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नमस्ते दोस्तों, मैं आपकी रीना अपनी कहानी का दूसरा भाग ले कर आ गयी हूँ.
तो दोस्तों मैं उस रात सो नहीं पायी,खुद के अंदर की रीना को मिल कर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी
मैंने नहा-धो कर नाश्ता किया और फिर से रीना बन कर बैठ गयी कंप्यूटर के आगे और देखने लगी क्रॉसड्रेसेर्स से जुडी फोटोज, वीडियोस कहानिया और वो सब देख कर ,सुन कर,पढ़ कर मुझे लगा मनो अब तक मैने ज़िन्दगी को जिया ही नहीं है
मैं पोर्न वीडियोस देख रही थी, आअह्ह्ह किस तरह से दोनों लड़के जिसमें से एक लड़की बना था एक दूसरे को प्यार कर रहे थे,किस तरह से लड़का क्रॉसड्रेस्सेर को चुम रहा था, उसके निप्पल्स को चूस रहा था मानो सच में उन में से दूध निकल आएगा.
किस तरह बिस्तर पर पुरे नंगे हो कर एक दूसरे को गले लगा कर पागलो की तरह एक दूसरे को चुम रहे थे,, आह्हः फिर किस तरह लड़का क्रॉसड्रेस्सेर की नाभि को चुम रहा था उसे चाट रहा था और क्रॉसड्रेस्सेर सिसकियाँ भरे जा रहा था।
जब दोनों अपने नंगे बदन को एक दूसरे से चिपकाते तो मैं अपने बदन पर खुद हाथ फेर कर सोच लेती की मैं भी ये कर रही हूँ और जब जब वो क्रॉसड्रेसे के निप्पल को चुस्ता ,मैं भी अपने निप्पल्स को हौले हौले अपने हाथो से सहला कर सोच लेती कोई मेरे निप्पल्स को भी चूस रहाहै
फिर मैंने देखा लड़का सक्रॉसड्रेस्सेर की गुदा होल को चुम रहा है और उसे गिला कर रहा है.. और फिर तरह क्रॉसड्रेस्सेर अपने लड़के के लिंग को मु में ले कर उसे प्यार कर रहा है और चूस रहा है…
मैं तो बस अपनी उंगलियो को मु में भर कर सोचने लगी मैं भी किसी के लिंग को चूस रही हूँ देखा.. किस तरह लड़का क्रॉसड्रेसेर के होल में अपने लिंग को दाल कर धीरे धीरे अंदर बहार करने लगा और क्रॉसड्रेस्सेर बस अपनी आंखे बंध करके सम्भोग का मज़ा ले रहा है था
अब मुझे बहुत मन हो रहा था ये करवाने का तो मेरे दिमाग में एक बात आयी और मैं किचन में जा कर..ककड़ी ले कर रूम में कंप्यूटर के सामने देखने लगी किस तरह से वो लिंग को क्रॉसड्रेस्सेर के होल में डाल रहा है
फिर मैंने ककड़ी होल पर रखा और अंदर डालने लगी तो मुझे हल्का सा दर्द होआ. और हिम्मत नहीं हुयी और कुछ करने की.. लेकिन मेरे दिल में सोच लिया था.. असली लिंग नहीं तो इस ककड़ी को अंदर तो ले कर रहूंगी
मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला ककड़ी पर आयल या क्रीम लगाने से आसानी से अंदर बहार हो जाता है तो बस फिर क्या था, मैं हेयर आयल ले कर और अपनी पेंटी उतार कर पेटीकोट उप्पर करके लेट कर दोनों टैंगो को फैला ली और ककड़ी को धीरे से अपने होल के पहले थोड़ा सहलाया और फिर धीरे धीरे अंदर डालने लगी .
हाय दैया हल्का हल्का मीठा मीठा सा दर्द हो रहा था लेकिन जैसे जैसे ककड़ी मेरे अंदर जा रही थी मेरे अंदर की रीना खुश हो रही थी। मानो सच में किसी मर्द का कड़क लिंग मेरे अंदर जा रहा हो और मैं आँख बंध करके बस उस लिंग को अपने अंदर महसूस कर रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं किचन से दूसरी ककड़ी ले कर आयी और उससे ले कर बिस्तर पर लेट गयी और अपने पेट से लेट कर उससे बिस्तर पर खड़े पोजीशन में रख दिया मनो मेरे मर्द का लिंग मेरे सामने तना हो,और फिर जिस तरह पोर्न मूवीज में देखा था..
उसी तरह मेने ककड़ी को लिंग मन कर उससे अपने मुख की गरमी दी और एक औरत की तरह उससे चूसा, सबसे पहले मैंने ककड़ी के मुख को हौले हौले चूमा और फिर धीरे से उसके मुख को अपने होठो में रख कर हौले हौले चूसा मनो लिंग के सुपर का रस पि रही हूँ.
धीरे धीरे ककड़ी को मु में ले कर उप्पर से निचे तक उससे भर लिया और थोड़ी देर रुक कर उप्पर निचे करनी लगी। सच में जीवन में ाकभी इतना सुख नहीं मिला था.जितना रीना बन कर मिल रहा था मुझे।
उसी दिन शाम को मेरे घर वाले वापस आ गए और में रीना को फिर से छुपा लिया
लेकिन उसके बाद तो जब जब मेरे घर वाले कही जाते मैं कोई न कोई बाहना बना कर घर पर रुक जाती और फिर अकेले मैं मेरी रीना को फिर ले आती
सबसे पहले नाहा कर आती फिर ब्रा पेंटी और पेटीकोट पहनती ,फिर स्लीवलेस ब्लाउज और साडी पहनती और फिर होठो पर लाल लिपस्टिक, हाथो में चुडिया, पैरो में पायल, माथे पर बिंदी लगाती और खुद को कई बार आईने में देख कर खुश होती लेकिन इन् सब के बाद भी मेरे अंदर की रीना प्यासी थी क्यूंकि उससे कोई प्यार करने वाला नहीं था..
जो उसकी इस जवानी को चुम ले प्यार करे भोग ले, महीनो तक मैं बस यूँही अकेले में रीना बन कर तड़पती रहती, पोर्न मूवीज देखती और वही ककड़ी वाला प्यार का खेल खुद से खेलती लेकिन अब मेरे अंदर की रीना को एक सच का प्यार करने वाला साथी की तलाश थी जो मुझे,रीना को अपना ले और खूब प्यार करे और मैं खुद अपने आप को उससे दे कर उससे सम्भोग का सुख दूँ.
फिर एकदिन मैं एक स्टोरी पढ़ रही थी जिस में एक CD अपने पडोसी लड़के को पटा कर उससे सेक्स करता है,मैं तुरंत सोचने लगी क्या मेरे आस पास है कोई ऐसा ??? काफी देर तक सोचने के बाद मेरे दिमाग और दिल दोनों ने आवाज़ दी. राजेश अंकल। .
जी हाँ, ६५ वर्ष के राजेश अंकल जिनकी पत्नी का स्वर्गवास ४ साल पहले हो गया और सभी बेटे अमेरिका में सेटल थे और खुद अंकल यहाँ उनकी सरकारी पेंशन के साथ अकेले रहते थे और उनके घर सिर्फ एक काम वाली बाई आती थी और एक उनके लिए खाना बनाने, ओह्ह्ह मुझे लगा बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा हा हा हा खुद पर हसी आ रही थी मेने इनको क्यों नहीं देखा उस तरह कभी। अकेले हैं और साथी भी नहीं कोई, सेक्स की भूख तो लगती होगी इनको कभी.
लेकिन मुश्किल ये थी उनके बिस्तर तक और उनके दिल तक कैसे जाया जाये और यही सोच रही थी की तभी एक बात सूझी की क्यों न अंकल को खुद रीना बन कर दिखा दू या ऐसा करू अंकल मुझे देख ले रीना बने और मनो मुझे पता ही न हो इसके बारे में।
फिर क्या मैं अब उस दिन का इंतज़ार करने लगी जब मैं फिर से अकेली होती और अपने कमरे की खिड़की इतनी हलकी सी खोल दू की अंकल मुझे रीना बने देख पाए।
लगभग हफ्ते भर बाद वो शाम आयी जब मेरे घर वाले शादी में जाने वाले थे और मेने ना बोल दिया और फिर जैसे हे घर वाले गए, मेने तुरंत दरवाजा लॉक किया जल्दी से नाहा कर बहार आयी और खिड़की को हल्का सा खोल दिया ताकि अंकल की ना नज़र सके और मेने सिर्फ ब्रा पेंटी और पेटीकोट फेन कर इन्तेज़ाार करने लगी की अंकल आये.
और कुछ देर बाद अंकल आये तो मैं झट से ब्लाउज पहने लगी और फिर साडी पहनने लगी और एक बार तिरछी नज़र से देखा तो मेरा तीर निशाने पर लगा था, अंकल मुझे खिड़की से चुप कर देख रहे थे लेकिन इस जीत की ख़ुशी के साथ मुझे डर भी लग रहा था की कही अंकल सीधे मेरे घर वालो को न बोल दे
लेकिन अब क्या ?जो होना था हो गया चुकी थी अपना काम। आगे रीना की किस्मत..और फिर मैं दूसरे कमरे में चली गयी और मेरा दिल जोर से धड़क रहा था की अंकल ने मुझे देख लिया है अब क्या होगा.
फिर मेरे घर वाले आ गए और फिर से रीना छुप गयी लेकिन रीना को अब इंतज़ार था शायद उसका पहला प्यार कामयाब हो जाये और अंकल रीना को पसंद कर के अपना ले
अगले भाग में आगे की बात कहूँगी आप सबसे, आपकी रीना!
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