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आप सभी पाठकों को नमस्कार. मैं भी अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. मैंने यहाँ की कहानियां पढ़ी हैं. मेरा नाम अमित है, मैं नागपुर का रहने वाला हूँ और यहाँ अकेला ही रहता हूँ. अभी मेरी उम्र 27 साल है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ. सोचा मैं भी अपनी कहानी आप लोगों को सुनाऊं, यह मेरी पहली कहानी है.
यह कहानी करीब छह महीने पहले की है. मैं एक दिन ऐसे ही नागपुर के पीवीआर मॉल में घूमने गया था. थोड़ी बारिश हुई थी और मौसम भी अच्छा था. मेरे दोस्त पहले ही जा चुके थे. मैं लेट पहुंचा. जैसे ही मैं मॉल में गया, वहां एक लग्जरी कार आई. कार से एक बहुत ही खूबसूरत मैडम ब्लू कलर की साड़ी पहने हुए बाहर आईं, मैं उनको देखता ही रहा. उनकी नज़र मेरे पर पड़ी, तब उन्होंने एक नज़र अपने शरीर को देखा और मुझे घूरने लगीं, फिर चली गईं.
मैंने अपने दोस्त को कॉल किया, उसकी लोकेशन पूछी और चल पड़ा. फिर मैं बिग बाजार में गया, वहां वही मैडम कुछ ले रही थीं. मैं मैडम के करीब ही कुछ चीजें देख रहा था. तभी मैडम की साड़ी से एक स्टैंड अटक कर मैडम के ऊपर गिरने को हो रहा था. मेरी नज़र उन्हीं पर थी. जैसे ही स्टैंड गिरने को हुआ, मैंने एक हाथ से मैडम को पकड़ के दूर किया और दूसरे हाथ से स्टैंड को पकड़ लिया.
ये हरकत इतनी तेज हुई कि मैडम चिल्ला दीं और मेरे तरफ देखने लगीं. लेकिन जैसे ही उनकी नज़र स्टैंड के तरफ गयी, तो उनकी समझ में आया कि मैंने क्या किया है. फिर उन्होंने अपने आपको संभाल के मेरा हाथ पकड़ा और स्टैंड को सही जगह रखने में मेरी मदद की. मुझसे हाथ मिला के मैडम ने मुझे थैंक्स कहा. मैंने भी अपनी आदत के अनुसार कह दिया कि ये तो मेरा नसीब है कि मुझे आपकी सेवा करने का मौका मिला.
ये सुनके वो थोड़ा चकित हुईं और बोलीं- आप बातें बहुत अच्छी करते हो. मैंने उन्हें वेलकम कहा और वहां से चला गया.
फिर मैं अपने दोस्त के साथ फिल्म देखने चला गया. इंटरवल होने के बाद मैंने देखा कि वही मैडम हमारी ही लाइन में बैठ कर फिल्म देख रही थीं. उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी, तो उन्होंने स्माइल पास की.
फिल्म खत्म होने के बाद हम लोग पार्किंग में आए. हमारे पहले ही मैडम आकर अपनी गाड़ी की डिक्की में कुछ कर रही थीं. मैंने देखा कि वो परेशान सी लग रही थीं. तभी मैं उनके पास गया और पूछा तो उनकी गाड़ी की डिक्की लॉक नहीं हो पा रही थी. मैंने उनकी डिक्की लॉक करके हेल्प की.
मैडम ने कहा- आज हम लोग चार बार मिले. क्या लगता है ऐसा क्यों हुआ? उस पर मैंने कहा- पता नहीं मेरे साथ क्या अच्छा होने वाला है, जो मैं आपसे बार बार मिल रहा हूँ. मैडम ने हंस कर मेरा नाम पूछा और मेरे बारे में पूछा. मैंने उन्हें सब बताया तो उन्होंने मेरा नम्बर माँगा.
अगले दिन जब मैं अपनी जॉब पर था तब एक अंजान नम्बर से कॉल आई. मैंने कल रिसीव किया, सामने से बहुत मधुर आवाज़ आई, ये किसी लड़की की आवाज थी. उन्होंने अपना नाम नेहा बताया. मैंने कहा- मैंने आपको पहचाना नहीं. तब वो बोलीं- अभी एक दिन भी नहीं बीता और भूल गए.
फिर मैंने उन्हें पहचान लिया, उन्होंने मेरा हालचाल पूछा और हम दोनों ने करीब बीस मिनट तक बातें कीं. इसके बाद उन्होंने कहा- आज आप मेरे घर रात खाना खाने के लिए आइए. मैंने उन्हें मना किया, तो उन्होंने कहा-आपको मेरी दोस्ती अच्छी नहीं लगी शायद? मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, मैं आ जाऊंगा.
तब उन्होंने मुझे अपना पता दिया और फ़ोन रख दिया. शाम को करीब सात बजे मैं उनके घर गया, डोर बेल बजाई तो मैडम ने दरवाजा खोला. मैं मैडम को देखता ही रह गया. उनके खुले बाल थे, वो गुलाबी रंग की कसी लैगिंग्स और शार्ट कुर्ते में थीं.
तभी उन्होंने मुझसे हाथ मिला कर मेरा स्वागत किया, घर के अन्दर पहुँच कर उन्होंने एसी चालू किया. फिर मुझसे पूछा- आप क्या लेंगे? तब मैंने कहा- जो आप पिलाएंगी. उन्होंने मेरी तरफ़ तिरछी नजरों से देखा और कहा- आपका क्या पीने का इरादा है? जवाब में मैंने भी उनकी आँखों में झाँक कर कहा- आप जो भी पिलाएंगी, मैं पी लूँगा.
उन्होंने हंस कर अपने कदम किचन की तरफ बढ़ा दिए. दो मिनट बाद मैडम ने चाय लाकर मुझे दी और खुद भी मेरे साथ बैठ कर चाय पीने लगीं. फिर मैडम ने अपने बारे में बताया, मैंने उनके पति के बारे पूछा, तो बताया कि वो बहुत बड़े बिजनेस में हैं और अक्सर बाहर रहते हैं.
मैडम के साथ यूं ही बात करते करते रात के नौ बज गए थे. उन्होंने खाना लगाया और हम दोनों ने साथ खाना खाया. खाना खाते वक्त वो अपने पैर से मेरे पैर को टच कर रही थीं, मुझे भी अच्छा लग रहा था. मैंने कुछ नहीं कहा, हमारा डिनर पूरा हुआ.
तब मैडम ने मुझसे कहा- आज की रात यहीं रुक जाओ. मैंने मना किया, पर उन्होंने बहुत ज़िद की तो मैं रुक गया. उन्होंने मुझे अपने पति के नाइट वियर दिए, मैंने वो पहन लिए और खुद कमरे में जाकर नाइट गाउन काले रंग का पहन कर बाहर आ गईं.
फिर हम लोग बातें करने लगे, वो अपने बारे बातें करते करते अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने लगीं और बात करते करते रोने लगीं. मुझे भी उनका रोना देखकर अच्छा नहीं लग रहा था. मैंने उन्हें संभालने की कोशिश की तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगीं. मुझे भी अजीब सा लग रहा था और उनका लिपटना अच्छा भी लग रहा था. मैं गर्म होने लगा था.
वो बोलीं- प्लीज अमित, आज मुझको खुश कर दो.. मैं प्यासी हूँ बहुत दिनों से. तभी उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अब मेरा एक हाथ उसकी टांग पर था और सहला रहा था. वो मेरे होंठों को चूस रही थीं. मेरा एक हाथ उनकी टांग सहला रहा था और दूसरा उनके वक्ष पर था. उनके स्तन बहुत बड़े थे, जिनको दबाने बहुत मजा आ रहा था.
वो धीरे धीरे सोफे पर ही थोड़ी सी लेट गईं. मैंने उनके गले और छाती पर चूमना शुरू कर दिया और मेरा हाथ उनके गाउन के अन्दर जाने लगा. जल्दी ही मेरा हाथ उनकी चिकनी टांगों से होता हुआ उनके नितम्बों पर जा लगा. बहुत चिकना शरीर था उनका.. एक भी बाल नहीं था. अब मैं उनके नितम्बों को सहला रहा था. वो जल्दी से मेरी टी-शर्ट उतारने लगीं.
मैंने उनको सोफे पर थोड़ा सा और लिटाया और उनका गाउन थोड़ा सा ऊपर कर दिया. अब मेरे सामने उनकी काले रंग की पेंटी थी, जिस पर एक छोटा सा गीला धब्बा था. मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया, जिससे वो सिहर उठीं. अब मैंने उनकी टाँगें थोड़ी और चौड़ी की.. ताकि मेरा मुँह उनकी चूत तक जा सके.
मैंने उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब तक वो भी बहुत उत्तेजित हो गई थीं और मेरा सर दबा के अपनी चूत पर रगड़ सुख ले रही थीं. वो बोलीं- अब मेरा जिस्म तुम्हारा है.
मैडम अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थीं और ‘आआहह आ आआ आह आहहहह हहह.. आईई उह..’ जैसी आवाजें निकाल रही थीं.
इसके बाद उन्होंने उठ कर मेरी पैंट उतार दी और मेरी चड्डी भी नीचे कर दी. मेरा तना हुआ लौड़ा खड़ा होकर उनकी जवानी को सलामी दे रहा था. उन्होंने मेरा लौड़ा हाथ में लिया और उसको चूमने लगीं. मुझको जन्नत का अहसास हो रहा था. तभी उन्होंने मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसको ऐसे चूसना शुरू कर दिया, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप खा रहा हो. मुझको बहुत मजा आ रहा था और मैं भी अपनी कमर हिला हिला के अपना लौड़ा उनके मुँह में डाल रहा था.
थोड़ी देर में मैंने उनको उठाया और उनका गाउन उतार दिया. मेरे सामने उनके दोनों मम्मे ब्रा की कैद से आजाद होने को तैयार थे. मैंने उनकी पीठ पर हाथ रख कर उनकी ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा हटते ही मैडम के अड़तीस इन्च के दूध मेरी आँखों के सामने फुदकने लगे थे. मैडम के भरे-पूरे स्तन और उस पर अंगूर जैसे लाल लाल चुचूक, उनकी शोभा बढ़ा रहे थे. मैं थोड़ी देर तक उनको मसलता रहा, फिर मैंने मैडम के चुचूक अपने मुँह में ले लिए और उनको पीने लगा.
मैडम के स्तन चूसते चूसते ही मैंने उनकी लटकती ब्रा को उनके जिस्म से अलग कर दी. अब उनके जिस्म पर सिर्फ एक काले रंग की पेंटी थी और उसके गोरे रंग के कारण वो किसी संगमरमर की मूरत जैसी लग रही थीं. उनकी चूत भी फूल गई थी और उसका आकार मुझको उसकी पेंटी के ऊपर से नज़र आ रहा था.
मैंने तुरंत ही उनकी पेंटी भी उतार कर अलग कर दी. अब हम दोनों एकदम नंगे थे, मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ से उनकी चूत को चाटने लगा. मैडम के मुँह से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थीं. मेरी जीभ मैडम की चूत को चाट रही थी और उनकी चूत में अन्दर बाहर हो रही थी. मैडम की हालत देख कर साफ़ पता लग रहा था कि उनको इसमें बहुत मजा आ रहा है. दो पल बाद उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, जो मैं चाट रहा था.
अब हम लोग 69 की पोजिशन में आ गए. मेरा मुँह मैडम की चूत पर और उनके मुँह में मेरा लौड़ा था. वो बहुत ही प्यार से मेरा लौड़ा चूस रही थीं. अब हम लोग अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर पा रहे थे. वो तो ऐसे लंड चूस रही थीं, जैसे जाने कितने दिन से प्यासी हों.
उसके बाद मैडम ने मुझे बेडरूम में चलने के लिए कहा. मैं उनके साथ बेडरूम में आ गया. वह बिस्तर पर मेरे पास आकर बैठ गईं और हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे. फिर मैं उनके चिकने और एकदम गोरे मम्मों को दबाने लगा. वो वाक़यी जबरदस्त बदन की मालकिन थीं. उन्होंने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं और अपने हाथों से मेरा लंड ढूँढ रही थी. मैंने उसको अपना लंड पकड़ाया और वो लंड सहलाने लगीं. मैं उनके बालों में हाथ फिराते हुए कभी उनके होंठों पर चूमता, तो कभी उनकी मदभरी चूचियां को काटता और चूसता.
तभी मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपनी दो उंगलियां मैडम की चूत में डाल दीं, तो उन्होंने चिहुँक कर अपनी आँखें खोल दीं और एक ज़ोर की सीत्कार के साथ फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं.
मैं अब उठा और बिस्तर के किनारे पर बैठ कर उनसे अपना लंड चूसने के लिए कहा. उन्होंने भी बिना देर किए एकदम से मेरा सुपारे को चाटना शुरू कर दिया. फिर उसके बाद मैडम ने अपना मुँह खोल दिया और पूरे लंड को गले तक लेकर चूसने लगीं.
क़रीब दस मिनट तक चूसने के बाद मैंने उनकी चूत को फिर से चाटना चालू किया.
फिर मैडम कहने लगीं- अब जल्दी से मुझे चोद दो.. मुझसे और सहन नहीं होता. तो मैंने बिना देर किए उन्हें चित लिटाया और उनकी चूत पर अपने लंड का सुपारा रगड़ने लगा. वो कहने लगीं- प्लीज़ जल्दी करो ना..
पर मैं तो अपना सुपारा रगड़े जा रहा था, क्योंकि दोस्तो, लड़की को जितना अधिक तड़पाओगे, उसे उतना ही मज़ा आएगा. उसे मजा देना ही हमारा काम होता है.
खैर.. फिर मैंने मैडम की टाँगें फैलाईं और अपना लंड उनकी चूत में एक ही धक्के में घुसा दिया. वो चीखने-चिल्लाने लगीं और कहने लगीं- जल्दी बाहर निकालो इसे.. नहीं तो मेरी जान निकल जाएगी. मैंने उनसे कहा- क्यों मैडम जी, बहुत दर्द हो रहा है? तब उसने कहा- प्लीज़ मुझे मैडम जी मत कहो.. अपनी नेहा जान कहो प्लीज़.
शायद उसका पति उसे बहुत कम चोदता था या फिर उसका लंड बहुत छोटा था.
मैंने थोड़ी देर रुकना ठीक समझा. कुछ ही पलों के बाद जब नेहा मैडम अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर धक्के देने लगीं तो मैं समझ गया कि उनका दर्द कम हो गया है. फिर मैं और ज़ोर से मेरा लंड उनकी चुत में पेलने लगा.
क़रीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब मुझे लगा कि मैं अब छूटने वाला हूँ तो मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा. मैडम घोड़ी बन गईं और मैंने उनके पीछे आकर पूरी ताक़त से धक्का लगाया तो वह कहने लगीं- प्लीज़.. धीरे करो.. दर्द हो रहा है. पर मैं रुका नहीं और लगातार धक्के मारता गया, साथ ही चूचियों को भी दबाता जा रहा था.
तभी वह चिल्ला उठीं- आ.. आआ.. आहहहह.. मैं गई.. और तेज़ करो. पर कुछ देर रुक जाने की वजह से मैं अब ख़ुद पर नियंत्रण पा चुका था और लगातार चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर के बाद वह कहने लगीं- अब मुझे छोड़ दो, जलन हो रही है, मैं दो बार छूट चुकी हूँ. मैंने कहा- पर अभी मेरा तो बाकी है. उसने कहा- प्लीज़ थोड़ी देर बाद कर लेना.
बस पाँच मिनट रुककर मैंने फिर से मैडम की चुदाई चालू कर दी. अब मेरा भी होने को आया था, मैंने नेहा मैडम से पूछा- कहां निकालूँ? तो उन्होंने कहा- बहुत दिनों से प्यासी इस चुत को भर दो.
तब मैंने अपने आपको उसकी चुत में ही खाली कर दिया. हम दोनों आपस में चिपट कर थोड़ी देर पड़े रहे.
थोड़ी देर आराम करने के बाद नेहा मैडम फिर से मेरे लंड से खेलने लगीं. तब मैंने कहा- क्यों जी नहीं भरा अभी? उन्होंने कहा- आज पूरी रात यह मेरा है.. मेरी मर्ज़ी जैसे चाहूँ खेलूँ. तो मैंने कहा- अब यदि तुम्हें दिक्क़त न हो तो गांड में कर लूँ? वह कहने लगीं- नहीं, मैंने कभी गांड नहीं मरवाई. मैंने उन्हें जोश दिलवाते हुए कहा- एक बार मरवा लो, फिर गांड ही मरवाने के लिए बुलाया करोगी. उन्होंने कहा- आज नहीं.. फिर कभी मार लेना.. आज मेरी चुत को ही शांत कर दो. मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.
बस फिर से हमारी चुदाई चालू हुई. उस रात चार बार चुदाई के बाद हम लोग सो गए.
सवेरे आठ बजे मुझे मैडम ने जगाया, मैं बाथरूम जाकर अपना काम निबटा ही रहा था कि वो सारे कपड़े निकाल कर बाथरूम में घुस आईं. हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया, फिर वहीं बाथरूम में एक बार और जोरदार चुदाई हुई.
इसके बाद बाहर आकर मैंने कपड़े पहने, चाय पी और जाने को निकला ही था कि वो मुझसे पीछे से आकर चिपट गईं और रोने लगीं. मैडम ने कहा- आज मैं बहुत खुश हूँ. उन्होंने मुझे लंबी किस दी और कुछ रुपये निकाल कर मुझे देने लगीं. मैंने लेने से मना किया और उधर से चला गया.
उसके बाद उन्होंने मुझे अपनी दो सहेलियों से भी मिलाया. उनके साथ भी बहुत मस्ती से चुदाई का मजा आया. एक सहेली ने तो अपने पति के साथ भी चुदवाया.. मतलब थ्री-सम करवाया. थ्री-सम में तो बहुत मज़ा आया था.
दोस्तो, मेरी यह रियल कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके बताइए. आपके मेल का इंतजार रहेगा. मेरा मेल आईडी है. [email protected]
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