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पोलिटिकल नेता सेक्स कहानी में पढ़ें कि लम्बे संघर्ष के बाद भी महिला नेता को सफलता नहीं मिली तो उसे सेक्स का रास्ता अपनाना पड़ा. तब उसको कामयाबी मिली.
अन्तर्वासना के सभी साथियों को प्रणाम. दोस्तो, यह एक पोलिटिकल नेता सेक्स कहानी है जो एक महिला नेता के बारे में है. उनका नाम समता है.
समता महाराष्ट्र से है. वह पिछले 10 सालों से एक राजनीतिक पार्टी में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए संघर्ष करती आ रही थी. मगर अभी तक समता को कामयाबी नहीं मिली थी.
उसके साथ राजनीति में आईं अधिकतर महिलाएं बड़े बड़े पदों पर जा चुकी हैं, कोई पैसों के दम पर तो कोई साड़ी उठा कर। मगर समता ने अब तक अपनी मेहनत और ईमानदारी के दम पर ही आगे बढ़ना सीखा था.
समता की महिला दोस्त उसे बोलती थीं कि वो एक 35 साल की गदराये जिस्म की सेक्सी महिला है, उसको देखकर किसी की भी कामवासना जाग जाए!
बड़े बड़े बूब्स, गदराई गांड, रसीले होंठ और बड़ी बड़ी आँखें और मटकती चाल, पूर्ण रूप से कामदेवी का रूप लिये!
अगर वो किसी के साथ हमबिस्तर हो जाये तो कामयाबी उसके कदम चूमेगी.
उसकी सहेलियों ने उसको बहुत समझाया कि बिस्तर में जाए बिना वो आगे नहीं बढ़ पायेगी. मगर समता समाज में बदनामी के डर से इस ओर कदम नहीं बढा रही थी और लगातार संघर्ष करती आ रही थी.
वहीं दूसरी ओर कहानी का नायक सुयश, उम्र 24 साल, रंग गोरा जो किसी भी महिला या लड़की को आकर्षित कर सके, इस पार्टी में विद्यार्थियों का नेता था. वो बहुत कम समय में अपने पैसों की ताकत और राजनीतिक काबिलियत के दम पर आगे बढ़ता जा रहा था।
एक मर्तबा पार्टी के एक कार्यक्रम में सुयश की मुलाक़ात समता से हुई.
सुयश को आकर्षक महिलाओं में ज्यादा रूचि थी. वो अब तक पार्टी में कई महिलाओं के साथ संभोग कर चुका था.
समता उस रोज लाल साड़ी पहन कर आयी थी. उसका काले रंग का मखमली ब्लाउज उसके स्तनों की दूध जैसी सफेद घाटी को बखूबी उभार रहा था. उसका गोरा बदन उस दिन क़यामत ढ़हा रहा था।
सुयश से बातचीत के दौरान समता उसकी बातों से बहुत प्रभावित हुई और दोनों ने एक दूसरे को अपना नंबर दिया और मीटिंग से निकल गये।
अब सुयश समता को मैसेज करने लगा.
समता को उसकी बातें अच्छी लगने लगीं और सुयश समता को बहुत सम्मान देने लगा.
इन दिनों में दोनों एक दूसरे के काफ़ी करीब आ चुके थे।
सुयश को महिलाओं का मन जीतना बखूबी आता था. उसे पता था कि समता को राजनीति में आगे जाना है. उसने अपनी पहचान का फायदा उठाकर समता को महिला यूनियन का प्रदेश सचिव बना दिया.
यह समता के लिये बहुत बड़ी कामयाबी थी।
प्रदेश सचिव बनने के बाद वो बहुत ज्यादा खुश थी. उसने सुयश को कॉल करके धन्यवाद किया और अपने घर दावत पर बुलाया.
समता के घर पर उसके पति भी थे जो सुयश से मिलकर काफी खुश हुए. उन सबने साथ में खाना खाया.
समता के पति को सुयश का स्वभाव बहुत अच्छा लगा.
उस दिन के बाद सुयश का समता के घर काफी आना जाना हो गया.
कुछ ही दिनों मे सुयश समता के परिवार का जैसे सदस्य बन गया. सुयश का रोज का आना जाना शुरू हो गया.
अब पार्टी की मीटिंग में समता सुयश के साथ ही जाने लगी. उसे सुयश का साथ अब अच्छा लगने लगा था।
एक मर्तबा मुंबई में पार्टी के एक बड़े नेता दिल्ली से आने वाले थे तो उनको सुनने के लिये सुयश भी जाना चाहता था. उसने समता से कहा- दिल्ली से बड़े नेता आ रहे हैं, क्या आप चलेंगी?
समता को भी उस नेता से मिलना था तो उसने पति से इजाजत मांगी. अब सुयश तो परिवार का सदस्य ही था तो समता के पति को कोई ऐतराज़ नहीं था।
फिर सुयश, समता व उसकी 2 महिला साथी सुयश की कार में मुंबई के लिये निकल गए.
उस शहर से मुंबई का सफर 5 घंटे का था. मुंबई पहुंच कर सभी ने अपने अपने रूम बुक कर लिये थे. सुयश का रूम समता के रूम के सामने वाला था।
समता रूम में जाकर फ्रेश होकर सुयश के रूम में आई. सुयश नहा रहा था.
तब तक समता टीवी देखने लगी. नहाकर सुयश जानबूझ कर अंडरवियर में बाहर आया.
सुयश का गोरा शरीर यूं सामने देखकर समता शर्मा गई लेकिन न जाने क्यूं वो उसके जिस्म से नजरें नहीं हटा सकी.
वो सुयश के शरीर को देखती रही. सुयश अनजान बनते हुए शरीर पौंछता रहा. फिर कपड़े दूसरे कमरे में जाकर बदल लिये और समता के पास आ गया।
वो दोनों कार्यक्रम के बारे में बातें करने लगे. फिर रात के 8 बजे सुयश ने उसी के कमरे में खाना मंगवा लिया.
दोनों ने साथ में खाना खाया और टीवी देखते हुए बातें करने लगे.
सुयश ने कहा- समता जी, मैं आपको नगरसेवक के रूप में देखना चाहता हूं. समता ख़ुशी से उसकी तरफ देखने लगी. उसने कहा- मैं आपका अहसान कभी नहीं भूलूंगी. अगर आपने नगरसेवक बना दिया तो आप जो कहोगे मैं करने के लिए तैयार हूं. बस आप मुझे ये पद दिला दीजिये.
सुयश ने कहा- कुछ भी?? समता- जी … कुछ भी!
सुयश- मैं आपको … समता- बोलो सुयश जी, आप मुझे क्या?
सुयश- मैं आपको चाहने लगा हूं और आपको पाना चाहता हूं. समता- ये क्या कह रहे हो आप? ये नहीं हो सकता. मैं आपका बहुत आदर करती हूं.
सुयश समता के करीब आ गया और उसके कंधों पर दोनों हाथ रख कर बोला- मैं सिर्फ एक बार आपका रस पीना चाहता हूं. बदले में आप जो चाहें मांग लेना. मगर एक बार मुझे आपका रस पिला दो.
समता अब असमंजस में आ गयी. उसको समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. वो बस खामोश खड़ी रही.
इधर सुयश उसके और करीब आ गया. अब उसने हाथों को कंधों से हटाकर कमर पर रख दिया और समता को अपनी ओर करते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया.
इससे पहले कि वो कुछ कह पाती, सुयश के होंठ समता के होंठों को चूसने लगे थे. वो उसकी कमर सहलाते हुए उसके पतले रसीले होंठों को चूमने लगा और उसकी कमर को सहलाने लगा.
समता सुयश को रोक पाने में असमर्थ सी हो गयी थी. अपने से 11 साल छोटे लड़के से वो अपने होंठों का रस चुसवा रही थी. सुयश के बदन की गर्मी उसको अच्छी लगने लगी थी.
अब समता भी सुयश का भरपूर साथ देने लगी.
सुयश अब पागलों की तरह समता के बदन को जहां तहां से चूमने लगा. उसकी जवानी समता के जिस्म के रस को निचोड़ देने के लिए पूरी जोश में थी. दोनों के ही बदन में आग लग चुकी थी.
सुयश ने समता की साड़ी खोलनी शुरू कर दी.
समता थोड़ी हिचक रही थी. वो पहली बार अपनी उम्र से 11 साल छोटे लड़के के सामने नंगी होने जा रही थी.
सुयश ने उसकी पूरी साड़ी खोल दी. फिर उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा और उसके होंठों को चूसने लगा. उसका हाथ समता के पेटीकोट के ऊपर उसकी चूत को टटोल रहा था.
एकदम से उसने समता को दूसरी ओर घुमाया और फिर उसके ब्लाउज को खोल दिया. अब लगे हाथ उसने समता की पीली ब्रा के हुक भी खोल दिये.
जालीदार पीली ब्रा उसके चूचों पर ऐसी लग रही थी जैसे पीले गेंदे के फूलों से स्तनों को ढका हुआ हो.
समता के स्तन नंगे हो गये और सुयश ने उसके रसीले आमों को अपने हाथों में थामते हुए एक आम को अपने मुंह में भर लिया.
वो जोर से उसकी चूची को पीने लगा और समता सिसकारने लगी- आह्ह … सुयश … ओह्ह … चूस लो … बहुत दिनों के बाद किसी ने इतनी जोर से चूसा है मेरे चूचे को।
सुयश भी पूरी गर्मजोशी के साथ उसके स्तनों को दबाते हुए पी रहा था. पहले एक स्तन और फिर दूसरा. बारी बारी से उसने दोनों चूचे पीये.
उसके बाद उसने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया. समता अब केवल पैंटी में उसके सामने खड़ी थी.
उसके बिखरे बाल और उसकी नंगी चूचियां और उसकी चूत पर जालीदार पीली पैंटी. समता के इस रूप को देखकर सुयश जैसे वहशी हो गया.
उसने समता को बेड पर पटक लिया और उसकी चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से ही खाने लगा.
उसको भाभियों और आंटियों की चूत को खाने का बहुत शौक था. समता की जवानी तो और भी कातिल थी.
उसकी पूरी पैंटी को लार से गीली करने के बाद उसने उसकी जांघों से वो पैंटी भी खींच दी. समता की चूत नंगी हो गयी और सुयश उसको जीभ से चाटने लगा. समता एकदम से सिसकारते हुए अपनी चूत को सुयश के मुंह की ओर उछालने लगी.
जैसे ही उसकी चूत सुयश के होंठों की ओर उठकर आती थी तो सुयश की जीभ उसकी चूत के अंदर तक चली जाती थी.
इस तरह से समता अब सुयश की जीभ से ही चुदने लगी थी.
उसकी चूत से लगातार कामरस की धारा बहने लगी थी. इतनी चुदास उसने कभी महसूस नहीं की थी.
फिर जब सुयश ने उसकी चूत में उंगली चलानी शुरू की तो वो मछली के जैसे तड़पने लगी. समता- आह्ह … सुयश … क्यूं तड़पा रहे हो मुझे, मैं पागल हो जाऊँगी। सुयश- वही तो मैं चाहता हूं समता. आज मैं तुम्हें वो सुख देना चाहता हूं जो आज तक तुम्हें न मिला हो.
अब सुयश ने अपना लंड समता की चूत पर रखा और प्यार से अंदर डाल दिया. समता की चूत ने उसके लंड का बांहें खोलकर स्वागत किया और बहुत ही आराम से उसके लंड को अंदर ले लिया.
दोनों के मुंह से एक मद भरी आह्ह … के साथ लंड उसकी चूत में उतर गया.
समता ने अपने दोनों पैरों से सुयश की कमर को जकड़ लिया. अब सुयश समता को चोदने लगा. समता भी पूरा आनंद लेने लगी.
उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर करते हुए सुयश अब समता को किस करने लगा और चोदने लगा.
समता को पहली बार इतना आनंद मिल रहा था. उसकी आंखें चुदाई के सुख में अब भारी होने लगी थीं.
काफी देर तक सुयश उसकी चुदाई करता रहा और फिर उसने अपना वीर्य उसकी चूत में ही गिरा दिया. वो फिर थक कर वैसे ही सो गया.
उसके सोने के बाद समता लेटी रही और देर रात तक यही सोचती रही कि ये जो कुछ हुआ वो सही हुआ या नहीं?
सुयश से चुदाई करवा कर समता संतुष्ट भी थी और खुश भी. मगर उसको समाज का भी डर था. साथ उसको अपनी राजनीति में आगे भी बढ़ना था. ऐसे ही सोचते सोचते वो भी सो गयी.
सुबह 6 बजे सुयश उठा. समता उसके बगल में ही कम्बल ओढ़कर लेटी हुई थी. उसकी साड़ी और बाकी कपडे़ वैसे ही बिखरे पड़े थे. वो नंगी ही सो रही थी.
सुयश कुछ देर तक समता के चेहरे को निहारता रहा. फिर उसके दिमाग में कुछ आया और उसने कम्बल हटाकर समता की नंगी तस्वीरें लेना शुरू कर दिया.
समता को आभास हुआ तो वो जाग गयी.
मगर तभी सुयश ने उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया.
समता ने उसका हाथ हटाया और दोबारा से कम्बल को अपनी ओर खींच कर ओढ़ लिया. वो बोली- सुयश, कल रात को आपके और मेरे बीच में जो हुआ वो सही नहीं हुआ. आपकी और मेरी उम्र में बहुत फर्क है. मैं ये सब नहीं कर सकती.
सुयश ने समता का हाथ पकड़ कर कहा- ठीक है, यदि आप यही चाहती हैं तो मैं आपको कभी नहीं कहूंगा ये करने के लिए. फिर वो उठकर बाथरूम में नहाने चला गया.
समता को लगा कि सुयश नाराज हो गया. वो उठी और अपने कपड़े पहन कर अपने कमरे में आ गयी.
फिर सब तैयार होकर पार्टी के कार्यक्रम में गये.
रास्ते में समता और सुयश की कुछ बात नहीं हुई. कार्यक्रम के दौरान भी दोनों दूर दूर ही रहे.
समता नहीं चाह रही थी कि सुयश इस बात के लिए उससे नाराज ही हो जाये. वो उसकी इज्जत भी करती थी.
फिर कार्यक्रम के बाद दिल्ली से आए नेता सुयश से मिले. तब सुयश ने नेता जी का परिचय समता से करवाया. नेता जी बोले कि आने वाले चुनाव में हमें समता जी को नगरपालिका की उम्मीदवारी देनी है.
नेता सुयश को मानते थे. उन्होंने कहा- सुयश, आप जो उम्मीदवार तय करेंगे उसे टिकट पार्टी देगी. इतना बोलकर नेता चले गये.
समता काफी खुश हो गयी. उसको अपना सपना साकार होता नजर आ रहा था.
वो सुयश के करीब गयी और उसको धन्यवाद कहा. मगर सुयश ने उसका कोई जवाब नहीं दिया और वहां से चला गया.
समता उसके पीछे गयी और उसका हाथ पकड़ कर उसको पार्टी ऑफिस के बाथरूम में ले गयी.
वहां जाते ही वो सुयश को जोर से उसके होंठों पर किस करने लगी.
सुयश भी यही चाहता था. वो भी उसको चूसने लगा. उसका प्लान काम कर गया था.
सुयश ने वहीं पर समता की साड़ी उठा दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
तभी उसको अहसास हुआ कि बाहर दूसरे साथी भी इंतजार कर रहे होंगे.
सुयश बाहर आया और उसके कुछ देर बाद समता भी आ गयी.
तब तक सुयश बाकी साथियों से बात करने में लगा था.
सब लोग मुंबई दर्शन करना चाहते थे. मगर सुयश तो समता की चूत के दर्शन करना चाह रहा था. उन दोनों ने थके होने का बहाना कर दिया.
दोनों कार में बैठ कर होटल की तरफ निकले. मगर सुयश समता को अब कार में चोदना चाहता था.
उसने कार के शीशों पर पर्दा डाल दिया और समता की साड़ी ऊपर उठा ली. अब समता भी गर्म हो चुकी थी.
सुयश उसकी चूत को उंगली से चोदने लगा.
उन्होंने गाड़ी को एक मॉल की पार्किंग में लगा दिया.
फिर दोनों पीछे की सीट पर पहुंच गये. उसने समता की साड़ी उठाई और वहीं उसको सीट पर लिटाकर चोदने लगा.
दोनों के लिए ये नया अनुभव था और दोनों को मजा आ रहा था.
सुयश अब नीचे आ गया और उसने समता को अपने लंड पर बिठा लिया. समता उसके लंड पर कूदने लगी.
कुछ ही देर में दोनों के बदन पसीने से लथपथ हो गये.
फिर सुयश ने उसको नीचे किया और तेजी से उसकी चूत को चोदने लगा. समता अब चुदते हुए कहने लगी- आह्ह … सुयश … चोदो … फाड़ दो मेरी चूत को … जोर से चोदो सुयश … आह्ह … और जोर से!
सुयश- हां मेरी जान … अब से तुम मेरी रानी हो … आह्ह … अब तुम्हें बड़ी नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता. समता- हां जान … अब से मेरी चूत सिर्फ तुम्हारी है. इसको जैसे मर्जी चोदना. रोज चोदना … दिन रात चोदना … मैं कभी ना नहीं कहूंगी.
इतना सुनकर सुयश के धक्के और तेज हो गये और फिर दोनों ही साथ में झड़ गये. फिर दो मिनट वो लेटे रहे और फिर अपने कपड़े ठीक करके होटल की ओर निकल लिये.
दो दिन तक वे लोग मुंबई में रहे. सुयश ने समता की चूत खूब मारी. उसकी गांड भी चोद डाली.
फिर वो लोग अपने शहर वापस आ गये.
समता ने अपनी उम्मीदवारी और टिकट की बात पति को बताई तो उसका पति बहुत खुश हुआ. उसका पति बोला- सुयश वाकई बहुत अच्छा लड़का है. बिना किसी स्वार्थ के तुम्हारी मदद कर रहा है.
समता मन ही मन कर रही थी- वो तो मैं ही जानती हूं. इस कामयाबी के बदले में मुझे अपनी चूत रोज चुदवानी पड़ रही है.
फिर उसके बाद से तो सुयश घर आकर ही उसकी चूत चोदकर जाने लगा.
समता के जरिये वो दूसरी महिला कार्यकर्ताओं की चूत भी मारना चाहता था. समता को भी उसके सीनियर नेताओं से चुदवाना चाहता था.
सुयश का फायदा दोनों तरफ से था. उसने समता को सीनियर नेताओं से चुदने के लिए कहा. समता ने इसके लिये मना कर दिया.
फिर वो समता को उसकी नंगी तस्वीरें दिखाने लगा. समता बदनामी के डर से मान गयी.
वो जान गयी थी कि उसका कद अब बड़ा हो रहा है लेकिन उसकी चूत भी अब उतनी ही चुदेगी जितनी ऊंचाई तक वो पहुंचेगी. समता को कामयाबी का नशा चढ़ गया था और वो चुदाई के लिए तैयार हो गयी.
सुयश फिर उसको अपने सीनियर नेताओं के पास भेजने लगा. वो खुद अपना कद बड़ा करता गया और समता को हर बड़े नेता से चुदवाता गया.
समता भी अब काफी बड़ी बन गयी थी. नेता के रूप में भी और रांड के रूप में भी. समाप्त।
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