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सभी रिसती हुई चूत और फनफनाते हुए लंड को मेरा नमस्कार. मैं रोहित त्रिवेदी नागपुर का रहने वाला हूँ. मैंने हाल ही में अपनी डिग्री की पढ़ाई पूरी की है और अभी जॉब की तलाश कर रहा हूँ. मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूँ. मेरे परिवार में मेरे माता पिता और मैं ही हूँ. मैं दिखने में भी ठीक ठाक हूँ और साथ ही मेरे लंड में इतना दम है कि किसी भी चूत का पानी निकाल दूँ.
अन्तर्वासना में यह मेरी पहली कहानी है, जो कि एक सच्ची घटना पर आधारित है. वैसे तो मैंने काफी लड़कियों के साथ सेक्स किया है, लेकिन भाभी की बात ही अलग है.
मेरी यह देवर भाभी सेक्स कहानी दो साल पहले की है. मेरे ममेरे भाई की शादी हुई. भाभी को जब मैंने पहली बार ही देखा तो एक ही नज़र में मैं उनका दीवाना हो गया. मैंने सोच लिया था कि भाभी के साथ सेक्स करके रहूँगा. भाभी दिखने में एकदम कड़क माल थीं. उनके चुचे तो किसी का भी लंड खड़ा कर सकते थे. शादी के बाद वो मेरे भाई के साथ अमरावती में फ्लैट में रहती थीं. मैंने धीरे धीरे उनसे बात करना स्टार्ट किया. कुछ ही दिनों में भाभी ने मुझसे दोस्ती जैसी कर ली. हम दोनों की दोस्ती गहराने लगी, तो अब कभी कभी मैं उन्हें नॉन वेज मैसेज भेज दिया करता था.
मेरे ऐसे करने पर भी भाभी ने कभी भी कुछ नहीं बोला. हम दोनों मैसेज में हंस कर बात खत्म कर देते थे.
धीरे धीरे मैं समझ गया था कि भाभी अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं हैं और वो कुछ कर भी नहीं पा रही थीं क्योंकि मेरे मामा जी यानि उनके ससुर उनके साथ रहते थे. भाभी की सास की मृत्यु हो गयी थी.
मैं गर्मी की छुट्टियों में सात दिनों के लिए भैया भाभी के घर गया. मुझे देख कर भाभी बहुत खुश थीं. उन्होंने मेरा स्वागत किया और हमने काफी बातें की.
थोड़े देर बाद मैं बाथरूम गया. वहां भाभी की चड्डी और ब्रा दिखी तो मैंने उन्हें सूंघ कर मुठ मारी और सारा माल चड्डी में गिरा दिया. फिर मैं फ्रेश होकर बाहर आया. भाभी ने अगली सुबह अपनी चड्डी देखी. तो उन्हें समझ तो आ गया था, लेकिन वे कुछ बोल नहीं पाईं.
उसी दिन सुबह सबने साथ में खाना खाया और भैया बैंक चले गए. भाभी काम कर रही थीं और मैं अन्तर्वासना में भाभी की चुदाई की कहानी पढ़ रहा था.
तभी भाभी ने आवाज़ दी- रोहित मोबाइल में क्या कर रहे हो? मैं थोड़ा हंस दिया और ‘कुछ नहीं भाभी..’ बोल कर बाथरूम चला गया. मैंने अपना मोबाइल वहीं बाहर छोड़ दिया था, मुझे पता था कि भाभी इसे उठा कर जरूर देखेंगी. और ऐसा ही हुआ. लेकिन जब मैं आया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.
तीन चार दिन यूं ही निकल गए लेकिन कुछ नहीं हुआ, सिर्फ चड्डी सुंघ कर मुठ मार लेता था.
एक दिन भैया सुबह बोल कर गए कि आज आने में रात हो जाएगी. भाभी ने काम खत्म किए और मेरे पास आकर टीवी देखने लगीं. थोड़ी देर में भाभी ने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? मैं थोड़ा खुश हुआ कि चलो आज बात बन सकती है. मैंने भाभी से कहा- ऐसा क्यों पूछा? तो उन्होंने बोला- मेरे कपड़े रोज़ खराब कर रहा है तू! मैंने सिर नीचे झुका दिया.
तब भाभी ने कहा- उस दिन कौन सी कहानी पढ़ रहा था? मैंने नाटक करते हुए माफी मांगी और सॉरी कहने लगा. तब उन्होंने कहा- मुझे भी पढ़ना है स्टोरी. तू पढ़ाएगा, तो ही मैं तुझे माफ करूँगी.
मैंने जल्दी से उन्हें मोबाइल में देवर भाभी की चुदाई वाली कहानी लगा कर मोबाइल दे दिया. वो दिन भर कहानी पढ़ती रहीं और बहुत गर्म हो गईं. भले ही भाभी गर्म हो गई थीं, तब भी मुझे उनके साथ शुरू करने बहुत डर लग रहा था. लेकिन मैं यह मौका हाथ से जाने भी नहीं दे सकता था.
फिर 4 बजे भाभी ने चाय बनाई और बाहर बालकनी में मामा जी को चाय देकर मेरे पास आकर बैठ गईं. हम दोनों चाय पीने लगे, तो मैंने उनसे पूछा- कैसी लगी कहानी? उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी से कहा- मुझे आपसे एक हेल्प चाहिये. उन्होंने ‘ठीक है..’ बोला. लोहा गर्म था, यह सही वक्त था. मैंने उन्हें बिना डरे कहे दिया- मुझे किस करना सीखना है. उन्होंने ना कहा लेकिन उनकी तरफ से कोई विरोध भी नहीं दिख रहा था.
मैं उनके थोड़ा पास आया और उन्हें किस के लिये फ़ोर्स करने लगा. भाभी की गर्म सांसें मुझे महसूस हो रही थीं. थोड़ा बोलने के बाद मैंने उनके होंठों पर होंठ रख दिये, वो साथ नहीं दे रही थीं, लेकिन विरोध भी नहीं कर रही थीं.
कुछ ही देर में वो मुझसे अलग हो गईं. भाभी बोलीं- पापा जी आ जाएंगे, दूर हट जाओ. मेरा लंड लोहा बन गया था. मैं भाभी को फ़ोर्स करने लगा- कुछ करो कुछ करो प्लीज.. लेकिन तभी मामा जी आ गये. थोड़ी देर बाद भाभी ने कुछ देर सोचा और ससुर जी को मार्किट कुछ काम से भेज दिया.
मेरे लंड में खुशी समा नहीं रही थी. जैसे ही वो गए, मैंने भाभी को सोफे पर पटका और उन्हें पागलों की तरह किस करने लगा, अब वो भी पूरा साथ दे रही थीं. उनको चूमने के साथ में उनकी गर्म सांसों का अहसास.. आहहह क्या बमामां दोस्तों, वो नजारा बड़ा ही रोमांटिक था. भाभी ने कहा- बेडरूम में चलो. मैंने उन्हें प्यार से उठाता हुआ बेडरूम में लेकर गया और भूखे शेर की तरह टूट गया. मैंने उनके होंठों पर गर्दन पर किस की बारिश लगा दी. भाभी पूरी गर्म हो चुकी थीं, बस मादक सिसकारियां लिए जा रही थीं.
मैंने बिना देर किए उनका ब्लाउज और ब्रा अलग कर दिया. क्या चुचे थे, पूरे खा जाने को मन कर रहा था. मैंने दस मिनट तक चुचे चूसे.. उन्हें पूरे लाल कर दिए. भाभी ‘उफ्फ्फ आहह…’ करे जा रही थीं और मेरा सिर दबाये जा रही थीं. मैंने एक हाथ से उनकी साड़ी और पेटीकोट निकाल फेंका और चड्डी के ऊपर से चूत को स्पर्श किया. धीरे धीरे मैं नाभि पर किस करते हुए उनकी चूत के पास आया और उनकी चड्डी को भी निकाल फेंका. भाभी की गर्म चूत देख कर मैं पूरा पागल हो गया और चूत पर टूट पड़ा. बिल्कुल नाजुक मुलायम चूत थी दोस्तो!
भाभी पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं और पूरे कमरे में उनकी सिसकारियां गूंज रही थीं- ओहफ़फ़ आहहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेज़ अन्दर तक उफ्फ्फ.
मैं जीभ से उनकी चूत चोदे जा रहा था और दाने से खेल रहा था. भाभी लगातार कामुक सिसकारियां लिए जा रही थीं. वे ‘आह … और ज़ोर से … और अन्दर तक आह ह अह फ़क मी उह ह ह..’ कहे जा रही थीं और मेरा सिर चूत में दबाये जा रही थीं. कुछ ही पल बाद भाभी ने अपना सारा रस मेरे मुँह में छोड़ दिया, जो मैंने पी लिया.
उसके बाद जब भाभी को होश आया, तो भाभी ने मुझे धक्का दिया और दूर कर दिया. मुझे और मेरे खड़े लंड को छोड़ कर कपड़े पहने और रोने लगीं. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मेरी हवस मर गयी थी.
भाभी रोते रोते बोलने लगीं- मैं तेरे भैया के साथ धोखा नहीं दे सकती. यह क्या कर दिया मैंने. मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उन्हें समझाया कि भाभी मैं यह बात किसी को नहीं बमामांगा. आप रोना बंद करिये और सब भूल जाएं, जो हो गया.. वो हो गया. हमने कुछ गलत नहीं किया. यह सब आज कल चलता है. आपके और मेरे अलावा यह बात किसी को पता नहीं चलेगी, यह मेरा वादा है. उन्हें मैंने बहुत प्यार से समझाया और गले लगा कर कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ भाभी … मैं आपको रोते हुए नहीं देख सकता. ऐसा कह कर मैंने उन्हें गले लगा लिया और भाभी भी थोड़ा शांत हो गईं.
उतने में मेरे मामा जी यानि उनके ससुर आ गए और मैं दरवाजा खोलने बाहर चला गया लेकिन मैं अपनी किस्मत को गाली दे रहा था. कितना बड़ा चुतियापा हुआ मेरे और मेरे लंड के साथ.
मैं बहुत नाराज़ होकर शान्ति से खाना खा कर सो गया. ना भाभी से बात की, ना ही उन्हें देखा.
अगली सुबह मैं जल्दी ही उठ गया. भैया से बातें की, लेकिन भाभी को नाराज़ होने का एहसास दिलाया. भाभी भी यह बात समझ गयी थीं. भैया नहा कर नाश्ता करके बैंक चले गए और भैया को विदा करके भाभी मेरे पास आ गईं. भाभी मेरे पास बैठ गईं और पूछने लगीं- क्या हुआ तुझे, तू क्यों नाराज़ हो गया मुझसे?
मैं उन्हें कुछ भी न कहते हुए उठ कर बालकनी में भाभी के ससुर यानि मेरे मामा जी के पास जाकर बैठ गया और अखबार पढ़ने लगा. कुछ देर बाद भाभी की आवाज़ आयी- रोहित पानी गर्म है, जल्दी से नहा लो. मैंने अपने कपड़े लिए और नहाने चला गया.
नहाते समय भाभी ने दरवाजे पर दस्तक दी लेकिन मैंने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया क्योंकि खड़े लंड पर धोखा मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि भाभी सिर्फ मेरा गुस्सा शांत करना चाहती हैं. यह सब सोचते सोचते मैंने नहाना पूरा किया और टॉवल लपेट कर बाथरूम से रूम में निकल आया. मेरे मामा जी दूसरे बाथरूम में नहा रहे थे. तभी भाभी मेरे रूम में आईं और दरवाजे पर खड़ी हो गईं.
मैंने भाभी से कहा- मुझे कपड़े पहनने हैं, आप जाइए. भाभी ने मस्ती में कहा- पहले तू अपना गुस्सा खत्म करता है या मैं तेरा गुस्सा खत्म करूँ?
मैं उनकी बात पर ध्यान न देते हुए अपने बैग से कपड़े निकलने लगा. तभी भाभी ने मेरे पास आकर मुझे दीवार से चिपका दिया और मेरे एकदम करीब आकर माफी मांगने लगीं. मैंने भी कह दिया- अगर आप मुझे किस करती हो, तो मैं समझूँगा आपको भी मुझसे कोई शिकायत नहीं है. कल की बात से भी कोई नाराज़गी नहीं है और मैं भी गुस्सा खत्म कर दूंगा.
मेरे इतना कहते ही भाभी मुझसे बिल्कुल चिपक गईं. मैं सिर्फ टॉवल लपेटकर कर दीवार से चिपका खड़ा था. भाभी ने मुझे चूमना चालू किया. कभी गाल पर, कभी गर्दन पर, कभी छाती पर … भाभी पूरी गर्म हो गयी थीं और पागलों की तरह चूमे जा रही थीं.
मैंने भी अपने होंठों को उनके होंठों से मिला दिया और उनको पकड़ कर दीवार से चिपका दिया. मैं उनके सामने खड़ा हो गया और हमने एक दूसरे को सब कुछ भूल कर चूमना शुरू किया. मामा जी नहा रहे थे, तो मैंने और भाभी ने ज्यादा आवाज़ नहीं की क्योंकि बाथरूम मेरे रूम के पास ही था.
भाभी को चूमते हुए मैंने उनका हाथ अपने लंड पर दे दिया जो पूरा खड़ा होकर सलामी दे रहा था. भाभी ने मेरे टॉवल को ऊपर करके लंड को पकड़ लिया और होंठों को चूमते हुए लंड से खेलने लगीं. मैंने भी देर न करते हुए भाभी की साड़ी और पेटीकोट ऊपर किया. भाभी ने चड्डी नहीं पहनी थी, मेरे हाथ ने सीधा भाभी के चुत को टच किया. भाभी की चूत बिल्कुल गर्म हो गयी थी और थोड़ी गीली भी लग रही थी.
किसी भी औरत के साथ यह मेरा पहला एहसास था. मैं रात में ही पागल हो गया था और रात से ज्यादा अभी.. क्योंकि अभी भाभी ने खुद मुझे सिड्यूस किया था.
मैंने भाभी के चूचों को ब्लाउज ऊपर करके आज़ाद किया और उनके पैरों को थोड़ा फैला दिया. मैं एक हाथ से ज़ोर से दूध को दबाये जा रहा था. अपना मुँह मैंने भाभी के मुँह में घुसा कर उन्हें जोर से हैवान के तरह जीभ डाल कर चूमने लगा और साथ में दो उंगली भाभी के गर्म चुत में पेल कर पूरे ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगा. भाभी की चुत से लगातार पानी निकल रहा था.
उतने में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आना बंद हो गयी. मैं और भाभी अलग हो कर ऐसा दिखाने लगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं है. मामा जी को ज़रा भी शक नहीं हुआ.
लेकिन आज मैं काफी खुश था कि आखिर भाभी पट तो गईं. इन सब में मैं भूल गया था कि आज मेरा अमरावती में आखिरी दिन था. मैं सिर्फ भाभी की चुत के सपने देख रहा था. मैंने दरवाज़ा बंद करके भाभी के नाम की मुठ मार कर खुद को शांत किया. उसके बाद मैं तैयार होकर बाहर आया और भाभी के साथ सेक्सी बातें करने लगा. मौका देख कर कभी उनकी गांड दबा देता, तो कभी चूची मसल देता, तो कभी चूम लेता.
भाभी को मैंने काफी फ़ोर्स किया कि मामा जी को कहीं कुछ काम से भेज दो. भाभी मान गईं और उन्हें खराब मिक्सी देकर बनाने के लिये भेज दिया.
मामा के जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया. भाभी अपने रूम में थीं, मैं उनके पास गया और उन्हें गले से लगा लिया. मेरे पास लगभग एक घंटा तो था ही, मैं बिंदास होकर एकदम प्यार से भाभी को चूमने लगा और धीरे धीरे उनको निर्वस्त्र करने लगा. अभी भाभी भी मुझे पूरा साथ दे रही थीं. उन्होंने मेरी टी-शर्ट को निकाल फेंका.
भाभी को चूमते हुए मैंने उन्हें बेड पर पटक दिया और उन्हें कातिल नज़र से देखते हुए अपना लोअर निकाल दिया. फिर घुटनों के बल बैठ कर उनकी साड़ी और पेटीकोट को अलग किया. भाभी सिर्फ ब्रा में रह गई थीं और कयामत लग रही थीं.
भाभी की चूत देख कर मेरा लंड सलामी दिए जा रहा था. भाभी ने अपनी बांहें फैला कर मुझे अपने आगोश में ले लिया और बहुत प्यार करने लगीं. भाभी की चुत में मेरा लंड बार बार टकरा रहा था. भाभी की चूत थोड़ी गीली हो चुकी थी. काफी देर चूमने के बाद मैंने चूचों का रस पिया, जिससे भाभी ज्यादा गर्म हो गयी थीं.
भाभी ‘रोहित अ आ अ … उफ्फ्फ … फ़ उफ़ आह उहह …’ करे जा रही थीं. मैं दोनों हाथ से भाभी के चुचे दबाये जा रहा था और मुँह से चूसे जा रहा था. भाभी मेरे कान के पास बोलीं- रोहित प्लीज चुत चाट न … इसके पहले कभी ऐसा एहसास किसी ने नहीं दिया था.
मैं उनकी बात का मान रखते हुए चुत पर भिड़ गया और चुत को मक्खन की तरफ चूसने चाटने लगा. मैं भाभी को जीभ से चोदे जा रहा था. भाभी अब तक दो बार झड़ चुकी थीं.
मेरा लंड अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने भाभी को लंड मुँह में लेने को कहा, लेकिन भाभी ने मना किया. मैंने उनको समझते हुए उनको ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया और उन्हें होंठों पर चूमते हुए अपना लंड उनकी चुत में पेल दिया.
मैंने उत्तेजना में इतनी जोर का झटका दिया कि सारा लंड एक बार में अन्दर चला गया और भाभी चिल्ला उठीं. मैं भाभी के होंठों को बंद करके उन्हें ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था. कुछ देर बाद भाभी ने भी मुझे कसके गले से लगा लिया था और मेरी पीठ पर नाखून दबाये जा रही थी.
दस मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं उनकी चुत में ही झड़ गया. इस दौरान भाभी 4 बार झड़ चुकी थीं.
उसके बाद भाभी और मैंने एक साल तक फ़ोन सेक्स किया, लेकिन अचानक भाभी ने मुझसे सम्बन्ध तोड़ दिया. मैं उनके बाद काफी लड़कियों को चोद चुका हूँ लेकिन भाभी की चूत की आज भी रोज़ याद आती है. मैं उनके ही नाम की रोज़ मुठ मारता हूँ.
यह मेरी सच्ची देवर भाभी सेक्स कहानी है.. मुझे मेल करके जरूर बताना दोस्तो. [email protected]
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