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कहानी का पहला भाग: विशाल लंड से चुदाई का नया अनुभव-2 अब तक आपने पढ़ा था कि मुनीर ने मेरी योनि को गर्म करना शुरू कर दिया था. अब आगे..
बस अब क्या था.. उसने अपने जीभ और होंठों के सहारे मेरी योनि से खेलना शुरू कर दिया. सच कहूँ तो मुनीर इस खेल में माहिर थी, उसे पता था कि कैसे किसी को उत्तेजित करना है. उसने इस प्रकार से मेरी योनि को चाटना शुरू किया कि कुछ ही पल में मुझे लगने लगा कि मैं झड़ जाऊंगी. उसने मेरी योनि के दाने पर इस तेज़ी से अपनी जीभ फिरानी शुरू की कि मैंने खुद ही उठ कर उसके सिर को पकड़ लिया.
मुनीर समझ गयी कि अब मैं काफी गर्म हो चुकी हूं. उसने माइक को आवाज दी. तारा ने भी माइक को कहा- तुम अब तैयार हो जाओ.. उसे पूरा मजा दो.
माइक मेरी ओर आया तो मुनीर उठकर मेरे बगल में बैठ गयी. माइक नीचे झुका और पहले उसने मेरी जाँघों को चूमा फिर योनि को चाटने लगा. मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि मैंने उसके सिर को जोर से पकड़ लिया. तारा तभी मेरे दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और बोली- माइक अब देर मत कर. मैंने अभी तक माइक के लिंग को हाथ नहीं लगाया था, मैं इतनी डर गयी थी.
माइक उठकर मेरे ऊपर आ गया, वो मुझे देख कर मुस्कुराया और बोला- तुम्हारा बदन कमाल का है और योनि उससे भी ज्यादा कमाल की है.
उसने बातें करते हुए मेरी जाँघों को फैला बीच में गया. मेरी नजर केवल उसके लिंग पर जा रही थी. माइक इतना उत्तेजित था कि उसका लिंग खुद ही ऊपर नीचे झटके ले रहा था. माइक थोड़ा और झुका. उसने अपनी स्थिति संभोग के लिए बनायी. वो इतना चौड़ा था कि मुझे अभी से ही ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जांघें चिर रही हैं. मैं अभी भी डरी हुई थी और जैसे जैसे उसका लिंग मेरी योनि के नजदीक रहा था, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी.
मैंने अपनी टांगें मोड़ लीं और उसके पेट पर टिका दिया.. ताकि अगर उसने ज्यादा जोर लगाया तो मैं रोक लूँ. साथ ही मैंने दोनों हाथों से उसकी कमर को भी पकड़ रखा था. मैंने भी खुद को तैयार कर लिया था. फिर दिमाग को समझाने में लग गयी कि जो होगा देखा जाएगा.
माइक ने अब अपना लिंग एक हाथ से पकड़ा और मेरी योनि की दरार में सुपाड़े को थोड़ा रगड़ा. उसके लिंग के स्पर्श से मेरा पूरा बदन सिहर उठा. मुझे ऐसा लगा कि जैसे एक पतली सी बिजली का करंट मेरी योनि के निचले हिस्से से होता हुआ गर्भाशय से नाभि तक आया हो. उसका लिंग किसी पत्थर सा प्रतीत हो रहा था मुझे, एकदम कठोर लग रहा था. उसने मेरी योनि द्वार फिर से टटोला और छेद मिलते ही उसने अपने लिंग को टिका कर धकेला. उसका सुपाड़ा बस थोड़ा घुसा कि मुझे महसूस हुआ जैसे मेरी योनि चिर रही है. मैंने कराहते हुए तुरंत उसका लिंग अपने हाथ से पकड़ कर उसे रोक लिया.
ये पहली बार था, जब मैंने उसके लिंग को पकड़ा था. सच में एकदम पत्थर की तरह कठोर था. केवल उसकी चमड़ी ही मुलायम लग रही थी और अन्दर का हिस्सा उत्तेजित होकर बहुत कठोर हो गया था. मेरे द्वारा लिंग को पकड़े जाने से माइक रुक गया और बोला- माफ करना, मैं शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी में था.
एक वयस्क और तजुर्बेदार मर्द की यही तो पहचान होती है कि वो अपने साथी को हमेशा जताता है कि उसका ख्याल रखेगा. माइक भी वैसे ही मेरे साथ कर रहा था. माइक के ऐसे बर्ताव से मैं भी पिघल सी गयी और मैंने खुद ही लिंग को सही रास्ता दिखाने लगी. मैंने हाथ से ही पकड़ कर लिंग का सुपाड़ा अपनी योनि के छेद पे लगा दिया.
पर लिंग का सुपाड़ा भी इतना मोटा था के केवल थोड़ा सा ही अन्दर घुसा. मुझे मेरे योनि के किनारों पे खिंचाव सा महसूस होने लगा और दर्द भी. मैंने लिंग टिका कर हाथ हटा लिया और फिर से पहले की अवस्था में माइक को पकड़ लिया.
माइक ने इशारा समझा और अपनी कमर को मेरी और धीरे धीरे धकेलना शुरू किया. मेरी योनि में धीरे धीरे लिंग घुसने लगा, जिससे मुझे मेरी योनि के चारों तरफ तेज़ खिंचाव होने से दर्द होने लगा.
मैंने बहुत बर्दाश्त किया और पूरा सुपारा किसी तरह घुस गया. माइक और दबाव देने लगा, पर अभी सुपाड़े का पीछे का हिस्सा थोड़ा घुसा कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने दोनों हाथों और टांगों की ताकत से माइक को रोक लिया. माइक समझ गया और उसने भी जोर लगाना बंद कर दिया. माइक काफी अनुभवी था, इसलिए उसने कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई. वो जानता था कि कैसे किसी औरत को अपने वश में करना है.
थोड़ी देर रुकने के बाद वो हल्के हल्के से सुपाड़े को ही मेरी योनि में अन्दर बाहर करने लगा. पहले तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ, पर कुछ देर के बाद ठीक लगने लगा. माइक ऐसे धीरे धीरे और हिसाब से धक्के मार रहा था कि केवल उसका सुपाड़ा ही अन्दर जा रहा था. वैसे मैंने भी उसे रोक रखा था, इसलिए वो ज्यादा जोर लगा भी नहीं रहा था.
माइक मुझे देखे जा रहा था और अपनी कमर हिलाते हुए लिंग अन्दर बाहर कर रहा था. मेरी नजर केवल नीचे की तरफ लिंग पर थी, मैं देख सकती थी कि लिंग कितना अन्दर जा रहा और कितना बाहर है.
अभी तो 90% लिंग बाहर ही था, धीरे धीरे मुझे राहत मिली तो मैंने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की, टांगों को भी हल्का छोड़ दिया. माइक ने भांप लिया और हल्के से जोर लगाने लगा. उसने दो धक्के हल्के मारे और तीसरा धक्का थोड़ा जोर से लगा दिया.
मैं कुहक गयी, मेरी आधी चीख सी निकल गयी और मैंने फिर से उसे हाथों और टांगों से रोक लिया. माइक ने खुद को रोका और जितना लिंग अन्दर घुसा था, उतने लिंग से ही मुझे फिर से हल्के हल्के धक्के देने लगा. मैं थोड़ी देर सिसकती रही और धीरे धीरे शांत होने लगी.
करीब 5 मिनट उसने मुझे हौले हौले धक्के मारे होंगे कि मेरी पकड़ फिर ढीली हुई.
माइक कुछ देर ऐसे ही मुझे धक्के मारता रहा. फिर जब उसे लगा कि अब और अन्दर जाना चाहिए, उसने फिर से जोर लगाया. लिंग का जो हिस्सा मेरी योनि से बाहर था, पूरा सूखा था. इसलिए जब थोड़ा और घुसा तो मुझे बहुत परेशानी हुई. मैंने अपना सिर बिस्तर पर पटक लिया, मेरी आँखें बंद हो गईं और मेरी कराह मेरे अन्दर ही रह गयी.
मैंने थोड़ी सांस ली और सिर उठा कर माइक को देखा उसने तुरंत अपना लिंग बाहर खींच लिया और पास में पड़े चिकनाई वाली डिब्बी उठा ली.
मुनीर ने माइक से वो डिब्बी छीन ली और बहुत सारी क्रीम निकाल कर माइक के लिंग पर ऊपर से नीचे जड़ तक मल दी. थोड़ी क्रीम मेरी योनि के किनारों पर भी लगा दी. माइक तुरंत संभोग की स्थिति में आ गया और तारा ने फट से माइक का लिंग मेरी योनि से भिड़ा दिया.
मैं सोचने लगी तारा और मुनीर शायद शुरू से ही पूरी तैयारी के साथ आये थे कि मुझे इस विशालकाय सांड के साथ संभोग करवाना है. मैं अभी भी उसी अवस्था में टांगें ऊपर किये माइक के पेट पर टिकाये दोनों हाथों से उसे पकड़े हुए थी.
उसने लिंग पर दबाव दिया, तो लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा. मैं खिंचाव के साथ मेरी योनि की भीतरी दीवारों से लिंग के सुपाड़े का रगड़ना महसूस करने लगी. उसका लिंग करीब 4 इंच अन्दर चला गया था. वैसे मैं बता दूँ कि पूरा उत्तेजित होने पर माइक का लिंग लगभग 9 इंच का हो गया था. माइक का लिंग बीच में थोड़ा और मोटा था और जैसे ही वो हिस्सा मेरी योनि की छेद तक पहुंचा, मैं फिर से कराह उठी और पूरी ताकत से उसे रोक लिया. करीब आधा घंटा होने चला था और मैं अब थकान महसूस करने लगी थी. मैंने अपनी बहुत सी ऊर्जा केवल माइक को रोकने में लगा दी थी.
माइक भी धक्के मार मार कर पसीने पसीने होने लगा था, पर मैं उसका साथ नहीं दे पा रही थी. अंत में जब मेरी टांगों पे ज्यादा अकड़न होने लगी तो मैंने खुद ही कह दिया- इतने में ही कर लो.. और नहीं होगा मुझसे.
माइक के चेहरे पे उदासीनता दिखी, पर उसने कोई जबरदस्ती नहीं की बल्कि उसने हां में सिर हिला कर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए. उसने हौले हौले से काफी देर तक धक्के मारे. मैं बस हर धक्के पे कराहती रही.
धीरे धीरे मेरी योनि में उत्तेजना आनी शुरू हुई और मेरे अन्दर से भी पानी आना शुरू हुआ. इस प्रक्रिया से मेरी योनि चिकनी हो गयी और योनि के किनारे भी धीरे धीरे फैलते चले गए. माइक अब हांफने लगा था, पर वो लगातार मुझे खुद को काबू में रख धक्के मार रहा था, जिससे मुझे ज्यादा तकलीफ न हो और मैं उसके झड़ने तक उसका साथ दे सकूं.
मैंने हल्के हल्के से अपने हाथों और टांगों को ढीला करना शुरू किया. माइक भी हल्के हल्के धक्कों के साथ लिंग को और अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगा. थोड़ा थोड़ा कर के किसी तरह उसने आखिरकार अपना सबसे मोटा हिस्सा भी मेरी योनि के भीतर घुसा ही दिया.
मैं हर धक्के पर सिसकी लेती रही और वो धक्के मारता रहा. मुझे उसका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी के मुँह पर महसूस होने लगा था. उसका लिंग मुझे बहुत गर्म लग रहा था, जैसे कोई तपता हुआ लोहा हो. मैं सोचने लगी कि अब और भीतर कहां तक जाएगा. मेरे अंतिम छोर तक तो माइक का लिंग भीतर तक आ ही गया. पर माइक रुका नहीं, उसने थोड़ा और जोर लगाया. इस बार उसकी ताकत इस बार पहले के मुकाबले ज्यादा थी. मैं कराहते हुए उठ बैठने जैसी हुई और मैंने फिर से दोनों हाथों और टांगों से पूरी ताकत से उसे पीछे धकेल कर रोकना चाहा. माइक भले रुक गया था, पर उसने मुझे अपनी ताकत से दबा लिया और मुझे उठने नहीं दिया. आखिर मैं एक औरत, ऐसे सांड जैसे मर्द के आगे कितना ताकत लगाती. जब उसके भीतर इतनी अधिक उत्तेजना थी. मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी, मेरी योनि के चारों दीवारों के बीच बहुत खिंचाव महसूस हो रहा था. मैं रोने जैसी हो गयी थी. मैंने सिर उठा के अपनी योनि की तरफ देखा, लिंग अभी भी काफी बाहर था. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी योनि फटने वाली है.. इतना ज्यादा खिंचाव हो रहा था.
मैंने पूरी ताकत लगा दी और बोल पड़ी- बस अब और नहीं.
माइक थोड़ा रुका और मेरी आंखों में गौर से देखने लगा. उसकी आँखों में अजीब सी भूख थी. मैं कुछ कहने वाली थी, पर माइक ने फिर से बहुत ही हौले और प्यार से अपने लिंग को मेरी योनि में घुमाना शुरू कर दिया.
उसने मुझे मेरे कंधों से पकड़ लिया ताकि मैं उठ न सकूँ. उसकी ताकत मुझसे कहीं ज्यादा थी, मैं पूरी ताकत लगा कर भी उसे हिला न पाई.
उसने धीरे धीरे लिंग को हिलाते हुए थोड़ा लिंग बाहर निकाला और फिर हौले से दोबारा उतना ही अन्दर डाला, जितना वो अन्दर था. अब वो अपने अनुभव से काम ले रहा था, क्योंकि शायद उसे अब झड़ने की इच्छा हो रही थी. वो पूरा पसीने से भर गया था, उसके माथे से पसीना चेहरे, सीने, पेट से होता हुआ उसके लिंग के सहारे मेरी योनि के किनारों से लगता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा था.
तारा और मुनीर को शायद मेरी स्थिति देख बहुत उत्तेजना होने लगी थी. दोनों मेरी बगल से उठ कर आपस में आलिंगन में लग गईं. मैं भगवान से मनाने लगी कि माइक जल्दी से झड़ जाए. पूरी प्रक्रिया के दौरान न जाने मैं कितनी बार उत्तेजित हुई और कई बार मेरी उत्तेजना शांत हो गयी. मेरी फिलहाल उत्तेजना शांत हो गई थी, पर ये माइक के लिंग से निकलता चिकनाई वाला पानी था.
उस चिकनाई वाली क्रीम, जिसकी वजह से मेरी योनि के भीतर नमी हो गई थी. उस चिकनाई का ही सहारा रह गया था कि माइक धीरे धीरे धक्के मारता रहा. माइक का लिंग खून के दबाव से काफी गर्म और पत्थर से भी ज्यादा सख्त लगने लगा. वो मुझे लगातार हल्के हल्के धक्के मारे जा रहा था और मैं कराहती हुई उसे झेल रही थी. उसे धक्के मारते हुए काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा दर्द भी कम होने लगा था. मेरी योनि उसके लिंग के मोटापे के हिसाब से अपनी स्थिति बना ली थी. मुझे लगता है कि करीब एक घंटा होने को गया था, इतनी देर से मैंने उसे रोक रखा था. पर जैसे जैसे उसने मेरी योनि में लिंग से जगह बनाई, वैसे वैसे मेरी पकड़ ढीली होती रही. उसका लिंग जैसे जैसे मेरी योनि की दीवारों से रगड़ता, वैसे वैसे मुझे उत्तेजना पैदा होने सा लगता.
थोड़ी देर में मुझे कुछ और अच्छा लगने लगा, मैंने अपनी टांगों पर जोर देना कम कर दिया. माइक ने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी, पर वो अपने लिंग को उतना ही अन्दर घुसा रहा था, जितना अभी तक अन्दर गया था. उसने धीरे धीरे फिर अपने धक्कों की तेजी बढ़ाई, वो बिना रुके लगातार धक्के नियंत्रित तरीके से मार रहा था. उसका हांफना भी तेज होता जा रहा था. मैं समझ गयी कि माइक अब स्खलन की ओर बढ़ रहा था. मुझे भी अब पीड़ा कम हो रही थी और धीरे धीरे मैं और उत्तेजित होने लगी.
कुछ देर और धक्के लगे, तो मैं अपनी पीड़ा भूल कर आनन्द लेने लगी. सच में माइक के पास कामक्रीड़ा का काफी अनुभव था, उसने मुझे पूरी तरह अपने वश में कर लिया था. उसने बहुत पीड़ा दी, पर मुझे विरोध करने का भी अवसर नहीं दिया. यही तो एक अनुभवी और प्रौढ़ मर्द की पहचान होती है. उसने अपनी उत्तेजना और प्रक्रिया दोनों को ही बहुत ही नियंत्रण में रखा, न उसने कोई जल्दबाज़ी दिखाई, न ही कोई घबराहट.
मैं अब उसने धक्कों से आनन्दित होते लगी थी. मेरी टांगों और हाथों की पकड़ ढीली हो गयी थी और मैं बस अब सहारे के तौर पर उसे पकड़े हुए थी. मेरी योनि में फिर से नमी आनी शुरू हो गयी, उसके लिंग की चमड़ी के रगड़ से मेरी योनि की दीवारों पर अब गुदगुदी सी होने लगी. मैंने उत्तेजना में आकर हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके चूतड़ों को सहलाने में लगा दिया. उसने कुछ और धक्के मारे तो मैंने अपनी टांगें उसके आगे से हटा कर थोड़ा फैला दिया, पर अब भी इतना नहीं फैलाया था कि वो पूरा मुझसे चिपक सके.
वो काफी तेज हांफने लगा था, उसकी धड़कन तेज हो रही थी, बदन तपने लगा था और पसीने से लथपथ हुआ जा रहा था. मैंने उसके चेहरे की ओर देखा, उसकी आँखों में चरम सुख की तीव्र लालसा दिखी.
मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है. उसकी आँखों में वासना देख कर मेरे अन्दर भी अब चिंगारी आग बनने लगी थी. हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में ऐसे देखा, जैसे हम अब आंखों से ही बातें करेंगे. वो लगातार तेज़ी से मुझे धक्के मार रहा था और मैं मादक आवाजें निकालते हुए उसका साथ दे रही थी.
उसने शायद मेरी आँखों में मेरी हामी पढ़ ली थी. वो मेरी तरफ और झुक कर धक्के मारने लगा. मेरे मुँह से निकलती सिसकारी, दर्द भरी मादक कुहक और गर्म सांसें उसे और ज्यादा उकसा रही थी.
मैं भी अब मस्ती से भरते हुए उसके चूतड़ों को नाखूनों से चुभोने लगी थी. मेरी योनि ने माइक के लिंग को स्वीकार कर लिया था. मुझे महसूस होने लगा कि मेरी योनि माइक के लिंग के अन्दर जाते ही खुल जाती और बाहर आने से ऐसे सिकुड़ती जैसे लिंग को दबोच लेना चाहती हो. मैं भीतर से बहुत अधिक गर्म हो गयी थी और अब मेरे झड़ने का समय भी नजदीक था. माइक धक्के पर धक्के मार रहा था, मुझे तभी एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा.. जैसे कोई करंट आ मेरी नाभि से होकर योनि तक चला गया और मैंने भी माइक के धक्कों के साथ अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी. माइक मेरी इस हरकत से समझ गया कि अब उसके रास्ते में कोई रुकावट नहीं है. हम दोनों की कमर एक साथ आगे पीछे होने लगीं. दोनों की सांसें आपस में टकराने लगीं. मैं जान गई थी कि उसे मेरी सांसों की खुशबू और उत्तेजित कर रही थी. इधर मुझे भी उसके बदन से मर्दानगी की महक चरम सुख की और धकेलती जा रही थी. इतनी उत्तेजना के बाद भी माइक कितना संतुलित था, उसने अपने धक्कों की सीमा वहीं तक रखी, जहां तक उसका लिंग घुसा था.
अब मुझे माइक पर पूरा भरोसा हो चला था कि वो मुझे अब केवल सुख देगा. मेरे इसी विश्वास की वजह से ही मैंने अब आनन्द लेना शुरू कर दिया और उसका साथ भी खुल कर देना शुरू कर दिया.
माइक को भी मुझ पर भरोसा हो गया था. उसने भी भांप लिया था कि अब मैं भी झड़ने वाली हूँ. मेरी योनि के भीतर बदलाव को देखकर उसे वाकयी मेरी योनि के भीतर बहुत सुख मिल रहा था. इसलिए अब वो रुकना नहीं चाहता था. उसने मेरा पूरा समर्थन पाते ही एक पल के लिए धक्कों को रोक मेरे हाथों को अपने चूतड़ों से हटा कर बिस्तर पर रख दिया और फिर थोड़ा ऊपर होकर दोनों टांगों को हाथों से पकड़ पूरा फैलाना चाहा. मैंने उसे रोकना चाहा, पर उसने अपनी ताकत से उन्हें फैलाते हुए अपने जाँघों पर चढ़ा लिया और मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे दोनों हाथों को पूरी ताकत से पकड़ बिस्तर पर दबा दिया.
वो मेरे ऊपर झुकते हुए बिल्कुल मेरे मुँह के पास आ गया और हल्के और बड़े ही कामुकता भरे स्वर में बोला- भरोसा रखो.
उसके शब्दों ने मुझे बांध लिया और मैंने उस पर भरोसा कर लिया. मैंने विपरीत ताकत लगाना बन्द कर दिया, अपनी टांगों को उसकी जाँघों पर लाद दिया और लंबी सांस खींचती हुई, उसकी आँखों में देख कर सांस को छोड़ा. माइक ने अपना वजन घुटनों और कोहनियों पर डाला, मेरे हाथ से हाथ मिलाकर मेरी हामी को स्वीकारते हुए हौले हौले अपने लिंग को मेरी योनि में धकेलने लगा. उसने 4-6 हौले धक्कों से शुरूवात करनी शुरू की. उसके लिंग ने जैसे ही चलना शुरू किया, मेरी योनि के भीतर मेरी कम होती अग्नि फिर से भड़कने लगी. मैं फिर से लंबी लंबी सांसें भरने लगी और मुख से कामुकता भरी सिसकी छूटने लगी.
उसने अंदाज लगा लिया कि अब मैं झड़ने से ज्यादा दूर नहीं हूँ. उसने परिस्थिति का सही उपयोग करते हुए धक्कों की गति बढ़ानी शुरू कर दी थी. उसका लिंग अभी भी करीब 2 इंच बाहर ही होगा. मेरी मस्ती में कोई बाधा न हो, इसलिए उसने शायद खुद को एक सीमा तक रोक रखा था. मैं पूरी तन और मन से अब संभोग सुख के सागर में डूबने लगी. मेरी सांसें, कराहने की आवाजें, सिसकारियां ऊपर से माइक को जबरदस्त तरीके से माइक और ज्यादा रोमांचित होकर धक्के मारने लगा. मेरी योनि की मांसपेशियां तेजी के साथ हर धक्के पे सिकुड़ने और ढीली होने लगी.
मेरे मन में ऐसा महसूस होने लगा, जैसे मैं उसके लिंग को योनि से दबोच लूँ और बाहर न जाने दूँ.
मेरी योनि में तेजी से पानी भरने लगा था. हम दोनों के लिंग और योनि पूरी तरह से चिपचिपे हो गए थे, जिससे माइक के तेज़ धक्कों से छप छप छप की आवाज निकलने लगी थी.
माइक पूरी नियंत्रण के साथ हांफते हुए तेज़ी से धक्के मार मार के लिंग अन्दर बाहर कर रहा था. उसके ये तेज़ धक्के मुझे चरम सीमा तक ले जा रहे थे. मेरे मन में आवाज उठने लगी ‘और.. और और तेज..’ और मैंने माइक के हाथों को कस के पकड़ लिया, साथ ही मैंने उसकी जाँघों पर अपनी टांगों से दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया.
मैं तेज़ सांसें लेती हुई, कामुक सिसकारियां लेते हुए माइक की आंखों में घूरने लगी. माइक समझ गया कि मेरा लक्ष्य आ गया और उसने भी मुझे पूरी ताकत से पकड़ लिया और दोगुनी तेज़ी से धक्के मारने शुरू किए. हम दोनों बहुत तेज़ी के साथ सांसें लेने लगे. साथ ही हांफने भी लगे. धक्कों की बारिश सी शुरू हो गयी. दोनों पसीने से तर हो रहे थे.
कुछ और धक्के लगे कि एक झटका सा मेरी योनि के मुख के पास शुरू हुआ और तेज़ रफ़्तार से अन्दर की ओर मेरे गर्भाशय के मुख से होता हुआ नाभि तक आने लगा. मैंने झपट्टे से अपना मुँह माइक के मुँह से चिपका लिया और अपनी जुबान बाहर निकाल दी. माइक ने जरा भी देर न करते हुए मेरी जुबान को जुबान से लड़ाते हुए और जोरों से धक्के देने लगा.
मैं झड़ने लगी थी. मेरी योनि ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया. उसका लिंग मेरे गर्भाशय में जोर जोर से चोट मार रहा था. लगातार एक करंट सी मेरी योनि से होता हुआ बच्चेदानी के रास्ते मेरी नाभि तक जा रहा था. मैं मजे से भर गई थी, मेरे बच्चेदानी का मुँह फूल कर खुल गया था. मैंने पूरी ताकत लगा दी थी और माइक को पकड़ लिया था. मेरे झड़ने के क्रम में चीखे नाक से निकल रही थी और मैं जैसे जैसे झड़ती गयी, माइक के जुबान को काटने चूसने लगी थी.
अभी मैं पूरी तरह झड़ी भी नहीं थी कि अचानक एक झटके से माइक ने अपना बांया हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया और मेरे चूतड़ को कस के पूरी ताकत से पकड़ लिया. मुझे तो पता नहीं था कि क्या होने वाला था. मैं अपनी चरम सीमा में मजे में खोई जा रही थी. मैं इतनी मगन थी कि मैंने पूरी जांघें फैला दी थीं. मैं जब तक मस्ती की आखिरी सांस लेती कि माइक के मुँह से आवाज निकली- हहहह हहहह..
वो जोर जोर से तेजी से धक्के मारने लगा. मेरी तो एक पल में सांस जैसे रुक गयी. ऐसा लगा जैसे मेरी बच्चेदानी फट गई. मैं चीख भी नहीं पाई क्योंकि माइक ने अपनी पूरी ताकत से मेरे मुँह से मुँह चिपका लिया था. मुझे उसने संभलने का एक मौका भी नहीं दिया और पूरा लिंग मेरी योनि की गहराई में घुसा दिया. मैंने अभी झड़ने का पूरा मजा लिया भी नहीं था कि दर्द से तड़पने लगी. मैंने पूरी ताकत से माइक से एक हाथ छुड़ाने तथा दूसरे हाथ से रोकने का प्रयास किया. पर माइक की इतनी ताकत थी कि उसने मुझे अपनी जगह से जरा भी हिलने नहीं दिया.
मैं फिर भी पूरी कोशिश करती रही. मेरे आंखों से आंसू निकल गए, पर माइक किसी खूंखार जानवर की तरह बिना किसी चीज़ की परवाह किए तेज़ी से धक्के मारता रहा.
उसने 20 से 30 धक्के तेज़ी से मारते हुए मेरी योनि के भीतर ही झड़ना शुरू कर दिया. उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जबरदस्त चोट कर रहा था.
लगभग एक घंटे के इस सफर में मुझे ये 20 सेकंड का सफर किसी अग्नि परीक्षा से कम न लगा. माइक 2-3 धक्के पूरी ताकत से और मारने के बाद शांत होने लगा, पर मैं रो दी. उसने आखिरी धक्का मारा और अपने वीर्य की आखिरी बून्द गिरा कर मेरे ऊपर सुस्त पड़ गया. इस वक्त उसका लिंग मेरी योनि की आखिरी छोर तक चला गया था.
थोड़ी देर में वो सिकुड़ने लगा, तो मुझे धीरे धीरे राहत सी महसूस होने लगी.
मुझे नहीं पता था कि ये माइक की कोई तकनीक थी, या मेरे अनुभव से जैसा लगा कि माइक झड़ने के क्रम में अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण खो बैठा. वैसे ज्यादातर मर्द झड़ने के समय पर अपना नियंत्रण खो देते हैं. ये मेरे लिए सबसे दुखदायी पल था. उसने इतनी देर तक मेरा बहुत ख्याल रखा, पर अंत में उसने पीड़ा की हद पार कर दी.
मैं अपनी टांगें चाह कर भी बंद न कर पाई. उसने एक पल का भी समय नहीं दिया. शायद मेरी ही गलती थी कि मैंने उसे जगह दे दी थी, जिससे उसे मेरे भीतर पूरी तरह से आने का मौका मिल गया. मुझे अभी भी मेरे पेट से लेकर बच्चेदानी पर दर्द हो रहा था, पर माइक के लिंग के शिथिल होने से थोड़ा राहत जैसा लगने लगा था. वो कुछ देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा, जब तक उसने थोड़ा सुस्ता न लिया. उसकी पकड़ मुझ पर ढीली होते ही मैंने उसे धक्का देकर खुद से अलग होने का निर्देश दिया.
माइक हल्के हल्के हांफते हुए उठा और उसने अपना लिंग बाहर खींच लिया. लिंग खींचते ही मेरी योनि से गाढ़ा वीर्य बह निकला और बिस्तर पर फैल गया. मैं अपनी आंखें बंद करके दोनों टांगें चिपका कर लेटी ही रह गयी.
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