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हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम विशाल है. मैं हनुमानगढ़ राजस्थान से हूँ. मैं आपको आज बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी बुआ की लड़की वंदना की सील तोड़ी और गांड मारी. मुझसे कोई गलती हो जाए तो माफ करना.
सबसे पहले मेरा परिचय दे देता हूँ. आप मेरा नाम तो जान ही चुके हो. मेरी उम्र 28 साल है. मैं अभी तक अविवाहित हूं पर मेरा लंड अभी तक कुंवारा नहीं है. इस लंड से बहुत सी चुत के दर्शन किए हैं. न केवल दर्शन किये बल्कि उनको रगड़ कर चोदा भी है. मेरा लंड सवा आठ इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है.
मेरी बुआ की लड़की वंदना 22 साल की एक कुंवारी लड़की है जिसकी मैंने सील तोड़ी थी. वंदना का 32-28-32 का फिगर साइज बहुत ही लाजवाब है.
जैसा कि मैंने आपको बताया कि वंदना मेरी बुआ की लड़की है. मेरी बड़ी बहन की शादी थी, उस समय वंदना हमारे घर जवान होने के बाद पहली बार आई थी. तब मैं उसको देखकर हैरान हो गया था कि वंदना क्या माल लग रही थी. शादी में व्यस्त होने के कारण मेरी वंदना से बात नहीं हुई, लेकिन दीदी को विदा करने के बाद हम सबने खूब एन्जॉय किया.
तब मैंने वंदना को बताया और मैं और वंदना के बीच में बातचीत शुरू हुई.
हमारे घर के अन्दर ऐसा कोई रोकटोक वाला माहौल नहीं था, इसलिए उस रात को हम सब एक साथ एक ही कमरे में सो रहे थे. तब मैं जानबूझकर वंदना के पास लेट गया और वंदना से बात शुरू कर दी. पहले तो वंदना को मुझसे बात करने में शर्म आ रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वह भी मुझसे ऐसी बातें करने लगी.
कुछ ही देर में सभी सो गए. लेकिन मेरे को नींद नहीं आ रही थी कि इतना मस्त माल मेरे पास लेटा हुआ है और मैं कैसे सो सकता था. इसलिए मुझे नींद नहीं आ रही थी.
रात को 1:00 बजे के पास मैं वंदना के पास को हुआ और अपना एक हाथ वंदना के पेट पर रख दिया. इससे वंदना जग गई थी और वंदना ने मेरा हाथ देख लिया था, पर वह कुछ बोली नहीं. मैंने भी आना हाथ नहीं हटाया. वंदना ने खुद अपने पेट पर मेरा हाथ को पकड़ लिया और मेरी तरफ देखने लगी. तब मैंने जानबूझकर आंख बंद कर दी, जिसे देख कर वंदना को लगा कि शायद नींद में रख दिया है और उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने चूचों के एकदम पास कर लिया. जब मैंने धीरे से आंख खोलकर देखा तो वंदना आंखें बंद कर सो गई थी.
अब मैं धीरे से वंदना की चुचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा. कुछ समय बाद वंदना को भी मजे आने आने लगा. उसकी मुस्कान देख कर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया. मैंने वंदना की चूची को जोर से दबा दिया. इससे उसको मजा आने लगा और वह मेरी तरफ खिसक कर और ज्यादा चिपक गई.
उसके चिपकने के कारण मेरा खड़ा लंड वंदना की गांड को टच करने लगा. एक बार तो मैं सोच रहा था कि अपने लंड को वंदना की गांड में डाल दूँ, पर सभी के होने के कारण मैं ऐसा नहीं कर पाया.
पर उस रात को मैंने वंदना की चूचियों को खूब कस कस के दबाया. अगले दिन सुबह हुई तो कई रिश्तेदार चले गए. तब वंदना ने मुझसे पूछा कि रात में तुम्हें क्या हो गया था? तब मैंने नाटक करते हुए पूछा- कब? तब उसने कहा- जब मैंने तुम्हारा हाथ अपने पेट और गले के थोड़ा नीचे रखा था, तो तुम अपना हाथ कहां ले गए थे और क्या कर रहे थे? पहले तो मैंने उसको यह पूछा- क्यों तुम्हें मजा नहीं आ रहा था. तब उसने जो कहा, उसे सुनकर मेरे कान खड़े हो गए थे. उसने कहा कि मजा तो मुझे बहुत आ रहा था. मैंने उसको कहा कि जब तुम्हें मजा आ रहा था, तो फिर तुम मुझसे यह सवाल क्यों कर रही हो? उसने कहा कि मैंने तुम्हारा हाथ अपने पेट के पास रखा था. मैंने कहा- पर मैं तो तुम्हारी चुची को दबा रहा था. वो बस मुस्कुरा दी.
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा बॉयफ्रेंड भी ऐसे ही करता है? तब उसने मुझसे कहा कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्योंकि मेरी मम्मी और मेरा भाई मुझे घर से बाहर नहीं जाने देते हैं, तो बॉयफ्रेंड बनाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता. मैं कुछ नहीं बोला तो उसने मुझसे पूछा- क्यों क्या आप अपनी गर्लफ्रेंड से भी यही सब करते हो?? मैंने उसको कहा कि हम दोनों 2 साल पहले ही अलग हो गए हैं.
उसने हैरत जताते हुए कहा- अच्छा.. इसका मतलब अब आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? मैंने कहा- हां … पर क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी? इस पर उसने कहा- पर हम कैसे बन सकते हैं? मैंने उससे कहा- तुम्हारे दिल में क्या है.. तुम मुझे फ्रेंड मानती हो? उसने कहा कि कल जब हम चले जाएंगे तब क्या करोगे? मैंने उससे कहा- मैं तुमको बहुत चाहता हूं और जिंदगी भर चाहूंगा.
वो मुझे प्यार से देखने लगी.
मैंने उससे पूछा- तुम क्या चाहती हो? वो बोली- रात की बात को देखकर तो मैं तुम्हारी और दीवानी हो गई हूँ. जब मैंने उससे कहा कि मुझे स्पष्ट रूप से जवाब चाहिए … हां या ना? उसने कहा- तुम इतनी जिद करते हो, तो चलो हां ही सही, पर मैं तुम्हें कभी अलग नहीं होने दूंगी. मैंने उससे कहा कि अलग कौन होना चाहता है. मैं तो चाहता ही हूं कि तुम्हारे साथ जिंदगी भर एक होकर रहूँ. मैं तेरे साथ ही अपनी पूरी जिंदगी गुजारना चाहता हूं.
वो मुझसे लिपट गई. मैंने उससे कहा कि आज रात को भी हम साथ ही सोएंगे. तब उसने कहा- देखते हैं.
पर उस रात ऐसा नहीं हुआ, अगले दिन जब वो मेरे को छोड़ कर जाने लगी, तो मेरी मम्मी ने बुआ से वंदना को घर पर ही छोड़ने के लिए कहा. तब मेरी बुआ मान गईं और वे वंदना को हमारे घर 10 दिनों के लिए छोड़ने के लिए राजी हो गईं. यह बात मुझे नहीं पता था, पर वंदना जानती थी.
वंदना के जाने की सोच से मैं बहुत नर्वस हो गया था कि कल मेरी हुई और आज ये जा रही है. वंदना ने मेरे पास आकर मुझसे पूछा- तुम परेशान क्यों देख रहे हो? तब मैंने उससे कहा- कल ही तो मिली हो और आज ऐसे छोड़ कर जा रही हो. उसने कहा- मैंने कहा था ना कि मैं तुमसे अलग नहीं होंऊंगी, तो देखा … अलग नहीं हो रही ना! तब मैंने उससे पूछा- क्या मतलब? तब उसने कहा कि मैं 10 दिनों तक तुम्हारे साथ ही हूं. मेरी मम्मी ने यहां छोड़ने के लिए कह दिया है.
यह सुनकर मैं एकदम से बहुत खुश हो गया. मेरे चेहरे पर खुशी देख कर कोई भी समझ सकता था कि मैं कितना खुश हूं. जब मेरी बुआ वंदना को छोड़ कर जाने लगीं. तो मैं उन्हें ट्रेन में चढ़ाने के लिए स्टेशन तक गया और उन्हें गाड़ी बिठाकर वापसी आया.
अब मैं वंदना को देखने लगा. जब वंदना दिखाई दी, तो मैंने उसे गले से लगा लिया. वंदना मुझसे कहने लगी- छोड़ दो … कोई आ जाएगा. मैंने उसकी बात मानते हुए उसे छोड़ दिया और बाहर चला गया.
फिर शाम को मैंने आ कर देखा कि हमारे सारे रिश्तेदार जा चुके हैं, घर खाली था. मैंने मम्मी से पूछा कि सभी लोग गए? मम्मी ने कहा- हां गए … और आज शाम की ट्रेन से मैं और तुम्हारे पापा 4 दिनों के लिए जोधपुर जा रहे हैं. तब मैंने मम्मी से कहा- जोधपुर क्यों जा रहे हो? तब मम्मी ने मुझसे कहा कि तुम्हारे पापा को अपने बिजनेस के सिलसिले में अचानक जोधपुर जाना पड़ रहा है. उनकी तबियत ठीक नहीं है, जिसके कारण मैं तुम्हारे पापा के साथ जा रही हूं. मैंने उनसे पूछा कि 4 दिन मेरा खाना वाना कौन बनाएगा? मम्मी ने कहा- यह सब वंदना कर देगी. तब मैंने कहा कि वह उसे रोक कर खुद बाहर जा रहे हो. मम्मी ने कहा- कोई बात नहीं बेटा, हम लोग 4 दिनों के लिए ही जा रहे हैं.. वापस आ जाऊंगी.
फिर शाम को मम्मी और पापा को जोधपुर की ट्रेन बिठाने चला गया. स्टेशन पर आकर मम्मी ने मुझसे कहा कि संभल कर रहना और वंदना का खूब अच्छे से ध्यान रखना. मैं मन ही मन में खुश हो रहा था कि उसको तो पत्नी बनाकर रखूंगा. मेरे मुँह पर अलग सी मुस्कान आ गई. मम्मी ने पूछा- क्या हुआ? तब मैंने कहा- कुछ नहीं मैं तो बस आपसे यही कह रहा हूं कि वंदना का अच्छे ढंग से ख्याल रखूंगा.
फिर ट्रेन जाने के बाद मैं घर की ओर निकल पड़ा. रास्ते में मैंने मेडिकल स्टोर से कंडोम का पैकेट और वियाग्रा की गोली ले ली. जब मैं वापसी अपने घर पहुंचा तो मैंने घर से बाहर ही वियाग्रा की गोली कर अपने मुँह में रख ली और घर में घुसने के बाद पानी पीकर खा ली.
वन्दना पूछने लगी- मामा मामी गए? मैंने उससे कहा कि हां मेरी जान गए और मामा मामी नहीं, पापा मम्मी बोल. तब उसने कहा ऐसे तो थोड़ी होता है. मैंने पूछा- तो कैसे होता है?
मैंने मंदिर में से सिंदूर लाकर उसकी मांग में भर दिया और उससे कहा कि अब से हम एक हैं और आज से हम पति पत्नी हैं. उसने भी मेरे पैर छुए और मुझसे आशीर्वाद लिया. उसने मुझसे कहा कि आज तुम मेरे पति बन गए हो.. तुम जो भी कहोगे, मैं वो सब कुछ करूंगी.
मैंने उससे कहा- आज की रात तो हमारी सुहागरात होगी. तब उसने कहा कि तुम मुझे एक घंटे का समय दो, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूं. मैंने उससे कहा- ठीक है.
मैं 1 घंटे के लिए बाजार निकल गया. मैं बाजार से सुहागरात पर उसे देने के लिए एक गोल्ड रिंग लेकर आया और कुछ गुलाब के फूल भी ले लिए.
जब मैं घर वापसी आया, तब मैंने देखा कि वंदना लाल कलर के सूट में एक दुल्हन की तरह तैयार होकर मेरे सामने खड़ी थी. उसने मुझसे पूछा कि तुम कहां गए थे. मैंने उससे कहा- बाजार से कोई काम था, इसलिए गया था.
मैंने दरवाजा बंद करने के साथ ही आगे चलती हुई वंदना को पीछे से पकड़ लिया और कहा- आज तो हमारी सुहागरात होगी. उसने कहा- हां वह तो होगी … जरूर होगी.
मैं उसे लेकर अपने कमरे मैं घुसा, तो देखा कि मेरा बेड सुहागरात के लिए सजा हुआ है. मैंने वंदना से पूछा- यह सब तुमने किया? उसने कहा- हां मैंने ही किया है क्योंकि आज हमारी सुहागरात है.
मैं बाजार से जो फूल आया था, उसमें से एक फूल मैंने वन्दना के बालों में लगा दिया और उसे पकड़ कर उसको जोरदार किस करने लगा. किस करते समय मैं वंदना की गांड को दबा रहा था और कमर को सहला रहा था. मैंने आगे की तरफ हाथ डालकर उसकी एक चूची को पकड़ कर मसला. तो वंदना बोली- अब यहीं खड़े-खड़े सुहागरात मनाओगे क्या?? बेड पर भी चलोगे या नहीं?
मैंने उसे गोद में उठा कर बेड पर लेटाया और जो अपने साथ बाजार से गोल्ड रिंग लेकर आया था, वह उसको दी. उसने मुझसे कहा- इसकी क्या जरूरत थी? मैंने उससे कहा- जान आज हमारी सुहागरात है तो पति का फर्ज़ होता है कि अपनी पत्नी के लिए कुछ ना कुछ उपहार लेकर आए. इसी लिए मैं तुम्हारे लिए रिंग लाया हूं. वो खुश थी.
मैंने उससे पूछा- तुम्हें यह रिंग कैसी लगी? उसने कहा- यह तो बहुत अच्छी है. मैंने उससे कहा- अब यही बातें करती रहोगी या सुहागरात भी मनाने दोगी. उसने कहा- रोका किसने है.
मैं वंदना को लेटा कर किस करने लगा और एक हाथ डालकर वंदना की सलवार का नाड़ा खोल दिया. फिर उसका सूट उतार दिया, जिससे वंदना मेरे सामने सिर्फ लाल रंग की पैंटी ब्रा में रह गई थी. वंदना ने मेरी कमीज की सभी बटन खोल दिए और मुझे बोला कि खुद कपड़े पहने हुए हो और मेरे सब कपड़े उतार दिए.
मैंने कहा- जैसे मैंने तुम्हारे कपड़े उतारे हैं, तुम ही भी मेरे कपड़े उतार दो.
यह सुनकर उसने भी मेरे सभी कपड़े बनियान और पैंट को भी खोल दिया.
मैंने पैन्ट उतार कर फर्श पर फेंक दी और वंदना पर टूट पड़ा, उसको किस करने लगा. किस करते करते उसकी चुची को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा. एक हाथ उसकी चुत पर लगाकर चुत में उंगली करने लगा.
मैंने वंदना से कहा कि अब हमारे बीच में कोई दीवार नहीं रहनी चाहिए. मैंने वंदना की कमर में हाथ डालकर वंदना की ब्रा को खोल दिया और उसके बाद वंदना की एक चूची को चूसने लगा. मैं उसकी दूसरी चूची को दबा रहा था. फिर मैंने वंदना के हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और दूसरे हाथ से मैं वंदना की चुत दबा रहा था.
अब मैं खड़ा हुआ और वंदना की पैंटी देख कर कहा- यह तो बहुत गीली हो गई है. लगता है, इसमें बहुत प्यास है. उसने कहा कि तुम्हारे लिए ये 22 साल से प्यासी है. इसे चोदकर इसकी प्यास बुझा दो.
मैंने वंदना की पैंटी को फाड़कर निकाल दी और वंदना की जांघों को चाटने लगा. यूं ही उसके मखमली शरीर को चूमते चाटते मैं वंदना की जांघों पर से होकर दोनों टांगों के जोड़ पर आ गया. मैंने उसकी चुत पर अपनी जीभ लगा दी और उसे चाटने लगा. अब वंदना बहुत गर्म हो गई थी और वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चुत में दबाने लगी. साथ ही वो अपने मुँह से कुछ बड़बड़ाते हुए कहने लगी- आह … जानू चाट के खा जाओ.
मैं अपनी जीभ वंदना की चुत में डाल कर चाटने लगा. मैं तो बहुत देर से ही गर्म था क्योंकि मैंने बहुत देर पहले ही वियाग्रा की गोली खा ली थी. इस कारण मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह हो गया था. तब मैंने वंदना से कहा- तुम मेरा लंड चूस लो. पहले तो वो एक बार मना कर करने लगी, वो बोली- यह तो बहुत बड़ा है मेरे मुँह में नहीं आएगा. तब मैंने उससे दुबारा कहा- चल बस टोपा टोपा चाट ले.
इस पर वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. कुछ ही देर में हम दोनों सेक्स की 69 की पोजीशन मैं होकर एक दूसरे को चाट रहे थे. मैं वंदना की चुत चाट रहा था.
अब मैंने एक उंगली वंदना की गांड में डाल दी, इससे वंदना उछलकर ऊपर को हुई और कहने लगी- जानू वहां नहीं … बहुत दर्द होता है.
मैंने उंगली हटा ली. अब वंदना मेरा लंड मस्ती से चूस रही थी. उधर बुर चुसवाते हुए वंदना की चुत ने पानी छोड़ दिया, जिसे मैं सारा पी गया.
वंदना मुझसे बोली- जानू, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा … तुम मेरी चुत को अपने लंड से चोदो … और मुझे अपनी औरत बना लो.
मैं वंदना के ऊपर से हटा और उसके दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर चुत पर अपने लंड को रगड़ने लगा. मुझे बुर के पानी से लंड घिसने में बड़ा मजा आ रहा था.
जब वंदना की छोटी सी चुत को अपने लंड से रगड़ते हुए मुझे बहुत देर हो गई थी, तो वंदना चोदने के लिए इतनी गरम हो उठी थी कि वो अपनी गांड नीचे उठा कर मेरा लंड अपनी चुत में डालने को कह रही थी. मैं उसकी बेचैनी को और बताना चाह रहा था. तब मैंने उसकी बेचैनी देखते हुए अपने लंड को वंदना की चुत के मुँह पर रख कर एक जोरदार शॉट मार दिया, जिससे मेरा लंड का टोपा चुत को चीरता हुआ वंदना की चुत में फंस गया था.
वंदना के मुँह से जोरदार ‘आहह … मम्मीमीईईई … मर गईईई …’ निकल गई थी. वो दर्द से तड़फ कर मुझसे कहने लगी- आह निकालो … मुझे नहीं करना करना … यह बहुत बड़ा है, मुझे मार डालेगा. मुझे मेरे लंड पर नाज था, जिसने आज वंदना की सील तोड़ दी थी और वंदना की चुत से खून आने लगा था.
मैं जल्दी से वंदना के होंठों को चूसने लगा. मुझे डर था कि कहीं वंदना अपने नीचे खून देकर डर ना जाए, इसीलिए मैं उसको किस करने लगा. किस करते करते फिर से मैंने एक जोरदार शॉट और मारा, जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड वंदना की चुत में चला गया.
वंदना की आंखें फटी की फटी रह गई थीं और दर्द की कारण उसकी आंखें चौड़ी हो गई थीं, लेकिन मैंने जरा भी तरस ना खाते हुए उसकी चुत में एक जोरदार और शॉट मार कर उसकी बच्चेदानी तक पूरा अपना लंड पेल दिया. फिर कुछ देर तक मैं वैसे ही रुका रहा. मैं अब वंदना को देखने लगा और उसकी आंखों से आंसू को साफ़ करने लगा.
अब मैंने वंदना का मुँह छोड़ दिया था, इस कारण वंदना फिर बोल उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत दर्द है.. इसे निकालो.. मुझे नहीं करना.. यह तो मेरी अन्दर तक घुस गया है.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैं तो मर ही जाऊंगी.. आआआह!
इसी के साथ वो मम्मी मम्मी चिल्लाने लगी. तब मैंने उसको समझाया- कुछ देर तक दर्द होता ही है … फिर तुम भी मेरे साथ मजे लोगी. मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को दबा रहा था और उसके गले के पास किस करने लगा. वंदना बोली- मुझे नहीं चाहिए ऐसा मजा … बहुत दर्द हो रहा है, तुम इसे निकालो.
मैंने अपने लंड को पीछे निकालते हुए एक बार फिर जोर से शॉट लगा दिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा. थोड़ी देर बाद जब मैं उसे ऐसे ही चोद रहा था, तो वंदना को भी मजा आने लगा और वह अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी. अब वो मेरा साथ देने लगी.
मुझे वंदना को चोदते चोदते काफी देर हो गई थी. अब तक वंदना की चुत ने पानी छोड़ दिया था. मैं वंदना को एक इंजन की तरह चोद रहा था.
वंदना ने मुझसे पूछा- तुम्हारा कितना देर में होगा.. इतनी देर हो गयी है.. यह रुकने का नाम नहीं ले रहा और न ही थक रहा है.. इसमें तो बहुत जान है.. ये तो मेरी चुत का एकदम सत्यानाश करके छोड़ेगा.
तभी कुछ धक्कों के बाद मेरे लंड से पानी निकलने लगा. मैं झड़ कर वैसे ही वंदना पर लेट गया.
कुछ पल बाद हम दोनों खड़े हुए. वंदना मुझे देखते हुए बेड पर पड़े खून को देख घबरा गई. मैं उसे ये कहते हुए गोदी मैं उठाकर बाथरूम लेकर गया कि आओ साफ़ करते हैं. मैं उससे बोला- यह फर्स्ट टाइम था और इस टाइम खून आता ही है, इसमें डरने की कोई बात नहीं है.
बाथरूम से उठाकर वंदना को बेड पर लेटा दिया. दस मिनट वैसे ही मैं वंदना को किस करता रहा. कुछ देर बाद मैंने देखा कि मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया है.
अब मैंने वंदना को उठाया और डॉगी पोजीशन में करते हुए कहा कि अब मैं तुम्हें ऐसे चोदूंगा.
मैंने वंदना को डॉगी स्टाइल में कर दिया. अब मैंने उसकी गांड में फिर उंगली डाली और उससे कहा कि मुझे तुम्हारी इस बड़ी गांड में भी लंड डालना है. वह मना करने लगी. तब मैंने उससे कहा- डरो मत, मैं तेल लगाकर प्यार से डालूंगा, जिससे तुम्हें दर्द नहीं होगा. थोड़ी देर के बाद वो मान गई.
अब मैं तेल की शीशी लेकर आया और वंदना की गांड पर लगा कर थोड़ा सा अपने लंड पर लगाया. फिर मैं वंदना की गांड में डालने लगा. एक दो बार तो मेरा लंड उसकी गांड के ऊपर से इधर-उधर हुआ, जिसे देखकर वंदना कह रही थी कि मैंने बोला था ना.. इसमें नहीं जाएगा.
फिर मैंने वंदना की गांड में दो उंगली डाल कर छेद को चौड़ा किया और फिर अपने लंड को पकड़ कर वंदना की गांड में लगा दिया. पाहे धक्के में मैंने अपने लंड का टोपा फंसा दिया, जिस कारण वंदना की बहुत जोरदार चीख निकल गई.
मैंने उसकी तरफ ध्यान ना देते हुए फिर एक जोरदार शॉट में ही पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में ठेल दिया. उसकी गांड में से खून निकलने लगा.
फिर यूं ही दर्द के बाद मजा का आलम छा गया. मैंने करीब 15 मिनट तक उसकी गांड को चोदते हुए मैंने अपना सारा पानी उसकी गांड में छोड़ दिया और धड़ाम से उसके ऊपर गिर गया. अब मैंने वन्दना को कहा- मैं चोदने के लिए कंडोम भी लाया था, जो मैंने ही इस्तेमाल नहीं किए. तब उसने कहा- उनकी क्या जरूरत? वैसे भी मैं तुम्हारी पत्नी बन ही चुकी हूं.
उस रात मैंने वंदना की 5 बार चुदाई की, जिसमें से 2 बार गांड मारी, तीन बार चुत को चोदा. सुबह 4:00 बजे हम दोनों सो गए.
सुबह 11:00 बजे मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि वंदना मेरे लिए चाय बना कर लेकर आयी थी और उसी ने मुझे जगाया था. वंदना मुझे किस देकर बोली- जानू उठ जाओ, सुबह हो गई है.
वह मुझे उठा कर जाने लगी तो मैंने वंदना का हाथ पकड़ लिया और किस करने लगा. किस करते समय मैं उसकी चुची को भी दबा रहा था. वंदना उठकर काम करने के लिए जा रही थी, तब मैंने देखा कि वंदना की कुछ चाल बदल गई थी.
दोस्तो, यह थी मेरी और बुआ की बेटी , मेरी फुफेरी बहन वंदना की बुर गांड चुदाई की कहानी.. आपको कैसी लगी यह सब आप मुझको मेरे मेल कर बता सकते हैं या कमेंट देकर भी बता सकते हैं. मेरी ईमेल ID [email protected] है.
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