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मेरी पंजाबी चूत की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपने चोदू यार के दोस्त से चुद रही थी. मैंने इसी तरह 15-20 घस्से मारे तो ढिल्लों ने मुझे धीरे होने को कहा लेकिन उसकी बात सुनकर मुझे और जोश चढ़ गया मैं कंट्रोल से बाहर हो गई। ‘हूं हूँ हूँ …’ करती हुई जब मैं उसके लौड़े पर बुरी तरह उछल रही थी तो ढिल्लों ने काले को कहा- साले, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाएगी, ज़्यादा डोज़ दे दी है इसे हमने, जल्दी आ और फुद्दी में डाल इसके, बहनचोद बेड तोड़ देगी अगर इसी तरह लगी रही तो, लौड़े में भी दर्द होने लगा है, जल्दी आ यार।
काला अभी बेड के ऊपर चढ़ने ही वाला था कि मैंने गुस्से में आकर धक्का देकर उसे पीछे धकेल दिया और अपने दोनों हाथ ढिल्लों की छाती पर रखकर इतनी तेजी और ज़ोर से उछलने लगी कि ढिल्लों की कमर दर्द करने लगी। इस पर ढिल्लों से चिल्लाकर काले से कहा- मादरचोद जल्दी आ, साले नशा ज़्यादा हो गया इसका, जल्दी डाल इसकी फुद्दी में लौड़ा।
जब ढिल्लों ने उसे इस तरह कहा तो काला जोश में आ गया। इधर मैं दीन दुनिया से बेखबर अपनी पहली बार चोदी जा रही गांड का बाजा खुद बजा रही थी। क्योंकि मेरा मुंह ढिल्लों की तरफ था और गांड में लौड़ा था इसलिए काले ने मुझ उछलती उछलती को ही उसकी कमर से उठा लिया। काले के ऐसा करने से मुझे और गुस्सा चढ़ गया और मैं ढिल्लों को बहुत ऊंची आवाज़ में गालियां निकालने लग गई- बहन चोद, दम नहीं क्या अब, अब किया नहीं मुकाबला कुत्ते, साला, हरामी, शेरनी हूँ शेरनी, तुझे तो कच्चा खा जाऊंगी। आ साले अब अकेला!
ये सब सुनकर ढिल्लों हंस पड़ा- साले शाम से दारू और अफीम और अब ये इंजेक्शन दे दिया है, जल्दी ला इसे यहां। काले ने मुझ बुरी तरह से हुंकारती हुई को बेड पर दे पटका और मुझे कहा- उधर मुंह करके लौड़े पर बैठ, पीछे लेना है गांड में!
मैं अपने पूरे होशोहवास में नहीं थी, मेरा मुंह ऐसे बन गया था कि मेरा पति भी मुझे पहचान न सके। आंखों के नीचे ज़्यादा नशा होने के कारण काले घेरे से उभर आए थे, बाल बुरी तरह बिखर चुके थे, लिपस्टिक मुंह पर जगह जगह लगी हुई थी। मैंने चुपचाप उसका कहा माना और दूसरी तरफ मुंह किया, गांड पर लौड़ा सेट किया और आराम से बैठ गई। ढिल्लों के लौड़े से मोटाई ज़्यादा होने के कारण मुझे दर्द तो हुआ लेकिन नशा इतना ज्यादा किया हुआ था कि इसका बस एक हल्का सा अहसास ही था।
मैंने लौड़ा पूरा जड़ तक ले लिया और फिर घस्से मारने लगी लेकिन अब मेरा वो जोश थोड़ी देर के लिए ठंडा पड़ गया था। ढिल्लों मेरे सामने खड़ा दारू पी रहा था और मुझे देख रहा था। जब मैं इसी तरह 5-7 मिनट के लिए करती रही तो मुझे सामने नंगे खड़े ढिल्लों को देख कर जोश चढ़ गया और मैंने उसकी आँखों में आंखें डाल कर अपनी गति तेज कर दी। सारे कमरे में मेरे भारी भरकम चूतड़ों की ‘धप्प … घप्प …’ की आवाज़ एक बार गूंजने लगी।
मैं और तेज़ होने लगी तो ढिल्लों ने समझा के मामला बिगड़ न जाये तो उसने दारू का गिलास मेज़ पर रखा और मेरी ज़िंदगी की पहली दमदार चुदाई शुरू होने वाली थी। मैं अकेली और दो दमदार काले सांड। ढिल्लों को आते देख काले ने पीछे से मुझे अपने खींच लिया और मेरी पीठ अपने सीने से सटा ली। मुझे रुकना पड़ा।
ढिल्लों आया और उसने मेरी टाँगें उठायी और अपनी बांहों में भर लीं। 1-2 मिनट वो मेरी और अपनी पोज़िशन ठीक करता रहा। काले को भी उसने दो-तीन निर्देश दिए। मेरी गांड में उसका पूरा तो नहीं लेकिन 7-8 इंच लौड़ा फिट था। अब ढिल्लों से मेरी फुद्दी पर अपना मूसल रखा और काले के ऊपर से ही मेरी तह लगाते हुए एक तेज़ करारा तीक्ष्ण शॉट मारा और रुक गया। मेरे द्वारा एक और किला फतेह किया जा चुका था।
जब मुझे महसूस हो गया कि दोनों छेदों में लौड़े घुस चुके हैं तो मुझे एक अजीब सी तसल्ली का अहसास हुआ। लेकिन मुझे इस बार भी बहुत दर्द हुआ, एक बार फिर गांड में। मेरी पंजाबी फुद्दी में भी लौड़ा जाने की वजह से मेरी गांड में काले का लौड़ा और कस गया था। इसके अलावा फुद्दी भी ढिल्लों के लौड़े को आसानी से नहीं ले पा रही थी।
दोस्तो, अगर मैं नशे में नहीं होती तो मैं भागने की कोशिश जरूर करती क्योंकि मुझे इतना दर्द होता कि मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं रहता। खैर नशे के कारण मैं ये भी सह गयी। मेरे मुंह से निकला- ओ मेरी माँ, दो चढ़ गये। हाय!
अगर अब कोई कमरे का नज़ारा देखता तो उसकी आंखें खुली की खुली रह जातीं। वो दोनों भी तकड़े, भारी भारी शरीरों वाले मर्द थे और मैं भी औरतों के मुकाबले कुछ ज़्यादा ही भरी भरी थी। तो तांगा जुड़ चुका था और इसका मुकाबला बेड से था।
“काले बारी बारी … हो जा शुरू!” ढिल्लों की आवाज़ आयी और काले ने नीचे मेरी गांड में एक धीमा मगर लंबा घस्सा मारा और रुक गया। इसके बाद ढिल्लों ने ऐसे ही एक घस्सा मारा और रुका। दोस्तो, एक औरत की दो मर्दों द्वारा चुदाई आसान नहीं है, इसके लिए भी आपको तजुर्बा होना चाहिए वरना इसमें बार बार लौड़े बाहर निकलते रह सकते हैं। लेकिन ये दोनों मंझे हुए खिलाड़ी थे। लौड़े अंदर भी थे और जड़ तक भी जा रहे थे। मेरे खुले मुंह से तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थीं। 15-20 मिनट तक मुझे लगातार इसी तरह चोदने के बाद ढिल्लों अचानक रुका और काले से बोला- एक साथ जाने दे अंदर! और स्पीड तेज़ कर दे।
काला उसकी बात सुनकर जोश में आ गया और उसने ढिल्लों से कहा- साली इस बार तो झड़ी ही नहीं, चल करते हैं इसकी मां बहन एक। यह कह कर दोनों ने मेरी वो तूफानी चुदाई शुरू कर दी कि मेरी चूत और गांड में छक्के छूट गए। बेड ज़ोरों से हिलने लगा और ‘चूं … चूं …’ की आवाज़ करने लगा। अब मेरे मुंह से बस ‘हूँ … हूँ … हूँ …’ की आवाज़ निकल रही थी। तेज़ गति में उन दोनों ने 10-12 घस्से ही मारे कि मेरी फुद्दी ने घुटने टेक दिए और मैं ज़ोरों से झड़ने लगी। मेरे मुंह से बहुत ऊंची आवाज में ‘हाय मेरी माँ …’ निकला और मैं ढिल्लों के सीने पर बदहवासी से सांस लेते हुए पसर गई।
मेरे झड़ने के बाद भी उनकी गति में कोई फर्क नहीं आया और वो मुझे ‘ताड़ … ताड़ …’ करके 15-20 मिनट तक चोदते रहे। इस समय मुझे अपने आप पर इतना गर्व हो रहा था कि पूछो मत। दर्द नाम की कोई चीज़ मेरे जिस्म में नहीं थी और मैं पूरे जोश में मोर्चे पर डटी हुई थी।
एक और तूफानी चुदाई के बाद मैं एक बार फिर ज़ोरों से झड़ गयी। दोस्तो, अब मेरे जिस्म का जोश कुछ ठंडा पड़ गया था। मगर वो थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ये देख कर मैंने हांफते हुए उन दोनों से कहा- बस करो यार … दो बार हो गया मेरा, कितनी लोगे मेरी? थोड़ा टाइम दो मुझे।
यह सुनकर काला हंसा और बोला- अभी तो जानेमन, हमने काम शुरू किया है अपना, अगर सुबह तक तेरी चाल ही ना बदली तो हम किस काम के, और अभी तो हमने तेरी तरह इंजेक्शन भी नहीं लिए हैं, बस समझ ले तुझे चुदना है जब तक हम नहीं थक जाते, थोड़ा जोश में आ जा अब।
उसकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। अभी तो उन्होंने मुझे 30-40 मिनट ही चोदा था और सुबह तक चुदने की बात सुनकर मैं घबरा सी गयी। मुझे अब पता चल चुका था कि जोश जोश में मैंने इन पंजाबी सांडों के साथ गलत पंगा ले लिया था। मुझे यह भी पता था कि मेरी फुद्दी और गांड दोनों के छेद सुबह तक इतने खोल दिए जाएंगे कि किसी छोटे लण्ड से मैं शायद कभी न झड़ सकूँ।
जब मैंने यह सोचा तो मैंने काले से एक पैग की मांग की क्योंकि मुझे पता था कि बिना नशे के मैं सुबह तक इन दोनों का सामना नहीं कर पाऊंगी और फिर मेरे पास यही एक विकल्प बाकी था। मेरी इस मांग को काले ने स्वीकार कर लिया और वो दोनों रुक गए.
इसी बीच काले ने मुझे एक मोटा देसी दारू का पेग बना कर पिला दिया। इस दौरान मैं बेड से उतर कर नीचे खड़ी हो गयी थी। 2 मिनट के अंदर ही मेरी आँखों के सामने पूरा कमरा घूमने लग गया। उन दोनों ने भी एक एक पेग चढ़ा लिया।
मैं नीचे हाथ लगाकर अपनी गांड को चेक करने लगी तो दोस्तो सीधी 3 उंगलियां मेरी गांड में घप्प से घुस गयीं। मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- सालो, ये क्या कर दिया, इतनी खुल गयी है मेरी। मेरी बात सुनकर वो दोनों ऊंची ऊंची हँसने लगे।
मेरी नज़र उनके पूरी तरह तने हुए काले लौडों पर पड़ी तो मुझे एहसास हुआ कि अब मैं आम जनता और अपने पति के काम से तो गयी। यही कुछ मेरे दिमाग में चल रहा था कि ढिल्लों मेरे आगे आया और उसने मुझे ऊपर उठा लिया और घप्प से मेरी फुद्दी में डाल दिया। मेरा दोनों बड़े बड़े और दूध से सफेद चूतड़ उसके फौलादी हाथों में थरथरा रहे। उन दोनों को पकड़ कर ढिल्लों से 8-10 अपने लौड़े पर तेज़ी से ‘फच … फच …’ की आवाज़ के साथ मारा।
मेरे मुख से अनायास ही ‘हाय ढिल्लों, हाय मेरी माँ, धुन्नी तक जाता है, मेरी माँ, हाये!’ की अलग अलग तरह की आवाज़ें निकल रही थीं। इन तीक्ष्ण तेज़ घस्से मारने के बाद ढिल्लों रुका और बोला- काले, डाल इसकी गांड में भी लौड़ा, बड़ी करारी औरत है साली।
यह सुनकर काला मेरे पीछे आया और उसने अपना काला भुजंग लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक पेल दिया। इसके बाद वो खड़े खड़े ही मुझ शराबी को हब्शियों की तरह चोदने लगे। मेरे मुंह से तरह तरह की बकवास निकलने लगी- मर गयी, फट गई, हूँ हूँ हूँ … एक साथ दो मां … हाये मेरी मां हो हो हो।
दोस्तो, मैं इसी तरह की पता नहीं क्या क्या बकवास लगातार ऊंची आवाज में करती चली गई। दोनों छेदों में चुदने के दौरान मुझे अपना निचला हिस्सा पूरी तरह भरा भरा लग रहा था और मुझे अब कोई कमी महसूस नहीं हो रही थी। दरसअल इतनी घनघोर चुदाई कोई भी औरत सिर्फ मेरी तरह डबल डबल नशे करके ही करवा सकती है, नहीं तो कोई भी औरत बेहोश हो सकती है। चुदने के दौरान मेरी चूत और गांड से ‘पुच्च … पुच्च …’ की बहुत ही तेज़ आवाज़ें निकल रहीं थीं।
कुछ देर बाद मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मैं हवा में उड़ने लगी और मैंने ढिल्लों के मुंह को अपने मुंह में भर लिया और उसे पीने लगी।
दोस्तो, इसी तरह मैं पता नहीं कितनी देर ताड़ ताड़ करके चुदती रही। आखिर मेरे मज़े का बांध एक बार फिर टूट गया और मेरा फिर काम हो गया, लेकिन इस बार बहुत ही मामूली सा काम रस फुद्दी से निकला था। उन दोनों ने शाम से मुझे पूरी तरह निचोड़ दिया था। मेरे काम होने के वो दोनों हांफते हुए मुझे अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी करके चोदने लगे।
ढिल्लों के सांस में सांस ही नहीं आ रही थी क्योंकि मेरा लगभग सारा भार उसकी बांहों में था। उसने काले को रुकने के लिए कहा। काला गांड में जड़ तक लौड़ा पेल कर रुक गया और ढिल्लों मुझे अंधाधुंध चोदने लगा जब तक उसका काम नहीं हो गया। जब ढिल्लों ने उसे पूरी तरह हांफते हुए देखा तो उसने कहा- रुक जा अब, निकालना मत। यह कहकर काले ने मेरे दोनों चूतड़ों का भार अपने हाथों में ले लिया और बुरी तरह जोश में आकर मेरी गांड की ऐसी तैसी करने लग गया।
कुछ देर बाद ही उसका सारा मेरी गांड में था। उन दोनों के झड़ने के बाद मेरी जान में जान आयी। जब उन्होंने मुझे नीचे उतारा तो काले का ढेर सारा गाढ़ा वीर्य मेरी गांड से बाहर रिस कर, मेरी टाँगों तक गया। पीछे हाथ लगा कर देखा तो गांड का मुंह बुरी तरह से खुला था। मैंने ज़ोर लगा कर उसे बंद करने की कोशिश भी की ताकि वीर्य बाहर निकलना बंद हो जाये, लेकिन गांड थी कि पूरी तरह बंद नहीं हुई।
मैं बाथरूम में जाने लगी तो मुझे चक्कर से आ गया, टाँगें बुरी तरह कांप गयीं और उन्होंने मेरे जिस्म का भार उठाने से मना कर दिया, मैं धड़ाम करके फर्श पर गिर गयी। मेरा सारा जिस्म नशे और हैवानी पंजाबी चुदाई से कांप रहा था।
यह देख कर काला आया और उसने नैपकिन से मेरी चूत और गांड पोंछते हुए कहा- तुझे चलने के लिए किसने कहा था, बेड पर लेट जाती, पता भी है किस तरह से चुदी है। यह कहकर उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर जाकर लेटा दिया। दोनों ने मेरे जिस्म को चेक किया कि कोई चोट तो नहीं आयी लेकिन घुटनों पर कुछ खरोंचों के बिना मुझे कुछ नहीं हुआ था और मैं ठीक थी। इसके बाद दोनों मेरे गिर्द मेरी तरह नंगे ही लेट गए।
पंजाबी गांड चूत चुदाई कहानी जारी रहेगी. आपकी रूपिंदर कौर [email protected]
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