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दोस्तो, मैं बैडमैन एक बार फिर से आप लोग के सामने कहानी पेश कर रहा हूँ, मेरी पिछली कुछ कहानियां जो प्रकाशित हुई है उसके आप सभी के ढेर सरे मेल मुझे मिले उसके लिए आभारी हूँ, अब तक मेरी आखिरी कहानी बॉयज होस्टल में गर्लफ्रैंड का प्यार थी, उन ढेर सारे मेल में से एक भाभी का मेल भी आया, नाम चलो मधु रख लेते हैं. सही नाम नहीं बताना चाहिए, शायद उनको बुरा लग जाए.
मधु बड़ी ही कामुक भाभी है, 36 बरस की उमर, चौड़ा माथा, गोल चेहरा, गोरा रंग, 5’2″ का कद 32″ के चूचे, 28″ की कमर 36″ की गांड। बड़ी दिलकश अंदाज है उनका, नाक के पास एक मस्सा है जो चेहरे खूबसूरत बना देता है.
तो बात ऐसी हुई कि मधु ने मुझे मेल किया, उसे मेरी स्टोरी पसंद आयी थी. उसने मुझे बताया कि वो मेरे साथ मस्ती करना चाहती है पर मेल में, न ही कभी मोबाइल नं बताएगी न ही मैसेज करेगी. मैंने भी सोचा कि ‘चलो यार, फ्री में टाइम पास करना चाहती है करने में क्या जाता है.’
आखिरकार बात करते करते हम दोनों ने फोटो एक्सचेंज करी, उसे मैं कैसा लगा नहीं पता, पर मुझे तो वो सेक्स बम लग रही थी, फिर हम दोनों ने बात जारी रखी.
एक दिन मैंने उसके घर का पता पूछ लिया और मैडम ने बता भी दिया. फिर क्या था, मैंने बिना उसे बताये उसके शहर पहुँच के डेली रूटीन में मेल किया और पूछा- कहाँ हो? तो वो बोली- मैं अपनी किराना दुकान में हूँ. उससे पूछने पर पता चला कि उसके पति किसी की शादी में अमरावती गए हुए हैं, 2 दिन में आएंगे.
तो मैंने भी सोचा कि यह भी अच्छी रही, 2 दिन फुल मस्ती करने का जुगाड़ लग सकता है. मैं तो सिर्फ भाभी को देखने और मिलने आया था. यह वही बात हो गयी ‘अंधे को क्या चाहिए 2 आँखें! बातों बातों में मैंने उसकी दुकान का पता ले लिया और उसकी दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया. शाम के 4 बज रहे थे, मैं दुकान के दूसरी तरफ खड़े खड़े उसे बहुत देर तक निहारता रहा.
फिर जब दुकान से जब भीड़ कम हुई तो मैंने जाकर उससे कहा- कंडोम है क्या? उसने बिना मुझे देखे पूछा- कौन सा फ्लेवर चाहिए? तो मैंने तपाक से बोला- जो थारे को भावे वही मने भी दे दे!
इतना कहते ही उसने मुझे पहचान लिया, क्योंकि उसकी शर्त थी कि मेल में मेरे से मारवाड़ी में बात करेगा तो ही बात करुँगी। तो वही मैंने वही वहाँ भी किया और उसने मेरी बात से झट से मुझे पकड़ लिया और मुझे देख कर आश्चर्य चकित हो गयी और बहुत खुश हुई.
फिर उसने मुझे पानी पिलाया और मैं उसकी दुकान में मदद करने लगा, बार बार मैं उसको छूता, कभी चुचे दबा देता, कभी गांड को हाथ दबाता कभी उसमे लंड लगा देता, रात में 8:30 बजे हम लोग दुकान मंगल करके घर चले गए. उसने कहा- तुम्हें महक लग गयी थी क्या कि मेरा पति आज घर में नहीं है? मैं बोला- भाभी, मालूम होता तो सुबह ही आ जाता और एक बार तुम्हारे साथ भरपूर मस्ती कर के चलते! वैसे तुम क्यों नहीं गयी शादी में? तो उसने कहा- तबियत थोड़ी ठीक नहीं थी और दुकान में भी कोई नहीं था तो नहीं गयी.
फिर उसने कहा- तुम्हारे पास कल रात तक का समय है, रात को 2 बजे गाड़ी है जो तुम्हें समय से नागपुर पहुंचा देगी। मैं बोला- ठीक है, मेरी भाभीजाण एक बार थारे को गले तो लगाण दे, 1 महीने से घणी उतावरो कर री हे बर्दास्त होवे कोणी! बोल कर मैंने उसको अपने सीने से चिपका लिया और उसकी कुर्ती के अंदर हाथ डाल कर उसकी पीठ को सहलाने लगा, उसके चुचे मेरे सीने से रगड़ खाकर कड़े होने लगे थे.
गर्मी का मौसम था तो दोनों को पसीना भी आने लगा था, मैंने उसके गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख कर चूमना शुरू कर दिया और मधु भी मेरा साथ देने लगी. 5 मिनट चुम्बन करने के बाद मैंने उसे छोड़ा तो वो एकदम से गदरा गयी थी, नशीली आँखें होने लगी और फिर से मुझसे चिपक गयी.
तो मैंने उससे पूछा- तुम्हारे दोनों बच्चे कहाँ हैं? उसने बतय- दोनों दादी वाले हैं, तो साथ में शादी में गए हुए हैं.
तो फिर मैंने उसे पकड़ के अपनी तरफ खींचा और उसकी गांड पकड़ के दबाने लगा, मधु ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया.
फिर हम दोनों ने मिल कर खाना बनाया, खाना बनाते बनाते हम दोनों पसीने से भीग गए थे तो दोनों ने अपने ऊपर के कपड़े उतार दिए थे, खाना बनते बनते तक भाभी गुलाबी ब्रा और गुलाबी कट पैंटी में थी और मैं भी सिर्फ अंडरवियर में था, फिर भी हम दोनों शरीर से पसीना बह रहा था. तो मैंने मस्ती के लिए उसकी पीठ का पसीना उसकी गांड के ऊपर से चाटना शुरू किया और उसकी पीठ तक पहुंचा तो पीठ में ब्रा की स्ट्रिप फंसी तो मैंने उसके ब्रा को उतार कर अलग कर दिया. अब कोई बाधा नहीं थी, मैं उसके पीठ में किस करता, कभी जीभ से चाटता और वो गर्म होती जाती!
फिर मैं उसको पीछे से गले लगा कर खड़ा हो गया और उसको मचलती गांड में अपना लंड रगड़ने लगा, उसके मुँह से आह उम्म्म … की आवाजें आने लगी, रोटियां जलनी शुरू हो गयी. तो उसने मुझे धक्का दिया और रोटी बनाने लगी. कसम से हम दोनों के चिपकने से बीच में जो पसीने की धार लगी वो उसकी गांड और मेरे लंड में घुस रही थी जो हम दोनों को कामुक बनाने का काम कर रही थी।
जैसे ही मधु ने खाना पूरा बनाया और चौका समेटा, मैंने प्लेटफार्म में जगह बना कर वहीं पर उसे बिठाकर उसके लिप्स को किस करने लगा और उसकी पैंटी में हाथ डाल उसकी चूत में उंगली करने लगा. वैसे तो उसकी चूत गीली थी पर फिर भी सुखी लग रही थी, उसने बोला था कि उसकी चूत को गर्म करना कोई आसान काम नहीं है. जैसा कि उसको यकीं था वैसा ही हुआ, उसकी चूत गर्माने लगी, मेरी उँगलियाँ अपना काम करने लगी थी, पर वो बात नहीं बन रही थी.
कुछ औरतों को लंड देखे बिना चूत गीली नहीं होती. तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल के उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसके बूब्स चूसने लगा, एक हाथ उसकी चूत में था और एक हाथ से उसके चूचक मसल रहा था. दस मिनट की मेहनत के बाद उसकी चूत का पानी रिसने लगा और उसके लंड हिलाते हिलाते मेरा भी लंड उसके हाथ में छूट गया, मैं झट से उसकी चूत में मुँह लगा कर उसके चूत का पानी चाट गया, दोनों का पानी निकल जाने के कारण थोड़ा थक गए थे. फिर हम दोनों ने मस्त घड़े का ठंडा पानी पिया.
इसके बाद मैं मधु को उठा कर बाहर डाइनिंग टेबल पर ले गया. वहां पर मैं उसे लेटा कर उसकी चूत में अपनी जीभ से गुदगुदी करने लगा. मधु की चूत फिर से पनियाने लगी और वो जोर जोर से मेरा लन्ड पकड़ के मसलने लगी और बड़ी ही कामुक आवाजें निकालने लगी. मैं लन्ड छुड़ा के उसकी चूत में अपनी जीभ डाल के जीभ से चुदाई करने लगा और उसके ऊपर घोड़ा बन कर बैठ गया, जिससे वो मेरे लन्ड को पकड़ के मुंह में लेने की कोशिश करने लगी और हम दोनों 69 पोजीसन में एक दूसरे के जननांगों को मुंह में भर कर बड़ी ही कामुकता से चूस रहे थे।
मधु ने मेरे लन्ड को चूस चूस के लाल कर दिया था और मैंने उसकी चूत की भगनासा को चूस चूस के टाइट कर दिया था।
हम दोनों थक चुके थे, मैं टेबल से नीचे उतरा और मधु के दोनों पैर अपने कंधों पर रख कर उसकी चूत में लन्ड एक झटके में घुसेड़ दिया। रोज पति से चुदवाने के कारण वो चिल्लाई तो नहीं पर मुझे थोड़ा सा दर्द जरूर हुआ. 2 साल के बाद जो किसी की चूत में लन्ड जा रहा था.
मैं मधु को बिना स्पर्श किये, उसकी सिर्फ टांगें मेरे कंधों पर चढ़ी थी और मैंन कहीं बिना टच किए उसकी चूत में लन्ड अंदर बाहर कर रहा था. उसकी छूने की इच्छा और मेरे तड़पाने का अंदाज उसे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
शायद चुदाई के समय लड़की को गले लगाने या उसके बूब्स दबाने से उसे आराम मिलता या उस संतुष्टि का अनुभव होता है. पर दूर रहने से उत्तेजना पागलपन में बदलने लगती है. वही मधु के साथ हो रहा था, मेरे न छूने से वो पागल सी होने लगी और मुझे गालियां देकर अपनी उत्तेजना दिखाने लगी- काईं कर रेया है कुत्तो सालो, चोद मन्ने, थारे लन्ड ने और अंदर डार, घणो मज़ो आ रियो हे, चोद मने आज चोद चोद ने म्हारी चूत ने सूजा के दोगुणी कर डार।
यहां मैं उसकी गालियों का मज़ा ले रहा था और उसकी चुदाई करता रहा. उसकी गालियों से खुश होकर मैंने उसके चुचे को दबाना शुरू किया तो मधु ने अपने पैर नीचे किए और मुझे पकड़ के अपनी तरफ खींच के गले लगाया और जोर से भींच के अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मधु की कामवासना इतनी बढ़ गयी थी कि उसने मेरी पीठ में नाखून गड़ा दिए. चूत के लावा की गर्मी और नाखून की चुभन से मेरा भी लावा फूट पड़ा. मेरी पीठ पर थोड़ा सा खून निकला पर परम आनंद की अनुभूति हो रही थी, पर मन नहीं भर रहा था.
5 मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनों उठे और बाथरुम में चले गए. गर्मी का मौसम था, खाना बनाने और सेक्स की गर्मी ने पसीने से तरबतर कर हो गए थे, मधु के बाथरूम में हम दोनों ने साथ में फुहारे का मज़ा लिया और एक दूसरे को सहला सहला के नहलाते रहे.
नहा के आए तो लगभग 11:30 बज़ गए थे, हम दोनों ने ऐसे ही नंगे डाइनिंग टेबल में बैठ कर खाना खाया. खाने के बीच में कभी वो पैर से मेरे लंड को दबाती तो कभी मैं अपने पैर के अंगूठे को उसकी चूत में डालता.
फिर मैंने दही उठाई और अपने लंड में गिरा के मधु को चाटने को बोला तो वो लपक के लंड चाटने लगी. मैं ऊपर से थोड़ी थोड़ी दही डाल रहा था और वो बड़े मज़े से चाट रही थी. फिर मैं उसकी गोद में बैठ कर उसके चुचो पर दही डाल कर चाटने लगा, गजब का टेस्ट आ रहा था. मैंने दही को नाभी तक बहने दिया, फिर नीचे से ऊपर तक चाटते हुए उसे गर्म करने लगा. नतीजा यह हुआ कि उसके हाथ मेरे लंड पर थे.
हमने खाना पूरा खाया और मैंने उसको बोला- अगर और एन्जॉय करना है तो बादाम किशमिश वाला दूध बना लो, इससे ताकत आएगी और सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आएगा।
रात के लगभग 12:30 बजे मधु सारा काम ख़त्म करके लार्ज साइज दूध के गिलास भर के ले आयी. तब तक मैं थोड़ा लेट गया था और नींद लग गयी. जब उसने मुझे उठाया तो मैं खुद को बिस्तर से बंधा हुआ पाया, मधु ने मेरे दोनों हाथ, दोनों पैर बिस्तर के चारों तरफ बांध दिए थे. वो बोली- काईं बात हो गयी? छोरो बड़ी जल्दी थकन लागरी हे … अभी तो मस्ती करण नो टाइम शुरू होयो है!
चूँकि दूसरे दिन रविवार था तो दुकान जाने के जल्दी थी नहीं तो पूरी रात थी हमारे पास! पर रात भर का सफर और दिन भर की भाग दौड़ ने मुझे थका रखा था, और भाभी ने मुझे बांध दिया वो अलग इसलिए थोड़ा सुस्त था. वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और वो मेरे लन्ड को दूध के गिलास में डुबो डुबो के चाटने लगी, वो दूध क्या रबड़ी थी, उसमें मलाई के लच्छे थे. फिर मधु मेरे लन्ड पर वो मलाई गिरा के अंडों के पास से चाटने लगी. और अपने मुख में दूध भर के मुझे पिला देती.
कभी वो अपने चूचों को मेरे मुंह में डाल के ऊपर से दूध डालती और मुझे दूध पिलाती, फिर मेरे मुंह से दूध पी लेती. फिर उसने अपनी चूत को मेरे मुंह में लगाया और चूत पर दूध डाल कर पिलाने लगी. ऐसे करते करते आधे घंटे में दूध खत्म हुआ.
फिर मधु ने मेरे लन्ड को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया, न मैं हिल पा रहा था न उसको रोक पा रहा था, वो लगातार मेरे लन्ड और अंडों को काट रही थी और चूसे जा रही थी. फिर वो मेरे दोनों निप्पल्स में अपने दांत जोर जोर से गड़ाने लगी जैसे किसी चीज़ का बदला ले रही हो।
लगातार मेरे निप्पल्स को काटने और लन्ड को चूसने के कारण मेरी हालत खराब होने लगी।
फिर उसने मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे गले में और कान में काटना शुरू कर दिया, सब जगह मुझे काट काट कर अपने दांत के निशान छोड़ने लगी। मैं दर्द के कारण तड़पने लगा था.
उसके बाद मधु ने मेरे चेहरे पर बैठकर अपनी चूत मेरे मुंह में घुसा दी और अपनी गांड हिलाने लगी। मैं अपनी जीभ उसके चूत में डाल कर चुसाई का मज़ा दे रहा था पर मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और मधु आह सी सी की आवाज़ निकाल कर मज़े ले रही थी.
फिर उसने अपने दोनों हाथ पीछे लेकर मेरे लन्ड को टटोल कर लन्ड दबाने लगी और जोर की आवाज़ के साथ मेरे मुंह में झड़ गयी, मैंने उसकी चूत का पूरा पानी चाट चाट कर पी लिया।
इसके बाद मधु मेरी तरफ पीठ करके मेरे लन्ड पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी और चूत में लंड लेकर मेंढक की तरह गांड उठा उठा कर हिलने लगी. मेरा लन्ड से मानो खून बह निकलेगा, ऐसे दर्द दे रहा था क्योंकि मधु ने उसे काट काट कर सूजा दिया था।
5 मिनट इस स्थिति में चुदने के बाद लन्ड में बैठे बैठे मेरी तरफ मुँह कर के मेरे को आंख मार के बोली- और बोलो जनाब … घणो मज़ा आ रेया है ना … जे काईं और घणो मज़ो चाहिए। मैं बोला- हाथ पैर तो खोल दे … पूरे शरीर में आग लगी हुई है, तन्ने गले लगा कर ही ठंडी होवेगी।
तो उसने मेरे ऊपर लेट कर मुझे गले लगाकर अपनी गांड हिला कर फिर से चुदाई शुरू कर दी और बोली- ले लग जा गले! मैंने कहा- एक हाथ तो खोल दे! तो उसने एक हाथ खोल दिया.
मैंने देखा हाथ बुरी तरह नीला पड़ गया था, फिर मैंने अपना दूसरा हाथ खोला और उसको अपनी गोद में बैठा कर चोदने लगा, अब मेरी भी गांड बराबर हिल रही थी, अब मुझे ज्यादा मज़ा आ रहा था और उसे भी।
करीब 20 मिनट के इस पूरे खेल के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने मधु को अपने सीने में लेटा लिया. उसके बाद न जाने कब नींद लगी।
सुबह 5 बजे मुझे लगा कि कोई मेरा लंड पकड़ के हिला रहा है, मैंने देखा कि मधु मेरा लंड पकड़ के जोर जोर से हिला के चूस रही थी, मेरे पैर अभी भी बंधे हुए थे. तो मैंने अपने पैर खोले बाथरूम गया, मुझसे चलते नहीं बन रहा था.
बाथरूम से आया और मैं उसको 69 पोजीशन में लाया. अब हम दोनों एक दूसरे के जननांगों को चाट रहे थे. फिर मैंने मधु को अपने ऊपर लंड में बैठने के लिए बोला और उसके बूब्स दबाते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा, मधु भी उचक उचक के चुदाई का मज़ा ले रही थी और मैं उसके उछलते हुए चूचों को पकड़ कर दबाने की कोशिश में था.
थोड़ी देर में मधु थक गयी और मैं बिस्तर के सामने साइड में बैठ गया, मधु की पीठ अपनी तरफ करके उसे खड़ी किया और कहा- अब झुक के म्हारे लन्ड में बैठ! जैसे ही वो बैठ गयी तो मैंने उसके दोनों हाथ पीछे से पकड़ के उसे ऊपर नीचे होने के लिए बोला और चुदाई शुरू हो गयी। मधु ऊपर नीचे होती रही और अच्छी खासी कसरत भी होती रही!
3 मिनट के बाद वो थक गई, हमने ध्यान दिया कि अभी दूध का दूसरा ग्लास वैसे ही रखा है, तो हमने आधा आधा दूध फिर पिया और मैं मधु के ऊपर फिर से चढ़ गया, लंड पूरा अंदर तक डाल के फिर से चुदाई शुरू कर दी. मधु भी नीचे से कमर हिला हिला के मज़ा लेने लगी थी.
फिर मैंने एक तकिया उसकी कमर के नीचे रख दिया जिससे चूत थोड़ा और ऊपर आ गयी और चुदाई का मज़ा दोगुना होने लगा. मैंने उसके चूचों को पकड़ रखा था, उनको दबाते हुए चुदाई कर रहा था, अनोखा आनंद सा मिल रहा था. तभी उसने मुझे पकड़ के पूरा गले से लगा लिया और अपने दोनों पैरों से क्रॉस मुझे लॉक कर लिया. इससे अब हम दोनों एकदम आलिंगनबद्ध थे और मैं सिर्फ कमर हिला पा रहा था जिससे लंड अपना काम कर रहा था.
5-7 मिनट की चुदाई के बाद मेरा पूरा माल भाभी की चूत के अंदर था पर मैं वैसे ही मधु के ऊपर लेटा रहा. कब नींद लगी पता नहीं, जब नींद खुली तो 11:30 बज चुके थे, मैं भाभी के बिस्तर में अकेला नंगा पड़ा था, लंड आराम कर रहा था. पूरा बदन मधु के काटे जाने से दुख रहा था. मैं उठ के मूतने गया तो देखा कि भाभी नंगी किचन में चाय बना रही थी.
मैं आकर बिस्तर में बैठ गया. रात भर में 4 बार वीर्य गिरने का मतलब होता है लंड को शाम तक आराम करना चाहिए, तो हम दोनों साथ में नहाये, फिर नाश्ता करके मूवी देखने गए. रास्ते में मैंने 4 केले खाए जिससे शाम को लन्ड को ताकत मिले.
मूवी में बहुत से कामुक सीन थे, तो मैं मधु की लेगी में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा और ब्रा को अंदर ही उतार के उसके दूध दबाने लगा, मूवी में लगभग सभी कपल थे और सब अपने में बिजी थे और हम अपने में! फिर मधु वहीं नीचे बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी, 10 मिनट चूस के पूरा माल पी गयी और मेरे ऊपर चढ़ के मेरे मुंह में अपने दूध पिलाने लगी.
मूवी खत्म हुई तो हम पार्क में देर शाम तक टहलते रहे और ढेर सारी बातें करते रहे, कभी मैं उसके दूध दबा देता, कभी वो मेरे लन्ड को दबा देती. एक जगह बेंच पर बैठ कर एक दूसरे को किस करने में मशगूल थे. फिर लगभग 8:30 बजे हम घर आ गए.
चूँकि मुझे रात में 2 बजे बस पकड़नी थी तो दोनों ने मिल कर आमरस और रोटी बनायीं, फिर 10:30 बजे नहाने चले गए. साथ में नहाने का मज़ा ही अलग होता है, हम दोनों नंगे होकर साथ में नहाने चले गए, फुहारा चला कर दोनों एक दूसरे के बदन के साथ खेलने लगे, पानी की फुहार में धीरे धीरे मधु के बूब्स दबाने में जो मज़ा आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि हम जन्नत में हैं.
मधु ने मेरा लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी, मैंने नीचे बैठ के मधु की चूत चाटना शुरू कर दिया और मधु अपने दूध मसलने लगी. फिर मैंने मधु को दिवार के सहारे खड़ा किया और एक पैर को ऊपर उठा कर खड़े खड़े पीछे से लंड चूत में घुसेड़ कर चुदाई आरम्भ कर दी. 3-4 मिनट के बाद उसे सीधा करके सामने से पैर उठाया और चूत चुदाई शुरू कर दी, फिर दोनों पैर हवा में उठा कर अपनी कमर में क्रॉस करवा कर भीगी बरसात में चुदाई का मज़ा ले रहे थे. भाभी का पानी छूट गया और भाभी की गरमाहट ने मेरा भी पूरा माल उसकी चूत में गिराने पर मजबूर कर दिया.
आधे घंटे के इस पूरे खेल के बाद लगभग 11 बजे हम दोनों बाहर निकल गए और नंगे ही खाना खाने बैठ गए. सुबह नाश्ते के बाद और दिन भर के घूमने के बाद शाम को नहाते समय चुदाई से भूख दोगुना बढ़ गयी थी. खाना पीना कम्पलीट हुआ, फिर मधु मस्त दो गिलास बादाम और केशर वाला दूध पिलाई, हम दोनों ऐसे ही सोफे में बैठ के बात कर रहे थे.
कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत में उंगली की और वो मेरा लंड दबाने लगी. फिर एक राउंड हम दोनों लंड चूत चूसने का मज़ा ले रहे थे. एक एक बार झड़ने के बाद थकान लगने लगी. मैंने मधु को सोफे पर ही घोड़ी बनाया और उसकी चूत में पीछे से लन्ड डाल कर चुदाई करने लगा. मैं पूरा मधु को आलिंगन करके कुत्ते की भान्ति चोद रहा था और बड़ी बेरहमी से उसकी चूची और निप्पल को दबा दबा के मसल रहा था.
फिर मैं सोफे में बैठ कर मधु को अपने ऊपर बैठा कर नीचे से धक्के लगाने लगा और हम दोनों चुदाई का भरपूर मज़ा लेने लगे. तभी मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की सहेली नाज की चुदाई का स्टाइल याद आया और मैं मधु को जमीन में हाथ के बल खड़ा कर उसके दोनों पैर अपनी कमर में क्रॉस करवा के उसकी चूत में लन्ड डाल कर चोदने लगा. मधु 3-4 मिनट में ही थक के जमीन पर लेट गयी और मैं वैसे ही उसके ऊपर लेट कर मधु को चोदने लगा.
चुदाई के इस बार के खेल में मधु 3 बार झड़ चुकी थी पर मेरा लन्ड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. तो मधु ने लन्ड में शहद ला कर लगाया और चूसने लगी. 2 ही मिनट में लन्ड का पानी बाहर आने को हुआ तो मैंने लन्ड चूत में डाल कर पूरा पानी लन्ड में गिरा दिया और लन्ड डाले डाले उसके चूची को पकड़ के जोर से दबाते हुए काटने लगा और उसे तड़पाने लगा.
खेल पूरा होते होते 1:30 बज गए थे, मैंने फटाफट उसे किस किया और तैयार होने चला गया. और फिर घर से निकलते वक़्त उसके लिए लायी हुई आसमानी रंग की साड़ी उसको गिफ्ट करके टाइट गले लगाया और फिर से आने का वादा कर निकल आया.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी, आशा करता हूँ आप सब 2 बार जरूर झड़े होंगे. आप सब के मेल के इंतजार में। [email protected]
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