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हैलो, मैं राहुल बठिंडा से हूँ। मैं आप सब को मेरी सेक्स कहानी बताना चाहता हूँ। काफ़ी समय से मैं ये कहानी लिखना चाहता था, पर समय ही नहीं मिला। आज समय मिला है.. इसलिए लिख रहा हूँ।
बात उस समय की है, जब मैं चंडीगढ़ में पढ़ता था। शुरू में तो काफी दिक्कत आई, नया शहर था.. नए लोग थे, कोई जानता ही नहीं था। घर से एडमिशन कराने भी मैं अकेला ही आया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि घर वाले चंडीगढ़ का महंगा और मॉडर्न रहन-सहन देखें क्योंकि मैं मिडल क्लास फैमिली से हूँ और मेरे माता-पिता पुराने विचारों वाले हैं। आप समझ ही गए होंगे कि मेरा क्या सोचना था।
खैर.. मेरा एडमिशन हो गया और फिर मैं रहने के लिए कोई रूम देखने लगा। काफी समय के बाद कॉलेज से 4 किलोमीटर दूर एक रूम मिला। अब मैं रोज कॉलेज बस से ही आता-जाता था। बस में रोज काफी भीड़ होती थी क्योंकि उस टाइम ऑफिस स्टाफ भी जाता था। मैं रोज 23 सेक्टर के अड्डा से बस पकड़ता था। मुझे जाते हुए अभी कुछ 20 दिन ही हुए थे कि एक दिन बस में काफ़ी भीड़ थी, कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं थी। वैसे तो रोज ही भीड़ होती थी परन्तु उस दिन कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। मैं लेट हो रहा था इसलिए उसी बस में चढ़ गया, मेरे पास कोई अधिक सामान नहीं था, सिर्फ एक कॉपी थी इसलिए मेरी बस में घुसने की हिम्मत हो गई थी।
बस में पैर रखने के लिए अन्दर जगह बनानी थी.. वो मैंने बड़ी मुश्किल से बनाई। मैंने आस-पास देखा तो मेरे पास लेफ्ट में अंकल थे दूसरी साइड एक बच्चा था, मैंने सोचा साली किस्मत ही बेकार है क्योंकि जहाँ भीड़ होती है वहाँ किसी माल के मम्मों में हाथ लगाया जा सकता है, परन्तु आज तो कुछ नहीं हो सकता था। तभी एक आवाज आई- रोबिन, हाथ पकड़ो मेरा!
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक 30-32 की उम्र की एक लेडी सीट पर बैठी थी। उन्होंने काली पजामी डाली हुई थी और हल्का गुलाबी से रंग का कुरता पहना था। उस लेडी ने हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था। मैंने फिर उनके बच्चे की तरफ देखा, वो बाहर की तरफ देख रहा था।
मैंने कुछ टाइम तो भाभी पर लाइन मारी.. मेरा रास्ता सिर्फ 15 मिनट का ही होता था इसलिए मैंने पहले दो मिनट तो भाभी को देख कर उन पर लाइन मारी, जिसमें भाभी ने भी मुझे दो बार देखा। पर मुझे जैसे ही देखती थीं.. देख कर तुरंत बाहर को देखने लगती थीं। फिर जब भाभी ने तीसरी बार देखा तो मैंने इशारा कर दिया। मैं अपनी उंगली से अपनी पलकें साफ करने लगा।
पहले तो भाभी को समझ नहीं आया कि मैं क्या कह रहा हूँ। भाभी ने फिर मेरी तरफ देखा तो मैंने फिर वही इशारा किया और इतने धीरे से बोला, जो मुझ को भी नहीं सुना पड़ा कि ‘साफ़ कर लो।’
लेकिन भाभी ने सुन लिया और अपने बैग से रुमाल निकाला और अपनी पलकें साफ़ करने लगीं। पलकें साफ़ करके भाभी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने थोड़ी से गर्दन हिला कर इशारा कर दिया कि ठीक है।
इतने में एक स्टॉप आया और कुछ सवारी और चढ़ गईं। अब भीड़ बहुत ज्यादा हो गई, जिस कारण मुझे एक हाथ के सहारे खड़ना मुश्किल हो गया। मैंने भाभी से कहा- भाभी, प्लीज ये कॉपी रख लो। भाभी ने कॉपी पकड़ कर अपने पास रख ली। मैंने अपने दोनों हाथ से ऊपर वाले पोल को पकड़ लिया। इतने में मेरा स्टॉप आ गया, मैंने भाभी से कॉपी मांगी और उतर गया।
जब बस चली तो मैंने भाभी की तरफ देखते हुए कॉपी को किस किया। अब मैं बता दूँ की भाभी की पलकों पे कुछ नहीं था, ये मेरा तरीका है जिसने मेरे इशारे से साफ़ कर लिया, उस पर लाइन मारो तो वो फंस जाती है।
बाकी सारा दिन ऐसा ही गया।
अगले दिन मैं बस में चढ़ा तो आज ज्यादा भीड़ नहीं थी, पर बैठने को जगह नहीं थी। मैं आगे खड़ा हो गया, तभी पीछे से कुछ सवारियाँ चढ़ीं। मैंने देखा तो उनमें कल वाली भाभी भी थीं। भाभी को किसी लड़के ने जगह दे दी उनका बच्चा उस लड़के की गोद में बैठ गया था। तभी भाभी ने मेरी तरफ देखा कुछ समय के लिए हमारी आँखें मिलीं.. फिर वो बाहर देखने लगीं।
मैं धीरे धीरे जगह बनाता हुआ भाभी के पास जा कर खड़ा हो गया। वहाँ बस की पिछली सीट कुछ ऊपर को होती है, सो मैं भाभी से लगभग सट कर खड़ा हो गया। मैं उनसे इतना करीब था कि जब बस झटका देकर चले, तो मेरा लंड भाभी की कोहनी से टच हो। मैं चूंकि लम्बा तगड़ा था और भाभी की हाईट कुछ कम थी।
फिर हुआ भी ऐसा ही..
अब मैं बार-बार अपना लंड भाभी की कोहनी पर टच करता रहा। कुछ टाइम बाद भाभी ने कोहनी हटा ली, मैंने सोचा साला कहीं मार न पड़ जाए इसलिए मैं भी सीधा हो गया। ऐसे कामों में गांड भी बहुत फटती है।
थोड़े टाइम में मैंने भाभी की तरफ देखा तो वो भी मुझे देख रही थीं। फिर उन्होंने अपने हाथ की तरफ इशारा किया, जब मैंने उनके हाथ की तरफ देखा तो वो अपने एक हाथ पर दूसरे हाथ की उंगली से कुछ लिख रही थीं। मुझे कुछ समझ नहीं आया।
मैंने कहा- रिपीट करना!
तो वो फिर लिखने लगीं.. तो देखा वो नंबर लिख रही थीं। मैंने जल्दी-जल्दी नंबर दिमाग में बिठा लिया। इतने में मेरा स्टॉप आ गया और मैंने उतरते ही नंबर डायल किया।
रिंग गई तो मोबाइल पिक हुआ। मैं- हैलो.. उधर से- हैलो कौन? मैं- जी मैं बस में था। उधर से- हाँ मैं तुम्हें ऑफिस जा कर कॉल करती हूँ।
आधे घंटे बाद कॉल आया।
“हैलो अब बोलो..” मैं- आपका नाम क्या है? सामने से “साक्षी … और तुम्हारा?” मैं- जी रवि! साक्षी- तो क्या करते हो रवि? मैं- जी मैं बी.टेक कर रहा हूँ.. आप? साक्षी- मैं एक कंपनी में जॉब करती हूँ.. चलो ओके मैं तुम्हें शाम को कॉल करती हूँ.. बाय।
फिर शाम तक मैं उनके कॉल का वेट करता रहा, पर कोई कॉल ना आया। डिनर के बाद जब मैं 17 सेक्टर की मार्किट घूमने गया, तो कॉल आया- हाँ रवि कैसे हो? मैं- जी ठीक हूँ.. आप बताओ। साक्षी- मैं भी ठीक हूँ.. कहाँ हो तुम? मैं- जी 17 सेक्टर की मार्किट में हूँ। साक्षी- ओह मैं भी वहीं आ रही हूँ.. तुम मुझे पार्किंग के पास मिलो।
मैं पार्किंग के पास गया और उनका वेट करने लगा। कोई 15 मिनट के बाद एक आई-20 आ कर रुकी और शीशा नीचे करके उन्होंने आवाज दी- रवि आओ अन्दर।
मैं अन्दर बैठ कर बोला- साक्षी जी ये कार? साक्षी- मेरी है.. दो दिन से रिपेयर पर थी.. आज शाम को ऑफिस से आते वक्त ले आई, इसलिए तो बस में जाती थी। मैं- ओके! मैं साक्षी के बेटे के साथ ‘हैलो…’ करने लगा। साक्षी- हैलो करो रोबिन। रोबिन ने हैलो की, साक्षी ने कहा- मुझे लगा था कि तुमने नंबर गलत न नोट कर लिया हो।
मैं- नहीं जी.. किस्मत ने साथ दे दिया, नहीं तो कहाँ मैं.. कहाँ आप! साक्षी- ये क्या आप आप लगा रखी है.. नाम है मेरा.. नाम ही लो ना! मैं- ओके साक्षी.. आपके पति! साक्षी- वो कनाडा गए है कंपनी के काम से.. अगले साल मैं भी वहीं चली जाऊंगी। मैं- ओके तो अब हम कहाँ जा रहे हैं? साक्षी- मेरे घर.. आज तुम मेरे साथ रहना।
फिर हम एक बिल्डिंग में गए, कार पार्क की और लिफ्ट से साक्षी के घर गए। अन्दर आते ही साक्षी ने गेट बंद किया और बोली- रोबिन जाओ बेटे रूम में.. गुड नाईट..
“तुम क्या पियोगे?” “दूध..” “अभी रात बाकी है.. तब पी लेना।” मैं- नहीं मैं सिंपल दूध को बोल रहा हूँ.. मुझे रात को दूध पीने की आदत है।
साक्षी हंसी और फिर दूध ले आई। मैं दूध पी कर बैठ गया, साक्षी बाथरूम चली गई।
जब वो वापिस आई तो उन्होंने सिर्फ पिंक कलर का तौलिया लिपटाया हुआ था। उनके गोरे रंग पर पिंक रंग बहुत ही सेक्सी लग रहा था। साक्षी- तुम भी नहा लो।
मैंने जल्दी से शावर लिया.. लंड को साफ़ किया, फिर बाहर एक तौलिया में आ गया।
साक्षी- इधर आ जाओ।
मैं आवाज की तरफ गया तो एक बेडरूम था। अन्दर से मीठी से खुशबू आ रही थी। साक्षी की आँखें नशीली थीं.. उन्होंने हल्का सा म्यूजिक लगाया हुआ था। बड़े ही नशीले अंदाज से साक्षी ने मुझे हग किया। मैंने भी उनको प्रेम से हग किया और उनकी गर्दन पर किस करने लगा।
अगले ही पल मैंने उनके बालों को खोल दिया और फिर कान पर काटने लगा। वो कामुक सिसकारियां लेने लगीं। मैं उनके होंठों को चूमने लगा, उनका ऊपर का अपने होंठों के बीच दबा कर चूसने लगा। वो भी मेरे नीचे वाला होंठ चूसने लगीं।
काफी देर तक हम किस करते रहे, फिर मैं उन्हें बेड पे ले गया और उनका तौलिया खोल दिया। उनके गोल-गोल मम्मे देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया। मैं मम्मों पर टूट पड़ा, कभी लेफ्ट कभी राईट चूचे को जोर से चूसता.. फिर काट लेता। कई मिनट तक मैं साक्षी के मम्मे ही चूसता रहा। साक्षी भाभी “ऊओह्ह्ह्ह… आआहहह..” करती रहीं।
अब तक मेरा तौलिया भी खुल चुका था। मेरा लंड साक्षी की चूत पर रगड़ खा रहा था। उनके मम्मे चूसने के बाद मैं धीरे-धीरे पेट की चुम्मियां लेने लगा। जब मैं उनका चुम्मा लेता तो उनका पेट अन्दर हो जाता और वो साँस अपने अन्दर भर लेतीं।
मैं अपनी जीभ से उनकी नाभि को कुरेदने लगा.. वो पागल सी हो गईं, उनकी मदभरी कामुक सिसकारियां ही निकलती रहीं- ऊऊह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआअह.. मैं फिर उनकी चूत को चूसने लगा। उनकी चूत के दाने को मैंने मुँह में भर लिया.. और कभी दाने को काटता तो कभी चुत के अन्दर तक जीभ को घुसेड़ देता। साक्षी- आह्ह.. बस अब आ जाओ।
मैंने लंड उनकी तरफ किया.. परन्तु उन्होंने लंड चूसने से मना कर दिया। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया क्योंकि किसी को लंड चूसना नहीं पसंद होता है। बाकी उनके साथ मेरा फर्स्ट टाइम था इसलिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। हालांकि अब वो मेरा लंड चूसती हैं।
मैंने लंड को उनकी चूत के निशाने पे रखा और धक्का दे मारा। मेरा लंड एक फक्क की आवाज के साथ अन्दर घुसता चला गया। साक्षी की आह निकली और मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा।
मुझे गुस्सा आ रहा था कि इन्होंने मेरा लंड क्यों नहीं चूसा.. और इसी लिए मैं तेज गति में चुदाई कर रहा था। परन्तु उनको मजा आ रहा था।
कुछ 15 मिनट के बाद मेरा स्खलन होने को हुआ तो मैंने लंड उनके मम्मों पर रख दिया। जब मैं खाली हुआ और साइड में लेट गया तो कुछ 10 मिनट के बाद उन्होंने कहा- सॉरी रवि, मैंने तुम्हारे साथ नहीं दिया.. परन्तु मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं सागर में डूब गई.. इतना मजा आ रहा कि क्या बताऊं।
इस मजे को अपने अन्दर समा के रख लिया मैंने उन्हें चूमा और ‘लव यू मेरी जान’ कह दिया।
उसके बाद हम तक़रीबन रोज मिलते थे कुछ दिन बाद मैं उनके घर में ही रहने लगा। अब वो सब कुछ करती हैं.. उन्होंने अपनी दो सहेलियों की भी चूत दिलाई है। वो सब बाद मैं बताऊंगा। आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी.. रिप्लाई जरूर करना। [email protected]
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