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नमस्कार दोस्तो, मैं नरसिंह प्रधान फिर एक बार अपनी मजेदार अनुभव को लेकर प्रस्तुत हूँ. अपने नये पाठकों को अपना परिचय दे दूँ. पेशे से मैं एक सेंट्रल गवर्मेन्ट स्कूल का हेड मास्टर हूँ. मेरी उम्र 56 साल है, कद 5.8 का है. मैं थोड़ा मोटा सा हूँ, मेरी तोंद निकली हुई है. बड़ी बड़ी मूंछे हैं. पूरे शरीर में छोटे छोटे में घने बाल हैं. मुझे हमेशा टिपटॉप में रहना पसंद है.
यह किस्सा मेरी स्टाफ कॉलोनी के बाहर बने पान की दुकान से शुरू होता है. मैं शाम के समय हमेशा अपने दरवाजे के बाहर अपनी पड़ोसन, जो मेरी सहकर्मी (देवी) भी हैं, के साथ चाय की चुस्की लेता हूँ.
मैंने अपनी पिछली रचना हैडमास्टर और स्कूल टीचर का सेक्स में बताया था कि मैं उनकी (मेरी पड़ोसन की) कैसे रोज़ चुदाई करता हूँ. मैं कुछ दिनों से नोटिस कर रहा था कि पान दुकान में एक लड़का रोज़ ठीक हमारे चाय पीने के समय आता है और वहीं से खड़ा होकर सिगरेट पीते हुए मुझे बहुत प्यार से ताड़ता है.
ये मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर मैंने सोचा जाने दो, सबकी अपनी अपनी जिंन्दगी है … अपना अपना स्वाद है. समलैंगिक होने में भी कोई बुराई नहीं है.
ऐसा करीब एक महीने से चल रहा था. वो लड़का देखने में बहुत सुन्दर था. अच्छा कद काठी का नौजवान लड़का था.
एक दिन मैंने पान दुकान वाले से उस लड़के के बारे में पूछा, तो पान वाले से पता चला कि वो एक अमीर घर का एकलौता लड़का है, पर थोड़ा गांडू किस्म का है. हमारे एरिया में ही रहता है. उसकी तरह उसका बाप भी थोड़ा ढीला आदमी है. उसकी माँ ज़्यादातर घर पर ही रहती है.
ये सब सुनके मैं थोड़ा अचम्भित रह गया. मैंने पान खाया और वहां से घर चला गया. घर जाकर मैं थोड़ा फ्रेश हुआ और उस लड़के के बारे में सोचने लगा.
फिर मैंने इंटरनेट से कुछ गे सेक्स की वीडियो डाउनलोड की और उन्हें देखने लगा. मैंने पहली बार गे सेक्स की वीडियो देखी थी, तो मुझे थोड़ा अजीब सा अहसास हुआ. पहले तो मेरी हँसी निकल गयी, फिर धीरे धीरे मज़ा आने लगा.
कुछ ही देर में मैं पूरे जोश में आ गया, मुझसे अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था … तो अपनी ठरक मिटाने पड़ोसन के कमरे में चला गया. मैंने गेट खटखटाया, उसने गेट खोला और मुझे अन्दर आने को बोला.
देवी- क्या हुआ जी … बहुत पसीने छूट रहे हैं … सब ठीक है ना. मैं- बस आज कुछ ज्यादा उत्तेजित हो रहा हूँ जानू! यह कह कर मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेड पे पटक दिया. झट से उसकी साड़ी उठाई और अपने लंड का सुपारा चूत पे टिका कर उसकी चुदाई चालू कर दी.
देवी- अरे आराम से जानू … आज कुछ ज्यादा जोश में हो … थोड़ा धीरे करो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार ही डालोगे क्या … थोड़ा धीरे आअह्ह आह्ह्ह!
मैं पूरे तेजी से उसकी चुदाई करने लगा, पर पता नहीं क्यों, आज मुझको क्या हो गया था. चुदाई में कोई मजा नहीं आ रहा था. शायद आज मरी ठरक को किसी और की तलाश थी. बार बार वो गे सेक्स वाली वीडियो और वो लड़का याद आ रहा था.
कुछ देर बाद जब मैं झड़ गया, तो देवी ने पूछा- क्या हुआ जी … आये तो जोश में थे … अब मायूस क्यों हो? मज़ा नहीं आया क्या? मैं- नहीं जानू, बस थोड़ा जल्दी में हूँ … आज कहीं जाना है.
यह कह कर मैं वहां से निकल गया और अब शाम भी हो चुकी थी. आज मैं उस लड़के से मिलना चाहता था. मैं रेडी होकर पान दुकान के पास ही चला गया.
कुछ देर बाद वो लड़का भी आ गया. सामने से देखने पर वो ज्यादा आकर्षक लग रहा था. वो भी मुझे करीब देख कर चौंक सा गया, पर उसकी आंखों में ख़ुशी झलक रही थी. उसने सिगरेट जलाई और मुझे ताड़ने लगा. वो मेरे शरीर को बहुत वहशी नजरों से देख रहा था, मानो मुझसे खेलना चाहता हो. मैं भी अनजान बनके पान लेने के बहाने उससे थोड़ा छू गया. मैं पान वाले से बात करने लगा ताकि उस लड़के से कोई लिंक बना सकूं.
मैं- अरे यार राजू (पान वाला) आज मेरी गाड़ी ख़राब हो गयी है … मुझे बार जाना था, क्या करूँ बिना पिये नींद नहीं आयेगी साली. यह सब बात सुनकर उस लड़के ने तपाक से मुझसे कहा- सर, आप बुरा ना माने, तो क्या मैं आपको छोड़ दूँ. मैं- आप छोड़ दोगे मुझे … चलो अच्छी बात है.
बस मैं उसकी बाइक पर बैठ गया. कुछ दूर चलने के बाद वो मुझसे कहने लगा- सर थोड़ा करीब हो कर बैठिये ना … आपका वजन थोड़ा ज्यादा है, बाइक हिल सी रही है. आप करीब हो जाएंगे तो मैं थोड़े आराम से बाइक चला सकूंगा.
मैं उसकी तरफ सरक गया, तो वो बाइक तेज चलाने लगा. अब मैंने उसे थोड़ा जोर से पकड़ लिया. फिर थोड़ी देर बाद मेरा बार आ गया तो मैं बाइक से उतरा और उसे धन्यवाद कह कर बार के अन्दर चला गया. कुछ समय बाद वो लड़का भी मेरे पीछे पीछे आ गया.
मैंने पूछा- क्या हुआ? तुम भी शराब पीते हो क्या? वो- नहीं नहीं … सर वो मैं सोच रहा था कि आप पीकर घर वापस कैसे जाएंगे, सो मैं रुक गया. मैं बाहर ही हूँ आपका हो जाए तो मैं आपको छोड़ दूँगा. मैं- वाह … कितनी अच्छी बात है, थैंक्स बेटा. तुमने तो अपना परिचय भी नहीं दिया … अच्छा चलो यहीं बैठो मेरे पास … थोड़ी बातें करते हैं.
वो मेरे बगल में बैठ गया. मैंने उसके लिए बियर मंगवाई. हम दोनों बातें करने लगे.
मैंने उससे पूछा- बेटा तुम्हारा नाम क्या है … और करते क्या हो? घर में और कौन कौन है? वो- सर मेरा नाम मदन है, मैं इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, मेरा घर बस आपके स्टाफ कॉलोनी से कुछ दूरी पर है. घर में हम तीन लोग हैं. मम्मी पापा और मैं. हमारे कॉलज में कुछ स्ट्राइक चल रही है, तो मैं यहाँ कुछ समय के लिए आया हूँ. आप सुनाइए सर यहाँ आप लोग कौन कौन हैं? मैं- बेटा मैं यहाँ अकेला रहता हूँ. घर वाले दूसरे जगह पर रहते हैं. तुम मेरी छोड़ो … अपनी बताओ कितनी गर्ल फ्रेंड हैं तुम्हारी? मदन ने कहा- सर मुझे लड़कियों में कुछ खास इंटरेस्ट नहीं है, पता नहीं क्यों पर मुझे परिपक्व आदमियों से बात करना अच्छा लगता है … जैसे आप! मैं एक होमोसेक्सुअल हूँ. मैं- मैं समझा नहीं बेटा … तुम क्या कहना चाहते हो, तुम्हें आदमियों में इंटरेस्ट है क्या? ओ हो … इसीलिए तुम मुझे रोज़ इतने प्यार से देखते हो, तुम्हें मुझमें क्या अच्छा लगता है? मदन- सर आप बहुत हैंडसम और तगड़े हो, आपमें एकदम मर्दों वाली बात है. मेरे पापा आप जैसे नहीं हैं, उन्होंने कभी मुझसे ठीक से प्यार नहीं किया, इसलिए शायद मैं आप जैसे लोगों से अपनी कमी पूरी करना चाहता हूँ.
यह कह कर वो थोड़ा उदास हो गया. मुझे भी अब चढ़ चुकी थी, मैंने उसे गले से लगा कर एक प्यारी सी झप्पी दे दी. वो भी मुझसे लिपट गया.
मेरा दारू का कोटा पूरा हो गया था, हमने बिल पेमेंट किया और वहां से निकल आए.
मैंने मदन से गुजारिश की कि बाइक मुझे चलाने दे, क्यों कि उसे बियर से ही थोड़ा ज्यादा नशा हो गया था.
मैंने उसे पीछे बिठाया और घर की ओर निकल गए. मदन मुझसे पूरा लिपट कर बैठा था. उसने धीरे धीरे से अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर फेरना चालू कर दिया. मुझे नशे में ये सब और भी मजे देने लगा. तो मैंने अपनी पेंट की जिप खोली और अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया. वो भी नशे का नाटक करके मेरे लंड को पूरे मज़े से हिलाने लगा. फिर मेरी कॉलोनी आ गयी. मदन को मैं अपने घर ले गया, उसे एक ग्लास निम्बू पानी दिया ताकि उसे थोड़ा अच्छा लगे.
घर आते आते कुछ देर हो गयी थी और वो भी नशे में था, सो मैंने मदन से कहा कि आज रात तुम यहीं सो जाओ और अपने घर पर फोन करके बोल दो कि तुम आज अपने किसी दोस्त के घर में सो रहे हो.
उसने कहा- सर आप प्लीज बोल दो ना … मुझसे बात नहीं हो पाएगी.
उसने अपनी मम्मी को फ़ोन लगा कर मुझे थमा दिया. उसकी मम्मी ने फोन उठाया. ‘हैलो मदन बेटा …!’ क्या मस्त आवाज थी उसकी … एकदम सेक्सी.
फिर मैंने उससे कहा कि मैं मदन के दोस्त का पापा बोल रहा हूँ. आज दोनों बच्चे साथ ही यहाँ सोने वाले हैं भाभी जी, आप चिंता ना करना. उनका ‘ठीक है …’ का जवाब मिला, तो मैंने फ़ोन काट दिया.
फिर कुछ देर बाद हमने खाना खाया और सोने चले गए. मदन और मैं एक बेड पर ही लेटे हुए थे. मदन ने पूछा- सर बाइक पर बड़ा मज़ा आया … आपका तो बहुत बड़ा है, फिर से दिखाइये ना जरा. वो मेरा लंड पकड़ने लगा.
मैंने भी अपना पजामा उतारा और लंड उसे पकड़ा दिया. वो उठ कर बैठ गया और मेरे लंड को दोनों हाथों से हिलाने लगा. मुझे भी मज़ा आने लगा. फिर उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और बड़े मज़े से चूसने लगा.
उसने लगभग दस मिनट तक मेरा लंड चूसा. मुझे बहुत आनन्द आ रहा था. वो और तेजी से लंड चूसने लगा. कुछ ही देर में मेरा पूरा वीर्य उसके मुँह में भर गया. फिर वो दौड़ता हुआ बाथरूम में गया और वीर्य थूक कर कुल्ला करके वापस आ गया. वो आते समय बाथरूम से बॉडी मसाज आयल भी ले आया.
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और पेट के बल लेट गया था. उसने थोड़ा सा आयल मेरे पीठ पर गिराया और मलने लगा. उसका हाथ मेरी पीठ से होता हुआ, मेरे चूतड़ों पर जा रुकता था. फिर उसने मुझे पीठ के बल लेटने को कहा … और मेरे सीधे होते ही उसने आयल मेरी छाती पे डाल कर जोर जोर से मालिश करने लगा.
वो मेरी तोंद से काफी मस्ती कर रहा था … मानो मैं कोई टेडीबियर होऊं. वो मुझसे पूरा लिपट लिपट कर मुझे मसाज दे रहा था. मैं भी पूरे मजे ले रहा था. हम दोनों पूरे नंगे हो कर एक दूसरे से लिपट रहे थे. दोनों की ऑयली बॉडी एकदम मस्त हो गई थीं.
उसका मन लंड लेने का दिखने लगा, तो मैंने लंड सहलाते हुए कहा- इसे अन्दर लेना है? उसने हां में सर हिला दिया.
फिर मैंने उसे उल्टा लेटाया, अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रख कर जोर का धक्का दे दिया. वो दर्द से चिल्ला उठा- आहाह …
मेरा लंड मोटा होने की वजह से ठीक से नहीं घुस रहा था, सो मैंने खूब सारा तेल उसकी गांड में और अपने लंड पे लगाया और फिर एक जोर का धक्का दे मारा. इस बार मेरा लंड घप से उसकी गांड पूरा घुस गया. मदन ने तो कुछ पलों के लिए अपनी सांसें रोक दी थीं.
फिर मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई चालू कर दी. किसी लड़के की गांड मारने का ये मेरा पहला अनुभव था. मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था. फिर मैंने उसे गोद में उठा लिया और ऊपर नीचे करने लगा. मदन भी मेरी तोंद पर कूद कूद कर मुझसे चुदवा रहा था. उसका छोटा सा लंड मेरी तोंद से रगड़ कर मेरे नाभि के छेद को छू रहा था, बड़ा मज़ा आ रहा था.
मैंने तेजी बढ़ा दी, वो भी सिसकारियां लेने लगा- अहह आह्ह आहह … फिर एक जोर के झटके के साथ मैं उसकी गांड में झड़ गया और वो भी मेरे तोंद पर झड़ गया. हम दोनों ऐसे ही लिपट कर सो गए.
रात ऐसे ही मज़े में गुजर गयी, सुबह वो अपने घर चला गया और मैं भी रेडी होकर ऑफिस के लिए निकल गया. इसके बाद मुझे उसकी मम्मी की मीठी बोली कानों में गूँजने लगी. उसके साथ भी मुझे रास रचाने का मन होने लगा. वो कहानी भी आपको लिखूंगा. अभी आप मेरी इस गांड चुदाई की कहानी पर मुझे मेल कर सकते हैं.
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