज तक किसी भी बात को नहीं छिपाया था.
मम्मी समय समय पर मुझे सब अच्छे से समझातीं. जैसे जब मेरा पहली बार पीरियड आया था, तब मैं बहुत डर गई थी. तब मम्मी ने ही मुझे समझाया कि ये सब तो सब लड़कियों के लिए नार्मल है. उन्होंने ये भी बताया कि पीरियड से ये पता चलता है कि अब लड़की बच्चे पैदा करने के लिए तैयार है.
जब मैं 18 साल की हुई थी, तब मम्मी ने मुझसे सेक्स के बारे में बात की. उस वक़्त मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर मम्मी के समझाने के तरीके से मैं भी उनसे खुल कर बातें करने लगी.
कॉलेज में आने के बाद तो सेक्स, बात करने का हम लड़कियों का पसन्दीदा टॉपिक था. जब भी सब सहेलियां इकठ्ठा होतीं, तो सब अपने अपने ब्वॉयफ्रेंड की बात करना शुरू कर देतीं. उनमें से कुछ तो अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदवाती भी थीं. जब वे अपनी चुदाई की किस्से बतातीं, तो मन मेरा भी बहुत करता कि मैं भी एक ब्वॉयफ्रेंड बना लूँ और उससे चुदवाया करूँ. पर हर बार मम्मी की बातें याद करके खुद को रोक लेती.
इन सबमें मेरी एक सहेली थी, जिसका नाम चारु था. हम दोनों पक्की सहेलियां थीं. हम एक दूसरे से सारी बातें शेयर कर लेती थीं. पिछले 2 साल से वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदवाती आ रही है और जब भी चुदवा कर आती, तो सबसे पहले मुझे बताती कि आज कैसे और कहां चुदवाया.
उसी ने मुझे पहली बार अपने मोबाइल में पोर्न क्लिप्स भी दिखाई थी. एक बार कॉलेज के वाशरूम में उसने मेरी चूत के दाने को मसल कर मुझे मास्टरबेट करना बताया था. उसके बाद जब कभी मैं खुद को अकेला पाती, तो मैं भी मास्टरबेट करने लग जाती.
एक बार चारु ने मुझे एक पोर्न क्लिप दिखाई, जिसमें एक लड़की अपनी चूत में डिल्डो डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी. वो देखने के बाद मेरा भी बहुत मन अपनी चूत में कुछ डाल कर हिलाने का करने लगा. अब डिल्डो तो घर पर नहीं ला सकती थी, तो घर पर पड़ी गाजर, मूली या बैगन ही ट्राय करने का सोचा.
एक दिन मम्मी पापा को किसी शादी में जाना था, तो मैंने पहले से ही तैयारी कर ली कि आज तो अपनी चूत में गाजर या बैगन डाल कर मज़े लूँगी. इसलिए कॉलेज से आते टाइम ही मार्केट से गाजर खीरा बैगन सब लेकर आई.
मम्मी ने जब ये सब देखा तो उन्हें थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि इससे पहले मैं कभी भी घर के लिए सब्जियां नहीं खरीदी थीं.
मम्मी- क्या बात है कल्पना, आज तू सब्जियां क्यों लायी? मैं- आप लोग शादी में जा रहे हो और पता नहीं कब तक आओगे, अगर आपको आने में लेट हो गया, तो कल सुबह ही मार्केट भागना पड़ेगा इसलिए लेकर आ गयी.
मम्मी का चेहरा देख कर मुझे लगा कि मम्मी मेरी बात से सहमत नहीं हैं. फिर भी मम्मी ने कुछ नहीं बोला.
पापा मम्मी के निकलने के बाद मेरे भाई भी बाहर खेलने निकल गए. अब मैं अकेली घर पर बची. मैंने जो सोचा था, वो सब करने का मेरे लिए यही सही मौका था. मैंने खुद को अपने रूम में बंद कर लिया और अपनी सलवार को उतार कर पहले थोड़ी देर चूत के दाने को मसला. जब चूत से पानी आने लगा, तब मैंने पहले सबसे पतली सी गाजर को उठाया और उसे लंड इमैजिन करके जैसा पोर्न वीडियोज में देखा था, वैसे ही फील करने की कोशिश करते हुए मुँह में डाल कर अन्दर बाहर करने लगी.
कुछ देर तक गाजर को लंड समझ कर मैं अपने मुँह में अन्दर बाहर करती रही.. जैसा मैंने वीडियो में देखा था. फिर मैं उसे अपनी चूत में डालने की कोशिश करने लगीगाजर के आगे का भाग पतला था, करीब एक इंच तक तो जाने में कुछ ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, पर जैसे ही उससे ज्यादा डालने की कोशिश करती, मुझे दर्द होने लगता.
कुछ देर तक फिर से चूत के दाने को मसलने के बाद एक बार फिर से ट्राय करने का सोचा और डिसाइड किया कि इस बार पूरा डाल कर ही मानूँगी.
जैसा मैंने सहेलियों से कई बार सुना था कि पहली बार जब लंड को चूत में डालते हैं, तब दर्द होता है. इसलिए अक्सर लड़के एक ही बार में पूरा लंड डाल देते हैं. मैंने भी ऐसा ही कुछ करने का डिसाइड किया कि इस बार एक ही बार में पूरा घुसा दूंगी.
इस बार भी मैंने गाजर को गीला किया और मेरी चूत में डालने लगी. थोड़ी देर तक चूत के मुँह पर ही रख कर ऊपर नीचे किया, फिर एक झटके से अन्दर डालने की कोशिश की.
मुश्किल से डेढ़ इंच ही अन्दर गया होगा कि मेरी चूत में दर्द होने लगा और चूत से खून भी निकलने लगा. दर्द काफी तेज था और मुझे समझ में भी आ गया कि मेरी झिल्ली फट चुकी है. उसके बाद फिर कभी उससे आगे डालने की कोशिश ही नहीं की.
जब कभी मौका मिलता, तो चूत के दाने को रगड़ कर या जितना उंगली जाती, वहीं तक अन्दर बाहर करके मज़ा ले लेती.
एक दिन मम्मी को शक हो गया. जब मैं बाथरूम में बैठ कर अपनी चूत के दाने को मसल कर सिसकारियां ले रही थी. तब मम्मी ने मुझे सब समझाया और हमेशा मास्टरबेट करने को मना भी किया, पर कभी कभी के लिए मुझे छूट भी दे दी. मम्मी हर बार मुझे ये जरूर समझाती थीं कि मास्टरबेट तक तो ठीक है, पर शादी से पहले कभी किसी लड़के के साथ सेक्स मत करना.
आपके विचार सुझाव कहानी को और अच्छे से लिखने में मदद करते हैं. मेरी मेल आईडी है. [email protected] कहानी जारी है.
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