This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मेरी जवानी की कहानी के पिछले भाग कामुकता की इन्तेहा-5 में पढ़ा कि मेरा यार ढिल्लों अपनी चार उँगलियों से मेरी फुद्दी की सर्विस कर रहा था.
चटवायी तो मैंने बहुत है मगर इस तरह साली किसी ने डीक लगा कर नहीं पी थी।
5-7 मिनट लगे और उछल उछल के झड़ी लेकिन उसने मेरा वीर्य नहीं पिया और झड़ते वक़्त एकदम मुंह निकाल के हाथ का चप्पा (चार उंगलियाँ) चढ़ा दिया था। जब मैं झड़ी तो कमान की तरह टेढ़ी हो गयी थी।
इस 6-7 मिनट के छोटे से खेल के कारण ही मेरा मुंह सूखने लगा और मैं बुरी तरह हांफने लगी- हूं, हूँ, हूँ … यह आवाज़ 3-4 मिनट तक मेरे मुंह से निकलती रही। सेक्स में इतना मंझा हुआ खिलाड़ी मैंने आज तक नहीं देखा था।
तभी वो मेरी तरफ हंसते हुए बोला- बड़े जोर नाल झड़दी एं, झोटीए (बड़े जोर के साथ झड़ती हो… भैंस जैसी), काम बहुत है तेरे अंदर, मुंह तो देख अपना, जैसे शेरनी के मुंह को खून लगा हो।
अब आगे:
फिर उसने अपनी जेब से रुमाल निकाला और मेरी फुद्दी और गांड को अच्छी तरह से पौंछ दिया।
इतने ज़ोर से झड़ने के बाद अब मुझमें हिम्मत नहीं थी कि फौरन चुदाई के लिए तैयार हो जाऊं। मैंने ढिल्लों से विनती की- प्लीज़ जानू, 10-15 मिनट रुक जाओ, सारी ताकत तो फुद्दी से तेरे चप्पे और मुंह ने निकाल ली। बड़ी बुरी तरह से उंगलियां डालता और मुंह से चूसता है यार तू, सारा नशा उतर गया, कुछ पिला दे पहले, अब बाहर तो नहीं ले के जायेगा? वो बोला- अब नहीं जाना, जितनी पीनी है पी ले, जल्दी तैयार हो जा, मेरे पास सबर नहीं है इतना!
इस बार उसने ड्रावर में से विस्की की बोतल निकाली और एक पटियाला पेग भर के मुझे दे दिया, विस्की बहुत कड़वी थी, मैंने फिर नाक बंद किया और बड़े बड़े घूंट भर के एक सांस में पी गयी। मुँह एकदम कड़वा हो गया तो मैंने उससे कुछ खाने के लिए मांगा, तो उसने कहा- अभी कुछ नहीं है।
मुँह का कड़वापन मेरी जान ले रहा था, तभी मेरे दिमाग में पता नहीं क्या कि मैंने एक झटके से ढिल्लों की पैंट खोली और नीचे उतारी और उसका लंड मुँह में भर के चूसने लगी। मैं उससे अपनी चूत इतने बुरे तरीके से चाटने का बदला देना चाहती थी और मेरा मुँह भी बहुत कड़वा था।
लंड जनाब का खड़ा ही था; मैंने पहले तो उसके टोपे को अच्छी तरह से चाटा, फिर भर लिया मुँह में उसका काला लौड़ा, मैंने कभी इतनी जोर से किसी का नहीं चूसा था. मैंने आंखें बंद कर लीं और टोपे तक मुँह ले आती और फिर पूरे ज़ोर से मुंह खोल कर जितना मुँह के अंदर लिया जाता, ले जाती। मुँह के झटके मैंने मुठ्ठियां भींच कर मैंने तूफानी रफ्तार में शुरू कर दिया।
मैं चाहती थी कि वो झड़ जाए ताकि मुझे थोड़ा वक्त मिल सके खुद को तैयार करने में। लेकिन वो झड़ा नहीं, 10 मिनट में मेरे जबड़े दर्द करने लगे. फिर भी मैंने हार न मानते हुए टोपे से लेकर उसका लौड़े पर इस तरह इस तरह मुँह का झटका मारा कि लौड़ा मेरे हलक तक चला गया। मुठ्ठियां एक और बार भींची और फिर एक बार पूरा निकाला और हलक तक ले गयी.
तीसरी बार की हिम्मत नहीं थी, लेकिन फिर भी जट्टी थी, उसकी जांघों को कस के पकड़ा और तीसरी बार फिर पूरा निकाल के हलक में ठूंस लिया। लेकिन फिर भी वो न झड़ा तो मैंने उसे हलक में फंसाये ही अपना मुंह हिलाना जारी रखा।
मेरे जबड़े अब बहुत तेज़ दर्द करने लगे, जिसकी वजह से मैंने हलक से लौड़ा निकाल लिया। लेकिन उसका काम नहीं हुआ। मैं बहुत तेज़ तेज़ खाँसने लगी। वो मेरे पास आया और मुझे पानी का गिलास दिया और मेरे मम्मे और फुद्दी धीरे धीरे मसलने लगा लेकिन इस बार मैं गर्म न हो सकी।
पिछले 4 घण्टों में मैं 3 बार तृप्त हो चुकी थी जिसकी वजह से मेरे काम की आग अब ठण्डी पड़ गई थी, यानि कि मेरा बाजा पहले से ही अच्छी तरह से बजाया जा चुका था। उसने दो-चार मिनट और कोशिश की लेकिन मैं पूरी तरह गर्म न हो सकी। दारू का नशा अब मेरे सिर चढ़ के बोल रहा था और अब मैं सीधी खड़ी नहीं हो सकती थी। कुछ और कोशिश करते ढिल्लों बोला- बस जट्टीये, इतनी ही ताकत थी तेरे अंदर, बड़ी जल्दी हार मान गयी तू तो?
मैंने जवाब दिया- ढिल्लों जान थोड़ा वक्त तो दे, सारा सिस्टम ही हिला दिया है मेरा, मेरी ऐसी तसल्ली पहले कभी न हुई थी। रौंद रौंद कर तो तूने कुश्ती खेली है मेरे साथ, हूँ तो फिर भी औरत ही, कोई और होती तो भाग जाती, लेकिन जट्टी अभी भी मैदान में है, बस थोड़ा वक्त दे प्लीज़, इतना तो कुश्ती के असल खिलाड़ियों को भी मिलता है, जबकि ये कुश्ती नहीं, उससे भी मुश्किल खेल खेल रही हूं आज मैं।
ढिल्लों मुस्कराया और बोला- बड़ी धड़ल्लेदार औरत हो, कोई बात नहीं तू आराम से ऊपर चढ़ जा बेड पर और आराम कर ले, अगला राउंड अब और ज़बरदस्त होगा, देखती जाना, और हां, तब मुझे पूरा जोर चाहिए और अगर 35-40 मिनट से पहले हार मानी तो देख लेना।”
मैं बेड के किनारे से उठी और उस मखमली बेड की बेक पर सिरहाना लगा कर बैठ गई और अपने ऊपर चादर चढ़ा ली। तभी मैंने एक बार फिर चोरी चोरी अपनी फुद्दी का मुआयना किया। हाथ लगा कर देखा तो उंगली सीधी फुद्दी के अंदरूनी हिस्से से जाकर टच हुई जैसे उसका बाहरी भाग तो खत्म ही हो गया हो। उसने इन 2-3 वारों से ही मेरी फुद्दी को चौड़ा कर दिया था।
मेरे मुंह से एक सिसकारी सी निकली और सोचा कि अगर ढिल्लों से चुदती रही तो ये फुद्दी को कुछ और ही बना डालेगा।
घड़ी में देखा तो 8:30 बज चुके थे, तभी मैंने अपना फोन उठा कर अपने पति को लगाया। उसने कहा- कहाँ हो रानी क्या कर रही हो?” मैंने कहा- जानू रूम में हूं और बड़े ज़ोरों से पढ़ाई (चुदाई) चल रही है। उसने कहा- तुझे एक बार फिर पढ़ाई का शौक कैसे चढ़ गया, देख मेरे लंड की हालत बहुत बुरी हो रही है, आज की रात तो मुश्किल से ही गुज़रेगी, चल कोई बात नहीं, तुझे पढ़ना है तो पढ़ ले। कुछ पेपरों की ही बात तो है।
मैंने जवाब दिया- पढ़ाई (चुदाई) का शौक तो मुझे शुरू से ही था, लेकिन ये 2 साल मैं तुम्हें ही देना चाहती थी, अब सोचा कि एम ए तो कर ही लूँ और उसके बाद एक जॉब तलाश कर करूं, घर में बोर हो जाती हूँ सारा दिन! तभी उसने कहा- चलो कोई बात नहीं, पढ़ ले तू, मैं थोड़ी देर में फिर करता हूं, पेग लगा रहा हूं, बहुत ठंड हो गई है, बाय।
ढिल्लों बातें सुन कर मुस्कुराता रहा और अब उसने कहा- साली, बड़ी चालू औरत है, देख उसको कैसे फुद्दू बनाया है। इसके बाद ढिल्लों मेरे पास आ गया और मुझे बांहों में भर के कुछ हल्की फुल्की बातें करता रहा और मेरे भरे हुए जिस्म पर हाथ फेरता रहा। हालांकि कोई होता और तो मैं इतनी जल्दी तैयार न हो पाती, लेकिन ढिल्लों के फ़ौलादी हाथों की हरकतों से फुद्दी एक बार फिर गीली कर दी और मेरी आवाज कामुक हो गई।
मेरी आवाज से वो समझ गया कि जट्टी एक बार फिर कुश्ती के लिए तैयार है और उसने पक्का करने के लिए अपना एक हाथ नीचे सरका कर फुद्दी में एक उंगली पिरो दी और 2 दिन बार गोल गोल घुमाई। मैं गर्म तो हो गई थी लेकिन मेरी फुद्दी इस बार ज़्यादा नहीं पनिया पायी थी क्योंकि मेरे जिस्म का सारा रस तो वो पहले ही निचोड़ चुका था। इस बार चिकनाहट काम होने की वजह से मुझे पता था कि मेरी फुद्दी अब छिलने वाली है।
यह सोच कर मैंने उससे कहा- जानू मिन्नत है कि कुछ लगा लेना अपने हथियार पर, मुझे तो तुमने नीम्बू की तरह निचोड़ दिया है, पहली बार जट्टी को किसी ने ये कहने पे मजबूर किया है। उसने कहा- वैसे मूड तो यही था कि उधेड़ के रख दूं, लेकिन तेरे जैसी घोड़ी मस्ती में चुदती ही अच्छी लगती है।
तभी वो उठकर दूसरे कमरे में गया और एक अंडा उठा लाया और उसको एक गिलास में डाल कर बार बार हिलाया। जब वो पूरी तरह से घुल गया तो उसने मेरे ऊपर से चादर हटा के दूर फेंक दी और गिलास लेकर खुद मेरी टांगों में बीच में गया और दो उंगलियां अंडे से भिगो कर अंदर डाल दीं। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे उसकी उंगलियां भी छोटे लंड जैसे लगीं। उसने बार उंगलियां और अंडे से भीगो कर अंदर बाहर कीं और मेरी मक्खन शेव फुद्दी को ज़बरदस्त तरीके से ग्रीस कर दिया।
उंगलियों की वजह से मैं एक बार फिर घोड़ी के तरह चुदने के लिए तैयार हो गई।
तभी उसने अपना सेक्स टॉय जो बच्चों की निप्पल जैसा था और जो गांड में जाकर एकदम फिट हो जाता था, उठाया और अंडे में डुबो कर मेरी गांड में ठूंस दिया।
तो दोस्तो, अब फिर एक बार मेरी ठुकाई की तैयारी पूरी हो चुकी थी, मेरे चोदू यार ने मेरी टाँगें एक बार फिर अपने डौलों पर धर लीं और मेरी तह लगा दी मगर उसने खुद लौड़ा अंदर नहीं डाला और मुझसे बोला- डाल जट्टीये अपने आप अंदर! मुझे यह बात बहुत पसंद है कि लौड़ा पकड़ कर मैं खुद अंदर डालूँ … पर ढिल्लों को यह बात पता नहीं कैसे पता थी।
खैर मेरे मन की यह छोटी सी मुराद पूरी हुई। मैंने हाथ नीचे ले जा कर उसके वज़नदार लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और दो तीन बार ऊपर नीचे किया। ये मैंने इसलिए किया क्योंकि उस बड़े और मोटे गर्म लौड़े को अपने छोटे से हाथ में लेकर एक न बयान की जा सकने वाली तसल्ली मिलती थी।
इसके बाद मैंने उसे पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ऊपर से नीचे तक 8-10 बार रगड़ा और फिर मुहाने पर रख कर नीचे से धक्का मारने की कोशिश की। मगर मैं असफल रही। ढिल्लों हंस पड़ा और फिर अचानक उसने अपनी कमर ऊपर उठाई और अपना खूँटा मेरी फुद्दी में जड़ तक पेल दिया। अंडे की चिकनाहट की वजह से मुझे बिल्कुल दर्द न हुआ और मेरे मुंह से अपने आप उसके कान में निकला- हाय ओऐ जट्टा, धुन्नी तक ला दित्ता। (हाय रे जाट … नाभि तक पहुंचा दिया.)
जाट और जाटनी की पेलम पेल कहानी जारी रहेगी. आपकी रूपिंदर कौर [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000