This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो, आपका दोस्त राज कार्तिक एक बार फिर से एक ताज़ा कहानी लेकर आया है। कहते है ना जब जब जो जो मिलना है सो सो तब तब मिलता है। ऐसा ही हुआ इस बार मेरे साथ भी। कहानी बिल्कुल ताजा है। कोई इरादा नहीं था सच पूछो तो सोचा भी नहीं था कि ऐसे किसी की चुत का मजा मिल जाएगा। चुत भी कैसी … एकदम तरोताजा जवान कड़क चुत। हुआ कुछ यूँ:
कल दिल्ली आया था किसी काम से; सारा दिन काम में व्यस्त रहा; थक कर चूर-चूर हो रहा था। मन कर रहा था कि बस चुत मिल जाए ताकि मन भी बहल जाए और थकावट भी उतर जाए। एक दो चुत का जुगाड़ है अपना दिल्ली में। उनके बारे में आपने मेरी पिछली कहानियों में पढ़ा भी होगा. पर हाय री किस्मत … कोई भी आने की स्थिति में नहीं थी; मैं मन मार कर रह गया।
होटल के कमरे में पड़ा बोर हो रहा था तो सोचा क्यों ना मूवी देखी जाए। शाम के पाँच बजे का समय था। होटल से निकला और पास के ही एक मॉल में पहुँच गया। नई फिल्म लगी थी उरी। टिकेट ली और अन्दर पहुँच गया। हॉल में ज्यादा भीड़ तो नहीं थी पर फिर भी लगभग आधा थिएटर भरा हुआ था जिसमें ज्यादातर नौजवान लड़के और लड़कियाँ ही नजर आ रही थी। मेरे साथ की दो तीन सीट खाली थी। उसके आगे कुछ लड़के लड़कियाँ बैठे थे। फिल्म शुरू हो गई। मैं भी फिल्म का आनंद लेने लगा।
करीब पंद्रह मिनट के बाद एक लड़की जो की करीब 18-19 साल की थी वो आई और मेरे से एक सीट छोड़ कर बैठ गई। वो बार बार अपने मोबाइल को देख रही थी और उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ नजर आ रहा था। उसने दो तीन बार किसी का नंबर डायल किया पर शायद नंबर नहीं लगा जिस कारण उसका गुस्सा और बढ़ गया था।
उसकी हरकतों से मेरा ध्यान अब फिल्म पर कम उस पर ज्यादा हो रहा था। तभी साइड से एक लड़का उठ कर उसके पास आकर बैठ गया और उसको कुछ कहने लगा। उस लड़के ने उसको क्या कहा वो तो मैं नहीं सुन पाया पर लड़की ने जब शट-अप कहा तो मैं समझ गया कि वो शायद उसको अकेली देख कर लाइन मारने आया था।
उस लड़के के छेड़ने का एक फायदा मुझे जरूर हुआ कि वो लड़की अब उठकर मेरे साथ वाली सीट पर बैठ गई। हाल में अँधेरा था पर फिल्म की लाइट से उसका चेहरा अब मुझे साफ नजर आ रहा था। लड़की ज्यादा खूबसूरत तो नहीं पर दिखने में अच्छी थी। उसने जीन्स टॉप और जैकेट पहना हुआ था।
मेरी नजर उसके बदन का जायजा लेने लगी तो मेरी नजर उसकी चुचियों पर पड़ी। उम्र के हिसाब से अच्छी शेप में थी। छोटी पहाड़ी सी बनी हुई थी सीने पर। जीन्स में कसी टाँगें भी कमाल लग रही थी। पर मैं भी देख ही सकता था आगे कुछ सोचना बेवकूफी थी क्यूंकि वो मुझसे उम्र में बहुत छोटी थी और दाल गलने की संभावना काफी कम थी।
अगले पंद्रह मिनट तक मैं कभी मूवी तो कभी उसको ही देखता रहा और वो भी बस कभी अपने फ़ोन को देखती तो कभी मूवी देखने लगती। उसने एक दो बार और फ़ोन मिलाया पर शायद मिला नहीं या फिर सामने वाले ने उठाया नहीं। अब उसका गुस्सा उफान पर था और वो फ़ोन की तरफ देख देख कर कुछ बड़बड़ा रही थी।
“अगर बुरा ना मानो तो पूछ सकता हूँ कि क्या हुआ … इतने गुस्से में क्यों हो?” “आपसे मतलब …” वो गुस्से से बोली और मूवी देखने लगी।
उसके हावभाव देख मैं चुपचाप मूवी देखने लगा। जूते खाने का कोई इरादा नहीं था मेरा। दिल्ली की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं कि कब पिटवा दें।
अभी मुश्किल से पाँच मिनट ही बीते होगे की उसकी आवाज आई- सॉरी … मुझे आपको ऐसे नहीं बोलना चाहिए था. “कोई बात नहीं …” मैंने बिना उसकी तरफ देखे ही बोला और मूवी देखता रहा। “आप नाराज मत होइए … वो तो मुझे किसी और पर गुस्सा आ रहा था ऐसे ही मुँह से निकल गया.”
उसकी बात सुन मैं उसकी तरफ घुमा और उसके चेहरे को देखा तो वो अब शांत थी और शायद अपनी बात पर शर्मिंदा भी थी- इट्स ओके … पर हुआ क्या जो इतना गुस्सा आया है तुम्हें? “ऐसा कुछ नहीं है … बस मेरा एक बॉयफ्रेंड है जो आज मेरे साथ मूवी देखने आने वाला था … पर देखो ना अब तक नहीं आया … जबकि उसने मुझे कहा था कि तुम थिएटर के अन्दर चलो, मैं दस मिनट तक आ जाऊँगा और अब उसका फ़ोन भी बंद आ रहा है. बस इसीलिए गुस्सा आ रहा था … सॉरी मैंने आपको गलत तरीके से जवाब दिया.”
बस ऐसे ही बातें शुरू हुई तो मूवी की तरफ ध्यान कम हो गया और बातें होने लगी। उसने बताया कि वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में बी.कॉम फर्स्ट ईयर में है और कॉलेज के पास ही पीजी है। उसने अपना नाम सपना बताया और सच में सपना ही तो थी वो। इंटरवल हुआ तो वो मेरे साथ ही बाहर कैंटीन तक आई और मेरे जोर देने पर उसने खाने पीने का सामान लिया। वो अपने पैसे खुद देना चाहती थी पर मैंने देने नहीं दिए और उसके पैसे भी भर दिए।
मूवी जब दुबारा शुरू हुई और हम दोनों फिर से आकर बैठ गये। “आप बहुत अच्छे है … क्या करते हैं आप?” उसने दुबारा बातचीत शुरू की और फिर से दोनों बातों में मगन हो गए। बात करते करते ही मैंने चांस मारने की कोशिश की और उसका हाथ पकड़ लिया। वो शायद बातों में ज्यादा ही मगन थी या फिर जानबूझ कर उसने अपना हाथ नहीं छुड़वाया। मैं भी धीरे धीरे उसके हाथ को सहलाता रहा। बीच बीच में एक बार उसकी तारीफ की तो वो मुझसे खुलती चली गई।
मूवी खत्म हुई तो मैंने उसको डिनर के लिए पूछा। पहले तो वो मना करती रही कि उसे देर हो रही है पर मेरे जोर देने पर मान गई. और फिर हम सीधे पास के ही एक रेस्तरा में डिनर करने चले गए। दोनों ने साथ बैठ कर डिनर किया। तब तक वो मुझसे इतना खुल चुकी थी जैसे हम थोड़ी देर पहले नहीं बल्कि बरसों से एक दूसरे को जानते हैं। डिनर करते करते लगभग साढ़े दस का समय हो गया।
वो जाने लगी तो मैंने उसको अपनी कार से छोड़ देने का कहा. तो वो कुछ पल सोचती रही और फिर मान गई। मैं उसको गाड़ी में लेकर चल दिया। उसके बताये पते पर पहुँचे तो देखा पीजी का दरवाजा बंद हो चुका था। “ओह … नो … पीजी तो बंद हो गया … दस बजे तक का समय है और अब तो ग्यारह बज रहे हैं … अब तो इन्होंने दरवाजा भी नहीं खोलना!” उसने लगभग रोने जैसी आवाज में कहा।
गेट पर बोर्ड भी लगा था जिस पर साफ़ साफ़ लिखा था कि दस बजे के बाद किसी भी हालत में दरवाजा नहीं खोला जाएगा। “अब क्या करें … आज तो फस गई मैं … अब कहा जाऊं?” “मेरे साथ होटल चलो अगर तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तो …” मैंने अपना पत्ता फेंका। मेरे अन्दर का कमीनापन जागने लगा था। चुत के रसिया को चुत का जुगाड़ नजर आने लगा था। “नहीं … मैं आपके साथ कैसे आ सकती हूँ … आप वैसे भी मेरी वजह से पहले ही काफी लेट हो चुके है … अब आप जाइये.. मैं सोचती हूँ कि क्या किया जा सकता है.” “तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की को ऐसे ही सड़क पर कैसे छोड़ कर जा सकता हूँ … या तो तुम बताओ कहाँ जाओगी या फिर मेरे साथ चलो … मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.”
उसकी शक्ल ऐसी हो चुकी थी की जैसे अभी रो देगी। “अगर तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ मूवी देख रही होती तब क्या करती?” मैंने सवाल किया। “बॉयफ्रेंड होता तो शायद उसके साथ उसके रूम पर चली जाती … पर वो कमीना भी आज आया नहीं … सब उसकी वजह से ही हुआ है.” कह कर वो सच में रो दी। मुझे मौका मिल चुका था और मैं मौका खोना नहीं चाहता था। मैं झट से उसको चुप करवाने के बहाने अपनी बांहों में भर लिया और उसके आँसू साफ़ करके उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसकी आँखों में झांकते हुए कहा- सपना तुम इतना घबरा क्यों रही हो … अब तो हम दोनों भी दोस्त हैं … जैसे उस दोस्त के जा सकती थी तो मेरे साथ क्यों नहीं … अब चुपचाप गाड़ी में बैठो … हम होटल चलते हैं.
वो कुछ नहीं बोल रही थी बस रो रही थी। मैंने उसको लगभग खींचते हुए गाड़ी में बैठा लिया और गाड़ी दौड़ पड़ी होटल की तरफ। अगले कुछ ही मिनट में हम दोनों होटल के सामने थे। होटल वाला मेरा जान-पहचान वाला था तो लड़की साथ होने से उसको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।
मैं सपना को लेकर सीधा अपने कमरे में पहुँचा और सपना को अन्दर ले दरवाजा बंद कर दिया। “आज का दिन ही खराब है … कमीने ने मूड ख़राब कर दिया और अब मैं आपको परेशान कर रही हूँ.” “मुझे कोई परेशानी नहीं है … हाँ अगर तुम्हें कोई परेशानी है तो बताओ … अगर कहो तो तुम्हारे लिए दूसरा कमरा ले लूँ?” “नहीं कमरे की कोई जरूरत नहीं है … आप बहुत अच्छे है … मुझे आपके साथ कोई परेशानी नहीं … मैं एडजस्ट कर लूँगी.”
मैं उसको छोड़ कर बाथरूम में घुस गया और अपने कपड़े बदलने लगा। मेरे दिमाग में अब यह घूम रहा था कि लड़की को चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाए … पता नहीं ये मानेगी भी या नहीं … कहीं कोई लफड़ा ना हो जाए!
लड़कियाँ वैसे भी बातूनी ज्यादा होती हैं … वो भी थी। उसने एक बार फिर से बातों का सिलसिला शुरू कर दिया और मेरे बारे में सवाल पर सवाल करती रही और मैं जवाब देता रहा। मैंने भी उसके बारे में बातें शुरू की और फिर धीरे धीरे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा। बातों ही बातों में मैंने अचानक से उसको पूछा- कभी सेक्स किया है बॉयफ्रेंड के साथ? मेरे सवाल से वो एक दम से चुप सी हो गई और अजीब सी नजरों से मेरी तरफ देखने लगी। एक क्षण के लिए तो मेरी सीटी-पीटी गुम हो गई। पर जब उसने सिर झुका कर धीमे से कहा- हाँ … किया है एक दो बार! तब जाकर मेरी जान में जान आई।
“अगर किया है तो शर्मा क्यों रही हो … आजकल तो लड़के लड़की में ये आम बात है.” “हम्म …” “अच्छा अगर बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?” “पूछिये …” “अगर आज रात तुम्हें तुम्हारे बॉयफ्रेंड के साथ रुकना पड़ता तो क्या तुम सेक्स करती?” “पता नहीं … शायद …” “मेरे साथ करना चाहोगी?” “क्या?” “कोई जबरदस्ती नहीं है … अगर तुम्हारा मन करे तो …” “नहीं … आप मुझसे कितने बड़े है … मैं आपके साथ कैसे कर सकती हूँ?” “हम दोनों तो दोस्त है अब तो बड़े छोटे का सवाल ही कहाँ रहता है?” वो चुप रही।
“कोई बात नहीं अगर मन नहीं मानता तो मत करो.. कोई दिक्कत नहीं है … अब सोया जाए.” “ओके!”
फिर डबल बेड पर दोनों सोने के लिए लेट गए। सर्दी की रात थी और कम्बल एक तो मजबूरन एक ही कम्बल में सोना था। सपना बेड के एक कोने पर लेटी हुई थी और मैं अपनी साइड में लेटा हुआ अपने मोबाइल में फेसबुक चलाने लगा। करीब आधा घंटा ऐसे ही बीता। बार बार मन में तो आ रहा था कि जब लड़की होटल के कमरे तक आ गई तो चोद डालूँ पर एक हल्का सा डर भी था की अगर कोई बात हो गई तो लेने के देने ना पड़ जाए।
कहानी जारी रहेगी. लेखक ने इमेल आईडी नहीं दिया है.
कहानी का अगला भाग: किस्मत से मिली कॉलेज गर्ल की चूत-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000