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मयूरी सोचने लगी कि अगर अपनी चुदाई में माँ को भी शामिल कर लिया जाये तो यह समस्या ख़त्म हो सकती है. और फिर वो अगर ये करने में कामयाब हो जाती है तो वो पापा को भी चोद सकती है क्यूँकि इसके बाद माँ मयूरी को अपने बाप से चुदने के लिए मना नहीं कर पायेगी क्योंकि वो खुद अपने दो जवान बेटों से चुद रही होगी. लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा. वो सीधे तो अपने बेटों से चुदने को शायद कभी तैयार ना हो… पर मयूरी को फिर याद आती है अपनी सहेली हीना… वो हीना जिसके अपनी माँ साथ साथ सेक्सुअल सम्बन्ध थे. मतलब दो औरतों के बीच भी आकर्षण की वजह से सेक्स सम्बन्ध संभव है. और मयूरी तो बला की खूबसूरत है… तो उसने अपने हुस्न को हथियार बना कर अपनी माँ का ही शिकार करने का मन बनाया.
फिर वो हल्के से मुस्कुरायी और अपने भाइयों से बोली- अभी तुम दोनों सो जाओ… कल जल्दी जागना है. और फिर तीनों सो गये.
पर मयूरी अपने अगले मिशन पर लग जाती है.
अगली सुबह अशोक अपने दफ्तर चला गया और दोनों लड़के पढ़ाई करने कॉलेज और कोचिंग. घर में अगले 3 घंटे के लिए मयूरी और उसकी खूबसूरत माँ अकेली थी थे और कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था. मयूरी उठी और उसने अपनी माँ को सर से पैर तक अच्छे से ताड़ा. शीतल एक घरेलू काम-काजी महिला थी पर अन्य औरतों की तरह उम्र का असर उसके शरीर पर ज्यादा हुआ नहीं था. वो देखने में एकदम छरहरी और खूबसूरत थी. कमर अभी भी पतली जैसे किसी 30 साल की महिला की होती है, बाल घने और लम्बे, होंठ पतले और रसभरे, चूचियां तनी हुई, गांड ऐसी की पीछे से कोई भी मर्द देखे तो बस देखता ही रह जाये.
मयूरी ने अंदाजा लगाया कि अगर शीतल किसी भी चौराहे से गुजरे तो उस चौराहे के सारे मर्दों की नज़र उसके शरीर से हट नहीं पायेगी. शायद यही वजह है कि अशोक अब भी शीतल से बहुत प्यार करते हैं और लगभग रोज़ ही शीतल की जबरदस्त चुदाई करते हैं.
विक्रम और रजत ने भी बताया था कि वो दोनों ही अपनी मॉम के नाम की मुठ अकसर ही मारते हैं.
शीतल ने अभी एक नाइटी पहनी हुई थी और इस वस्त्र में उसके चूचियों और गांड के उभार साफ़ झलक रहे थे. शीतल के अंगों का का इतना विस्तारपूर्वक दर्शन करने के बाद अब तो मयूरी की चूत में भी कुछ-कुछ होने लगा था. मयूरी ने अपने शॉर्ट्स के अंदर हाथ डाल के अपनी चूत में एक उंगली डाली और थोड़ी देर हल्के हल्के मजे लेने के बाद वो अपनी इस प्यारी माँ की तरफ बढ़ी.
शीतल अपने कमरे में जहाँ वो अशोक के साथ सोती थी और रोज़ अलग-अलग अंदाज़ में चुदवाती थी, वहाँ का बिस्तर ठीक कर रही थी. मयूरी पीछे से जाकर अपने माँ को गले लगाती है जैसे बच्चे अपनी माँ में लाड़-प्यार से चिपक जाते हैं. पर आज मयूरी के मन में वैसा प्यार नहीं बल्कि हवस और वासना ने जगह ले रखी थी.
शीतल अब भी बिस्तर ठीक कर रही थी, मयूरी शीतल से पीछे से चिपकते हुए उसके गर्दन वाले भाग पर प्यार भरा चुम्बन देते हुए बोली बच्चों की तरह ठुमकते हुए- माँ… शीतल- हाँ बेटा, उठ गया मेरा बच्चा? मयूरी- हाँ माँ… पर… शीतल- हाँ.. बोलो बेटा… मयूरी- माँ… आज मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है. शीतल चिंतित होते हुए- क्या हुआ बेटा… सब ठीक है ना? मयूरी- हाँ माँ.. बस थोड़ा बदन दुःख रहा है. शीतल- मालिश कर दूँ तेरे बदन की? मयूरी- हाँ माँ… प्लीज कर दो… बहुत दुःख रहा है. शीतल- ठीक है… तुम कपड़े उतारो और लेट जाओ… मैं तेल लेकर आती हूँ. मयूरी खुशी से- ओके मेरी प्यारी माँ…
और शीतल रसोई की तरफ बढ़ गयी.
इतनी देर में मयूरी ने अपना टॉप और शॉर्ट्स निकाल दिया. फिर उसके मन में कुछ ख्याल आया और उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी और पास में पड़ा एक तौलिया लपेट लिया. उसको पता है कि तौलिये में उसका शरीर और भी मादक और कामुक लगता है. उसकी ये विशाल चूचियां और ये बड़े-बड़े चूतड़ आधे से भी ज्यादा बाहर दिख रहे होते हैं. उसकी गोरी गोरी मांसल जांघें जैसे चमक रही होती हैं और इन सब चीजों पर से इंसान तो क्या फ़रिश्तों की भी नज़र नहीं हट सकती.
इतनी देर में शीतल रसोई से एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर कमरे में दाखिल हुई. शीतल मयूरी को ऐसे देख अवाक्-सी रह गयी. ऐसा नहीं है की उसने मयूरी को पहले कभी नंगी नहीं देखा था पर अभी पता नहीं क्यूँ वो बहुत ही कामुक लग रही थी और शीतल को इतनी हसीं लड़की को देखकर अपने शरीर में एक अलग तरह का गनगनाहट महसूस हुई, उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया.
मयूरी, उसकी अपनी बेटी आज उसको कुछ अलग ही तरह की खूबसूरत लग रही थी. वो उसके शरीर में कुछ नयी भावनाओं और तरंगों को जागते हुए महसूस कर पा रही थी.
इतनी देर एकटक देखने के बाद मयूरी ने अपने सवाल से शीतल की तन्द्रा तोड़ी- माँ… मैं लेट जाऊँ? शीतल जैसे नींद से जागते हुए- ह.. हाँ… तुम लेट जाओ… मयूरी अपनी माँ के इस व्यव्हार को अच्छे से नोटिस करती है और वो समझ गयी कि उसकी चाल एकदम सही दिशा में है. पर वो बिना कुछ व्यक्त किये चुपचाप बिस्तर पर सीधा लेट गयी जिससे उसका चेहरा, चूचियां और चूत ऊपर की दिशा में हों और शीतल को दिखाई दें.
शीतल मयूरी में आज पता नहीं क्यूँ … पर अपनी वो छोटी सी, प्यारी-सी बेटी नहीं देख पा रही थी, बल्कि वो एक खूसबूरत नायब औरत देख रही थी जो उसकी काम-इच्छाओं को जागृत कर रही थी. उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे और वो इन भावों को दिखाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने मयूरी को कहा- तुम उल्टी लेट जाओ.. पहले तुम्हारे पीठ की मालिश कर दूँ. मयूरी- ठीक है माँ! और मयूरी उल्टी होकर लेट गयी.
पर अब बात और भी बिगड़ने वाली थी क्योंकि पीठ की मालिश करने के लिए तौलिये को उतारना जरूरी था. शीतल पता नहीं क्यूँ … पर आज थोड़ा घबरा रही थी मयूरी से ये कहने में कि अपना तौलिया उतार दे. पर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हकलाते हुए धीरे से कहा- अ… अपना ये… ये… तौलिया… उतार दे.
मयूरी उसके भावों के बदलाव को अच्छे से नोटिस कर रही थी पर कुछ बिना व्यक्त किये हुए उसने अपना तौलिया उतार कर बगल में रख दिया. अब शीतल के सामने मयूरी एकदम आदमजात नंगी लेटी हुई थी. शीतल मयूरी की इस नायब शरीर का निरीक्षण करने में लग गयी कि ईश्वर ने कितनी फुर्सत से बनाया होगा. मयूरी की पीठ का आकार बहुत की प्रभावशाली था और उसकी गांड तो बस… कमाल की थी.
अपने भावनाओं को काबू करने की कोशिश करते हुए शीतल अपने हाथ में थोड़ा से तेल लेकर मयूरी के पीठ पर लगाकर मालिश करना शुरू किया. पर आज इस मालिश में शीतल को एक अलग ही प्रकार का आनन्द आ रहा था. एक तो वो समझ नहीं पा रही थी कि किसी स्त्री के प्रति उसका ये आकषण इतना तेज़ क्यूँ है… और वो भी अपने खुद की बेटी के ऊपर… पर जो भी हो, आज उसको मयूरी के पीठ की मालिश करने में एक अलग ही मजा आ रहा था.
इधर शीतल भी इसका सम्पूर्ण आनन्द ले रही थी.
थोड़ी देर पीठ की मालिश करने के बाद शीतल का हाथ अपने आप ही मयूरी के गांड की गोलाइयों पर चला गया और वो बड़े प्यार से उनका मालिश करने में लग गयी. उसे पता ही नहीं चला कि कब वो पीठ की मालिश करते करते मयूरी के गांड की तरफ मुड़ गयी और वो अपने धुन में उसकी गांड की मखमल जैसी सतह हो बड़े प्यार से मालिश करते-करते उसकी गांड की छेद में भी अपना हाथ डालने लगी. शीतल ने मयूरी के गांड के छेद वाले जगह की गर्मी को महसूस किया और इस से उसकी काम वासना और भी बढ़ रही थी.
इसी बीच उसने मयूरी की जांघों को भी मसलना शुरू कर दिया था. शीतल को एक बात का पूरा फायदा मिल रहा था कि मयूरी अभी उसके चेहरे का भाव नहीं देख पा रही थी और इस वजह से वो एकदम बिंदास होकर ये करने का आनन्द लेने में व्यस्त थी. एक बार अनायास ही उसके एक उंगली मयूरी के गांड की छेद में डाल दी, इससे मयूरी चिहुंक सी पड़ी और शीतल को जैसे अपने पकड़े जाने का एहसास हुआ. उसने अपने भाव छुपाते हुए बात को बदलने के मन से मयूरी को तुरंत ही पलट जाने को कहा.
मयूरी तुरंत ही पलट गयी और अब शीतल के सामने जो नज़ारा था, वो उसको बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. अब वो मयूरी की दो विशाल चूचियों का बिकुल सामने से दर्शन कर पा रही थी, साथ ही साथ वो उसकी चूत और उसके आस-पास के क्षेत्र जैसे गोरी-गोरी जांघों को बिल्कुल सामने से देख पा रही थी. पर अपने स्थिति पर काबू करते हुए उसने अपने हाथ में तेल लेकर मयूरी के पेट पर लगाया और मालिश करने में लग गयी.
पर पेट पर वो कितनी देर तक मालिश करती, थोड़ी ही देर में उसको मयूरी की उन विशाल चूचियों का रुख करना पड़ा. जब शीतल ने मयूरी की चूचियों की मालिश शुरू की तो उसको बहुत ही ज्यादा आनन्द आ रहा था. पर इस बात से मयूरी भी अप्रभावित नहीं रह पायी और उसके मुँह से भी आनन्द के स्वर में आहें निकलने लगी.
मयूरी- आह… आह.. शीतल- क्या हुआ… मयूरी- कुछ नहीं माँ… बहुत मजा आ रहा है.
शीतल चुप रही और मयूरी की चूचियों को मसलती रही. फिर थोड़ी देर में मयूरी ने बातचीत शुरू किया। मयूरी- माँ… शीतल- ह.. हाँ… बेटा… मयूरी- बहुत दिन से एक बात कहना चाह रही थी आपसे! शीतल- हाँ.. बोलो?
और इसी बीच शीतल से उत्तेजना की वजह से मयूरी की चूचियों पर थोड़ा ज्यादा दबाव पड़ गया और मयूरी को दर्द और आनन्द दोनों का ज्यादा एहसास हुआ, पर उसके मुँह से आहों की रूप में ये एहसास बाहर निकल गया. मयूरी- आ.. आह… माँ.. शीतल- सॉरी बेटा… ज्यादा जोर से दबा दिया क्या मैंने? मयूरी- नहीं माँ… बहुत अच्छा लग रहा है… ऐसे ही करो न… आह! शीतल- ठीक है बेटा… तो तुम क्या कह रही थी? मयूरी- माँ… आप गुस्सा तो नहीं करोगे ना… शीतल- नहीं बेटा… आप बिना डरे अपनी बात बताओ? मयूरी- माँ… कुछ दिनों से मेरे मन में… शीतल- बोलो बेटा? मयूरी- वो… मैं … शीतल- अरे कोई बात नहीं बेटा… आप बताओ… क्या बात है… डरने की कोई जरूरत नहीं है.
मयूरी- वो कुछ दिनों से मुझे सेक्स करने का बहुत ज्यादा मन होता है…
माँ बेटी लेस्बियन सेक्स की कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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