This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो, मेरी कहानी होली में सेक्स की है. मेरा नाम वीर सिंह है और मैं रहने वाला राजस्थान का हूँ। मेरा कद 5 फुट 7 इंच है, रंग साँवला और औसत शरीर है। मैंने लिंग का नाप कभी लिया नहीं है पर अंदाज़े से 5 इंच या उस से थोड़ा ज्यादा होगा।
मेरी कहानी की नायिका है शोभा। शोभा एक खूबसूरत, दूधिया जिस्म की मल्लिका, नितम्ब एकदम उभरे हुए, छाती तनी हुयी 36 इंच की। कोई एक बार देख ले तो उसकी हाय निकल जाए। ऐसी है मेरी शोभा।
शोभा और मैं साथ में काम किया करते हैं (दोनों तरह के काम)। जब शोभा टीम में नयी नयी आई थी तब मैं उसे देखता ही रह गया था। लाल रंग का सलवार सूट बहुत फब रहा था उस पर। फरवरी का महीना था। उस मौसम में अलग ही खुमारी होती है। कुछ दिनों तक तो उससे बात करने की हिम्मत ही नहीं हुयी। क्यूंकि मैं उससे मन ही मन प्यार करने लगा था और कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था जिससे कि वो मुझसे नाराज़ हो जाए।
संयोगवश कुछ ऐसा हुआ कि हम दोनों को एक ही प्रोजेक्ट में डाला गया और तब मेरी शोभा से पहली बार बात हुयी। मैं तो एकदम मंत्रमुग्ध सा हो कर उसकी कोयल जैसी आवाज़ सुन रहा था। एकदम खो गया था।
शोभा बोली- वीर जी, कहाँ खो गए? “तुम्हारी इस प्यारी आवाज़ में!” मेरे मुँह से एकदम ऐसा उत्तर सुन कर वो थोड़ा झेंप गयी।
मैंने बात को किसी तरह संभाला और काम में लग गए।
एक महीना कब बीत गया हमारी बातचीत शुरू हुए, पता ही नहीं चला। होली का त्यौहार सर पर था और साथ ही प्रोजेक्ट ख़तम करने की अंतिम तारीख। रात दिन हमारी टीम काम में लगी रहती थी। इस बीच में शोभा से थोड़ी हंसी मजाक कर लिया करता था। वो भी अब मुझसे सहज हो गयी थी। मैंने उसे अपनी कविताओं का फेसबुक पेज का लिंक दिया था और कहा था कि कभी टाइम मिले तो पढ़ना। उसने मुझसे कहा- अच्छा तो वीर जी शायर भी हैं। इस अदा से वीर जी कहती थी कि भाई ऐसा लगता कि बस उसे ही सुनता रहूँ।
अगले दिन उसने मेरी कविताओं की तारीफ़ करी और कहा- वीर जी, बढ़िया कविता लिखते हो एकदम दिल को छूने वाली। मैं तो आपकी फैन हो गयी। मैंने कहा- बस अब और मजे मत लो मेरे। वो बोली- वीर जी, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ।
फिर शोभा पूछने लगी- होली पर क्या प्लान है, घर जा रहे हो या यहीं मनाओगे? मैंने बताया- मैं होली पर यहीं हूँ और रूम पर बोर होने का विचार हैं। शोभा ने कहा- मैं भी अकेली रूम पर बोर होऊँगी, तो क्यों ना कहीं घूमने चलते हैं।
मेरे मन में ख्याल आया कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा इसके साथ टाइम बिताने का; मैंने कहा- किसी रिसोर्ट में चलते हैं, होली भी मना लेंगे और अच्छा टाइम पास भी हो जाएगा। ‘ठीक है वीर जी! आईडिया अच्छा है, मुझे होली खेलने के लिए पिचकारी लेनी है।’ शोभा ने कहा। ‘पिचकारी तो मेरे पास हैं।’ तपाक से मैंने जवाब दिया। और थोड़ा रुक कर बोला- मेरे रूम पर रखी हैं! ताकि उसे बुरा ना लगे।
पर वो भी शायद समझ गयी थी कि मैं क्या कहना चाह रहा हूँ। “ठीक है वीर जी, इस बार होली हम आपकी पिचकारी से ही खेलेंगे। जो आपने घर में रख रखी हैं।” और एक कातिलाना हंसी के साथ वो चली गयी। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ कि ये क्या बोल गयी।
खैर होली वाले दिन मैं उसे बाइक पर लेने गया और वहां से हम रिसोर्ट के लिए निकल पड़े। रिसोर्ट जो बुक किया था वो शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर था। मौसम सुहावना हो रहा था। मैंने जानबूझ कर अपना बैग आगे की तरफ टांगा हुआ था ताकि मैं उसे महसूस कर सकूँ। पर ज्यादा कुछ हुआ नहीं।
वहां पहुँच कर देखा तो ज्यादा लोग नहीं थे, एक दो परिवार छुट्टी मनाने आये हुए थे।
हमने तय किया कि पहले हम नाश्ता करेंगे और फिर स्विमिंग पूल के पास होली खेलेंगे। मैंने शोभा से पूछा- क्या तुम बियर लेना पसंद करोगी? उसने कहाँ- हाँ क्यों नहीं।
वेटर 2 बियर ले आया और बियर के साथ हम लोग हल्का नाश्ता करने लगे।
उसके बाद हमने एक एक बियर और मंगवाई और बोतल लेकर स्विमिंग पूल की तरफ चल पड़े। वहां जाकर मैंने अपने टीशर्ट उतारी और पूल में उतर गया अपनी बोतल लेकर। शोभा ने कहा- मैं भी चेंज करके आती हूँ। मैं उसका इंतज़ार करने लगा।
जब वो आयी तब मैं उसे देखता ही रह गया; 2 पीस बिकनी में शोभा हाथ में बियर लिए पानी में उतर आयी। मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया और मेरा लिंग खड़ा होने लगा। ये तो अच्छा था कि मैं पानी के अंदर था वरना उसे पता चल जाता। शोभा को मैंने कहा- तुम बहुत सुन्दर लग रही हो। वो शर्मा गयी।
“वीर जी, हमारी पिचकारी कहाँ है? हमें होली खेलनी है!” शोभा ने मस्तानी आँखों से इशारा करते हुए पूछा। मैंने कहा दो पिचकारी लाया हूँ, एक बैग में रखी है और एक …” इतना कह कर मैंने आँखों से नीचे इशारा किया। बियर का थोड़ा सुरूर दोनों पर चढ़ रहा था। वो बोली- वीर जी, बैग वाली पिचकारी से खेलने की उम्र तो निकल चुकी है।
मैं उसके थोड़ा नज़दीक जाकर खड़ा हो गया और बोला- दूसरी पिचकारी तुम्हें रंगने को तैयार है. और उसका हाथ पकड़ कर पानी के अंदर ही अपने लिंग पर रख दिया जो अब अपनी पूरी खड़ी अवस्था में था। उसने मेरी आँखों में आंखें डाल कर बोला- वीर जी, पिचकारी तो गरम भी हो रही है। क्या करने का इरादा है?
“तुम्हें अपना बनाने का इरादा है शोभा।” मैंने उसकी कमर में हाथ डालते हुए कहा। “तो देर किस बात की हैं वीर जी, आपकी शोभा बनना कबसे चाह रही थी।”
बस इतना सुनते ही मैंने अपने होंठ शोभा के होंठों से लगा दिए। करीब 10 मिनट तक हम एक दूसरे का चुम्बन करते रहे। हम हमारे आपे में नहीं थे और भूल गए थे कि हम स्विमिंग पूल में हैं और कोई भी हमें देख सकता है। मैंने उसे बोला- तुम बाहर निकल कर गाउन डाल लो, मैं अभी आया। अपना लिंग थोड़ा सेट करके मैं रिसेप्शन पर गया और पूछा- आपके रिसोर्ट में कोई रूम खाली है क्या, मुझे आज के लिए चाहिए।
रिसोर्ट खाली ही था तो कमरा मिलने में मुश्किल नहीं हुयी और मैं शोभा को लेकर कमरे में आ गया।
आते वक़्त 2 बियर और ले आया था। बाथरूम में बाथटब लगा था, हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुराये। मैंने शोभा का गाउन निकाला और वो फिर से 2 पीस में आ गयी। अब हम दोनों बियर लेकर बाथटब में पहुंच गए। चियर्स किया और 2-3 घूँट मार कर बोतल साइड में रख दी। मैंने फिर से शोभा को चूमना शुरू किया और अपनी जीभ से उसके शरीर का माप लेने लगा।
पहले मैंने उसे कान के नीचे चाटा और एक हाथ पीछे ले जा कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। फिर मैंने उसका एक स्तन के निप्पल पर जीभ फेरी और दूसरा हाथ से दबाने लगा। शोभा अपनी गर्दन पीछे करते हुए मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी। मैंने उसका स्तन मुँह में लेने की नाकाम कोशिश करी। थोड़ी देर स्तन चूसने के बाद मैंने उसकी नाभि पर अपनी जीभ फेरने लगा। पानी के अंदर ही उसकी पैंटी मैंने निकाल दी और उसकी चिकनी चूत पर हाथ फेरने लगा।
वो थोड़ा कसमायी और अपनी जांघों को चिपका लिया। मैंने उसकी जाँघों पर अपनी जीभ फेरी। धीरे धीरे वो अपने पैरों को खोलने लगी। मैं पागलों की तरह उसकी चूत पर झपटा, अपनी जीभ से उसकी जीभ कुरेदने लगा, पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी। वो मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपनी टांगों के बीच दबा रही थी। मैंने चूत चाटना जारी रखा।
एकदम से वो अकड़ी और आह आह करते हुए झड़ने लगी। उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे।
मैं खड़ा होकर बियर लेने के लिए झुका तो मेरा लिंग उसके मुंह के पास था। उसने देर ना करते हुए मेरा लिंग मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं अपने नीचे के बाल साफ़ रखता हूँ तो वो मेरे अण्डों को भी चाटने लगी। क्या बताऊँ यारो कि कितना मजा आ रहा था।
अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसे बाथटब में ही घोड़ी बनाया और अपने लिंग को उसकी चूत के मुँह पर रख कर दबाव लगाया। एक बार झड़ने के कारण चिकनाई बनी हुयी थी और आराम से लिंग उतर गया। मैंने उसके नितम्ब पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किये। उसके मखमली नितम्ब पकड़ने में जो मजा मिल रहा था और उसकी चूत अंदर से मेरे लिंग को जकड़े हुयी थी। करीब 15 मिनट के युद्ध के बाद मेरे पिचकारी से पानी छूट पड़ा और उसकी चूत को अंदर तक नहला दिया। और इस बीच वो भी फिर से झड़ चुकी थी।
हम दोनों हाँफने लगे और एक दूसरे के गले लग गए।
“वीर जी बहुत प्यार करती हूँ आपसे। ऐसा मज़ा मुझे जीवन में पहली बार आया है।” शोभा ने मेरे कान के पास अपने होंठ ला कर कहा। मैंने कहा- शोभा, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। मैंने उत्तर दिया।
“वीर जी, आप सोच रहे होंगे कि मैं कुंवारी नहीं हूँ। जवानी की दहलीज़ पर जब कदम रखा था तो मैं अपनी गर्मी को खीरे से निकाला करती थी।” शोभा बोले जा रही थी।
मैंने अपनी उंगली शोभा के होंठों पर लगायी और कहा- मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए। फिर मैंने शोभा के माथे को चूमा। उसकी आँखों में आंसू थे।
मैंने उसे कहा- चलो बाहर चलते हैं। हम लोगों ने एक दूसरे के नंगे बदन को पौंछा और कमरे के बेड पर आ गए।
उस रात हम वहीँ रुके और 2 बार सहवास किया। वो मेरी ज़िन्दगी की सबसे हसीं रात थी।
आगे कब क्या हुआ, वक़्त आने पर आप लोगों से साझा करूंगा। और हाँ … यह होली सेक्स कहानी मैं आप सबके सामने शोभा की अनुमति के बाद ही पेश कर रहा हूँ। आप अपने सुझाव मेरे ईमेल आई डी पर भेज सकते हैं। आपका वीर [email protected]
आगे की कहानी: पिचकारी घुसी पिछवाड़े में
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000