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हैलो, मैं तनिष्क़ हूँ. आपने मेरी पहली वाली कहानी फ़ुटबॉल कोच ने मेरी गांड मारी तो पढ़ी ही होगी. अब मैं आपको अपनी एक दूसरी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ.
चूंकि अब मैं उस स्कूल से तो निकल चुका था, तो अब कोच सर से मुलाकात ज्यादा नहीं हो पाती थी. पर अब मुझे लंड का चस्का तो लग ही चुका था. मुझे गांड मराये काफ़ी दिन हो गए थे, अब अन्दर से बेचैनी सी हो रही थी. मैं अपनी प्यास बुझाने को यहां वहां लोगों को खोजता, पर कोई ढंग का मिलता ही नहीं. अब मुझे उंगली करने में भी मज़ा नहीं आ रहा था. कोच सर ने मुझे पूरी तरह से गांडू रांड बना दिया था.
मेरा भैया मुझसे 4 साल बड़ा है. और उसको स्पोर्ट्स और जिम का बहुत शौक है. वो बिल्कुल किसी बॉडी बिल्डर की तरह है. वैसे ही उनके दोस्त तुषार भैया हैं. तुषार भैया को मैं बचपन से भईया ही बुलाता आया हूँ. तुषार अक्सर नाइट स्टे के लिए मेरे घर आया करते थे. वो, भईया और मैं बहुत मस्ती करते थे. उनकी एक गर्लफ्रेंड भी थी. जिस वजह तुषार भैया को देख कर कभी भी नहीं लगता था कि उनको लौंडों में इंटरेस्ट हो सकता है.
एक दिन, भैया और उनके कुछ फ्रेंड्स घर पर नाइट स्टे के लिए आए, उन सबका प्लान था कि सब साथ मिलकर छत पर सोएंगे, पर तभी रात को ज़ोर की बारिश हो गयी.. तो सब नीचे घर में आ गए.
मेरे घर में दो मंजिलें हैं. नीचे दो कमरे है, जिनमें एक में मॉम और डैड सोए थे.. और एक में दादी.. ऊपर की मंजिल में 3 कमरे हैं. भैया के दोस्त 5 लोग थे, तो 2-2 करके वो सब सोने के सैट होने लगे. दो कमरों में 4 घुस आए और एक बच गया था तो भैया ने तुषार भैया को मेरे कमरे में भेज दिया. मैंने झट से हां कर दी और उनको अपने रूम में बुला लिया.
हम दोनों ने सोने से पहले काफ़ी देर तक बात की और फिर सोने लगे. रात को 1 या 2 बज रहे होंगे, तभी नींद में मेरा एक हाथ तुषार भैया की कमर पर चला गया और मैं उनसे चिपक कर सोने लगा.
तभी मुझे मेरे हाथों पर थोड़ी हरकत महसूस हुई तो मैंने देखा कि तुषार भैया धीरे धीरे मेरे हाथ को अपने बॉक्सर के करीब ले जाने लगे. मैंने कोई हरकत नहीं की, बस काफ़ी डर लग रहा था. धीरे धीरे तुषार भैया ने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया और हौले हौले मेरे हाथ से अपने लंड को मसलवाने लगे. मुझे मज़ा आ रहा था. मेरे हाथ के स्पर्श से उनका लंड पूरी तरह तन गया और मुझे मेरे हाथ में एक 9 इंच का काफ़ी मोटा लंड महसूस होने लगा.
मेरा लंड भी तन कर सख्त हो गया, जो शायद तुषार भैया को महसूस हो गया. फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने बॉक्सर के अन्दर डाल दिया. मैं अभी भी कोई हरकत नहीं कर रहा था, बस मेरा लंड ही हरकत में था. मेरा हाथ अन्दर जाते ही मुझे उनकी झाँटें और झांटों के बीच उनका मोटा, लंबा और गरम लंड महसूस होने लगा. अब मुझसे रहा ना गया और मैं उसे खुद ही मसलने लगा.
तुषार भैया समझ गए कि मैं सोया नहीं, जगा हुआ हूँ, उन्होंने धीरे से मेरे कान में कहा- लंड मुँह में लेगा? मैंने झट से हां कह दिया.
मैंने नीचे की और खिसकते हुए उनका बॉक्सर खोला और उनका लंड बाहर निकाल लिया. उनका लंड इतना लंबा, मोटा और गर्म था कि मैं खुद को रोक ना पाया. झट से मैंने उनके लंड पर एक किस किया और मुँह में डाल लिया. उनका लंड इतना मोटा था कि मेरे मुँह में पूरी तरह से नहीं आ पा रहा था. उनके लंड और झांटों की खुशबू मुझे और मदहोश कर रही थी. मैं भी रंडी की तरह उनका लंड दबा दबा कर चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद तुषार भैया अपने पूरे मूड में आ गए और उन्होंने टेबल लैंप ऑन कर दिया. इसके बाद उन्होंने अपनी टी-शर्ट उतार दी. हाय उनका जिम किया हुआ शरीर, चौड़ी छाती, हाथों की मछलियाँ, चिकना शरीर.. ये सब देखते ही मेरी गांड में खुजली होने लगी. मैंने भी लंड मुँह से बाहर निकाला और उनकी तरफ देखा. उन्होंने झट से मेरा मुँह पकड़ा और मेरे होंठ चूसने लगे. दूसरी तरफ अपने हाथों से मेरी गांड मसलने लगे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तभी उन्होंने मेरे एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मुझे और मज़ा आने लगा. मैंने भी उनकी मर्दानी छाती के निप्पल चूसे और फिर हम बॉडी प्ले करने लगे. हम दोनों जम कर मज़े लूट रहे थे. तभी उन्होंने मेरा सिर सख्ती से पकड़ा और मेरा चेहरे को अपने लंड पर रगड़ने लगे. मैंने अपना मुँह खोला और झट से उनका लंड मुँह में ले लिया. अब खुल कर लंड चुसाई का खेल चल रहा था. उनकी सिसकारियां निकलने लगी थीं- ह्म्म्म्म .. ऑश..
मुझे भी मज़ा आने लगा था, मैं और भी मस्ती से रांड बनने लगा. वो नशे में मेरा सर पकड़ते और जम कर अपने लंड की शंटिंग करते हुए मेरे मुँह को दबा दबा कर चोदते. इस समय उनका 9 इंच का लंड पूरा का पूरा मेरे मुँह में चला जा रहा था. भैया के दोस्त का लंड मेरे गले तक जाकर मेरी लंड चूसने की ख्वाहिश पूरी कर रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
तभी उन्होंने मुझे पलटाया और लिटा दिया. फिर अपनी जीभ से मेरी गांड को चोदने लगे. उनकी गर्म और गीली जीभ मेरी गांड के छेद को जैसे ही छूती, मैं पूरा मदहोश हो जाता. इसी तरह कई मिनट तक वो अपनी उंगली और जीभ से मेरी गांड चोदते रहे.
फिर वो धीरे से मेरे कान के पास आकर मेरे कान चूसते हुए बोले- तनिष्क, मुझे चोदने की तलब लगी है.. तेरी गांड मारूं क्या? मैं तो मानो खुशी से पागल हो गया. मैं तो चाहता ही यही था. मैंने कहा- आपकी तलब में बुझाऊंगा भैया, जम के गांड मारो मेरी प्लीज़.
उन्होंने अपने लंड कर थूक लगाया और मेरी गांड के छेदे पर रख दिया. मेरी गांड का छेद तो पहेले से ही गीला था, तो धीरे धीरे लंड अन्दर जाने लगा. उन्होंने तेज धक्का दिया और उनका मूसल लंड का सुपारा मेरी गांड के अन्दर चला गया.
कई दिनों बाद गांड में मोटे लंड के जाने से मेरी जान ही निकल गई थी. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरी गांड में लोहे का गरम सरिया घुसेड़ दिया गया हो. मैं चिल्लाने को ही हुआ था, तभी भैया ने मेरी आवाज़ दबाते हुए लंड पेलने लगे.
जब तक मैं उनसे कुछ कहता या उन्हें रोकता.. उन्होंने दूसरा धक्का दे मारा और उनका पूरा हब्शी लंड मेरी गांड में घुस गया. इसी वक्त तुषार भैया का हाथ मेरे मुँह से हट गया और मैं ज़ोर से चिल्ला उठा. उन्होंने तुरंत फिर से अपने हाथ से मेरा मुँह बंद किया और अपनी अंडरवियर मेरे मुँह में डाल दी. उनके अंडरवियर की खुशबू मुझे फिर मदहोश करने लगी. अब वो एक भूखे हैवान की तरह मेरे ऊपर पिल पड़े थे. उन्होंने मेरे दोनों हाथ पीछे करके पकड़ लिए और ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड में लंड के धक्के मारने लगे. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, पर मज़ा भी उतना ही आ रहा था. हालांकि मेरी आवाजें भी खत्म हो चुकी थीं.
वो मेरी गांड चोदते चोदते मेरे कान के पास आए.. और कान की लौ को चूसने लगे. भैया बोले- मज़ा आ रहा है ना, आज तो तुझे ऐसा चोदूँगा कि कुछ दिनों तक ढंग से चल नहीं पाएगा मेरी जान. मैं डर गया और उन्हें रोकने की कोशिश करने लगा, पर उनका मर्दों जैसा भारी शरीर मुझ पर ही भारी पड़ रहा था. मैं उन्हें हिला भी नहीं पा रहा था. वो मुझे जम कर चोदते रहे.
अब मेरा दर्द मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. थोड़ी देर बाद अब मेरी गांड ढीली हो गयी और मज़ा आने लगा.. दर्द कम हो गया. अब मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर उनके सख्त लंड का मज़ा लेने लगा. वो समझ गए कि मुझे मज़ा आ रहा है. फिर उन्होंने मेरे हाथ छोड़ दिए और मुझे घोड़ी बनाकर जम कर चोदा.
इसके बाद भैया के दोस्त ने और भी कई पोज़िशनों में मेरी गांड मारी. मेरी गांड का छेद अब सूज कर लाल हो चुका था. पर ना मेरा मन मान रहा था, ना उनका. करीब एक घंटे बाद वो मेरी गांड में ही झड़ गए. उनका गाढ़े, गरम वीर्य की पिचकारियां मुझे मेरी गांड में साफ़ साफ़ महसूस हो रही थीं.
अब उन्होंने मेरी गांड से लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया. मैं अपना लंड हिलाते हुए उनके लंड पर लगा हुआ वीर्य चाट चाट कर साफ़ करने लगा. थोड़ी ही देर में मैं भी झड़ गया. फिर उन्होंने मुझे किस किया और मुस्कुरा कर मेरे बगल में ही सो गए. मैं भी उनके पसीने में भीगी चौड़ी छाती से लिपट कर सोने लगा. कुछ देर बाद मुझे फिर से उनका लंड सख़्त होता महसूस हुआ और जब मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने धीरे से मुस्कुरा दिया.
बस फिर क्या था.. उस जालिम बेदर्दी ने मेरी जम कर गांड चुदाई फिर से शुरू कर दी. फिर आधा घंटे बाद वो मेरे मुँह में झड़ गए और मैं उनका पूरा गाढ़ा, गरम रस गटक गया.. लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया. हम दोनों पसीने से तर बतर हो गए थे और थक भी गए थे. बस यूं ही हम एक दूसरे से लिपट कर सो गए.
अब तो तुषार भैया मेरी अक्सर चुदाई करते हैं. अब वो मेरे ब्वॉयफ्रेंड बन गए हैं.
ये थी मेरी गांड चुदाई की दूसरी सेक्स स्टोरी.. आगे और भी हैं.. बस आप मुझे मेल भेज कर प्रोत्साहित करते रहिए. [email protected]
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