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मेरा नाम राजेश है. मैं सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का पिछले 8 साल से पाठक हूँ। मैंने कई लेखकों की कहानियाँ पढ़ी हैं। अन्तर्वासना की कहानियाँ मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी कहानी लिखूँ।
ये बात तब की है जब मैं 12वीं में था.. तब मेरे पड़ोस में एक परिवार रहने आया था। उस परिवार में पति-पत्नि बेटा और बेटी थे।
उसकी बेटी मेरी ही हम उम्र थी। थोड़े दिन तो यूँ ही गुजर गए और फिर धीरे-धीरे मेरी और उसकी दोस्ती हो गई। मैं उसका नाम बताना तो भूल ही गया.. उसका नाम जागृति है।
एक दिन की बात है.. उन दिनों मोबाईल कि सुविधा नहीं थी.. तब मेरे घर लैंड लाईन वाला फोन था। एक दिन दोपहर को कॉल आया.. मैंने उठाया तो सामने से आवाज आई कि आपके बाजू में जागृति मेम रहती हैं उन्हें बुला दीजिए। तो मैंने कहा- आप फोन पर रहें, मैं बुलाता हूँ।
मैं उसे बुलाने गया तो घर का दरवाजा खाली उड़का हुआ था. मैंने हल्का सा धक्का दिया. तो दरवाजा खुल गया। मैं अन्दर गया, उसे आवाज लगाई। किसी ने नहीं सुना तो फिर मैं बेडरूम में गया. तो देखा कि जागृति गहरी नींद में थी।
मैंने देखा कि उसकी नाईटी घुटनों तक ऊपर थी. मेरे अन्दर का जानवर जाग गया। फिर मैं सीधा दरवाजा बंद करने गया.. फिर वापस आकर बेडरूम में आ गया। मैं बिस्तर पर बैठा और उसके पैर को छुआ। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी नाईटी उठाते हुए ऊपर की तरफ जाने लगा। मैंने उसकी कोमल और भरी हुई जांघों को छुआ.. तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मेरा लण्ड टाईट होने लगा.. जागृति ने गुलाबी पैन्टी पहनी हुई थी.. पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को छुआ.. वाह कितना मजा आ रहा था। मैं महसूस कर रहा था।
फिर मैंने हल्के से पैंटी की साईड में से जरा सी उंगली चूत पर लगाई. उसकी चूत बहुत गर्म थी और लाल थी। चूत पर छोटे-छोटे बाल उगे थे. वाह … क्या मस्त चूत थी।
मैंने धीरे-धीरे चूत सहलाना शुरू किया तो वो जाग गई और घबराती हुए बोली- राजेश … ये क्या कर रहे हो? मैं तो डर गया कि ये चिल्लाना शुरू ना कर दे। उसने कहा- ये तुम क्या कर रहे हो? मैंने कहा- मुझे माफ कर दो, मुझसे रहा नहीं गया. आईन्दा ऐसा नहीं करूँगा। जागृति ने कहा- ठीक है. पर तूने मेरे बदन पर जहाँ-जहाँ हाथ लगाया है, वैसे ही मैं तुझे भी हाथ लगाऊँगी। तब जाके मेरी जान में जान आई।
उसने बिना देर किए मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और पैंट की जिप खोल कर मेरे खड़े लण्ड को मसलने लगी। मेरा लण्ड तो एकदम टाइट हो गया. उसने मुस्कुराते हुए कहा- तेरा लण्ड बहुत गरम और बड़ा है। फिर वो घुटनों के बल बैठ कर लण्ड को हिलाने लगी। जैसे ही उसने मेरे लण्ड को चुम्बन किया. मैं तो जन्नत की सैर करने लगा था। वो धीरे-धीरे लण्ड को चाटने लगी. मेरी तो समझो लॉटरी लग गई।
फिर उसने पूरा का पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और मैं सिर्फ मादक आवाजें निकाले जा रहा था। वो आइसकैन्डी की तरह लौड़ा चूसने लगी। साथ-साथ अपने हाथ से मेरे अन्डकोषों के साथ भी खेल रही थी। मैंने कहा- आह्ह … रुक जा … अब मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ? उसने कहा- निकल जाने दे … कोई बात नहीं. निकलने दो. साले को मैं देख लूँगी।
मेरा माल उसके मुँह में ही निकल गया. उसका मुँह पूरा भर गया, वो पूरा रस निगल गई। मैंने पूछा- ये तूने क्या किया? निगल गई? तो वो बोली- तेरा तो बहुत स्वादिष्ट है।
फिर हम दोनों 15-20 मिनट निढाल होके पड़े रहे और फिर धीरे-धीरे उसने मेरे लण्ड के साथ छेड़छाड़ चालू की। लण्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। अबकी बार मैं उसके स्तनों के साथ खेलने लगा। उसके स्तन गजब के थे. एक स्तन मुँह में लेकर छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा दूसरे स्तन के निप्पल को मरोड़ रहा था। ऐसा दस मिनट तक चला। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर चुम्बन करना चालू किया। उसके चूतड़ कयामत थे। सोचा साली के चूतड़ ही खा जाऊँ।
वो मेरा लण्ड चूस रही थी, मैं उसकी चूत चाटने लगा। जैसे ही मैंने चूत पर मुँह रखा, वो उछल पड़ी और ‘हह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआई.. ईई आईई.. ओउफउ…’ की आवाजें निकालने लगी। वो कामवासना से कराहने लगी, बड़बड़ाने लगी- खा जा इस साली को … बहुत परेशान करती है … और जीभ अन्दर डाल … और अन्दर डाल … ले पूरी चाट ले। वह ऐसे ही बोले जा रही थी और एकदम से उसने पानी छोड़ दिया। मैं भी उसका सारा पानी पी गया। पानी का क्या नमकीन मस्त स्वाद था।
मैं सारा पानी चाट-चाट के पी गया। वो निढाल हो गई। कुछ पलों बाद मैं फिर से उसके बदन को चाटने लगा और वो फिर से गरम होने लगी। फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। ऐसे 10-15 मिनट करते रहे। उसने कहा- अब रहा नहीं जाता.. अपने लण्ड को घुसा दे.. मेरी चूत फाड़ दे भोसड़ी बना दे।
फिर मैंने उसे चोदने की पोजीशन में लिटाया, उसके पैर अपने कंधों पर रखे और लण्ड चूत पर टिकाया। फिर जरा सा धक्का मारा. पहले तो लण्ड फिसल गया. मैंने फिर किया तो फिर चूक गया. ऐसा 2-3 बार हुआ।
फिर अपने हाथ से लण्ड पकड़ा और मैं धक्का लगाया तो खाली टोपा ही अन्दर गया था कि वो चिल्लाई- मर गई रे … बाहर निकाल लौड़े को … सहा नहीं जाता … बहुत दर्द होता है।
मैं रुक गया और उसके स्तनों को सहलाने लगा। कुछ पलों बाद मुझे लगा कि उसका दर्द कम हुआ है तो बिना उससे पूछे मैंने एक जोरदर धक्का लगाया तो पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। वो फिर से चिल्लाने लगी- आह्ह … बाहर निकालो … मादरचोद … बहुत दर्द हो रहा है … बाहर निकाल। मैं रुक गया. मैंने उसे आश्वासन दिया कि अब दर्द नहीं होगा. जो दर्द होना था वो हो गया।
मैं उसके स्तनों का मर्दन करने लगा तो उसने थोड़ी राहत की सांस ली। मुझे लगा कि उसका दर्द कम हो गया है तो मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा। फिर उसे भी मजा आने लगा, अब वो भी कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। वो बोलने लगी- आह्ह … अब मजा आ रहा है. चोदो मुझे … और जोर से चोदो … बहुत मजा आ रहा है. और जोर से करो।
दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों का पानी निकल गया। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे.. फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और जाते वक्त होंठों पर एक लंबा चुम्बन किया। अब तो उससे मेरी सैटिंग बन गई थी.. गाहे-बगाहे मौका मिलते ही चूत चुदाई का खेल शुरू हो जाता था।
दोस्तो, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे इमेल करना। [email protected]oo.com
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