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नमस्ते जी, मेरा राहुल राज है और मैं कोटा से हूं. अभी फिलहाल ग्रेजुएशन के सेकंड इयर में हूं. ये मेरी पहली चुदाई की कहानी है और पूरी तरह सच्ची है.
ये बात उन दिनों की है, जब मैं बारहवीं में था. हमारे पड़ोस में एक भाभी रहने आयी थीं.. उनका नाम भाविका था. उनके पति का ट्रांसपोर्ट का काम था, तो वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.
भाभी घर में अकेले बोर होतीं, तो मेरे घर पर मेरी माँ से बातचीत करने आ जातीं. भाविका भाभी दिखने में बहुत सेक्सी थीं. उनका साइज लगभग 32-27-38 का रहा होगा. उनका शरीर काफी भरा भरा था. उनको देख कर मैं तो बस पागल ही हो जाता और उनके जाने के बाद मुझे दो तीन बार मुठ मारनी पड़ती थी.
जब भी भाभी हमारे यहां आतीं, मैं बस उनके मम्मे और गांड ही देखता रहता. उन्होंने भी कई बार ऐसे घूरते हुए मेरे को नोटिस कर लिया था, लेकिन मैंने इस बात की कभी कोई परवाह नहीं की थी.
एक दिन मम्मी और मेरे पूरे परिवार को मेरे नाना के यहां जाना था. इस वक्त मेरी कोचिंग चल रही थी, तो मैं उन सभी के नहीं जा सकता था. मेरी मम्मी ने भाभी को मेरे लिए खाना बनाने और मेरा ख्याल रखने को बोला और वो गांव चली गईं. मम्मी ने जब भाभी से मेरे लिए खाना आदि का कहा, तो मेरे भी दिमाग में बस भाभी को चोदने के ख्याल आने लग गए.
खैर, शाम को भाभी को चोदने के ख्याल से मैं अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी पढ़ के अपने लंड को हिला रहा था. तभी अचानक डोरबेल बजी. मैंने जल्दबाजी में मोबाईल ऑफ किया, लोअर पहना और गेट पर गया. मैंने दरवाजा खोल कर देखा, तो भाभी खड़ी थीं. वे मुझे खाने के लिए बुलाने आई थीं. मैं उनको देख कर पहले तो सकपका गया लेकिन उन्होंने जब मेरा चेहरा देखा और फिर नीचे मेरे लोवर की तरफ ध्यान दिया तो वे मुस्कुरा कर चली गईं और जाते हुए बोलीं- खाना खाने जल्दी आ जाओ.
मैं अपने घर में बाथरूम के अन्दर गया और अपना लौड़ा हिलाया, पानी निकाल कर उसे बैठाया. फिर जो पानी निकलने से लोअर खराब हो गया था, उसे साफ किया. फिर दूसरे कपड़े पहने और भाभी के घर चला गया.
जब मैं भाविका भाभी के घर पहुंचा तो देखा भाभी लाल साड़ी और ब्लैक ब्लाउज में थीं. मैं तो बस भाभी को देखता ही रह गया. अचानक भाभी ने मेरे पेट और लौड़े के बीच चिकोटी काटी और बोलीं- बाहर ही रहोगे … अन्दर नहीं आना क्या? मैं होश में आया और बोला- नहीं, आज तो अन्दर ही आना है. भाभी समझ तो गई थीं.
मैं अन्दर आ गया. हम दोनों ने खाना खाया और फिर टीवी देखने लगे. तभी उनके पति ने फ़ोन किया और बोले कि वो आज रात घर नहीं आ पाएंगे. भाभी ने ओके कहा और फोन काट दिया. उन्होंने फोन रखा तो हम दोनों फिर से आपस में बात करने लगे.
उन्होंने मेरी जीएफ के बारे में पूछा तो मैंने मना कर दिया कि मेरी कोई जीएफ नहीं है. अब उन्होंने सीधे ही पूछ लिया कि काम कैसे चलता है? मैं अचानक पूछे इस सवाल से एकदम से घबरा गया. वो हंस कर बोलीं- मैंने आज शाम को सब देख लिया. मैंने पूछा कि भाभी आपने क्या सब कुछ देख लिया था. भाभी आँख मार कर कहने लगीं- तुम खुद सोचो कि मैंने क्या सब कुछ देख लिया होगा?
मैंने समझ तो सब लिया था कि भाविका भाभी का इशारा किस ओर है, लेकिन तब भी मैं रस लेने के नजरिये से उनसे कुरेद कर पूछने लगा था. मैंने कहा- प्लीज़ भाभी बताओ न.. आपने क्या सब कुछ देख लिया था? भाभी कहने लगीं- अच्छा एक बात बताओ, जब मैं तुम्हारे घर आती हूँ, तो तुम मेरी तरफ देख कर क्या सोचते हो? मैंने कहा- आप क्या सोचती हैं कि मैं आपको देख कर क्या सोचता होऊंगा?
भाभी ने सीधे सीधे कहा- जब भी मैं तुम्हारी मम्मी से बात करने जाती हूँ, तो तुम मेरे बूब्स क्यों देखते हो? मैं उनकी इस बात पर सकपका गया और कहा- नहीं तो भाभी.. ऐसा कुछ भी नहीं है. भाभी बोलीं- तुम झूठ बोल रहे हो, मैंने कई बार देखा है कि तुम मेरे सामने ही बाथरूम में चले जाते हो, बताओ न बाथरूम क्या करने जाते हो? मैंने कहा- भाभी, मैं तो बस यूं ही बाथरूम में पेशाब करने चला जाता हूँ.
भाभी- फिर बाथरूम में जाकर बाथरूम करने के लिए क्या करते हो? मैंने कहा- सिम्पली बाथरूम करता हूँ.. और क्या करूँगा? भाभी हंसने लगीं और कहने लगीं- अच्छा वो नहीं हिलाते हो? मैंने कहा- क्या हिलाता हूँ? भाभी बिंदास बोलीं- अपना लंड नहीं हिलाते हो? यह कहते हुए भाभी मेरे लौड़े पर हाथ रखकर घुमाने लगीं.
बस दोस्तो, मैं भी यही चाहता था. मैंने बिना कुछ सोचे समझे उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनको किस करने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं और मेरी जीभ चूस रही थीं. लगभग दस मिनट तक हमने स्मूच किया. फिर हम अलग हुए तो उन्होंने कहा- अब बताओ न बाथरूम में क्या हिलाते हो? मैंने कहा- हां भाभी, सच में मैं आपके मम्मों और उभरी हुई गांड को देखकर एकदम से गरमा जाता हूँ और बाथरूम में जाकर मुठ मार कर अपने लंड को शांत करता हूँ.
भाभी ने मेरे लंड को जोर से दबाते हुए कहा- आज मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती हूँ, मेरे पति मुझको सेक्स का मजा नहीं दे पाते हैं. मैंने भाभी के बालों में अपनी उंगली घुमाई और कहा- आज मैं आपको पूरा मज़ा दूंगा.
फिर से हम दोनों किस करने में लग गए. पांच मिनट बाद हम अलग हुए. मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपना 7 इंच का लौड़ा सीधा उनके मुँह के सामने कर दिया. भाभी ने पहले तो लंड चूसने से मना किया लेकिन बाद में मान गईं और फिर पूरे रूम में गप गप्प उनके थूक और मेरे लौड़े की आवाज़ गूंज रही थी. मैं मस्ती से भाभी के मुँह को चोदने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.
दस मिनट बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया.
अब भाभी के कपड़े उतारने की बारी थी. मैंने उनकी लाल साड़ी पहले ही उतार दी थी. मैं पहले ब्लाउज के ऊपर से ही उनके मम्मे दबाने लगा. थोड़ी देर बाद में मैंने जोश में आकर उनके पूरे कपड़े उतार दिए और भाभी को पूरी नंगी करके उनको पागलों की तरह किस करने लगा. नंगी भाभी भी मेरे पूरे शरीर को अपने नाखूनों से नोंच रही थीं. थोड़ी देर बाद मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. वो भी पूरी तरह से गरम हो चुकी थीं.
भाभी मेरी ओर देखने लगीं और बोलीं- अब किसी मुहूर्त का इंतजार करना है? बस फिर क्या था … मैंने लौड़ा उनकी चिकनी सी चुत पे रखा और घिसने लगा. भाभी ने भी पैर फैला कर चूत खोल दी. मैंने भाभी की चूत की फांकों में लौड़ा रख कर एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया.
मेरा लौड़ा पूरा का पूरा एक ही बार में भाभी की चूत में अन्दर घुसता चला गया. अचानक से हुए इस हमले के लिए भाभी तैयार नहीं थीं. उनकी ज़ोरदार चीख निकल पड़ी. मेरे मोटे और लम्बे लंड से भाभी की आंखों से आंसू आने लगे. मुझे भाभी पर तरस आ गया और मैं लंड बाहर निकालने को हुआ. तो उन्होंने मुझको रोक दिया और हल्का सा मुस्कुरा दीं.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा. फिर जब भाभी सामान्य हुईं, तब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए. थोड़ी देर बाद वो भी मजे लेने लगीं और बोलने लगीं- और जोर से चोद दो … ज़ोर से चोदो मेरे राजा.. तुम सच में मेरे राजा.. और ज़ोर से चोदो.
लगभग 15 मिनट की धकापेल के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए और एक दूसरे से चिपके हुए ही बिस्तर पर गिर गए.
इसके बाद भाभी ने मुझे किस किया और हम दोनों नंगे ही चिपक कर आपस में प्यार मुहब्बत की बात करने लगे. कुछ ही देर में फिर से वासना का झंझावात उठा और हम दोनों उस काम के दरिया में गोते लगाने लगे. भाभी ने मुझे अपने मम्मे पकड़ पकड़ कर चुसवाए, मैंने भी उनकी चूचियों को खूब मसल मसल कर पिया. फिर जल्द ही हमारे बीच सेक्स का तीसरा दौर चला.
मैं इसके बाद अपने घर जाने को हुआ तो भाभी ने मुझे अपने साथ ही सोने का कहा. मैं उस रात भाभी के साथ ही उनके बिस्तर में चुदाई का सुख लेता रहा.
अगली कहानी में भाभी के साथ क्या क्या मजे किए, इस बात को आगे लिखूंगा. दोस्तो, यह मेरी कहानी का पहला भाग है आगे मैं मेरी भाभी को विभिन्न आसनों में चोदने की पूरी कहानी बताऊंगा. आप अपनी प्रतिक्रिया मेल जरूर करें. [email protected]
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