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मेरा नाम संजू है, दिखने में मैं ठीक हूँ.. स्लिम बॉडी है. मैं इस साइट पर 3 सालों से कहानियां पढ़ रहा हूँ. मैं अपने जीवन की पहेली सेक्स कहानी की बात रहा हूँ. यह सेक्स कहानी 2012 की है.. व मेरी और मेरे पड़ोस की भाभी की है. पहले मैं आपको मेरे बारे बताता हूँ.
मेरे कॉलेज का ये लास्ट ईयर था. मैं अपनी पढ़ाई में बिजी था. मैं बहुत शर्मीला लड़का हूँ और मैं किसी से ज्यादा बात भी नहीं करता था.
मेरे पड़ोस में एक कपल रहने आया. इस फैमिली में हस्बैंड वाइफ और उनकी एक 3 साल की लड़की थी. मेरी पड़ोसन भाभी बहुत अच्छी दिखती थीं, उसे देख कर लंड खड़ा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. मुझे वो बहुत पसंद थीं, पर वो किसी से बात नहीं करती थीं और मैं भी शर्मीला था.
एक दिन मैं पढ़ाई कर रहा था, तो एक छोटा बेबी आया और बोला कि भाभी आपको बुला रही हैं. मुझे यकीन नहीं हो रहा था. मैं उनके पास गया तो उनका सीडी प्लेयर नहीं चल रहा था. मैंने चैक करके ठीक किया और चला गया. क्योंकि उनके सामने मेरी आवाज भी नहीं निकल रही थी.
दूसरे दिन मैं कॉलेज से आया तो वो मेरे घर पर मेरी माँ से बात कर रही थीं. उन्होंने मुझे आया देखा तो हैलो बोल कर चली गईं.
ऐसे ही कई दिन निकल गए.
एक दिन मैं कहीं बाहर जा रहा था तो भाभी ने आवाज देकर मुझे अपने पास बुलाया और बोलीं कि उनको फोन रिचार्ज करवाना है. मैं हामी भर दी, तो भाभी ने अपना नंबर मुझे दिया और पैसे दिए.
मैंने मोबाइल शॉप पर जाकर भाभी का फोन रिचार्ज करवा के उनके नंबर पे कॉल करके पूछा कि रिचार्ज आया कि नहीं? तो भाभी हां बोलीं. मैंने फोन काट कर अपने मोबाइल में उनका नंबर सेव करके रख लिया. मुझे बहुत मन होता था कि उनसे बात करूँ, पर मुझे डर लगता था.
दो हफ्ते ऐसे ही चले गए. भाभी के पास भी मेरा नम्बर जा चुका था, इसलिए एक दिन उनका कॉल मेरे मोबाइल पर आया. भाभी बोलीं कि मुझे तुमसे काम है. मैंने ओके बोला. मैंने उनके पास जाकर जाना तो मालूम हुआ कि उनकी कोई पैसे की दिक्कत थी. मैं भाभी की हेल्प कर दी. इसके बाद से उनकी और मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी.
मेरी उनसे बातचीत होने लगी, हम दोनों फ़ोन पर भी चैट करने लगे. मेरा दिल कर रहा था कि कब भाभी को चोदने का मौका मिले.
आखिर वो दिन आ ही गया. मैं उनके घर पे गया तो वो नहा रही थीं. मैंने आवाज दी तो भाभी ने मुझसे बोला कि मैं नहा रही हूँ, तुम बाद में आना.
पर मैं नहीं गया, मैं उस वक्त उनके हॉल में था और मुझे सामने भाभी की पैंटी टंगी दिखी. मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी की पैंटी को सूंघने लगा और चाटने लगा. दो मिनट बाद मुझे होश आया तो मैं भाभी की पैंटी को छोड़कर वहां से चला गया. पेंटी चाटने की वजह से वो थोड़ी गीली हो गई थी. मैं थोड़ा डर भी गया था.
अगले 2 से 4 दिन तक मैं उनके घर नहीं गया और न ही उनसे आँखें मिला पाया.
कुछ दिन बाद भाभी ने मुझे कॉल करके बुलाया, मेरी गांड फट गई. फिर भी मैं हिम्मत करके भाभी के घर चला गया. भाभी मेरी सोच के विपरीत नार्मल थीं. उन्होंने मुझसे हंस कर बात की और वो मेरे लिए चाय बनाकर लाईं.
जब वो मुझे चाय देने झुकीं, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं, क्या बूब्स थे भाभी के.. आज उनके गहरे गले वाले ब्लाउज से भाभी के दूध मानो छलके पड़ रहे थे. ये बात भाभी ने भी नोटिस कर ली कि मैं क्या देख रहा हूँ. फिर भी भाभी कुछ नहीं बोलीं.
जब वो रसोई में जा रही थीं तो भाभी की गांड जबरदस्त हिल रही.
अब मेरे से कंट्रोल नहीं हो रहा था, पर डर लग रहा था. मैं बस उनकी सोच में ही पड़ा. मैं इतना मदहोश हो गया था कि मुझे रसोई से भाभी की आती आवाज भी सुनाई नहीं दी.
जब भाभी रसोई से हॉल में वापस आईं तो मुझसे कहने लगीं- कहां गुम रहते हो.. मैं जब से तुमसे कुछ पूछ रही थी.
मैं अचकचा गया. मैंने भाभी से सॉरी बोला तो भाभी पूछने लगीं- आज कल आते भी नहीं हो, कोई गर्लफ्रेंड पटा ली क्या? तो मैं बोला- भाभी, मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहां कि मुझसे कोई लड़की पट सके. भाभी हंस कर बोलीं- आजकल की लड़कियों को तुम्हारे सरीखे लड़के ही पसंद आते हैं.
ये सब बात करते समय मेरी नजर भाभी के मम्मों पे ही टिकी थी. भाभी के मम्मे मुझे पागल कर रहे थे. मैं बोला- भाभी ये सब बोलने की बातें हैं, ऐसा कुछ नहीं होता. भाभी अब भी मेरी नजरों को ही ताड़ रही थीं, तब भी वे न तो अपने पल्लू को ठीक कर रही थीं और न ही मुझे कुछ कह रही थीं. तब मुझे लगा कि कुछ काम बन सकता है. मैंने उनसे पूछा कि भाभी आपको कैसे लड़के पसंद हैं?
मैं सोच रहा था कि शायद इस सवाल पर भाभी कुछ भड़क जाएंगी क्योंकि वे तो शादीशुदा थीं. लेकिन मेरी सोच के विपरीत वो झट से बोलीं कि मुझे तो तुम्हारे जैसे लड़के पसंद आते हैं. भाभी के मुँह से ये सुनकर मैं शॉक हो गया. मैंने सोचा कि आज काम होकर रहेगा.
तब उन्होंने मुझसे मेरी चॉइस पूछी, तब मैं बोला कि छोड़ो भाभी जाने दो. लेकिन वो बहुत जोर दे रही थीं, तब मैंने उनसे बोल ही दिया कि आप गुस्सा तो नहीं होंगी ना? भाभी ने प्रॉमिस किया, तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर घुटने पे बैठे कर उनको आई लव यू बोल दिया.
इस पर भाभी कुछ बोल ही नहीं पा रही थीं, तो मुझे लगा कि उनको मेरी बात पर शायद गुस्सा आ गया होगा. तो मैं उनको सॉरी बोलकर निकलने लगा.
अभी मैं बाहर जा ही रहा था कि भाभी ने मुझे बुला कर मेरे गाल पर एक जोरदार झापड़ मारा. मैं सनाका खा गया. तभी भाभी हंस कर बोलीं- इतना बोलने के लिए कितने दिन लगा दिये. यह कह कर भाभी ने मुझे हग कर लिया. मैं भी भाभी के साथ चिपक गया और उनको चूमने लगा.
अगले दस मिनट में मैं भाभी के मम्मों को अपने हाथ में लेकर दबा रहा था, ब्लाउज के ऊपर से ही भाभी के चूचे चूस रहा था. मैंने भाभी से पूछा- आपको मैं पसंद था तो आप बोली क्यों नहीं? भाभी- मैं भी डर रही थी कि अगर तुझे अच्छा नहीं लगा तो क्या होगा? ये मुझे तब पता चला, जब तुमने मेरी पेंटी को चाट चाट के गीली कर दी थी. उसी दिन मुझको यकीन हो गया था कि तुम भी मेरे पीछे पागल हो.
भाभी की बात खत्म होते ही मैंने तुरंत उनको गोद में उठाया और उनके बेडरूम में ले गया. कमरे में आकर मैंने भाभी के सारे कपड़े उतार दिए.
इस वक्त वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थीं. मैं भाभी को टू पीस में देख देख कर पागल हो रहा था. मैं एक बार फिर से भाभी को लिप किस करने लगा. एक हाथ से भाभी के मम्मों को मसल रहा था और एक से पैंटी के ऊपर चूत को सहला रहा था.
बस 5 मिनट बाद ही मैंने भाभी की पैंटी निकाल दी. भाभी की बुर पर छोटे छोटे बाल थे, जिनको देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी को लिटा दिया और उनकी बुर को पागलों की तरह चाटने लगा. भाभी को चुत चटवाना अजीब सा लग रहा था. वो मुझे अपनी चुत से दूर कर रही थीं और बोल रही थीं कि ये सब मत करो, बहुत गन्दा होता है. मैंने उन्हें समझाया कि बुर चाटे बगैर चुदाई कभी पूरी नहीं होती.
भाभी को बहुत देर तक समझाने के बाद ही वो मान पाईं. बस मैं भाभी की बुर चाटने में लग गया. मैं अपनी जीभ को उनकी बुर में अन्दर तक डाल रहा था. मैं भाभी की बुर के दाने के साथ खेल रहा था. वो पागल हुए जा रही थीं, उन्होंने अपने दोनों पैरों से मेरे सर को जकड़ रखा था.
भाभी अपनी बुर पे मेरे सर को दबाते हुए बोल रही थीं- आई लव यू संजू.. पहली बार किसी ने मेरी बुर चाटी है.. भाभी चुत चुसाई से बहुत खुश थीं. दस मिनट बाद ही भाभी की चुत का पानी छूट गया था और वो थोड़ी शांत हो गई थीं.
फिर मैं उठा और अपना लंड भाभी के मुँह के पास ले गया. पर वो लंड मुँह में नहीं ले रही थीं. मैंने भाभी को बहुत समझाया, पर वो नहीं मानी. भाभी ने मेरे बहुत कहने पर इतना किया कि मेरा लंड हाथ में लेकर उससे खेलने लगीं. भाभी को मेरा लंड बहुत पसंद आया, क्योंकि लंड एकदम कड़क था और अपनी 6 इंच की लम्बाई लेकर पूरा तन्ना रहा था.
भाभी से भी अब रहा नहीं जा रहा था. वो अपने पैर खोल कर चुत फैलाए हुए लेट गई थीं और चोदने को बोल रही थीं. पर मुझे भाभी की गांड कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी, तो मैंने उनकी गांड के छेद पर जीभ लगा दी और भाभी की गांड चाटने लगा.
तो वो समझ गईं. वो मुझे लगातार नहीं नहीं बोल रही थीं, पर मैंने उन्हें समझाया और तेल की बोतल ला कर भाभी की गांड के छेद पे तेल को उंगली से डालने लगा. मेरे हौले से उंगली करने से भाभी को भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपनी गांड ढीली कर दी और मैंने देर न करते हुए अपने लंड पे तेल से मालिश करके भाभी की गांड के छेद पे सुपारा रख दिया.
मैंने एकदम से लंड न घुसाने का सोच रखा था. इसलिए मैं अभी भाभी के मम्मे सहला रहा और हल्के से दबा रहा था. भाभी की गांड के छेद पर सुपारा लगा हुआ ही था. जैसे ही भाभी ने छेद ढीला किया, मैंने मौका देख कर जोर का झटका दे दिया, मेरा 2 इंच लंड अन्दर चला गया.
भाभी की जैसे गांड फट गयी, वो चीख पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी आंखों से पानी निकल रहा था, वो बहुत गालियां बक रही थीं और मुझसे लंड निकालने को बोल रही थीं, पर मैं धीरे धीरे भाभी की गांड मारता रहा.
बस 5 मिनट बाद भाभी को भी मजा आने लगा था. वो भी गरम आवाजें निकाल कर चुद रही थीं और अपने पति को गाली भी दे रही थीं. भाभी बोल रही थीं कि साला भड़वा है.. मादरचोद मेरी चूत में लंड डाल कर खुद का पानी छोड़ कर अलग हो जाता है और मैं अधूरी ही प्यासी रह जाती हूँ. जब से तुमने सी मेरी पैंटी चाटी, तब से मैं तुमसे चुदवाना चाहती थी.
दस मिनट गांड रगड़ने के बाद मैं उसी की गांड में ही झड़ गया. ये मेरा पहला टाइम था इसलिए मैं जल्दी झड़ गया था.
झड़ने के बाद हम दोनों यूं ही एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. अब मैंने उनके दोनों पैर खोल कर उनकी बुर को 5 मिनट तक चाटा, फिर मैं लंड को उनकी बुर में डाल रहा था, पर जा नहीं रहा था. भाभी की बुर बहुत टाइट थी. मैंने थूक लगा कर चुत को चिकना किया और एक जोर का शॉट दे मारा. इस झटके में मेरा आधा लंड घुस गया, पर वो कुछ नहीं बोलीं. मैं जोर जोर से शॉट मारने लगा. वो भी गांड उठा उठा कर चुद रही थीं. पूरे रूम में फच फच आवाज आ रही थी.
करीबन 15 मिनट बाद वो थक गईं और बाहर निकलने को बोल रही थीं, पर मेरा अभी तक नहीं हुआ था. मैंने भाभी की बुर से लंड निकाल कर उनको उल्टा करके उनकी गांड में लंड डाल दिया. पांच मिनट फिर से गांड मारने के बाद भाभी की गांड में ही लंड का रस झाड़ दिया.
सच में भाभी की गांड बहुत अच्छी थी और ऐसे ही 2 सालों तक हफ्ते दो से तीन बार हमारी चुदाई हो ही जाती थी. जब भी मैं भाभी को चोदने जाता, तो उनकी गांड जरूर मारता, उनकी गांड अब बहुत बड़ी हो गयी थी. एक साल तक चुदाई के बाद भाभी बोली- मुझे तुमसे औलाद का सुख पाने की कामना है.
मैंने हामी भर दी और तीन महीने बाद वो प्रेग्नेंट हो गईं. उसके बाद चुदाई कम हो गई. डिलीवरी के लिए वो गांव चली गईं. गाँव से वो फिर कभी नहीं आईं. आज भी जब मुझे भाभी की याद आती है.. तो लंड खड़ा हो जाता है. अब भाभी का पति भी एरिया छोड़ कर चला गया है.
तब से लेकर आज तक मैं सिर्फ मैरिड औरतों को ही चोदना ज्यादा पसंद करता हूँ. कुंवारी लड़की मिली तो भी ठीक ही है, पर मजा चुदी चुदाई के साथ ज्यादा आता है. आपके मेल का स्वागत है. [email protected]
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