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“आहऽऽऽ… ओह… आहऽऽऽ… फक…फक मी हार्ड बेबी… डीप… डीप और अंदर… आहऽऽऽ” हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ बढ़ रही थी। मेरे मुँह से निकलती हुई कामुक सिसकारियाँ सुनकर उसने अपने धक्के और तेज कर दिए, उसके हर धक्के से मेरे स्तन ज़ोरों से हिलने लगे। मेरे हिलते हुए स्तनों को अपने हाथों में पकड़कर वह मेरी चुत में सटासट लंड के वार करने लगा। हम दोनों की मादक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थी, चुत लंड की आवाजें भी उनमें घुल मिल रही थी।
पिछले दस मिनट से वह मुझे ऐसे ही कूट रहा था, मैं अब अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी, उसकी पीठ को सहलाते हुए नीचे से कमर को हिलाते हुए उसका पूरा लंड चुत में ले रही थी। उसके मुख को देखते देखते अचानक मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी… दरवाजे पर मम्मी खड़ी थी। वो कब आयी … हमें पता ही नहीं चला, हमें उस अवस्था में देख कर ग़ुस्से से मम्मी का चेहरा लाल हो गया था। मैंने उसको धक्का देकर मेरे ऊपर से हटाया फिर चादर को अपने बदन पर लपेटकर सीधा बाथरूम में घुस गई।
मैं जाकर कमोड पर बैठ गयी, बाहर वह संकेत को … मेरे बोयफ़्रेंड को बहुत अपमानित कर रही थी। फिर उसके गाल पर दो चमाट मार कर उसको घर से बाहर निकाल दिया।
थोड़ी देर बाद डैड के बोलने की आवाज कानों में पड़ी, वे मम्मी को समझा रहे थे पर मम्मी उन पर ही चिल्ला रही थी। थोड़ी देर बाद उनकी आवाजें बंद हो गयी तो मैं बाथरूम में रखी नाईट ड्रेस को पहनकर बाहर आ गयी।
बाहर दोनों ही नहीं थे, शायद हॉल में गए होंगे, इसलिए मैं बेड पर बैठ गई। कुछ ही देर पहले इसी बेड पर मेरा बॉयफ्रेंड मुझे कूट रहा था और अब उसी बेड पर किसी अपराधी की तरह बैठी थी। हमेशा देर से आने वाली मम्मी और पापा आज जल्दी घर आ गए और मुझे उस अवस्था में देख लिया।
कुछ देर मैं वैसे ही रूम में बैठी थी फिर थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर जाने लगी। “किधर जा रही हो?” मम्मी ने मुझे पूछा। “तुमको क्या करना है?” मैं उससे आँखें चुराते हुए कार की चाबी लेने लगी। ‘चटाक… चटाक…’ मेरा जवाब सुनते ही उसने मेरे दोनों गालों पर ज़ोरों से दो चांटे जड़ दिए। “चाबी रखो नीचे और बैठो यहाँ!”
उनकी ऊंची आवाज सुनकर मैं थोड़ा डर गई, चाबी फिर से टेबल पर रख कर मैं अपने रूम में जाने लगी। “तुम्हें रूम में जाने को नहीं बोला, यहां बैठो!” उसके आवाज में गुस्सा साफ साफ झलक रहा था. मैं सहम कर वही बैठ गई।
“तुम कुछ बोलते क्यों नहीं विक्रम?” मम्मी ने पापा को बोला। “सुधा… हो गयी छोटी सी गलती बेटी से..” वे बोलते हुए रुक गए। “यह क्या छोटी गलती है… लड़कों को घर में बुलाकर गंदी हरकतें करती है… शर्म नहीं आई तुझे…” “गंदी हरकत नहीं की… वी आर इन रिलेशनसशिप सिन्स सिक्स मंथ!” मेरे गाल सहलाते हुए मैं ग़ुस्से से मम्मी को बोली। “कल कुछ हो गया तो कहाँ जाओगी… उसने तुम्हारी बदनामी की तो किसको मुँह दिखाओगी? कौन तुमसे शादी करेगा? “दैट्स नन ऑफ यूअर बिज़नेस, मैं मेरा देख लूंगी। तुम खुश रहो अपने पति के साथ, चाहो तो मैं जाती हूँ दूसरी जगह। वैसे भी मेरे पापा का घर खाली ही पड़ा है, मुझे नहीं रहना आपके साथ!” मैं उठकर अपने रूम में जाने लगी.
तभी पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक दिया- नीतू बेटा, अच्छी बच्ची हो ना तुम, ऐसा कोई बोलता है अपनी मम्मा को, से सोरी टू हर, आगे से ऐसी गलती मत करना! पापा मुझे गले लगाते हुए शांति से बोले तो मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ। “सॉरी मम्मा सॉरी डैड, अब आगे से ऐसा नहीं होगा.” कहकर मैं अपने रूम में चली गई।
मेरे पीछे उनकी खुसुर पुसुर शुरू हो गयी, शायद मम्मी को पापा का शांत रहना पसंद नहीं आया। वह दिन तो जैसे तैसे कट गया पर आगे मुझ पर कड़क वॉच रहने लगी।
अरे हाँ… मेरे बारे में बताना तो भूल ही गई। मैं नीतू, पिछले ही महीने मैंने अपने 22 साल पूरे किये। पर जैसे मुझे समझ आने लगी वैसे 18 साल से ही मैने अपनी सेक्स लाइफ की शुरुआत की। तब से लेकर आज तक मेरी चुत ने न जाने कितनों के लंड खाये थे, स्कूल कॉलेज के लड़कों से लेकर टीचर तक, एक बार तो पैसे कम थे तो टैक्सी वाले को भी अपनी चुत का स्वाद दिया था। और आज तो अपने आफिस कलीग संकेत से चुद रही थी। मैंने इतनी कम उम्र में ही बहुत सारे लंडों की लंबाई और मोटाई नापी है।
मेरे शरीर ने भी कम उम्र में विकसित होकर मेरी कामुकता को साथ दिया, 19 उम्र में ही मेरा शेप 34-26-34 हो गया था और उसे मैंने अभी तक मेन्टेन किया था। उस वजह से मुझे नए नए लंड मिलने में कोई मुश्किल नहीं हुई, अब तो हाल ऐसा है कि बहुत दिन बिना लंड के रही तो बीमार होने जैसा लगता। पर उस दिन मम्मा ने मुझे संकेत के साथ पकड़ लिया और पूरा रामायण हो गया।
मेरी मम्मी सुधा विक्रम जाधव पहले की सुधा हेमंत पाटिल। हेमंत मेरे पापा एक कार एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गयी। मेरी माँ एक फाइनेंस कंपनी चलाती है। विक्रम मेरे सौतेले पापा है…वे कंपनी में पार्टनर हैं, मेरे पापा और विक्रम दोनों ने मिलकर उस कंपनी की शुरुआत की थी। पापा के गुजर जाने के बाद मम्मी वह कंपनी चलाने लगी।
मम्मी की उम्र 45 की होगी, उसके प्रोफेशन की वजह से उसने अपने आप को काफी फिट रखा है। उसने कंपनी जॉइन करने के पांच छह महीने में ही उसके मादक फिगर की वजह से बहुत फायदा हुआ। विक्रम को मैं पहले अंकल बुलाती थी, लंबे हैंडसम विक्रम अंकल अक्सर हमारे घर पर आते थे। कभी कभी तो पापा के पीठ पीछे भी हमारे घर पर आते थे, उनका और मम्मी का शायद बहुत पुराना अफेयर था पर मैंने कभी उनको रंगे हाथ नहीं पकड़ा था।
पापा के गुजर जाने के एक डेड साल बाद ही उन्होंने मेरी मम्मी से शादी कर ली। उन्होंने पहले शादी क्यों नहीं की, यह सवाल हर दम मेरे दिमाग में आता था, शायद उनकी बीवी की कमी मेरी मम्मी पहले से ही पूरी करती होंगी।
मेरे पापा के जाने का मुझे बहुत बड़ा सदमा लगा पर शायद मम्मी को उस बात का ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, पापा के जाने के बाद विक्रम अंकल का हमारे घर में आना जाना बढ़ गया, कभी कभी तो वे सारी रात हमारे ही घर पर रुकते। कुछ ही दिन बाद उनके कहने पर मम्मी ने कंपनी जॉइन कर ली।
आफिस जॉइन करने के बाद मम्मी का पहनावा और मॉर्डन हो गया वह अब शॉर्ट्स और स्कर्ट्स पहनने लगी थी। विक्रम अंकल अब रोज हमारे घर आने लगे, काम का बहाना कर वह दोनों मम्मी के बैडरूम में रुकते। बहुत दफा उनके कारनामों की आवाजें मेरी रूम तक आती तो मेरे हाथ अपने आप ही मेरी चुत की तरफ जाते।
उनका ऐसे रोज हमारे घर आना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, एक बार मैंने मम्मी को बोला भी तो उन्होंने मुझे डांट कर चुप करा दिया।
अब मम्मी को मेरे लिए टाइम मिलना कम हो गया, रात को सात आठ बजे आने वाली मेरी मम्मी अब रात के ग्यारह बारह बजे आने लगी, कभी कभी तो डेढ़ दो बजे आती वो भी नशे में! धीरे धीरे मुझे मम्मी के प्रति द्वेष भावना शुरू होने लगी, मेरे मार्क्स कम हो गए फिर भी उनको कोई परवाह नहीं थी। वे बस अपने में ही मस्त थी, उसी दौरान मेरे लाइफ में अंकुश नाम का लड़का आया और मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत हो गयी।
मम्मी का देर से घर आना मुझे लाभदायक रहा, पूरा घर मुझे खाली मिलता था। मैं मेरे सारे बॉयफ्रेंडज़ को घर पर बुलाकर अपनी जवानी को लुटाती थी और मम्मी के घर लौटने तक मैं सो जाती थी. धीरे धीरे हम दोनों के बीच बातचीत बहुत कम होने लगी। अब मैं अपने दुनिया में मस्त रहने लगी।
एक दिन मम्मी ने मुझे बहुत बड़ा धक्का दिया, अचानक ही मम्मी मुझे विक्रम अंकल को पापा बुलाने को बोलने लगी। मेरी चिढ़ मम्मी के प्रति और बढ़ गई पर मैं कर भी क्या सकती थी? मैंने अपनी पढ़ाई अपने मर्जी से चुनी फिर अपने पसंद का करियर चुन कर जॉब करना शुरू कर दिया।
मम्मी की दूसरी शादी के बाद हम विक्रम अंकल के घर जाकर रहने लगे, उनका घर जैसे एक बंगला ही था। पुराने घर से बहुत बड़ा और कम पब्लिक वाली जगह पर था।
मम्मी और पापा सुबह ही आफिस चले जाते, एक कामवाली थी जो दोपहर तक घर पर रहती फिर चली जाती। दोपहर के बाद पूरा घर मेरा था। किसी फ्रेंड को घर पर बुलाना और उसके साथ बिस्तर गर्म करना बहुत आसान था। बड़ी सोसाइटी में रहने का यही फायदा था कोई रोक टोक करने वाला नहीं था। मेरे सारे यारों को मेरा घर पता था, पर संकेत के साथ हुए कांड के बाद मेरी मम्मी ने घर के गेट पर कैमरा लगा दिया और उसका कनेक्शन अपने मोबाइल पर ले लिया। होटल या लॉज पर यह सब करना बहुत रिस्की हो जाता और लड़कों के घर पर तो उससे भी ज्यादा रिस्क थी। अगर किसी ने छुप कर रिकॉडिंग की तो बहुत प्रॉब्लम हो जाती।
जब मुश्किल आती है तो चारों तरफ से आती है। दो चार दिन से मैं ऑफिस नहीं गयी थी और जब गयी तब पता चला कि संकेत को दो दिन पहले ही दूसरे शहर ट्रांसफर किया था। आशिकों की कोई कमी नहीं थी, प्रॉब्लम थी तो सिर्फ जगह की। लाइफ में पहली बार इतनी लाचार हो गयी थी, बारह दिन हो गए थे मेरी चुत को लंड का दीदार किये हुए। इतना उपवास तो सिर्फ एग्जाम के टाइम पर होता था। उंगलियाँ डाल कर जैसे तैसे चुत को शांत करती रही पर जो मजा लंड में है वह उँगलियों से कैसे मिलता।
उस घटना के बाद मम्मी ने मुझे प्यार से समझाने की बहुत कोशिश की पर हर बार मैं वहां से चली जाती थी। पापा के देहांत के बाद मेरे अंदर मम्मी के प्रति जो द्वेष उत्पन्न हुआ था वह दिन पर दिन और बढ़ रहा था।
एक रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी मेरी चुत ने भी बगावत कर दी थी, उंगलियों से भी शांत नहीं हो रही थी। मैं सीधा दरवाजा खोल कर गार्डन में गयी, गार्डन की ठंडी हवा में अच्छा महसूस हो रहा था मैं आधा घंटा टहली।
गार्डन में घूमते वक्त मैं अपने सौतेले पापा के बारे में सोचने लगी। इस घर में शिफ्ट होने के बाद वह हर बार मुझे छेड़ते रहते, मेरे स्तनों को घूरते तो कभी मेरे नितम्बों को सहलाते पर चेहरे पर मासूमियत रखते के जैसे गलती से हो गया हो। पर मुझे सब समझ में आता था, मैं ज्यादा ध्यान न देते हुए उनका टच एन्जॉय करती थी। पर उस दिन जिस दिन मैं अपने यार से चूत चुदाई करवाती पकड़ी गयी थी, के बाद उन्होंने मुझे उस तरह का टच नहीं किया था।
थक कर मैं वहाँ से बेडरूम में जाने ही वाली थी कि मेरे कान पर मम्मी की सिसकारियों की आवाज पड़ी, मुझे समझ में आ गया कि अंदर दोनों की चुदाई चल रही थी। उनकी आवाजों को अनसुना करके मैं घर के अंदर जाने लगी तभी मेरी नजर उनके रूम की खिड़की पर हिल रहे परदे पर पड़ी। मैं दबे पाँव वहाँ पर गयी तो समझ आया कि खिड़की खुली हुई थी। मैं दीवार को सट कर खड़ी हो गयी और खिड़की के अंदर झांक कर देखने लगी.
कहानी जारी रहेगी. दोस्तो मेरी कहानी कैसी लग रही है? मुझे मेल करें। मेरा मेल आई डी है [email protected]
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