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दोस्तो, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी कहानी के पहले भाग सीनियर मैडम की बड़े लंड से चुदाई-1 को इतना प्यार दिया.
अब आगे की कहानी पेश है.
उस दिन की चुदाई के बाद हम दोनों दैनिक क्रियाएं खत्म करने के बाद फिर से बिस्तर में आ गये.
मैंने मैडम को अपनी बांहों में खींच लिया. मैडम भी मुझे लता सी लिपट गई. मैंने कुछ देर तक उसकी जीभ को अपनी जीभ से लड़ाया और फिर मुँह में मुँह लगा कर देर तक चुसाई का मजा लिए. मैडम इतने से गनगना गई थी. उसने मेरे लंड को हाथ से सहलाया तो मैंने जल्दी से अपने लोअर को उतार फेंका और नंगा लंड मैडम के हाथ में खेलने को दे दिया.
मैडम ने मुझे 69 में आने का इशारा दिया. मैं झट से मैडम के मुँह की तरफ अपना लंड करके हो गया और खुद अपने मुँह को मैडम की रसीली चूत पर लगा दिया. अब हम दोनों में लंड चूत की चुसाई का खेल चलने लगा. मैडम ने मेरे सर को अपनी जांघों के बीच दबा लिया था. इधर नीचे उसने मेरे सर को दबाया हुआ था. वो मजे से अपनी गांड उठा कर मुझसे अपनी गरम चूत चुसवा रही थी और उधर मेरे लंड को अपने गले तक लेकर कुल्फी जैसा निचोड़ रही थी.
मैंने मैडम से कहा- क्या मुँह में ही निकाल लोगी? उसने लंड अपने मुँह से नहीं निकाला और हाथ से मुँह में माल आने का इशारा कर दिया.
अब मैं बिंदास मैडम के मुँह में लंड को पेलने में लग गया और कुछ ही पलों में मेरे लंड का जूस उसने अपने हलक में उतार लिया. सारा रस पीने के बाद भी उसने मेरा लंड चूसना नहीं छोड़ा, जिसका नतीजा ये हुआ कि मेरा लंड फिर से मूसल बन गया.
इधर मैंने झड़ते समय अपने मुँह से मैडम की चूत को चूसना छोड़ दिया था जिससे मैडम की गांड फिर से उछाल मारते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर मारने लगी थी. पर मैंने मैडम की चूत को चूसने की जगह चोदना ठीक समझा और सीधा होकर उनकी चूत की फांकों में लंड को अड़ा दिया.
मैडम की चुदास इस वक्त चरम पर थी. उसने एक ही झटके में अपनी गांड को उठाते हुए मेरे लंड को चूत में खींच लिया.
बस धकापेल चुदाई शुरू हो गई. मैंने लगभग बीस मिनट तक मैडम की चुदाई का मजा लिया. इस बीच मैडम भी दो बार अपना रस छोड़ कर एकदम से तृप्त हो गईं.
चुदाई खत्म हुई हम दोनों आधे घंटे के लिए यूं ही चिपक कर सो गए. फिर उठे और साथ जाकर फव्वारे में नहाने का मजा लिया.
इसके बाद हम दोनों तैयार होकर मैडम की स्कूटी से एक मॉल में गए. वहां मैडम ने मुझे जूते और दो ड्रेस दिलवाईं. फिर हमने बाहर ही खाना खाया. चूंकि मेरे को कम्पनी में आए एक महीना भी नहीं हुआ था और इतने पैसे भी नहीं थे. मेरी सैलरी भी नहीं आयी थी. इसलिए मैंने मैडम को मना कर दिया था, पर उन्होंने कहा कि ये उनकी तरफ से गिफ्ट है.
काफी मना करने के बाद भी जब वो नहीं मानीं, तो मजबूरी में मैंने ये सब ले लिया. मैंने भी पास की एक दुकान से एक घड़ी लेकर उसे गिफ्ट कर दी और उसने वहीं पर मुझे एक छोटा सा किस दे दिया. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही कम्पनी की कड़क सीनियर है, जिससे सभी डरते हैं. वो मेरे साथ ऐसा बर्ताव कर रही थी कि जैसे हम बचपन से एक दूसरे को जानते हैं, पर बिछड़ गए थे और आज सालों बाद मिले हैं. वो काफी खुश थी.
थोड़ी देर बाद हम वहां से घर वापस आ गए. मैडम को छोड़ कर मैं वापस आने लगा, तो मैडम ने कहा कि कम्पनी में पता ना चले. मैंने भी वादा किया और एक किस के साथ वापस रूम पर आ गया.
उस पूरी रात मैं उसके बारे में ही सोचता रहा. सोमवार को जब कम्पनी में गया, तो वह कम्पनी में नहीं आयी थी. मैंने फोन किया, तो पता चला कि उसे तेज बुखार हो गया था. शाम को जल्दी छुट्टी लेकर में उसके घर गया. वह बिस्तर पर थी. मैंने चाय बनायी और मैडम को दी, साथ में खाने को भी बिस्कुट दिए और टैबलेट दी.
मैंने शाम का खाना भी बनाया और दोनों ने खाया. उसने मुझसे कहा कि मुझे कुछ बात करनी है. मैंने हामी भर दी. मैडम बोली- तुम कम्पनी छोड़ दो.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या बोल रही है. मैंने कहा- मैडम, मैं किसी को भी इस बात के बारे में नहीं बताऊंगा, पर प्लीज कम्पनी से मत निकालो. मैं उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा. तो वो बोली- कम्पनी तुम्हारा सपना नहीं है. तुम्हें सरकारी पुलिस की नौकरी चाहिए, तुम उसकी तैयारी करो. कम्पनी में कभी भी आ सकते हो, पर मैं चाहती हूँ कि तुम पहले अपना सपना पूरा करो.
मैं उसकी तरफ मूक दर्शक की भांति खड़ा उसको सुने जा रहा था.
इसके साथ ही उसने कहा कि तुम्हारी कोचिंग का पूरा खर्च मैं दे दूँगी. मैडम ने एक लिफाफा मेरी तरफ कर दिया, जिसमें 10000 रूपए थे. वो बोली कि जब भी तुमको जरूरत हो, तो और ले लेना.
अब मेरा मैडम के प्रति और अधिक लगांव हो गया और मैं सोचने लगा कि आज के मतलबी दौर में जहां सभी अपने नाते तोड़ जाते हैं, वहीं ये अनजान मेरे सपने को पूरा करने के लिए मेरी कितनी मदद कर रही है.
ऐसे ही सोच विचार करते करते मैं सो गया. सुबह मैडम का भी बुखार जा चुका था. सुबह उन्होंने ही मुझे जगाया और हम तैयार होकर कम्पनी कि तरफ चल पड़े.
आप सोच रहे होंगे कि उस दिन हमने चुदाई क्यों नहीं की, क्योंकि उस दिन मंगलवार था और मैंने भी मन ही कम्पनी से मुँह मोड़ लिया था. वहां से मैं अपना हिसाब करके अपने कमरे पर आ गया.
मैंने अपने घर पर भी बोल दिया कि मुझे सरकारी नौकरी चाहिए फिर पता नहीं, घर वालों को क्या हुआ, उन्होंने मुझे कोचिंग के लिए कुछ पैसे दिए और मैं जयपुर चला गया. पापा ने अपने लिए छोटा काम खोज लिया. ये सब पाँच दिन हो गया था और मैं जयपुर चला आया. कोचिंग में नाम लिखवाया और तैयारी में लग गया. सुबह शाम रेस करता और दिन में पढ़ाई करता.
करीब दस दिन बाद मैडम का फोन आया, वो बहुत खुश लग रही थी. उन्होंने बताया कि उसका मासिक धर्म नहीं आया.. मतलब वे पेट से हो गई थी. एक महीने बाद मेरे जन्म दिन पर मैडम ने मेरे जयपुर के पते पर एक सैमसंग का एक फोन भेज दिया था. फिर हमारी वीडियो कॉल पर सब बातें होने लगीं.
मुझे आज भी सभी बातें ऐसी लग रही थीं, जैसे अभी कल की ही बात हो. मेरे शरीर में भी रेस के कारण और अधिक मजबूती और गठीलापन आ गया, जिससे मैं और आकर्षक बन्दा बन गया था. हमारी कोचिंग की कक्षा में केवल दो ही लड़कियां थीं, वे दोनों बहनें थीं.
कोचिंग के पहले दिन ही मेरा और उनका थोड़ा झगड़ा हो गया था. वे दोनों राजस्थान के चिडावा की थीं. मैं अकेला ही था, जो दूसरे राज्य का था. नहीं तो सभी लड़के राजस्थान के ही थे. हमारे बैच में हम केवल 15 स्टूडेंट्स ही थे. कुछ दिन बाद जब हमारा टेस्ट हुआ तो मेरा स्थान उन दोनों बहनों के बीच आ गया. मैंने अपना टेस्ट बहुत जल्दी कर लिया और बेंच पर सर रखकर सो गया.
छोटी बहन, जिसका नाम कोमल (बदला हुआ) था. वो मेरे से उत्तर पूछने लगी, तो मैंने उसे उत्तर बता दिए, पर उसको मेरे ऊपर विश्वास नहीं था. तीन दिन बाद जब रिजल्ट आया, तो मेरे और उन दोनों बहनों के ही सबसे ज्यादा अंक थे.
मैं क्लास खत्म होते ही जल्दी चला जाता था क्योंकि शाम की रेस का समय नहीं बचता था. उस दिन जब हमारी क्लास खत्म हुई, तो मैं जैसे ही कक्षा से निकला. बड़ी वाली, जिसका नाम सरला (बदला हुआ) था, उसने मुझे रूकने को बोला. उस दिन कोमल नहीं आयी थी.
वैसे मैंने अब तक आपको इन दोनों बहनों के बारे में तो बताया ही नहीं. ये दोनों बहनें एकदम ऐसा फाड़ू माल थीं. उनको देख कर हर कोई यही चाहता था कि ये मिल चुदाई के लिए जाएं बस. दोनों बहनों की हाईट करीब साढ़े पांच फिट की थी. उनके रंग भी एकदम गोरे थे. ऊपर से हल्का मेकअप भी करती थीं. जोकि उन दोनों की खूबसूरती में में चार चाद लगा रहा होता था. उनके 34 इंच के तने हुए चुचे देखने में ऐसे लगते थे कि मानो दोनों ने तोतापरी आम लगा रखे हों. दोनों की ही 26 साइज़ एकदम पतली बलखाती कमर और 32 इंच की तोप सी उठी हुई मस्त गांड के पहाड़ थे. ऐसे मस्त थिरकते हुए चूतड़.. आह कोई भी उनको एक नजर देखे बिना ना रह सके. वे दोनों भी रेस और कसरत आदि करती थीं, तो उनका शरीर भी लचीला बन गया था.
सरला ने मुझे रोका तो मैंने उससे पूछा- क्या बात है? तो उसने कहा- अगर आपको अभी कुछ काम नहीं हो, तो प्लीज मुझे मेरे रूम तक छोड़ कर आ सकते हो? मैंने मजाक में कहा- तुम्हें दिन में भी डर लगता है क्या? वो कुछ नहीं बोली. मुझे लगा कि इसे बुरा लग गया. मैंने कहा- चलो ठीक है चलते हैं.
हम दोनों बस में चढ़े, तो वो मेरे चिपक कर खड़ी थी. उसकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी. मैं बस सरला का चहरा देख रहा था. उसकी काली नशीली आंखें, गुलाबी पतले पतले होंठ मुझे उसकी तरफ मोहित किये जा रहे थे. मुझे पता ही नहीं चला कि कब स्टॉप आ गया. हम दोनों नीचे उतरे और मैंने उसे उसके रूम में छोड़ कर आने लगा.
उसने कहा कि कोमल गांव गयी है, इसलिए मैं आज अकेली थी. जब मैं सुबह कोचिंग गयी थी, तो रास्ते में कुछ लड़के मुझ पर कमेंट मार रहे थे, तो मैं डर गयी थी. इसलिए मैंने तुमको परेशान किया. मैंने कहा- कोई बात नहीं, पर तुम क्लास में किसी से भी बोल सकती थी. वो बोली- क्लास के लड़के उनके दोस्त हैं.
यह जानकर मुझे बहुत बुरा लगा कि आखिर क्या मिलता है ये सब करके.
दोस्तो, वो कहानी भी लिखूंगा कि कैसे मैंने अपनी कोचिंग के उन लड़कों को सबक सिखाया और सरला को चोदा और इसी बीच मैडम ने भी मुझे एक जबरदस्त ऑफर दे दिया.
आप अपने विचार मुझे भेज सकते हैं. [email protected]
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