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मेरी गर्म और गंदी कहानी के पहले दो भागों शादी में चूत चुदवा कर आई मैं-1 शादी में चूत चुदवा कर आई मैं-2
में आपने पढ़ा कि मैं राजस्थान के एक गाँव में शादी में आई हुयी थी और मेरी चूत की आग मुझे जीने नहीं दे रही थी. मैं वहीं पर एक रिटायर्ड फौजी को पटा रही थी.
इतना तो तय था कि आज नहीं तो कल शेर सिंह से मैं चुदने वाली थी।
फिर शेर सिंह बोला- इधर मेरे खेत हैं, चलिये आपको वो भी दिखा लाता हूँ। हम उसके खेतों की ओर चले गए।
अब आगे:
खेतों के पास ही उसने एक बड़ा सा तालाब बना रखा था। वहीं पे बहुत से पेड़ों की झुरमट के पास एक छोटा सा कमरा बना हुआ था। मैंने पूछा- शेर सिंह जी, यह कमरा किस लिए बनाया है? वो बोले- इस कमरे में फसल पकने पर हमारे मजदूर रहते हैं। कभी कभी हम भी यहाँ आ जाते हैं। मैंने पूछा- आप यहाँ क्या करते हैं? शेर सिंह मुस्कुराया और बोला- अंदर जा कर देख लो।
मैंने अंदर झांक कर देखा, अंदर फर्श पर एक मोटा गद्दा बिछा था और कमरे में इधर उधर कुछ दारू की बोतलें, और बर्तन, एक गैस चूल्हा … मतलब ये कमरा सिर्फ कंजरखाने के लिए ही था। मैं अंदर तो नहीं गई, मगर शेर की नज़रें मैंने देखी, जैसे वो कह रहा हो, चल अंदर चल तुझे भी जन्नत का नज़ारा दिखाऊँ।
मैं भी समझ चुकी थी, मैं आज यहीं पर चुदने वाली हूँ तो मैंने छोटा सा पैंतरा आज़माया- शेर सिंह जी, लगता है मेरे कपड़ों में कोई कीड़ा घुस गया है, मेरे अंदर सुर्र सुर्र सी हो रही है. कहते हुये मैं थोड़ा सा उछली और अपनी पीठ पर हाथ फेरने लगी। शेर सिंह बोला- सविता जी, आप उस कमरे में जाकर चेक कर लो।
यही तो मैं चाहती थी, मैं कमरे में गई और मैंने न दरवाजा बंद किया न कोई खिड़की बंद की, बस शेर सिंह से ज़रा सा अपना आप छुपा कर मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी। बेशक मैं दरवाजे की ओट में थी, मगर शेर सिंह थोड़ा सा आगे चल कर मुझे देख सकता था, और वही उसने किया, वो थोड़ा सा आगे बढ़ा और मैं उसके सामने अपनी टाइट लोअर में ऊपर से बिल्कुल नंगी, अपनी टी शर्ट हाथ में लिए खड़ी थी।
मैंने चोर आँख से देख लिया कि शेर सिंह मुझे नंगी देख लिया है, मगर मैं उसकी मौजूदगी से अंजान रही और अपनी टी शर्ट को उलट पलट कर, झाड़ कर देखने लगी, जैसे सच में उसमें कोई कीड़ा हो। शेर सिंह और आगे चला, दरवाजे से आगे बढ़ा, तो दूसरी दीवार की खिड़की के सामने आया, वहाँ से उसने मुझे दूसरे एंगल से देखा। तीसरी दीवार बंद थी तो मैंने सोचा कि अब वो चौथी दीवार की खिड़की से मुझे ज़रूर देखेगा। तो मैंने अपना लोअर भी उतार दिया और दूसरी खिड़की की तरफ पीठ करके अपने कपड़े झाड़ने का नाटक करती रही।
वो दूसरी खिड़की के पास आया और उस खिड़की में से उसने मेरी पूरी नंगी पीठ, गांड जांघें सब देखी। उसके बाद वो बिल्कुल दरवाजे के सामने आ गया। मैंने सर उठा कर उसको देखा, और अपनी टी शर्ट से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की।
हम दोनों की नज़रें मिली, बहुत कुछ हमने एक क्षण में ही एक दूसरे से कह दिया। वो बिजली की गति से अंदर आया और आते ही मुझसे लिपट गया। मैंने झूठा नाटक किया- अरे, अरे शेर सिंह जी, ये आप क्या कर रहे हैं? मगर उसने मेरी बात की कोई परवाह नहीं की और मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ कर पहले मेरे माथे को एक बार चूमा और फिर सीधा मेरे होंठों को चूम लिया।
मैंने उसके चुंबन का कोई विरोध नहीं किया, तो उसने मुझे गोद में ही उठा लिया और लेजा कर उस गद्दे पर लेटा दिया और खुद जाकर मेरे पैरों के पास बैठ गया। उसने मेरे पैर से मेरे जूते निकाले और मेरे पाँव को चूमा, मेरे पाँव चूमते चूमते वो ऊपर तक आया, और घुटने, जांघ से होते हुये, ऊपर तक आया और मेरे दोनों गाल, मेरी पलकें, मेरा माथा और होंठ सब जगह चूमा।
मैं बिल्कुल नंगी अपनी आँखें बंद किये लेटी थी; मेरी तरफ से उसको पूर्ण समर्पण था कि यार जैसे चाहे जो चाहे कर ले।
वो उठ कर खड़ा हुआ और फिर उसने अपने कपड़े जूते उतारे, लोअर उतारते ही उसका मोटा लंबा काला और बदशक्ल सा लंड मेरे सामने आया जो काफी तनाव में आ चुका था, मगर अभी तक उसने अपना सर पूरी तरह ऊपर को नहीं उठाया था।
शेर सिंह मेरी टाँगों के बीच में आया और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा। मैं उसकी आँखों में देख रही थी! और अगले ही पल एक मोटा खुरदुरा सा लंड मेरी चूत में घुसा।
जब दो चार बार अंदर बाहर हुआ तो मुझे पता चला कि ये लंड यूं ही बेवजह से नसों से भरा, खुरदुरा, भद्दा सा नहीं है। कभी कभी मेरे पति डोटेड कोंडोम पहन कर मेरी चुदाई करते, तो कोंडोम पर जो उभरे हुया डोट्स या दाने होते, वो जब चूत के अंदर रगड़ते तो मुझे बड़ा मज़ा आता, बड़ी खुजली सी मिटती उससे। मगर ये तो रेडीमेड रिब्स और डोट्स वाला लंड था, बिना कोंडोम के! मेरी चूत के अंदर उसने खलबली मचा दी। क्या रगड़ा साले ने मुझे।
मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर हवा में उठा ली और अपनी बांहें उसके गले में डाल दी। पुराना फौजी, गाँव का आदमी, कसरती, ताकतवर, क्या कुछ नहीं था उसके जिस्म में … ऊपर से एक तगड़ा लंड। दो मिनट की चुदाई ने ही उसने मुझे पेल के रख दिया और उसका खुरदुरा लंड तो मेरी चूत को पानी पे पानी छोड़ने पर मजबूर कर रहा था, उसके हर एक धक्के से मैं निहाल हुई जाती थी।
जब भी उसका लंड मेरी चूत के अंदर जाता या बाहर आता, न जाने कितनी तरह की खुजली और गुदगुदी करता जाता। मैं खुद भी अपनी कमर को नीचे लेटी लेटी हिला रही थी। जब वो लंड मेरे अंदर डालता तो मैं भी अपनी चूत ऊपर को उठा कर उसको अपने अंदर लेती और जब वो बाहर निकलता तो मैं अपनी चूत को सिकोड़ लेती, भींच लेती जिससे उसका लंड अटक कर रुक कर, मेरी चूत रगड़ खाकर बाहर निकलता।
शेर सिंह बोला- ऐसा लग रहा है जैसे आप मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही हो। मैंने कहा- ये भी तो एक मुँह ही है, पर इतना ज़रूर है आप जैसा खुरदुरा और सख्त लंड मैंने आज तक नहीं देखा। शेर सिंह बोला- तो इसका मतलब यह है कि तुमने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया है? मैंने कहा- बहुत से तो नहीं, पर कुछ खास दोस्तों से, जिनको देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाई।
शेर सिंह बोला- और मैं? मैंने कहा- आपको तो पहली बार देख कर ही मेरे दिल में घंटी बज गई थी, मैंने तभी सोच लिया था कि आपसे मिलने का अगर जुगाड़ हो जाए तो मज़ा आ जाए। शेर सिंह बोला- अच्छा, औरतें भी ऐसा सोचती हैं। मैंने कहा- क्यों आपकी बीवी आपसे ऐसे खुल कर बात नहीं करती? वो बोला- बात अजी कहाँ, आपने देख ही ली शादी में मोटी भैंस!
और फिर उसने नीचे झुक कर मेरे होंटों को चूमा तो मैंने भी अपना सर ऊपर उठा कर उसके होंठ चूम लिए। “आह, मज़ा आ गया सविता तुम्हारी चूत मार कर … क्या लाजवाब औरत हो। एक नंबर की छिनाल हो साली, क्या मज़े ले कर चुदवाती हो, मगर मुझे ऐसी ही औरत पसंद है। तुम्हारे जैसी कुतिया।”
मैं मुस्कुरा दी। वैसे मेरे पति मुझे 6-7 मिनट तक चोदते हैं, तब जा कर मेरा पानी गिरता है, मगर शेर सिंह के खुरदुरे लंड ने मेरा 3-4 मिनट में ही पानी गिरा दिया। मैंने शेर सिंह से कहा- शेर ज़ोर से मार यार, मैं झड़ने वाली हूँ, चोद यार, और ज़ोर से चोद! और उसने ऐसे जोरदार धक्के मारे कि मैं तो गोंद की तरह उसके जिस्म से चिपक गई और खुद ही उसके होंठों से होंठ जोड़ दिये। मेरे होंठ उसने अपने दाँतों से काट लिए और “ऊ…आहा” और मैं तृप्त हो गई, झड़ गई, मर ही गई।
सच में किसी लाश की तरह मैं नीचे को लुढ़क गई तो शेर सिंह ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया। मैंने कहा- अरे आपने क्यों निकाल लिया, आप तो अपना करो न! वो बोला- नहीं, अभी नहीं … जब तुम दोबारा पूरी हीट पर आओगी, फिर करूंगा।
और मेरे साथ लेट कर मुझसे बातें करने लगा। हमने बहुत सी बातें की, 4 दिन पहले जिस आदमी को मैं जानती तक नहीं थी, उस आदमी के साथ मैं बेल की तरह नंगी लेटी हुई बातें चोद रही थी। फिर वो बोला- 6 बजने वाले हैं, घर जाने का वक़्त हो गया. मैंने कहा- तो फिर एक बार और करते हैं और चलते हैं।
मैंने अपनी टाँगे फिर से फैला दी। वो बोला- नहीं कुतिया की चूत किसी कुतिया की तरह ही मारूँगा। मैं उठी और घुटनों के बल हो गई, उसने पीछे से आकर मेरी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर डाल दिया, थोड़ा सा ढीला था मगर अंदर घुस गया।
उसके बाद उसने फिर से मेरी चुदाई शुरू की। इस बार वो कुछ ज़्यादा ही वहशी हो रहा था। उसकी जांघें ज़ोर से आकर मेरी गांड पर लगती तो मेरा सारा जिस्म झूल जाता। हर धक्के के साथ ‘ठप्प ठप्प ठप्प…’ की आवाज़ आ रही थी। मैं थोड़ा सा आगे को हुई तो उसने मेरे सर के बाल पकड़ लिए। मेरे पति और चाचाजी भी कई बार चुदाई में मेरे बाल खींच देते थे, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।
इस बार गेम बहुत लंबी और जोरदार चली। मुझे भी झड़ने में करीब करीब 10 मिनट लग गए, मगर वो तो और भी लंबा खेला। दो बार झड़ने के बाद मैं पूरी तरह से शांत, ठंडी हो चुकी थी।
और इसके बाद के 5 मिनट ने मेरी बस करवा दी। मैं बिल्कुल सूखी थी, और वो इसी सूखेपन में भी मुझे उसी ज़ोर से चोद रहा था। तड़पा तड़पा कर उसने मुझे बेहाल कर दिया, मैं अपनी चूत में होने वाले दर्द से परेशान थी, मैं तो बस “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” ही कर पा रही थी, और मेरी तकलीफ को वो समझ रहा था कि मुझे मज़ा आ रहा है, और वो और रगड़ रगड़ कर अपना लंड मेरी चूत में पेल रहा था।
शेर सिंह मेरे पति और चाचा दोनों से तगड़ा निकला और ऊपर से उसका ये खुरदुरा सा लंड … हर औरत चाहती है कि उसका मर्द चुदाई में तगड़ा हो, पर अगर कुछ ज़्यादा ही तगड़ा हो तो औरत की माँ चोद कर रख देता है, यही हाल मेरा था, घोड़ी बनी मैं थक चुकी थी, मैंने अपना सर ज़मीन से टिका लिया और मेरी गांड ऊपर हवा में उठी हुई थी, वो मेरी पीठ और मेरे कूल्हों को अपने हाथों से मसल रहा था, दबा दबा के दर्द करने लगा दिया था और वो किसी ज़ालिम सवार की तरह मुझे दौड़ाए जा रहा था।
मगर अब मुझे उसके लंड के कडकपन और उसकी स्पीड से लग रहा था कि वो झड़ने वाला है। और फिर आखिर उसने पूछा- मेरा होने वाला है, अंदर ही गिरा दूँ? मैंने कहा- हाँ आने दो, कोई दिक्कत नहीं!
और फिर उसने दोनों तरफ से मेरे कूल्हे पकड़ कर बहुत ज़ोर से दबाये और अपना गरम माल मेरे अंदर गिराया। गरम, गाढ़ा लेस! मेरी पूरी चूत भर गई, और अब तो उसका लंड भी बड़ी पिचक पिचक की आवाज़ के साथ मेरे अंदर आ जा रहा था। पूरी तरह खाली होने के बाद शेर सिंह मेरे साथ ही लेट गया।
वो लेटा तो मैंने उठ कर उसका लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसा और अपनी जीभ से चाटने लगी। शेर सिंह बोला- अरे मेरी जान, क्यों मुझे अपना गुलाम बना रही हो! मैंने पूछा- क्यों, ऐसे कैसे तुम मेरे गुलाम बन जाओगे? वो बोला- आज तक मेरी बीवी ने कभी मेरा लंड नहीं चूसा, और माल चाटने का तो मतलब ही नहीं, अब अगर तुम मुझे इतना प्यार करोगी, तो मैं कैसे तुम्हें भूल पाऊँगा। शादी के बाद तो तुम चली जाओगी, फिर ये सब प्रेम प्यार मुझसे कौन करेगा?
मैंने उसके लंड के छेद को अपनी जीभ की नोक से चाटते हुये कहा- तो ऐसा करते हैं, जब तक मैं यहाँ हूँ, वादा करो, तब तक तुम मुझे रोज़ इसी तरह भरपूर संभोग सुख दोगे। रोज़ मुझे चोदोगे और रोज़ मैं इसी तरह मैं तुम्हारा माल पीऊँगी। वो खुश हो गया और बोला- तो क्या तुम सारा माल पी सकती हो? मैंने कहा- हाँ, तुम चाहो तो झड़ने से पहले अपना लंड मेरे मुँह में डालो और सारा माल मेरे मुँह में गिराओ, मैं सारा माल पी जाऊँगी, मुझे मर्द का गाढ़ा गरम वीर्य पीना बहुत अच्छा लगता है। उसने खुश हो कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठ चूम गया, बोला- तू सच में कुतिया है सविता। बस तू हिम्मत रखना, जब जहां मौका मिलेगा, मैं तुम्हें तब तब वहाँ वहाँ चोदूँगा। मैंने कहा- तो ठीक है, आज दोपहर को मैं फिर तुमसे मिलना चाहूंगी। वो कुछ सोच कर बोला- ठीक है, दोपहर बाद मेरे घर पर!
हम दोनों ने मुस्कुरा कर एक दूसरे के होंठ चूमें और फिर उठ कर अपने अपने कपड़े पहने और वापिस तायाजी के घर आ गए.
उस वक़्त सात बजने वाले थे। तायाजी ने सैर के बारे में पूछा, मैंने शेर सिंह और उसके खेतों की, नहर की बहुत तारीफ की, और कह दिया कि मैं तो रोज़ सुबह सैर करने जाया करूंगी।
उसके बाद अगले 6 दिन मैं और वहाँ रही और इन 6 दिन में मैंने शेर सिंह से खूब चुदवाया। उस मर्द के बच्चे ने भी मुझे अपना माल पिला पिला कर तृप्त कर दिया।
शादी में मैंने कैसे पर पुरुष से संभोग का सुख लिया, वो मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगी, आप ज़रूर पढ़ना तब तक के लिए विदा। [email protected]
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