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दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का रेगुलर पाठक हूँ. मैं हमेशा नई और उत्तेजित करने वाली कहानियों का प्रशंसक भी हूँ. पेशे से मैं एक बड़ी कंपनी में सेल्स मैनजर के पद पर कार्यरत हूँ. यह अन्तर्वासना पे मेरी पहली कहानी है. मैं आशा करता हूँ कि आपको ये कहानी पसंद आएगी.
बात उन दिनों की है, जब 5 साल पहले मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके हैदराबाद की एक कंपनी मैंने एक ट्रेनी की तरह ज्वाइन किया हुआ था. हर एक नए ट्रेनी की तरह मैं भी यह सोच कर खुश था कि अब तो लाइफ सैट हो गई. पर जब मेरा सामना कंपनी के मैनेजिंग डाइरेक्टर से हुआ, तो सब सपनों पे मिट्टी फिर गई. वो एक बहुत ही ख़ूँख़ार किस्म का बॉस निकला. उसने मुझे पहले दिन ही नानी याद दिला दी.
मेरा दिन शुरू होता था, सुबह नौ बजे और रात कब होती थी, कोई पता नहीं था.
इतना समय साथ में बिता के उनकी सब पर्सनल कहानियों से पर्दे हट गए. उसका अफेयर हमारी मार्केटिंग मैनजर (ललिता मिश्रा) से चल रहा था. ललिता मैडम की उम्र यही कोई 35 साल की होगी, पर उनका बदन ऐसा तराशा हुआ था कि बड़े बड़े तीस मारखां लंड भी झटके से पानी छोड़ दें.
वो हमेशा फॉर्मल ड्रेस यानि पेंट शर्ट में ऑफिस आती थीं. टाईट शर्ट में उनके चुचे और भी बड़े लगते थे. मेरा केबिन बॉस के कमरे के बिल्कुल साथ में ही था. इसीलिए उनके कमरे में जो कुछ भी चलता था, मैं बड़ी आसानी से समझ जाता था. जैसे ही ऑफिस के बाकी लोग काम खत्म करके निकलते, ललिता मैडम सीधा बॉस के कमरे में घुस जाती थीं.
मैंने एक दिन हिम्मत करके उनके कमरे में झाँक कर देखा, तो हक्का बक्का सा रह गया. ललिता मैडम ने बॉस का लौड़ा अपने मुँह में ले रखा था और बॉस चेयर पर पेंट उतारे पड़े थे.
बॉस- ललिता तुम्हारे मुँह में तो ज़ादू है, तुम एकदम गर्म माल हो. ललिता मैडम लंड चूसते हुए बोलीं- उम्म उम्म.. गुम्म गुम्म.. बॉस- उफ़फ्फ़.. किस मिट्टी की बनी हो? तुझे खा जाने को दिल करता है.. आह.. बस मेरी जान मैं आ रहा हूँ.. आन्हा.. थोड़ा और.. आह आहह आहह…
बॉस का लंड स्खलित होने को हो गया लेकिन ललिता मैडम ने लंड चूसना जारी रखा और बॉस की रबड़ी खाने की तैयारी शुरू कर दी. ललिता मैडम के मुँह से आवाज आ रही थी- सुर्रप उम्म उम्म.. पूरा लंड चाटने के बाद ललिता मैडम ने बॉस के टट्टे चाटने शुरू कर दिए. बॉस ज़्यादा देर टिक नहीं पाए और सारा लावा ललिता मैडम के मुँह पर उगल दिया. ललिता मैडम भी बड़े चाव से चाट चाट के सारा रस पी गईं.
यह सब देख के मेरा लंड भी उफान मारने लगा और मैं भी बाथरूम की ओर लपका. अभी मैंने मुठ मारना शुरू ही किया था, बॉस ने मेरे केबिन में कॉल कर दिया. मुठ मारना बीच में ही छोड़ के मुझे फोन उठाना पड़ा.
बॉस की सिगरेट खत्म हो गई थी, तो उसने मुझे नीचे जाकर गाड़ी से सिगरेट उठा कर लाने को कहा.
मैं ऑफिस के बेसमेंट में गया और ड्राइवर रामू को जगाया, जो कि गाड़ी में सो रहा था. फिर मैंने उससे सिगरेट का पैकेट माँगा. उसने सिगरेट का पैकेट कुछ बड़बड़ाते हुए मेरे हाथ में दे दिया.
मैंने पूछा तो बोला- मेम साब इतनी अच्छी औरत हैं और इस रंडवे को यहां वहां मुँह मारने से फ़ुर्सत नहीं है. मैंने भी इससे ज़्यादा कुछ बात नहीं की, क्योंकि अगर मैं लेट हो गया तो बॉस मेरी क्लास ले लेगा.
जैसे ही मैंने उनके केबिन पे नॉक किया, उसने मुझे अन्दर आने को कहा- भोसड़ी के इतना वक़्त कहां लगा दिया? तुमने रिपोर्ट पूरी की या नहीं? मै बोला- सर, अभी थोड़ा टाइम और चाहिए. बॉस- चूतिए, आज रिपोर्ट पूरी किए बिना घर नहीं जाएगा.
ललिता मैडम भी खिलखिलाकर हंसने लगी. मुझे बुरा तो बहुत लगा, पर बॉस को कुछ बोल भी नहीं सकता था. मुझे उस रिपोर्ट को खत्म करने में पूरी रात लगी.
सुबह जैसे ही काम खत्म करके मैं घर जाने को रेडी हुआ, बॉस का कॉल आ गया. उसने मुझे रिपोर्ट ले कर उसके घर आने को कहा. मैं भी थका हुआ ऑटो पकड़ के सीधे बॉस के घर पहुँचा. जैसे ही मैंने डोरबेल बजाई, एक बहुत ही आकर्षक महिला ने दरवाजा खोला. वो एक बहुत ही महँगी सिल्क की नाइटी में थीं.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह मैडम बॉस की वाइफ हैं. उनका चेहरा तो बहुत ही क्यूट और भोला था, पर जैसे ही मेरी नज़र उनके शरीर पर पड़ी, मेरे अन्दर चिंगारियां फूट पड़ीं. क्या प्यारा बदन था. कोई मूर्ख ही ऐसे ख़ज़ाने को छोड़ के बाहर मुँह मार सकता है.
मैंने उन्हें गुड मॉर्निंग बोला और रिपोर्ट उनके हाथ में दे दी- मैडम, प्लीज़ यह रिपोर्ट सर को दे देना. मुझे बाद में मालूम हुआ कि मैडम का नाम सुधा था.
मैडम (सुधा)- ओके, पर तुम अन्दर तो आओ. मैं- नहीं मैडम, मैं अभी घर जाकर थोड़ा फ्रेश हो जाऊं. मैडम- अरे.. मुझे लगता है कि तुम सीधे ऑफिस से ही आ रहे हो, अन्दर आओ मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ.
उनके बहुत ज़िद करने पे मैं अन्दर आ गया. मुझे हॉल में बिठा कर वो किचन की तरफ चली गईं. मैं पीछे से उनके मटकते चूतड़ देख कर बेहाल हो गया. क्या मस्त चूतड़ थे, मानो काम की देवी हो. वैसे भी नींद पूरी ना होने की वजह से मुझे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था.
तभी मेरे बॉस वहां आ गए और मुझे देख कर बोले- तू यहां क्या कर रहा है? भोसड़ी के तूने इसे होटल समझा है, ऑफिस तेरा बाप जाएगा?
इससे पहले में कुछ बोल पाता, सुधा भाभी बोलने लगीं- क्यों डांट रहे हो बेचारे को, मैंने ही बोला उसे चाय के लिए. आप भी ना, कितना काम करवाते हो और किसी की सुध नहीं लेते. सुधा भाभी बोले जा रही थीं और मैं उनके गुलाबी होंठों को देख कर पागल हो रहा था.
जैसे तैसे करके मैं वहां से निकला, पर उनकी भोली शकल मेरे दिमाग़ में घूम रही थी. क्योंकि बॉस बाहर गए थे तो सुधा भाभी ऑफिस आ गईं. मुझे मालूम हुआ कि सुधा भाभी ने भी बिज़नेस मैनेज्मेंट में पढ़ाई की हुई थी और बिजनेस की अच्छी समझ रखती थीं. वो उस दिन पीले रंग के सूट में ऑफिस आई थीं और अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं. उनका रंग तो सांवला था, पर पीले रंग में उनका बदन और मस्त लग रहा था.
उन्होंने ऑफिस में सबको संबोधित किया और क्योंकि मैं नया था, मुझे अपने केबिन में बुलाया. वो मुझसे मेरे काम के बारे में पूछना शुरू हो गईं. मुझे नहीं मालूम था कि उनको बिजनेस की इतनी गहरी जानकारी होगी. उन्होंने मेरी सारी रिपोर्ट्स देखी और मुझे कुछ करेक्शन करने को कहा. काम खत्म करके वो मुझसे पर्सनल बातें करने लगीं.
सुधा भाभी- अभी तुम नये हो, मन लगा कर काम करोगे तो स्काइ ईज़ द लिमिट. मैं- यस मैडम. सुधा भाभी- यू कॅन कॉल मी सुधा, ओन्ली. मैं- यस मैडम. सुधा भाभी- तुम नहीं सुधरोगे, अच्छा बताओ फिर हैदराबाद में कोई दोस्त बनाए या नहीं? मैं- मैडम, अभी तक घूमने का टाइम ही नहीं मिला. सुधा भाभी- तुम्हें टाइम नहीं मिल रहा? यहां टाइम बहुत है.. पर दोस्त नहीं हैं. यह बोलते हुए उनके चेहरे पे गम झलक आया था. मैं उनका अकेलापन महसूस कर सकता था.
मैं- मैडम, क्या मैं एक बात बोलूं? सुधा भाभी- हाँ हाँ. मैं- मैडम, यू आर सो ब्यूटिफुल, आपका कोई दोस्त क्यों नहीं है? सुधा भाभी- क्योंकि कोई मिला नहीं, जो मुझे समझ सके. मैं- आप सिर्फ़ हंसते हुए अच्छी लगती हो.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना आपको स्ट्रेस दिया. सुधा भाभी- इट्स ओके, वैसे भी बहुत दिनों बाद कोई बात करने के लिए मिला है.
मैंने भी मौका देख कर सोचा, इस छोटी सी मुलाकात को आगे बढ़ाया जाए- मैडम, आप जब चाहो मुझे बुला सकती हो. सुधा भाभी- बातें करने के लिए? मैं- जो आप चाहो. वो एकटक मेरी आंखों में देखती रहीं. फिर मैंने मैडम से विदा ली और अपने काम में लग गया.
अगले दिन शाम को जब मैं ऑफिस से निकलने की तैयारी कर रहा था, मुझे एक कॉल आया.
मैं- हैलो, हू इज़ देयर? सुधा भाभी- मैं तुम्हरी मैडम बोल रही हूँ? मैं- यस मैडम, इट इज़ सच ए प्लेज़ेंट सर्प्राइज़..! सुधा भाभी- अगर आज शाम तुम फ्री हो तो डिनर पे चलते हैं. मैंने सोचा नेकी और पूछ पूछ.. और झट से हाँ कर दी.
फिर क्या था सीधे पहुँच गया बताए हुए रेस्तरां में. रेस्तरां तो क्या.. एक हाइ क्लास पब था. मैं वहीं खड़ा होकर मैडम का वेट करने लगा. मैडम का कॉल आया और अन्दर आने को कहा.
जैसे ही मैं अन्दर घुसा, मैडम को देख के शरीर में मस्ती आ गई. मैडम ने रेड कलर का स्लीवेलेस गाउन पहन रखा था. ये सामने से खुलने वाला गाउन था. बाज़ू की साइड से उनके मुलायम चुचे दिख रहे थे. गांड से उभरे हुए चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे. मेरा तो दिल कर रहा था कि वहीं उनके गाउन का नाप ले डालूँ. उनके उभरे हुए चुचों के बीच की दरार.. आह.. क्या बताऊं.
खैर मैं उनकी ओर लपका- हैलो मैडम, यू आर लुकिंग गॉर्जियस.. सुधा भाभी- हाँ, वो तो मैं तुम्हारे खुले मुँह को देख कर समझ गई.
मैं शर्मा कर उनके गले लगा. गले लगते वक़्त मैंने हल्के से उनकी पीठ पर हाथ फेर दिया और उन्होंने भी मेरे गालों पे हल्का सा किस किया. मैंने तो पहले जूस ऑर्डर किया, पर जब मैडम को वोड्का के शॉट लगाते देखा तो मुझे भी हिम्मत आ गई और मैंने व्हिस्की आर्डर कर दी. जैसे ही दो पैग मेरे चोले के अन्दर गए, मेरे अन्दर का मर्द बाहर आना शुरू हो गया. मैं- मैडम, आप बहुत हॉट हो. सुधा भाभी- अच्छा जी.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उनके गाल सहलाने लगा. वो थोड़ा सा पीछे हट गईं.
सुधा भाभी- राज, तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो और मैं अपने आप पे काबू नहीं रख पा रही हूँ. इसीलिए मैं अपनी हद पार करके यहां तक पहुँच गई. क्या हम यह सब ग़लत तो नहीं कर रहे हैं? मैं- मैडम, मुझे भी पता नहीं यह सही है या ग़लत, पर यह सच है कि मैंने आप अब तक जैसी महिला नहीं देखी और आपके साथ के लिए मैं तड़प रहा हूँ. सुधा भाभी- राज, यह सब यहां करना ठीक नहीं रहेगा, कोई देख लेगा.
मैं भी यह सुनहरा मौका नहीं गंवाना चाहता था.
मैं- वो तो है, पर आपकी गाड़ी कहां है? सुधा भाभी- गाड़ी तो पार्किंग में खड़ी है. मैं- तो चलिए गाड़ी में बैठ कर सोचते हैं.
बस हम बिल पे करके पार्किंग की तरफ चल दिए. हम दोनों हल्के नशे में थे और मिलन के लिए तड़प रहे थे. मैडम की गाड़ी काफ़ी बड़ी थी. तभी मुझे ख्याल आया कि क्यों ना इसी कार में मज़ा लिया जाए. मैंने उन्हें गाड़ी की पिछली सीट पर बैठने का इशारा किया. मैंने गाड़ी के शीशे ब्लैक कलर के सन फ्लैप से ढक दिए.
हम दोनों जैसे ही गाड़ी में घुसे, एक दूसरे पर टूट पड़े. उन्होंने मेरे बाल पकड़ कर फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया. क्या रसीले होंठ थे, बस खा जाने का मन कर रहा था. हमारी जीभ एक दूसरे में घुस जाने को बेकरार थीं. मेरा हाथ उनकी पीठ से होता हुआ उनके चड्डी के अन्दर घुस रहा था और वो भी अपने हाथ से मेरे पेट के निचले हिस्से को टटोल रही थीं.
सुधा भाभी- राज, यू आर सो क्यूट … पूरे मर्द हो, मुझे एक बात बताओ, मुझमें क्या कमी है.. जो मैं तुम्हारे बॉस को पसंद नहीं आती हूँ? मैं- मैडम, यू आर पर्फेक्ट, यह तो बॉस की बदनसीबी है, जो ऐसा माल छोड़ के ललिता के चक्कर में पड़े हैं.
मैंने ललिता का नाम क्या लिया, एकदम से सब रुक गया. वो मेरी तरफ देखने लगीं. मैं- मैडम, मुझे यह नहीं बोलना चाहिए था, पर यह सच है. मैंने उन्हें बॉस के केबिन में उनका लंड चूसते हुए देखा था. सुधा भाभी रोने लगीं और बोलीं- मुझे पता है और उनका चक्कर बहुत पहले से चल रहा है.
मैं अपने नशे की माँ चुदते देख रहा था. लेकिन अगले ही पल नजारा बदल गया था. सुधा भाभी- अब मैं भी बेवफ़ाई करके उनसे बदला लूँगी और तुम अपने बॉस की बीवी को भोग कर अपनी बेइज़्ज़ती का बदला लो.
ऐसा बोलते ही उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपने गाउन के बटन खोल कर अपने मस्त चूचों पर रख दिए. वो फटाफट मेरी पेंट की बेल्ट खोलने में लग गईं. पेंट खोलते ही मेरा 6 इंच का फनफनाता लंड भाभी के मुँह से टकराया. उन्होंने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया.
सुधा भाभी- वाउ, इतना जवान लंड लेकर आज मेरी ढलती जवानी फिर से ज़वान हो जाएगी.. उम्म उम्म सो बिग.. यह बोलते बोलते भाभी ने अपने लाल होंठ मेरे लंड पे रख दिए. मेरी तो मानो जन्नत की सैर हो गई. क्या मस्त होंठ थे. मेरा लंड भाभी के होंठों पे रगड़ खा रहा था. मैंने भाभी के बाल पकड़े और लंड मुँह में पेल दिया.
वो बड़े प्यार से मेरे लंड को चूस रही थीं और उनकी आँखों में आँसू थे. वो इस वक्त एक स्वर्ग की अप्सरा लग रही थीं, उनका क्यूट चेहरा आज भी मुझे याद है.
उनके नरम मुँह का अहसास और उनकी जीभ का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था. तभी उन्होंने लंड मुँह से निकाल कर मेरे टट्टे चूमने स्टार्ट कर दिए. इस सबके बीच मेरा हाथ भाभी की पिंटी को साइड में करता हुआ उनकी फुद्दी तक पहुँच गया. भाभी की फुद्दी झांटों से भरी पड़ी थी. मैंने जैसे ही अपनी उंगली भाभी की चूत में डालने की कोशिश की, वो चिंहुक पड़ीं. लाल गाउन में उनकी नंगी टांगें ऐसे लग रही थीं, जैसे रसमलाई हों. मैं भी अपने मुँह से निकलते हुए पानी को काबू नहीं कर पाया और उनकी जाँघों को चूमने लगा.
कुछ ही देर में भाभी ने अपनी पेंटी उतार दी. हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. भाभी के भारी चूतड़ों में मेरा सिर फंस गया. वो अपने चरम पर पहुँच कर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आह.. राज.. मुझे खा जाओ.. मैं तुम्हारी गुलाम हूँ.. उम्म उम्म.. आहह आहह.. मैं गई.. भाभी का बदन पूरी तरह से अकड़ गया.. और वो मेरे चेहरे पर झड़ गईं. पर मैं लगातार उन्हें खाने में लगा रहा.
फिर मैंने भाभी को सीधा किया और मैं सीट पे बैठ गया. वो मेरे ऊपर आकर मेरी तरफ मुँह करके अपनी टांगें सीट पर फैला कर अपनी भारी गांड को मेरे लंड रख कर बैठने को हो गईं. मैंने लंड के सुपारे को भाभी की चूत पे लगाया और उनको बैठने का इशारा किया. उनकी फुद्दी बहुत गीली थी. भाभी ने थोड़ा ज़ोर से दबाया तो मेरा आधा लंड अन्दर सरक गया. वो आधे लंड के ऊपर ही हल्के से ऊपर नीचे होने लगीं. भाभी ने अपने चुचे मेरे मुँह पर भींच लिए. उन्होंने मेरा चेहरा ज़ोर से अपने चुचों में दबा के रखा था.
मैंने भी नीचे से ज़ोर लगाया और पूरा लंड सरकता हुआ अन्दर तक पेल दिया. भाभी ने अपने मुँह को भींच कर ज़ोर से आहह भरी.. और थोड़ी देर शांत हो गईं. धीरे धीरे उन्होंने अपनी उछलने की स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही देर में अकड़ने लगीं.
अगले आधे घंटे में वो 4-5 बार आ गईं. अब वो थक कर बेहाल हो गई थीं और मुझसे छोड़ने की विनती करने लगी थीं. पर मैं अभी नहीं आया था.
उन्होंने मेरी छाती पर अपने होंठों से चूसना शुरू कर दिया. ऐसा करने से मैं और गर्म हो गया और कुछ ही पलों में भाभी की चूत में ही झड़ गया.
हम दोनों काफी देर गाड़ी की सीट पर ही लेटे रहे. कुछ देर बाद उन्होंने मुझे मेरे घर के पास छोड़ा और अपने घर चली गईं.
अब मैं गाहे बगाहे सुधा भाभी को अपने लंड की सवारी का मजा देता रहता हूँ.
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