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प्यारे दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है. उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी. मेरा नाम राहुल है और मेरी उम्र 23 साल है, मैंने अभी स्टडी खत्म की है और अभी घर पर ही रहता हूं. मैं देखने में भी अच्छा हूँ.
यह कहानी मेरी और एक भाभी की है. पहले मैं आपको भाभी के बारे में बता देता हूं. भाभी का का नाम शीतल है, वे मेरे पड़ोस में ही रहती हैं. भाभी की उम्र 32 साल है. वो देखने में सेक्स बम्ब हैं. उनकी बड़ी बड़ी चुचियां, उठी हुई मोटी गांड.. बड़ी ही दिलकश लगती है. भाभी जब गांड हिलाते हुए चलती हैं तो उनकी थिरकती गांड को देखते ही उनको चोदने का मन करने लगता है.
भाभी के हंसबैंड जॉब करते हैं और वो हाउसवाइफ हैं. मेरा शीतल भाभी के घर पर आना जाना लगा रहता है.
एक दिन बारिश का मौसम था तो मैं बाहर ही घूम रहा था. तभी शीतल भाभी ने मुझे आवाज़ दी, मैं उनके पास गया. उन्होंने कहा- यार राहुल, बेसन लेकर आ जाओ.. मौसम अच्छा है, पकोड़े बनाऊँगी.
मेरा मन भी भजिया पकोड़े खाने का हुआ तो मैंने हंस कर हां कर दिया, लेकिन ये नहीं कहा कि मैं भी खाऊंगा. बस मैं पास की ही दुकान से बेसन लेकर आ गया. तब तक बारिश भी शुरू ही गई थी. तो भाभी ने कहा- राहुल, बस अभी दस मिनट में बन जाते हैं पकौड़े… तुम खाये बिना मत जाना! मेरा तो पहले से ही मन था तो मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनके सामने हां में सर हिला दिया. मैं भी भाभी के पास ही बैठ गया और उन्हें पकौड़े बनाने की तैयारी करते देखता रहा.
तभी अनायास भाभी बोलीं- अरे यार… मैं तो कपड़े उतारने भूल ही गई. मैं भी मजाक में बोल पड़ा- भाभी जी, आप कपड़े उतारकर पकौड़े बनाती हो क्या? शीतल भाभी बोलीं- यार राहुल, मजाक मत करो, चलो मेरे साथ.. छत पर से कपड़े उतारने हैं. तब मैं समझा कि ये सूखने डाले हुए कपड़ों को उतारने की बात कर रही हैं.
बारिश काफी तेज थी, तो हम दोनों काफी भीग गए. हमने नीचे आकर कपड़े रखे, जो कि काफ़ी भीग चुके थे. फिर भाभी ने मुझे एक तौलिया दिया और कहा- लो अपना शरीर पौंछ लो. वो खुद भी बाथरूम की तरफ चली गईं.
मेरा ध्यान अब भाभी पर ही था क्योंकि भीगने के बाद उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी और उनका सेक्सी जिस्म थोड़ा नुमाया हो रहा था.
मैं उनके पीछे चला गया, वो बाथरूम में कपड़े चेंज कर रही थीं. हालांकि बाथरूम का दरवाजा बंद था.. लेकिन मुझ पर अब सेक्स का बुखार चढ़ चुका था. तो मैंने अपने कपड़े निकाले और मैं सिर्फ अंडरवियर में आ गया था. तभी मैंने गिरने का नाटक किया और जोर से चिल्लाया- उम्माह…
भाभी मेरे चिल्लाने की आवाज सुनकर बाहर आईं, उन्होंने नाइटी पहन रखी थी. वो मेरे पास आईं और मुझे सहारा देकर उठा कर बेड तक ले गईं.
जब भाभी मुझे कमरे में ले जा रही थीं तब मैंने उनकी हसीन जवानी से चिपकने का भरपूर सुख लिया. इस दौरान मेरे हाथों ने उनकी चूचियों को दबा लिया था. भाभी ने मेरी इस हरकत का कुछ भी विरोध नहीं किया.
कमरे में आने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा- कहां चोट लगी है? मैंने अपनी टांग की तरफ इशारा किया. वो तेल लेकर आई और मेरे पैर पर मालिश करने लगीं.
मैं चड्डी में ही पड़ा था, मेरा लंड खड़ा होने लगा और दो मिनट में ही तम्बू बन गया. तभी शीतल भाभी ने मेरे खड़े होते हुए लंड को देखा तो कहा- ये क्या है? मैंने कहा- आप पूछ तो ऐसे रही हो, जैसे कुछ जानती ही नहीं हो. भाभी हंस दीं और बोलीं- हां ठीक है.. अब इसको बिठा लो.
मैंने भाभी की हंसी देख कर हिम्मत बाँधी और कहा- भाभी ये आपको देखकर खड़ा हुआ है.. आपके कहने से ही बैठेगा. भाभी इठला कर बोलीं- मैं बस तुम्हारे भैया का ही बैठाती हूँ.. अब तुम जाओ. लेकिन मैं ज़िद पर अड़ा रहा, मैं बोला- मैं आपके इतने काम करता हूँ, आपकी हेल्प करता हूँ, आप इतना तो कर ही सकती हैं. इसमें आपको भी मजा आएगा.
शायद मौसम की वजह औऱ खड़ा लंड देखकर भाभी का भी मूड हो गया और उन्होंने मन बनाते हुए हां में सर हिला दिया. उनकी हां जानते ही मैं उन पर टूट पड़ा. मैं भाभी को किस करने लगा, उनके चूचों को मसलने लगा. तभी भाभी बोलीं- राहुल बेटा, आराम से करो.. अब तो मैं राजी हो गई हूँ.
तभी भाभी उठी और उन्होंने अपनी नाइटी निकाल दी. मैंने देखा कि उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना था. मैं तो नंगी भाभी को देखता ही रह गया. एकदम क्लीन चूत और भारी भारी चुचियां.
शीतल भाभी ने तभी मेरा अंडरवियर नीचे किया और मेरा 6 इंच का लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं. कुछ देर तक लंड चूसने के बाद भाभी चित लेट गईं और अपनी चूत की तरफ इशारा करने लगीं, भाभी अपनी आंखें बंद करके चूत पर हाथ फिराने लगीं.
मैं समझ गया और उनकी चूत को खोल कर चूम ली और जीभ से उनकी चुत से चुदास वाला पानी चाट लिया. भाभी एकदम से सिहर उठीं और उन्होंने अपनी टांगें खोल दीं. मैंने भी पोजीशन में आकर एक झटके में अपना पूरा खड़ा लंड उनकी चुत में डाल दिया. भाभी की एक तेज आह निकल गई. मैं उनकी आह का मजा लिया और मैं तेज तेज झटकों के साथ भाभी की चूत चोदने लगा.
मैं चुदाई के साथ साथ भाभी के एक चूचे को मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरे चूचे को अपने हाथ से मसल रहा था. तभी भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और बोला- अब दूसरी तरह से करो. मैंने लंड निकाल लिया तो वो घोड़ी बन गईं और बोलीं- अब जल्दी से लंड डाल कर फिर से चोदो.
लेकिन भाभी की बड़ी गांड देखकर मेरा मन उनकी गांड मारने पर आ गया. भाभी की चुत के पानी की वजह से मेरा लंड काफी चिकना हो गया था.
मैंने उनकी गांड पर लंड रखा और झटका मार दिया. अभी भाभी कुछ समझ पातीं कि मैंने एक झटके में ही पूरा लंड उनकी गांड में पेल दिया. मेरा लंड उनकी गांड में बड़ी आराम से घुसता चला गया. भाभी अपनी गांड हिलाते हुए हँसने लगीं और बोलीं- बेटा, तुम्हारी भाभी की ये गांड तो तुम्हारे भैया से बहुत चुदी है.. आज तुम भी जी भरकर मेरी गांड मारो.. और चोद लो.
मैं उनकी गांड, जो कि बहुत बड़ी थी दोनों हाथों से पकड़कर चोदता रहा. पांच मिनट के बाद मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था. मैंने भाभी से कहा- मेरा होने वाला है. उन्होंने लंड को गांड से निकालकर पलंग की चादर से साफ किया और मुँह में लेकर चूसने लगीं. मैं मजे में लंड चुसवाने लगा. कुछ ही पलों में लंड ने लावा उगल दिया और सारा पानी भाभी के मुँह में चला गया.
भाभी बड़ी वाली चुसक्कड़ थीं, वे मेरे लंड के पूरे पानी को अपने मुँह में भरकर गटक गईं. मैं अपनी आँखें बंद करके भाभी के मुँह में अपनी मलाई छोड़ता रहा. कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे हो प्यार से देखने लगे.
भाभी जीभ से चटखारा लेते हुए बोलीं- बारिश का असली मजा आ गया. मैंने भी कह दिया- भाभी, अभी बारिश हो ही रही है. भाभी हंस कर बोलीं- चल पहले पकौड़े बना कर खाते हैं. फिर दूसरा राउंड खेलेंगे, तेरा लंड मजेदार रस छोड़ता है.
फिर भाभी नंगी ही किचन में गईं उन्होंने पकौड़े तले और प्लेट में ले कर आ गई.
मैंने देखा कि उनकी आँखें चुदास के नशे में मस्त हो रही थीं. मैंने पकोड़े को हाथ लगाया तो बोलीं- दारू पिएगा? मैंने कहा- किधर है? उन्होंने अलमारी से रम की बोतल निकाली और दो गिलास में पैग बनाए. मैंने चियर्स किया और पकोड़े के साथ दारू का मजा लेना शुरू कर दिया.
दो दो पैग के बाद सुरूर चढ़ गया और दूसरा राउंड शुरू हो गया. इस बार भाभी ने मेरे लौड़े की सवारी गांठी और हम दोनों ने लंड चूत का खेल बीस मिनट तक खेला.
चुदाई के बाद मैं अपने कपड़े पहन कर घर जाने लगा. भाभी मेरी चुदाई से बड़ी खुश थीं, सो बोलीं- अब आते रहना, मेरे दोनों छेद तेरे लिए खुले हैं. मैंने भाभी की चुम्मी ली, चूची मसली.. और हामी भरते हुए घर चला आया.
इसके बाद हफ्ते में दो बार तो भाभी की चुदाई का मजा मिल ही जाता रहा.
लेकिन अब मेरी चुदक्कड़ भाभी मेरे पड़ोस से घर छोड़कर किसी दूसरी जगह रहने को चली गई हैं. अब उनसे मुलाक़ात भी नहीं होती, चुदाई तो दूर की बात है.
दोस्तो, मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी पहली चुदाई की कहानी आपको पसंद आई होगी. मुझे कोई गलती हुई हो तो माफ करना. और दिल में कोई बात हो तो मुझे [email protected] पर मेल करना.
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